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Maithili Thakur Biography in Hindi: जिसने कभी नहीं मानी हार, आज है देश की आवाज़ बनीं, कौन है मैथिली ठाकुर, जीवन परिचय

Maithili thakur Biography in Hindi: कहते हैं ना, अगर इंसान में लगन और हिम्मत हो तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। बिहार की बेटी मैथिली ठाकुर ने इस बात को सच कर दिखाया है। एक छोटे से गाँव से निकलकर उन्होंने अपनी आवाज़ से पूरे देश को दीवाना बना दिया। बचपन में घर के आँगन में सुर और ताल सीखने वाली मैथिली आज देश-विदेश में भारतीय लोक संगीत की पहचान बन चुकी हैं। उनकी आवाज़ में मिट्टी की महक है, भावनाओं की गहराई है और सबसे बड़ी बात—उनमें एक सच्ची कलाकार की आत्मा बसती है।

रियलिटी शो में असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सुरों की साधना को जारी रखा। आज वही मेहनत उन्हें वहाँ ले आई है जहाँ हर उभरता कलाकार पहुँचने का सपना देखता है। आइए जानते हैं, कैसे एक साधारण लड़की ने अपने सुरों से सफलता की असाधारण कहानी लिखी — Maithili Biography in Hindi

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Maithili Biography in Hindi | कौन है मैथिली ठाकुर, जीवन परिचय

छोटी उम्र से शुरू हुई संगीत की यात्रा

बिहार के मधुबनी जिले की बेटी मैथिली ठाकुर का जीवन आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है। सिर्फ चार साल की उम्र से ही उन्होंने संगीत की दुनिया में कदम रखा। उनके दादाजी और पिता ने उन्हें संगीत की शिक्षा दी और इसी ने उनकी पहचान बनाने की नींव रखी।

मैथिली ठाकुर जन्म और परिवार (Maithili Thakur Family)

मैथिली का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी नामक छोटे से शहर में हुआ। उनके पिता रमेश ठाकुर खुद एक संगीत शिक्षक हैं, जबकि उनकी माँ भारती ठाकुर गृहिणी हैं। मैथिली के दो छोटे भाई—रिषभ और अयाची—भी संगीत में ही उनका साथ देते हैं। परिवार में सब उन्हें प्यार से “तन्नु” बुलाते हैं।

संगीत से गहरा पारिवारिक रिश्ता

मैथिली के परिवार में संगीत का माहौल हमेशा से रहा है। उनके दादा एक संगीत शिक्षक थे, जिन्होंने छोटी उम्र में ही मैथिली के भीतर संगीत के संस्कार बो दिए। पिता रमेश ठाकुर ने बेटी की प्रतिभा को पहचाना और आगे बढ़ाने के लिए परिवार सहित दिल्ली शिफ्ट हो गए।

दिल्ली में मिली नई राह

दिल्ली आकर मैथिली को बेहतर अवसर मिले। उन्होंने बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और आगे आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज से ग्रैजुएशन किया। पढ़ाई के साथ-साथ पिता ने उन्हें और उनके भाइयों को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, हारमोनियम और तबले की ट्रेनिंग दी।

संगीत प्रतियोगिताओं में शुरुआती सफलता

बचपन से ही मैथिली कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती रहीं। उन्होंने पाँच बार दिल्ली राज्य की शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिता में जीत हासिल की। साल 2011 में उन्होंने ज़ी टीवी के शो “लिटिल चैंप्स” में हिस्सा लिया, जो उनके लिए पहला बड़ा मंच था।

रिजेक्शन से नहीं टूटी हिम्मत

मैथिली ने अपने सफर में कई बार रिजेक्शन का सामना किया। कई म्यूज़िक शोज़ में वह टॉप 20 तक पहुंचकर बाहर हो जाती थीं। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। 6 बार रिजेक्ट होने के बाद भी वो लगातार मेहनत करती रहीं, और आखिरकार सफलता ने उनका साथ दिया।

आई जीनियस यंग सिंगिंग स्टार की विजेता

2015 में मैथिली ने “आई जीनियस यंग सिंगिंग स्टार” का खिताब जीता और उसी साल उन्होंने ‘या रब’ नाम का म्यूज़िक एलबम भी लॉन्च किया। इसके बाद उन्हें इंडियन आइडल जूनियर 2 में टॉप 20 में जगह मिली, जिसने उनके आत्मविश्वास को और मजबूत किया।

राइजिंग स्टार से मिली असली पहचान

2017 में टीवी शो “राइजिंग स्टार” से मैथिली को देशभर में पहचान मिली। इस शो में उन्होंने अपनी आवाज़ और क्लासिकल टच से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वो शो की पहली फाइनलिस्ट बनीं, लेकिन फाइनल में मात्र दो वोटों से रनर-अप रहीं। यही शो उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।

भाइयों के साथ संगीत सफर

मैथिली के दोनों भाई, ऋषभ और अयाची, हमेशा उनके साथ संगीत में कदम से कदम मिलाकर चलते हैं। ऋषभ तबला बजाते हैं जबकि अयाची गाते हैं। ये तीनों मिलकर यूट्यूब और सोशल मीडिया पर शानदार जुगलबंदी करते हैं। 2019 में तीनों को चुनाव आयोग ने मधुबनी का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया।

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परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम

मैथिली ठाकुर की गायकी में भारतीय लोक संगीत की मिठास और शास्त्रीय संगीत की गहराई दोनों दिखाई देती हैं। उन्होंने भोजपुरी, हिंदी, मैथिली, मराठी, तमिल और तेलुगु भाषाओं में गाने गाए हैं। उनके कुछ लोकप्रिय गीतों में ‘माई री माई’, ‘रंगबती’, और ‘छठ पूजा गीत’ शामिल हैं।

सोशल मीडिया की दुनिया में सुपरस्टार

मैथिली ठाकुर सिर्फ एक गायिका नहीं, बल्कि सोशल मीडिया सेंसेशन भी हैं। उनके फेसबुक पर 90 लाख से अधिक फॉलोअर्स, यूट्यूब पर 25 लाख सब्सक्राइबर और इंस्टाग्राम पर 20 लाख फॉलोअर्स हैं। यूट्यूब से ही वे सालाना लगभग 50 लाख रुपये कमाती हैं। इसके अलावा वह कई ब्रांड प्रमोशन्स भी करती हैं।

प्रधानमंत्री मोदी से मिला सम्मान

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2024 के मौके पर दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित ‘नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड्स’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैथिली ठाकुर को ‘कल्चरल एंबेसडर ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड से सम्मानित किया। यह सम्मान सिर्फ उनके संगीत के लिए नहीं, बल्कि भारतीय लोक संस्कृति को नए युग तक पहुँचाने के प्रयासों के लिए दिया गया।

निष्कर्ष (Conclusion)

मैथिली ठाकुर की कहानी सिर्फ एक गायिका की सफलता की नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प और मेहनत की मिसाल है। उन्होंने असफलताओं को सफलता की सीढ़ी बनाया और कभी अपने सपनों से समझौता नहीं किया। आज वह नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं कि अगर हिम्मत और लगन हो, तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।

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