बिरजू महाराज कौन थे? वह किस घराने से थे? आइये जाने बिरजू महाराज का जीवन परिचय, Pandit Birju Maharaj Biography in Hindi, Birju Maharaj life story, father and mother name, age, death
पंडित बिरजू महाराज कथक सम्राट हैं जिन्होंने कथक नृत्य के प्रशिक्षण के माध्यम से उसे आगे बढ़ाने का विशेष कार्य किया है इसलिए उन्हें कथक सम्राट कहा जाता है। पंडित बिरजू महाराज ने बहुत कम उम्र से ही नृत्य में प्रशिक्षण देना आरंभ कर दिया था।
कथक नृत्य उत्तर भारत का शास्त्रीय नृत्य है और पंडित बिरजू महाराज जी को इसी नृत्य के सम्राट के रूप में जाना जाता है उन्होंने इस नृत्य के उत्थान के लिए बहुत प्रयास किए और इसे शिखर तक पहुंचाने का कार्य किया। 16 जनवरी 2022 रविवार की रात को 83 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने के कारण कथक नृत्य का यह सम्राट सदैव के लिए चिर निद्रा में सो गये। इनकी क्षति कोई पूरी नहीं कर सकता है।
भारतीय शास्त्रीय संगीत के ज्ञाता और महान कथक नृत्य सम्राट बिरजू महाराज ने कथक को नये आयाम दिये उनका पूरा जीवन इस सास्कृतिक धरोहर को सहेजने व नई ऊंचाईओं तक पहुंचाने में व्यतीत हो गया। उनके आकस्मिक निधन से पूरा भारत व संगीत जगत सदमे में हैं।
विषय–सूची
पंडित बिरजू महाराज जी का जीवन परिचय (Pandit Birju Maharaj Biography in Hindi)
पंडित बिरजू महाराज जी का वास्तविक नाम पंडित बृज मोहन मिश्र था जिनका जन्म उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 4 फ़रवरी 1938 को हुआ था। बिरजू महाराज जी जब पैदा हुए थे तब इनका नाम शुरुआत में दुखहरण रखा गया था लेकिन बाद में इनका नाम बदलकर बृजमोहन कर दिया गया। इनके परिवार वाले इन्हें प्यार से बिरजू नाम की संज्ञा देते थे जिसके कारण आगे चलकर या बिरजू महाराज नाम से प्रचलित हुए।
इनके पिता का नाम श्री अच्छन महाराज था। पंडित बिरजू महाराज जी को गायन और नृत्य का प्रशिक्षण बचपन से ही इनके चाचा लच्छू महाराज और शंभू महाराज की सहायता से प्राप्त हुआ।
महज 7 वर्ष की आयु में ही उन्होंने अपना पहला गायन प्रस्तुत किया था। इनका घर आना उस समय में कत्थक का प्रमुख हराना था जिस परिवार में पैदा हुए थे उसके प्रत्येक सदस्य को नृत्य और गायन की कला में दक्षता थी।
बिरजू जी महाराज अच्छन वंश के वंशज थे जो कथक नृत्य के लखनऊ घराने से थे और भारत के तीन प्रमुख घरानों में से एक थे।
बिरजू महाराज के बारे में जानकारी (Pandit Birju Maharaj , Age, Education, father name)
पूरा नाम (Full Name) | पं. बृजमोहन मिश्रा |
बचपन का नाम | दुखहरण |
प्रचलित नाम | कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज |
जन्म (Date of Birth) | 4 फ़रवरी 1938 |
पिता (Father Name) | गुरु अच्छन महाराज |
माता का नाम (Mother Name) | अम्माजी महाराज |
जन्म स्थान (Place of Birth) | लखनऊ (उ.प्र.) भारत |
शिक्षा | भारतीय शास्त्रीय संगीत व शास्त्रीय नृत्य (डॉक्यरेक्ट) |
कॉलेज | बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) खैरागढ़ विश्वविद्यालय |
पेशा | शास्त्रीय गायक, नर्तक एवं संगीतकार |
नागरिकता (Nationality) | भारत |
मृत्यु के समय उम्र (Age) | 83 वर्ष |
मृत्यु का कारण | दिल का दौरा |
निधन (Death) | 16 जनवरी 2022 |
पंडित बिरजू महाराज जी का परिवार –
पंडित बिरजू महाराज अच्छ्न परिवार के वंशज थे जो कथक नृत्य के लिए प्रमुख घरानों में से एक है। पंडित बिरजू महाराज जी के 5 पुत्र पुत्री हैं जिनमें से उनके 2 पुत्र हैं और 3 पुत्रियां हैं।
मात्र 13 वर्ष की उम्र में शुरू किया था नृत्य प्रशिक्षण –
पंडित बिरजू जी महाराज जब महज 9 वर्ष के थे तब इनके पिताजी का देहांत हो गया जिसके बाद परिस्थितियों के असंतुलन के कारण इन्हें अपने परिवार के साथ घर छोड़कर दिल्ली जाना पड़ा। आप यह जानकर आश्चर्य में पड़ जाएंगे कि मात्र 13 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने दिल्ली के एक प्रशिक्षण संस्थान संगीत भारती में नृत्य का प्रशिक्षण देना आरंभ कर दिया। संगीत भारती के बाद भी इन्होंने कई सारे प्रशिक्षण संस्थानों में नृत्य का प्रशिक्षण दिया जिसके बाद दिल्ली में ही एक नृत्य के लिए विद्यालय खोला जिसका नाम कलाश्रम रखा।
धीरे धीरे पंडित बिरजू महाराज जी ने कथक नृत्य में प्रशिक्षण कला में महारत हासिल कर ली और उनकी ख्याति चारों ओर फैलने लगी जिसके कारण उन्हें कथक सम्राट कहकर संबोधित किया जाने लगा।
