Indira Ekadashi 2025 : हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बेहद पवित्र माना गया है और साल भर में चौबीस एकादशियां आती हैं। इन सभी में इंदिरा एकादशी 2025 का विशेष स्थान है क्योंकि यह पितृ पक्ष में पड़ती है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि, धन और शांति का वास होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष में यदि कोई एकादशी का व्रत करता है तो उसे कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है।
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इंदिरा एकादशी 2025 व्रत कथा
पुराणों में वर्णन है कि सतयुग के समय माहिष्मती नगर में इंद्रसेन नामक राजा का शासन था। राजा विष्णु भक्त थे और हमेशा प्रभु की आराधना करते थे। एक दिन देवर्षि नारद उनके दरबार में आए। राजा ने उनका स्वागत किया और उनके आगमन का कारण पूछा। नारद जी ने कहा कि वे हाल ही में यमलोक गए थे जहां उनकी मुलाकात राजा इंद्रसेन के पिता से हुई। राजा के पिता ने बताया कि एक बार उनका व्रत भंग हो गया था जिसकी वजह से उन्हें यमलोक में कष्ट भोगना पड़ रहा है। उन्होंने नारद जी से कहा कि वे उनके पुत्र तक संदेश पहुंचाएं कि यदि इंद्रसेन आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करेंगे तो उन्हें मोक्ष मिलेगा।
नारद जी ने यह संदेश राजा इंद्रसेन को सुनाया। राजा ने बिना विलंब किए इंदिरा एकादशी व्रत का संकल्प लिया। उन्होंने पूरे श्रद्धा भाव से उपवास किया, भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की और गौ दान किया। इस व्रत के प्रभाव से उनके पिता को यमलोक की पीड़ा से मुक्ति मिली और उन्हें बैकुंठ धाम की प्राप्ति हुई। तभी से इस एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाने लगा और इसे पितृ शांति का व्रत कहा जाने लगा।
Indira Ekadashi 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
इस साल इंदिरा एकादशी 17 सितंबर 2025 को पड़ रही है। पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 17 सितंबर को रात 12 बजकर 21 मिनट पर होगी और इसका समापन उसी दिन रात 11 बजकर 39 मिनट पर होगा। इस दिन पुष्य नक्षत्र भी रहेगा और शिववास देर रात तक रहेगा। योग की दृष्टि से भी यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है।
इंदिरा एकादशी 2025 पारण समय
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को करना चाहिए। इस बार पारण का शुभ समय 18 सितंबर 2025 की सुबह 06 बजकर 07 मिनट से 08 बजकर 34 मिनट तक है। इस अवधि में व्रत का पारण करना अनिवार्य है क्योंकि बिना पारण किए व्रत अधूरा माना जाता है। पारण करने के बाद भोजन के साथ गरीबों और ब्राह्मणों को अन्न, धन और वस्त्र का दान करना चाहिए।
Indira Ekadashi 2025 पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए। घर के पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करके भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। गंगाजल से स्नान कराकर प्रभु को पीला चंदन, तुलसी दल, पीले फूल और पंचामृत का भोग लगाएं। दीपक जलाएं, धूप अर्पित करें और मंत्रों का जप करें। इस दिन विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा और गीता पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है।
शाम के समय सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। व्रत कथा पढ़ें या सुनें और भगवान से पितरों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करें। इसके अलावा इस तिथि पर पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करना विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि इस दिन तर्पण करने से पितर प्रसन्न होकर साधक को आशीर्वाद देते हैं।
इंदिरा एकादशी पर भोग और दान
शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु को पीली वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए इस दिन भोग में पीली मिठाई जैसे बेसन के लड्डू, केला, आम या अन्य पीले फल अर्पित करने चाहिए। साथ ही पंजीरी, पंचामृत और तुलसी दल का भोग लगाना जरूरी है। तुलसी के बिना श्री हरि का भोग अधूरा माना जाता है।
पारण के बाद अन्न, धन, वस्त्र और अनाज का दान करना चाहिए। द्वादशी तिथि पर दान करने से साधक के जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती। इससे घर में सुख-शांति का वास होता है और पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
Indira Ekadashi 2025 के मंत्र
इस व्रत में भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना विशेष फलदायी होता है। साधक को कम से कम 108 बार विष्णु मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं – ॐ नमो नारायणाय, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय और विष्णु गायत्री मंत्र ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।
निष्कर्ष
इंदिरा एकादशी 2025 का व्रत न केवल भगवान विष्णु की कृपा पाने का अवसर है बल्कि पितरों को मोक्ष दिलाने का सबसे शुभ दिन माना जाता है। यह तिथि साधक को सभी पापों से मुक्त करती है और जीवन में सुख-समृद्धि, धन और शांति लाती है। इसलिए इस साल 17 सितंबर को पूरे विधि-विधान से इंदिरा एकादशी का व्रत करें, पितरों का तर्पण करें और अगले दिन शुभ मुहूर्त में पारण जरूर करें। ऐसा करने से निश्चित रूप से भगवान विष्णु की कृपा मिलेगी और पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होगी।