क्या है भारत में चीतों का इतिहास व आइये जानतें हैं चीतों से जुड़ें रोचक तथ्य

अकबर के शासनकाल में भारत में लगभग 900 से 1000 चीते उपलब्ध थे।

क्या है भारत में चीतों का इतिहास

साल 1947 में रामानुज प्रताप सिंहदेव ने एक साथ तीन चीतों का शिकार किया था।

उस समय जंगली जानवरों का शिकार भी गैर कानूनी नहीं था। जिस वजह से राजाओं द्वारा चितों का मुख्य रुप से शिकार किया जाता था जिस वजह से चीते की प्रजाति भारत से विलुप्त हो गई।

1952 में तत्कालीन मौजूदा सरकार ने औपचारिक रूप से भारत से चीजों के विलुप्त होने की घोषणा कर दी।

17 सितंबर 2022 को भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल व कोशिश से अफ्रीका के नामबिया से विमान द्वारा भारत में 8 चीते लाए गए है।

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जिन्हें एमपी के कूनो नेशनल पार्क में रखा गया है ताकि देश में विलुप्त हो गये इस जीव को पुर्नवासित किया जा सकें।

अपनी तेज स्पीड (Speed), फोकस (Focus) और फुर्ती के लिये जाना जाता है चीता।

आइये जानतें हैं चीतों के बारे में रोचक तथ्य

इसकी रफ्तार 90 किलोमीटर से 120 किलोमीटर प्रति घंटे होती है।

चीता एक बार में 3 से 6 सेकेड में ही 100 की स्पीड हासिल कर लेता है।

उसैन बोल्ट की टॉप स्पीड 44.72 किमी प्रति घंटा है जबकि चीते की औसतन रफ्तार लगभग 95 किमी प्रति घंटा है जो इसके दोगुने से भी अधिक है।

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चीता एक बार में 7मी (23 फुट) लंबी छलांग लगा सकता है।  एक चीते की लंबाई 1.1 मीटर से 1.4 मी तक हो सकती है।

इस समय दुनियां में 7000 के करीब ही चीते मौजूद हैं। यह मुख्यत अफ्रीका, दक्षिण पश्चिम एशिया में मिलता है।

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लगभग 95% शिशु वयस्क होने से पहले ही मर जाते हैं और केवल 5% ही जीवित रह पाते हैं।

Images Unsplash

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चिंता 12 साल तक जीवित रह सकता है उन्हें सही वार्तावरण मिल जाये तो वो 18 से 20साल तक जीवित रहते हैं।

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