सिनेमा जगत में भी कर चुके हैं नृत्य निर्देशन –
पंडित बिरजू महाराज जी ने भारतीय सिनेमा बॉलीवुड की कई फिल्मों में नृत्य और संगीत के निर्देशन किए हैं।
बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि बिरजू जी महाराज कई फिल्मों के लिए संगीत भी लिख चुके हैं और साथ ही साथ उन्होंने कई फिल्मों के लिए नृत्य निर्देशन का काम किया है जिनमें से गदर देवदास बाजीराव मस्तानी डेढ़ इश्किया और दिल तो पागल है जैसी मूवी शामिल है।
बाजीराव मस्तानी में नृत्य निर्देशन के लिए इन्हें फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
बिरजू महाराज जी की उपलब्धियां –
बिरजू महाराज जी छोटे उम्र से ही नृत्य कला के प्रशिक्षण में अपना योगदान दे रहे थे उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारे पुरस्कार और उपलब्धियां प्राप्त की हैं।
- सन 1964 में 22 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय सम्मान संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त किया।
- सन 1986 की बात है जब बिरजू जी महाराज को पदम विभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया ।
- इसके बाद साल 1987 में इन्हें कालिदास पुरस्कार से नवाजा गया।
- संगीत गायन में इनकी भूमिका को देखते हुए सन 2002 में इन्हें लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- सन् 2012 में बेस्ट कोरियोग्राफी में नेशनल फिल्म अवार्ड दिया गया।
- इन्हे भारतमुनि पुरस्कार का सम्मान भी मिल चुका है।
- बॉलीवुड की कई सुपरहिट फिल्मों के संगीत और नृत्य में बिरजू महाराज जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
- सन 2016 में बिरजू महाराज जी को फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया यह अवार्ड इन्हें बाजीराव मस्तानी फिल्म के लिए दिया गया था।
यह कुछ विशेष पुरस्कार हैं जो बिरजू महाराज जी को नृत्य प्रशिक्षण संगीत गायन और सिनेमा में कोरियोग्राफी के लिए दिए गए हैं साथी संगीत और नृत्य में अभूतपूर्व योगदान के लिए इन्हें पदम विभूषण से सम्मानित किया गया था इसके अलावा भी बहुत से क्षेत्रीय पुरस्कारों से इनका सम्मान किया।
क्या है कथक नृत्य –
कत्थक उत्तर प्रदेश का राजकीय नृत्य है और यह भारत के 8 शास्त्रीय नृत्य में से सबसे प्राचीन नृत्य है। कथक नृत्य प्रमुख रूप से उत्तर भारत का नृत्य है और इस नृत्य के लिए भारत भर में 3 घराने प्रमुख हैं।
लखनऊ घराना –
यह घराना कथक नृत्य के प्रमुख घरानों में से एक है जिससे कि बिरजू महाराज जी संबंधित है। ऐसा माना जाता है कि इस कत्थक घराने की शुरुआत ईश्वरी प्रसाद जी से हुई थी।
वाराणसी घराना –
यह भी कत्थक के प्रमुख घरानों में से एक है जिसकी शुरुआत जानकी प्रसाद जी से हुई इसलिए इसे जानकी प्रसाद घराना भी कहते हैं।
जयपुर घराना –
उपरोक्त प्रमुख दोनों घराने उत्तर प्रदेश के 2 जनपदों से संबंधित थे लेकिन तीसरा घराना राजस्थान की राजधानी जयपुर से संबंधित है जिसकी शुरुआत भानु जी ने की थी।
पंडित बिरजू महाराज जी का निधन कब हुआ?
नृत्य और संगीत साधना करते हुए पंडित बिरजू महाराज जी ने अपना पूरा जीवन व्यतीत किया और छोटी उम्र से ही संगीत और नृत्य का प्रशिक्षण लोगों को देते रहे।
बड़े दुख की बात है कि हाल ही में 16 फरवरी सन 2022 को बिरजू महाराज जी की दिल का दौरा पड़ने की वजह से मृत्यु हो गई भले ही बिरजू महाराज जी आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन वह संगीत और नृत्य के क्षेत्र में अपने योगदानओं के लिए भारत में सदैव याद किए जाएंगे।
FAQ
बिरजू महाराज के पिता का नाम क्या था?
अच्छन महाराज
बिरजू महाराज के गुरु का नाम क्या था?
बिरजू महाराज के पिता अच्छन महाराज ही उनके गुरु थेे उन्होंने नृत्य की शिक्षा अपने पिता व अपने दो चाचाओं लच्छू और शंभू महाराज से प्राप्त की।
बिरजू महाराज किस घराने से संबंध रखते हैं?
बिरजू महाराज का संबंध लखनऊ के कालका बिन्दादिन घराने से है उनके पिता व चाचाओं को महान कत्थक नृतक व शास्त्रीय संगीत के रुप में जाना जाता था।
बिरजू महाराज की शादी कितनी उम्र में हुई थी?
18 साल की उम्र में
बिरजू महाराज को संगीत नाटक अकादमी पुरुस्कार कब प्राप्त हुआ?
1964 में संगीत नाटक अकादमी पुरुस्कार प्राप्त हुआ।