नीम करोली बाबा का जीवन परिचय, नीम करोली बाबा की पुण्यतिथि, कौन हैं नीम करोली बाबा की जीवनी, जन्म, उम्र, परिवार, मृत्यु (Death Anniversary of Neem Karoli Baba, Neem Karoli Baba Biography and Miracles in Hindi, Neem Karoli Baba Miracles in Hindi, Neem Karoli Baba facts in hindi)
भारत में आध्यात्मिकता को बेहद महत्व दिया जाता है। हमारे देश में कई ऐसे ही गुरु और संत महात्मा आए जिन्होंने भारत की ओर से योग एवं आध्यात्म को दुनिया भर में फैलाया और इनका प्रचार प्रसार किया।
आज हम बात करेंगे आध्यात्मिक जगत के ऐसे ही उज्वल सितारे बाबा नीम करोली की, जिनकी शक्तियों और चमत्कारों की चर्चा सब जगह होती रहती है। आज भले ही वह इस दुनिया में नहीं है लेकिन करोड़ों भारतवासी आज भी उनमें अपनी श्रद्धा रखते हैं और उनको पूजते भी हैं।
नीम करोली बाबा के भक्त केवल भारत में ही नहीं है बल्कि देश विदेश के बड़े बड़े लोग जैसे फेसबुक सोशल मीडिया ऐप के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, एप्पल कम्पनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स तथा हॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस जूलिया राबर्ट्स नीम करोली बाबा को मानते हैं और उनको फॉलो करते हैं।
एक साधारण सा कंबल ओढ़े हुए बाबा को लोग आज भी साक्षात हनुमान जी का अवतार मानते हैं। कहा जाता है, कि वे मन की बात जान लेते थे। लक्ष्मण दास, हांडी वाला बाबा और तिकोनिया वाला बाबा जैसे नामों से मशहूर बाबा नीम करौली ने कई वर्षों तक तपस्या की थी। हनुमानजी के भक्त बाबा ने तकरीबन कुल 108 मंदिरों का निर्माण करवाया है, अमेरिका के टेक्सास में भी बाबा के द्वारा बनवाया गया मंदिर आज भी मौजूद है।
आज उन्हीं नीम करोली बाबा की पुण्यतिथि हैं जिनका आशीर्वाद लेने के लिए आज विराट कोहली जैसे महान क्रिकेटर भी उनकी शरण में नीम करोली धाम आश्रम जाते है। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर आइए हम आप भी आज एक बार बाबा नीम करोली की जीवनी और उनके चमत्कारी कारनामों के बारे में जानते हैं।
तो चलिए आज इस लेख के जरिए हम आपको Neem Karoli Baba Biography and Miracles in Hindi के बारे में बताते हैं।
विषय–सूची
बाबा नीम करोली का आरंभिक जीवन
सन् 1900 में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में एक ब्राह्मण परिवार में एक पुत्र का जन्म हुआ था। पिता दुर्गा प्रसाद शर्मा ने प्यार से बालक का नाम लक्ष्मी नारायण रख दिया। उस जमाने में बाल विवाह का बेहद चलन था इसी रीत को निभाते हुए बालक लक्ष्मी नारायण का विवाह महज 11 वर्ष की उम्र में कर दिया गया।
लेकिन जल्द ही लक्ष्मी नारायण का मन समाज और घर गृहस्थी के कामों से उठ गया, उसी समय उन्होंने गृह त्याग का निर्णय ले लिया। गृह त्याग के पश्चात वे एक साधु के रूप में पूरे उत्तर भारत का विचरण करने लगे। उन्हें अलग-अलग जगह पर कई नाम दिए गए। जिनमे लक्ष्मण दास, हांडी वाला बाबा, और तिकोनिया वाला नाम प्रसिद्ध हैं।
उत्तर भारत में घूमते हुए वे गुजरात पहुंचे , गुजरात पहुंच कर उन्होंने तपस्या आरंभ की, वहां के लोग इन्हें तलाइवा बाबा कहते थे।ववानिया मोरबी मे तपस्या करते हुए उन्हें मात्र 17 वर्ष की उम्र में ज्ञान की प्राप्ति हुई।
नीम करोली बाबा का जीवन परिचय, सक्षिप्त परिचय (Neem Karoli Baba Biography and Miracles in Hindi)
पूरा नाम (Full Name) | लक्ष्मी नारायण शर्मा |
प्रसिद्ध नाम | नीम करोली बाबा, कैंची धाम वाले बाबा |
पेशा | हिंदू गुरु, हनुमान जी के भक्त |
पिता (Father Name) | दुर्गा प्रसाद शर्मा |
माता (Mother Name) | कौशल्या देवी शर्मा |
जन्म (Date of Birth) | 8 दिसंबर 1900 |
जन्म स्थान (Birth Place) | गांव अकबरपुर, फैजाबाद (अंबेडकर नगर), उत्तर प्रदेश, भारत |
निधन | 11 सितंबर 1973 |
निधन का कारण | मधुमेह कोमा |
निधन का स्थान | वृन्दावन |
धर्म (religion) | हिंदू |
जाति (Cast) | ब्राह्मण |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
विवाह | 1911 |
पत्नी का नाम | राम बेटी |
पुत्रों के नाम | अनेग सिंह शर्मा, धर्म नारायण शर्मा |
पुत्री | गिरिजा |
नीम करोली बाबा का परिवार
नीम करोली बाबा के परिवार में उनके दो पुत्र और एक पुत्री हैं। उनके बड़े बेटे का नाम अनेक सिंह शर्मा है।जबकि छोटे बेटे का नाम धर्म नारायण शर्मा था। नीम करोली बाबा के छोटे बेटे धर्म नारायण शर्मा अब इस दुनियां में नहीं रहे।
बाबा माने जाते हैं हनुमान जी के अवतार–
कई लोग बाबा को हनुमान जी का अवतार मानते हैं, बाबा हनुमान जी के सबसे बड़े भक्तों में से एक थे। सभी आडंबर से दूर बाबा किसी को अपना चरण स्पर्श तक नहीं करने देते थे। उनका कहना था कि अगर चरण स्पर्श करना है तो हनुमान जी के चरण स्पर्श करो।
हनुमान जी को अपना गुरु और आराध्य मानने वाले बाबा नीम करोली को कई चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। इसलिए उन्हें चमत्कारी बाबा कहा जाता था।
बाबा का नाम नीम करौली बाबा कैसे पड़ा?
