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मिल्खा सिंह का जीवन परिचय | Milkha Singh Biography & Success Story hindi

आज के इस लेख में हम मिल्खा सिंह के जीवन के बारे में (Milkha Singh Biography & Success Story hindi) विस्तार से जानेंगे। मिल्खा सिंह भारत के पूर्व फील्ड धावक थे। इन्होंने अपने जीवन में हद से ज्यादा संघर्ष किया और सपने को साकार करने के लिए हर संभव प्रयास किए, कड़े परिश्रम व मेहनत के बाद उन्होंने आखिर अपने सपने को पूरा कर ही लिया। मिल्खा सिंह जो केवल भारत में ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में “flying sikh” के नाम से मशहूर हैं। ये भारत के सर्वोच्च व सम्मानित धावक की सूची में प्रथम स्थान पर आते थे।

मिल्खा सिंह की दौड़ की गति अपने आप में अविश्वसनीय थी और इसी कारण उन्होंने कई सारे अटूट रिकॉर्ड भी बनाए हैं जिनको शायद ही कोई तोड़ पाए। इसी कारण उन्होंने अपने जीवन में कई सारे पदक व अवार्ड को अपने नाम किया है।

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मिल्खा सिंह का जीवन परिचय (Biography of Milkha Singh)

मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 में पाकिस्तान के गोविंदपुर में हुआ था। इनका जन्म सिख राठौर (जाट) खानदान में हुआ था। लेकिन कुछ दस्तावेजों व कागजों में इनका जन्म 17 अक्टूबर 1935 में लिखा है। इनका परिवार काफी बड़ा था और इन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में ही भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय अपने माता पिता को खो दिया था।

कहा जाता है जब उनके पिता दंगाइयों से खूनी संघर्ष कर रहे थे तब आखिरी बार मिल्खा सिंह ने अपने पिता के यह शब्द सुनाई दिये थे भाग मिल्खा भाग’’ यहां से भाग जा, उस समय वह केवल मात्र 12 वर्ष के थे। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को अपने आंखों के सामने मरते देखा था। मिल्खा सिंह इसके बाद ऐसे भागे की उसके बाद रुके नहीं।

उस समय वह ट्रेन के माध्यम से पाकिस्तान वाले क्षेत्र से भारत आ गए कई दिनों तक शरर्णी कैम्पों में भी रहें और जीवन में कई सारे कष्ट व तकलीफें सामने आई पर इन्होंने उन सभी का डटकर के सामना किया और अपने बुलंद हौसलों के चलते कामयाबी की हर मिसाल को कायम किया। वह दुनियांभर में flying sikh के नाम से विख्यात हुए। सिर्फ इतना ही नहीं पूरी उन्होंने अपने आपको एक बेहतरीन एथलीट के रूप खूब नाम कमाया। उन्होंने अपने भारत देश के लिये बहुत सारे इंटरनेशनल गेमों में अनगिनत मेडल प्राप्त किये हैं। उनकी प्रभावशाली योग्यता को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पदमश्री से सम्मानित किया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू भी इनके खेल की खूब प्रशंसा करते थे और इनपर गर्व करते थे।

मिल्खा सिंह निजी जीवन व वैवाहिक जीवन

मिल्खा सिंह जी का खानदान बहुत बड़ा था माता पिता की 15 संतानें थी और वे उनमें से एक थे। बचपन में ही भारत पाकिस्तान के विभाजन के समय अपने माता पिता व भाई बहनों को खो दिया था और उसके बाद शरण पाने वो ट्रेन से भारत आ गए थे। भारत में वो कुछ दिन अपनी शादीशुदा बहन के घर दिल्ली में रुके थे। उसके बाद इनकी दोस्ती निर्मला कौर जी से हुई और वर्ष 1962 में उनकी शादी निर्मला कौर से हुई। निर्मला कौर वर्ष 1955 में महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान रह चुकी हैं। मिल्खा सिंह जी के 4 बच्चे हुए 3 बेटियां और एक बेटा था।

बेटे का नाम जीव मिल्खा सिंह है। उनके पुत्र जीव इंटरनेशल गोल्फर है और वह अपने पिता की तरह ही पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित हैं।

आपको जान कर हैरानी होगी इन्होंने वर्ष 1999 में एक बच्चे को गोद भी लिया था जिसका नाम हवालदार विक्रम सिंह था परन्तु वो टाइगर हील नामक युद्ध मे अपने देश के लिए शहीद हो गए।

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मिल्खा सिंह का करियर (Success Story of Milkha Singh)

