हिंदू धर्म के शास्त्रों में कलश को सुख समृद्धि मंगल और ऐश्वर्या का प्रतीक माना गया है

नवरात्रि पर कलश स्थापना, पूजा का महत्व व शुभ मुर्हूत

क्लश स्थापना का शुभ मुर्हूत

सुबह प्रातःकाल  6.28 से 08.05 बजे रहेगा। इसके पश्चात 11.54 से 12.40 तक कलश स्थापना करें।

कलश पर हल्दी कुमकुम से स्वास्तिक बनायें।  मुख पर नारियल रखें।  इसके मुख पर आम्रपत्र से सजाकर इसे लाल चुनरी या कलावे से बांधे।

विधि विधान से नवरात्रि व्रत रखकर देवी दुर्गा का पूजन और दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से उपवास रखने वाले भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं

नवरात्र के प्रथम दिवस में माँ शैलपुत्री की आरती व मंत्रों का उच्चारण करें।

नवरात्रि में प्रत्येक देवी माँ के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है।

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नवरात्रि में प्रत्येक देवी माँ के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है।

1. शैलपुत्री –  प्रतिप्रदा 2. ब्रह्मचारिणी – द्वितीया 3. चंद्रघंटा – तृतीया 4. कुष्मांडा – चतुर्थी 5. स्कंदमाता – पंचमी 6. कात्यायनी – षष्टि 7.  कालरात्रि – सप्तमी 8. महागौरी – दुर्गा अष्टमी 9. सिद्धिदात्री – नवमी

आंखों में भरा है मेरे अश्रुधार मां,  इन आंखों से तेरी दरस कैसे पाऊं?  मन में है पीड़ा और संताप मां,  अधरों से मैं किस तरह मुस्कुराऊं?

दुर्गा पूजा पर कविता

पैरों में जकड़ी है दुखों की बेड़ियां, तू ही बता कैसे दर तेरे आऊं?   इन आंखों से तेरी दरस कैसे पाऊं।

दुर्गा पूजा पर कविता

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