एक बार बाबा ट्रेन में सफर कर रहे थे लेकिन घटना होने के कारण टीटी ऑफिसर ने उन्हें पकड़ लिया। ऑफिसर ने उन्हें अगले स्टेशन नीब करौरी पर उतार दिया । स्टेशन के पास के गांव को नीब करौरी के नाम से जाना जाता था।
बाबा गाड़ी से उतार दिए गए और ऑफिसर ने चालक को गाड़ी चलाने का आदेश दे दिया। बाबा वहां से गए नहीं बल्कि वही ट्रेन के पास अपना चिमटा धरती में लगा कर बैठ गए। चालक ने बहुत प्रयास किया ट्रेन को आगे बढ़ाने का, लेकिन उसकी एक न चली।
ट्रेन आगे बढ़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। अंत में बड़े ऑफिसर जोकि बाबा से परिचित थे वे खुद आए और उन्होंने चालक और टिकट चेकर दोनों से बाबा से माफी मांगने को कहा।
सबने मिलकर बाबा को मनाया और उनसे माफी मांगी, माफ़ी मांगने के पश्चात बाबा को सम्मान पूर्वक ट्रेन में बिठाया गया। बाबा ट्रेन में बैठी ट्रेन चल पड़ी। यहीं से बाबा की चमत्कारी कहानी प्रसिद्ध हो गई और एक स्थान पूरी दुनिया में नीब करौरी के नाम से जाना जाता है, यही से बाबा को नीम करौली नाम मिला।
नीम करोली बाबा का आश्रम-
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बाबा नीम करोली का सुंदर स्वर्ग आश्रम स्थित है।बाबा नीम करोली महाराज जी को समर्पित यह आश्रम धर्मावलंबियों के बीच कैंची धाम के नाम से प्रसिद्ध हैं। यह आश्रम समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर बनाया गया हैं।
उत्तराखंड के कैंची धाम में हर साल वार्षिक समारोह मनाया जाता है, जून के समय में भारी संख्या में भक्तगण यहां आते हैं।
इन भक्तों में देश के बड़े-बड़े नेता प्रधानमंत्री मोदी देश की कई मशहूर हस्तियां भी शामिल है।
बाबा की अंतरराष्ट्रीय ख्याति–
सबसे बड़े भक्त रामदास (रिचर्ड अल्पार्ट) ने अपनी किताब मिरेकल ऑफ़ लव में बाबा नीम करोली के एक प्रसिद्ध किस्से का जिक्र किया है। इसी किताब के बाद बाबा को सभी लोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जानने लगे थे।
अपने किस्से को ‘बुलेटप्रूफ कंबल’ देते हुए रामदास ने लिखा है कि, बाबा का चमत्कार तो बाबा ही समझ सकते हैं।
रामदास ने लिखा कि, फतेहगढ़ में एक बुजुर्ग दंपत्ति रहते थे जिन्हें बाबा पर बेहद विश्वास था, 1 दिन बाबा नीम करोली अचानक वृद्ध दंपत्ति के घर पहुंच गए, दंपत्ति उन्हें देखकर बेहद खुश हुए बाबा ने कहा कि आज वे उनके घर पर रुकेंगे।
बाबा नीम करोली दंपत्ति के घर रुके पर न जाने क्यों वे रातभर दर्द से कराहते रहे, सुबह उठकर में दंपत्ति से मिले और एक कपड़े में कुछ लपेटकर उन दोनों को दिया और उस सामान को पानी में बहाने का आदेश दिया।
जाते-जाते बाबा कह गए कि तुम दोनों चिंता मत करो तुम्हारा पुत्र लौट आएगा, 1 महीने बाद ही बुजुर्ग दंपत्ति का एकमात्र पुत्र सही सलामत घर वापस आ गया। उनका का पुत्र ब्रिटिश सेना में सैनिक था, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वह वर्मा में तैनात था ।
वापस आकर उसने अपने माता-पिता को अपने बारे में बताया और कहा कि वह करीब 1 महीने पहले दुश्मन देश की फौज से बुरी तरह घिर चुका था, उसके साथ के सभी लोग मारे जा चुके थे। पूरी रात गोलीबारी होने के बावजूद वह जिंदा बच गया, वह खुद नहीं समझ पा रहा था कि आखिर वह जिंदा कैसे हैं।
कमाल की बात यह है कि जिस रात यह गोलीबारी हो रही थी, उसी रात दंपत्ति के घर पर बाबा नीम करोली आए हुए थे।
रामदास लिखते हैं कि जो बाबा पर सच्चे दिल से विश्वास करते हैं बाबा उन पर आंच नहीं आने देते।