मिल्खा सिंह जी ने अपने कैरियर में एक धावक की उपाधी पाई और इससे पहले उन्होंने सेना में भर्ती के लिए कड़ा परिश्रम किया था। वर्ष 1952 में वह सेना के विद्युत मैकेनिकल इंजीनियर बने। वहीं से उन्हें प्रेरणा मिली धावक बनने की हुआ कुछ यूं कि उनके कोच हवलदार गुरुदेव सिंह ने उन्हें दौड़ का आश्वासन दिया तब से वे धावक बनने के इस डगर पर कड़ी मेहनत करने लगे थे। वर्ष 1956 में पटियाला में राष्ट्रीय खेल आयोजित हुए उसमे ये काफी सुर्खियों मे आए थे। उसके बाद 200मी और 400मी की दौड़ के लिए इन्होंने अपने आपको काफी तैयार किया। सन् 1956 में ही इन्होनें मेलबर्न ओलिंपिक में 200 और 400मी की रेस के लिए भारत का प्रतिनिधित्व किया और  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रथम बार भाग लिया।

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उस समय इनके पास ज्यादा अनुभव नहीं था इसलिए ये उस रेस मे हार भी गए थे। परन्तु चार्ल्स जोकिंस जोकि उस वक्त के 400मी के विजेता थे उनसे प्रेरित होकर नई स्ट्रेटजी को फॉलो किया और एक बार फिर प्रयास किया। इसके बाद वर्ष 1957 में 400मी की रेस केवल 5 सेकंड में खत्म करके एक नया कीर्तिमान भारत के लिए स्थापित कर दिया।

उसके बाद वर्ष 1958 में कटक मे एक राष्ट्रीय खेल आयोजित हुआ जिसमे मिल्खा सिंह जी ने भाग लिया और 200मी व 400मी की रेस में विजय प्राप्त की। इसके अलावा एक बड़ी सफलता और मिली जब भारत का नेतृत्व करते हुए उन्हें ब्रिटिश राष्ट्रीय मंडल के लिए खेल खेला था। इस खेलों में 400मी की दौड़ के लिए मिल्खा सिंह जी को स्वर्ण पदक से नवाजा गया। ये लम्हा इनके जीवन में बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया था जब इनका नाम पूरे देश विदेश तक मे गुंजने लगा था। इस साल आयोजित एशियाई खेलों में भी मिल्खा सिंह ने काफी अच्छा प्रदर्शन कर भारत को गोर्वानंवित किया था।

1960 के रोम ओलंपिक में मिल्खा सिंह को जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। उनके लंबे बाल व दाड़ी के कारण वह बहुत लोकप्रिय थे रोम के लोगों ने उन्हे एक संत समझा था और वह देखने के लिए बहुत उत्सुक थे कि एक संत दौड़ते हुये कैसे लगता है।

पिछले 1958 कॉमनवेल्थ व एशियाई गेम्स में उन्होंने भारत के लिए गोल्ड पहला मेडल जीता था। लेकिन वह इस रेस में कोई भी पदक लेने से चूक गये। इसमें वह पहले 250 मी तक तो पहले स्थान पर रहे परंतु इसके बाद में उनकी स्पीड धीमी हो गई वह इस रेस में चौथे स्थान पर रहे और दक्षिण अफ्रीका के धावक मैल्कम स्पेंस ने उन्हे मात्र कुछ 0-1 सेकेंड के अंतर से वह कास्य पदक लेने से चूक गये। शुरू में वह जिस तरह से दौड़ रहे थे लग रहा था कि भारत का सपना पूरा हो जायेगा। आश्चर्य की बात यह है कि मैल्कम स्पेंस वही धावक थे जिन्हें मिल्खा सिंह ने कॉमनवेल्थ गेम्स में हराकर गोल्ड मेडल जीता था।

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मिल्खा सिंह के अनेक रिकॉर्ड व उपलब्धियों का वर्णन (Milkha Singh Records)

मिल्खा सिंह के अनेक रिकॉर्ड उपलब्धियां कुछ इस प्रकार है नीचे दी गई बिंदुओ के माध्यम से आपको बताते हैं।

  • 1958 के Common wealth games में स्वर्ण पदक जीता।
  • 1958 में ही एशियाई खेलों में 200मी व 400मी की रेस में भारत का नेतृत्व करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
  • 1959 में भारत सरकार द्वारा पदमश्री से सम्मानित किया गया था।
  • 1962 में भी भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता।

मिल्खा सिंह जी को सबसे पहले “The Flying Sikh” किसने कहा?

