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क्या हैं भीमकुंड का रहस्य, इतिहास, पौराणिक कहानी व रोचक तथ्य | Story, History, Mystery of Bhimkund in hindi

हमारा देश भारत हमेशा से अध्यात्म का केंद्र रहा है। यहाँ सनातन संस्कृति से जुड़े हजारों धार्मिक स्थल आज आज भी मौजूद हैं जिनमें से कई तो सैकंडों वर्ष पुराने हैं। यहाँ के बहुत से स्थान अपने भीतर कई रहस्यों को छुपाए हुए है भीमकुंड का रहस्य ऐसे हैं जिन्हें आज तक कोई भी नहीं सुलझा सका है।

ऐसे ही एक रहस्मयी कुंड के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आप भी अचंभित रह जायेंगे हम बात कर रहे हैं भीमकुंड की। चलिए जानते हैं कहाँ है ये भीमकुंड और क्या है इसके पीछे का रहस्य जो सभी को हैरान कर देता है।

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विषय–सूची

भीमकुंड कहां स्थित है भीमकुंड –

भीमकुंड भारत के मध्यप्रदेश राज्य के छतरपुर जिले में स्थित है छतरपुर जिले में एक गाँव है बाजना जहाँ यह रहस्मयी कुंड मौजूद है।

भीमकुंड के अलावा इस कुंड को नारदकुंड तथा नीलकुण्ड भी कहा जाता है। यह कुंड अपने भीतर ऐसे विचित्र रहस्यों को छुपाए हुए है जिसे देश विदेश के बड़े बड़े वैज्ञानिक भी आजतक सुलझा नहीं पाएं हैं।

कैसे और कब हुआ इस कुंड का निर्माण? (Bhimkund History, Story in hindi)

भीमकुंड लगातार रहस्यमई कारणों से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है लेकिन इस रहस्मयी कुंड का निर्माण कब और कैसे हुआ इसके बारे में वैज्ञानिक तौर पर कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालाँकि इसके निर्माण से जुडी कई पौराणिक कथाएँ अवश्य मौजूद है. इन पौराणिक कथाओं में सबसे प्रचलित महाभारत काल की एक कथा है।  बताया जाता है कि इसका निर्माण महाभारत काल के समय पांडवों के अज्ञातवास के वक़्त हुआ था। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास का कुछ वक़्त इस क्षेत्र में व्यतीत किया था। जब वे इस क्षेत्र से गुज़र रहे थे तब द्रौपदी को प्यास लगी। पांडवों द्वारा आस-पास काफी ढूँढने के बाद भी पानी नहीं मिला।  फिर भीम ने अपनी गद्दा के प्रहार किया और भूमि की कई परतें तोड़ दी जिससे जल दिखाई देने लगा।

लेकिन अभी जल स्रोत भूपटल से लगभग 30 फीट गहराई के करीब था। कुंड में से जल मार्ग बनाने के लिए भीम ने अर्जुन से कहा कि वह अपने धनुर्विद्या के कौशल से जल का मार्ग बनाएं।

भीम का सुझाव पाकर अर्जुन ने अपने धनुर्विद्या के बल पर  कुंड तक जाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण कर दिया  जिनके  माध्यम से द्रोपति  कुंड के जल तक पहुंच सके।

भीम ने अपनी गदा के बल पर इस कुंड का निर्माण कर डाला और फिर द्रौपदी समेत पांचो पांडवों ने इस कुंड के जल को पीकर अपनी प्यास बुझाई।

क्योंकि भीम ने अपनी गदा के प्रहार से भूमि की परतें तोड़कर इस कुंड का निर्माण किया यही कारण है कि इस कुंड का नाम भीमकुंड पड़ा।

क्यों जाना जाता है नारद कुंड और नील कुंड के नाम से –

इस कुंड के निर्माण से जुडी एक अन्य पौराणिक कथा भी काफी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार एक बार महर्षि नारद आकाश में भ्रमण कर रहे थें उसी दौरान उन्हें घायल अवस्था में एक महिला और पुरुष रोते हुए दिखाई दिए।

जब नारद जी ने उन्हें रोते हुए देखा तो उनसे रहा न गया और वह उनके पास चले गए पास पहुंचकर नारद जी ने उन दोनों से उनके रोने का कारण पूछा।