बाबा नीम करोली के चमत्कारिक किस्से–
बाबा को कैंची धाम से बेहद लगाव था, एक बार जून में भंडारे के दौरान वहां तेल और घी की कमी पड़ गई। तब बाबा जी ने आदेश दिया कि नदी बह रही है कनस्तर वहां ले जाओ और जल भर कर लाओ । आदेश के अनुसार श्रद्धालु जल भर कर लाए और प्रसाद बनाने का काम शुरू कर दिया। वह जल घी में बदल गया।
ऐसे ही एक बार बाबा नीम करोली ने अपने एक प्रिय भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी प्रदान की और उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाया।
कहा जाता हैं की एक बार बाबा जी से मिलने आए और उनका पूजन करने लगी। लेकिन महिलाओं के पास दियासलाई नहीं थी, इससे वे बेहद निराश हो गई, तभी बाबा जी ने उनके मन के भाव पढ़ लिए और मात्र उनके स्पर्श से ही दिए जल उठे।
एक बार की बात हैं हनुमानगढ़ी मन्दिर में निर्माण कार्य चल रहा था, उस दौरान भारी बारिश होने लगी और कार्य में बाधा उत्पन्न हो गई। बारिश इतनी तेज थी कि जो काम पूरा हो चुका था वह भी खराब हो जाता, करोली बाबा ने है स्थिति देखी और बादलों के बीच में आकाश की ओर देखते हुए बोले “बड़ी उग्र है”, इतना कहकर उन्होंने अपने वक्ष से कंबल हटाया और चिल्लाते हुए बोले “पवन तनय बल पवन समाना”. बस इतना कहते ही तेज हवाएं
बहने लगी जिससे बादल कहीं दूर चले गए, बारिश बिल्कुल बंद हो गई,बाबा के इस चमत्कार से आसमान भी साफ हो गया और हनुमानगढ़ी मंदिर का निर्माण कार्य सही ढंग से संपन्न हुआ।
बाबा नीम करोली की मृत्यु–
11 सितंबर 1973 की सुबह वृंदावन में एक अस्पताल में बाबा की मृत्यु हुई। करोली बाबा की समाधि आज भी वृंदावन में मौजूद है।
कहा जाता है कि जिस दिन उनका निधन हुआ उस रात वह आगरा से नैनीताल जा रहे थे, लेकिन सीने में दर्द और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उन्हें वृंदावन स्टेशन पर ही मजबूरन उतरना पड़ा था।
अंतिम समय में उन्होंने खुद गंगाजल पीकर अपने शरीर का त्याग किया था।
नीम करोली बाबा का समाधि स्थल –
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बाबा नीम करोली जी का समाधि स्थल पंतनगर में स्थित है जो नैनीताल के पास ही पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि नीम करोली बाबा के समाधि स्थल पर जाने से भक्तों की सभी मुरादें पूरी हो जाती है। इस समाधि स्थल पर नीम करोली बाबा की भव्य प्रतिमा के साथ साथ हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
नीम करोली बाबा पर लिखी गई किताब (Miracle Of Love) –
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नीम करोली बाबा और उनके चमत्कारों को लेकर एक विदेशी लेखक रिचर्ड अल्बर्ट (रामदास) ने उनके ऊपर एक किताब भी लिखी है। इस किताब का शीर्षक मिरेकल ऑफ लव है।
इसी किताब में नीम करोली बाबा को लेकर बहुत सारे चमत्कारी किस्से लिखे गए हैं जो उनकी आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाते हैं। इस किताब में नीम करोली बाबा को लेकर बुलेट प्रूफ कंबल नाम से एक रोचक प्रसंग का वर्णन किया गया है। नीम करोली बाबा को अक्सर कंबल ओढ़े हुए देखा गया था इसीलिए उन्हें लोग अक्सर कंबल चढ़ाते हैं।
दोस्तों आज इस आर्टिकल में हमने आपके साथ नीम करोली बाबा का जीवन परिचय और उनके चमत्कार (Neem Karoli Baba Biography and Miracles in Hindi) के बारे में चर्चा की। उम्मीद करते हैं कि आर्टिकल आपको बेहद पसंद आया होगा।
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