मिल्खा सिंह ने 80 अंतर्राष्ट्रीय र्स्पधाओं में भाग लिया था जिसमें से उन्होंने 77 रेस जीती थी। 1958 की कॉमनवेल्थ स्पार्धा उनके लिए काफी खास रही इसमें उन्होंने काफी प्रसिद्धी प्राप्त की।

1962 में पाकिस्तान में एक प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। इसमें पाकिस्तान के मशहूर धावक अब्दुल खालिक हिस्सा लिया। वह टोक्यो एशिया गेम्स में 100 मी दौड़ के विजेता भी थे। उन्हें ही जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। इस 200 मी की दौड़ में मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान के मशहूर धावक अब्दुल खालिद को हरा दिया। जो एक बड़ा उलटफेर था। यह कहां जाता है मिल्खा सिंह इस दौड़ में भागे नहीं थे बल्कि उड़ रहे थे। उनको इस तरह दौड़ता देख सबकी आंखे फटी-फटी रह गई थी और फिर वहां के राष्ट्रपति अयूब खान ने उन्हें नये नाम से पुकारा “The Flying Sikh”  इस तरह मिल्खा सिंह को एक नया नाम मिल गया।

मिल्खा सिंह पर बनी बायोपिक फिल्म ‘‘भाग मिल्खा भाग’’

मिल्खा सिंह व बेटी सोनिया सांवलका ने पिता के साथ मिलकर एक आत्मकथा “The Race of My Life” लिखी। इस आत्मकथा से प्रभावित होकर राकेश ओम प्रकाश मेहरा (मशहूर फिल्म निर्माता) द्वारा मिल्खा सिंह पर फिल्म बनाई। जिसका शीर्षक था ‘‘भाग मिल्खा भाग’’ इसमें फरहान अख्तर है जिन्होंने मेन लीड रोल किया है। उनकी यह फिल्म आज के युवाओं को प्रेरणा देती है कि कैसे उन्होंने अपने संघर्षपूर्ण जीवन में सफलता पाई।

अपनी बायोपिक फिल्म को अपनी जीवन पर आधारित कहानी बताने के लिए सेलेब्रिट्री करोड़ों रुपये ले लेते है। जबकि इस महान खिलाड़ी मिल्खा सिंह ने इसके लिए केवल एक रुपया ही लिया था।

मिल्खा सिंह के बारे में प्रश्न (FAQ’s)

(1) मिल्खा सिंह की पत्नि का नाम क्या है?

उनकी पत्नि का नाम निर्मला कौर है, उनका विवाह सन् 1962 में हुआ था। वह भारतीय वॉलीबाल टीम की पूर्व कप्तान थी।

(2) मिल्खा सिंह के बच्चे कितने हैं?

मिल्खा सिंह के चार बच्चे है जिसमें से तीन बेटियां और एक बेटा है। इनके बेटी का नाम सोनिया सांवलका है और बेटा जीव मिल्खा है।

(3) मिल्खा सिंह जी को फ्लाइंग सिख किसने कहा?

मिल्खा जी को Flying Sikh का नाम पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान जी ने पाकिस्तान में आयोजित एक दौड़ में जीतने के बाद कहा था।

(4) मिल्खा सिंह का नेशनल रिकार्ड किसने तोड़ा था?

परमजीत सिंह ने महान धावक मिल्खा सिंह का 400 मीटर का नेशनल रिकॉर्ड 1998 में एक प्रतियोगिता में तोड़ दिया। मिल्खा सिंह का 400 मी का रिकार्ड 45.73 था जिसे कलकत्ता में आयोजित एक प्रतियोगिता में परमजीत सिंह ने 45-70 सेकंड में दौड़कर तोड़ा। इस रिकार्ड को तोड़ने में 38 साल का समय लगा।

(5) मिल्खा सिंह की मृत्यु कब हुई?

भारत के महान और सम्मानित एथलिटिक्स मिल्खा सिंह महिनें भर से कोविड-19 वायरस से बहुत बीमार थे और एक लम्बे संघर्ष के बाद फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह जैसे महान धावक का 18 जून 2021 में निधन हो गया। इनकी उम्र 91 वर्ष की थी।

निष्कर्ष:

आज के इस लेख में हमने आपको मिल्खा सिंह के जीवन परिचय (Milkha Singh Biography & Success Story hindi) के बारे में पूरी जानकारी देने का प्रयास किया है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा और इनका जीवन परिचय पढ़कर आपके मन में कुछ कर गुजरने की इच्छा शक्ति जागृत हुई होगी। अगर आपको यह लेख पसंद आया हूं तो इसे अपने मित्रो व सगे संबंधियों के साथ अवश्य शेयर करें ताकि उनको भी मिल्खा सिंह बारे में जानकारी प्राप्त हो।

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