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तब उन दोनों ने बताया कि वे संगीत के राग एवं रागिनी हैं और उनकी यह दशा तब ही ठीक हो सकती है जब कोई संगीत कला का ज्ञानी व्यक्ति साम गान गायेगा।

नारद जी स्वयं  ब्रह्मा देव के पुत्र थे जिन्हें संगीत  और  गायन का अद्भुत कौशल प्राप्त था।

जब नारद जी ने उन दोनों की यह व्यथा सुनी तो नारद जी से नहीं रहा गया और संगीत कला में माहीर महर्षि नारद ने साम गान शुरू कर दिया।

उनके गायन को सुनकर सभी देवी देवता मंत्रमुग्ध हो गए भगवान् विष्णु नारद जी के गायन को सुनकर इतने ज्यादा मंत्रमुग्ध हुए कि उन्होंने स्वयं को इस कुंड के जल के रूप में परिवर्तित कर लिया और इस कुंड के जल का रंग नीला हो गया तभी से इस कुंड को नारदकुंड तथा नीलकुण्ड  के नाम से बुलाया जाने लगा।

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भीमकुंड की विशेषताएं

भीमकुंड पहाड़ के चट्टानों के बीच स्थित है। इसका आकर गद्दे कि तरह है साथ ही इसका जल बेहद साफ और पारदर्शी नजर आता है।  इस कुंड के जल कि एक विशेषता यह भी है कि यह माँ गंगा के जल की तरह ही पावन है और यह भी कभी खराब नहीं होता है। इस कुंड की सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इसक जल स्तर आजतक कभी भी कम नहीं हुआ है। शोधकर्ता द्वारा इस कुंड को खाली करने के लिये वर्षों तक प्रयास किया परंतु वह इसमें सफल नहीं हुये। इसका जलस्तर एक इंच भी कम नहीं होता है।

भीमकुंड के ऊपर विष्णु जी और लक्ष्मी जी का एक मंदिर में विद्यमान है। जिस के विपरीत में तीन और छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं। इन विशेषताओं के अलावा इस कुंड से जुड़े हुए रहस्य इसे काफी विशेष बना देते हैं, कौन से है वो रहस्य आइये जानते हैं –

भीमकुंड से जुड़े रहस्य व रोचक जानकारी(Amazing and Interesting Facts about Bhimkund)

1. भीमकुंड की गहराई कितनी हैं?

इस कुंड के गहराई का अंदाज़ा आज तक वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं। इसकी गहराई का पता लगाने डिस्कवरी चैनेल से जुड़े वैज्ञानिक भी अपने गोताखोर कि टीम के साथ आए थें। कई गोताखोरों को इस कुंड में उतारा गया ताकि वे इसके गहरे का पता लगा सके। कई मीटर गहरे पानी में जाने के बावजूद भी उन्हें इस कुंड कि सतह नहीं दिखाई पड़ी। यह कुंड कितना गहरा है इसका पता आज तक नहीं चल पाया है।

2. भीमकुंड प्राकृतिक आपदा का देता है संकेत

इस कुंड के बारे में कहा जाता है कि यह भारत में आने वाले किसी भी प्राकृतिक आपदा का संकेत पहले ही दे देता है। कहा जाता है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा के आने से पहले इस कुंड के जल स्तर में बढ़ोतरी हो जाती है।

वर्ष 2004 में आए सुनामी के वक़्त भी इस कुंड के जल स्तर में वृद्धि दखी गई थी. यह एक रहस्य ही है कि आख़िरकार किसी भी प्राकृतिक आपदा के आने से पहले इसके जल स्तर में वृद्धि क्यों हो जाता है।

3. इस कुंड में मृत शरीर हो जाता है गायब

इस कुंड से जुडी हुई एक और हैरान कर देने वाली बात यह है कि इसमें डूबने वाले व्यक्ति का मृत शारीर कभी नहीं मिल पता। आमतौर जब कोई व्यक्ति पानी में डूब जाता है तो कुछ वक़्त से बाद उसका शारीर फुलकर पानी कि सतह पर तैरने लगता है परन्तु इस कुंड में आज तक जो भी डूबा है उसका शारीर कभी बहार नहीं आया है।

4. पानी के स्रोत का नहीं पता

इस कुंड के जल का स्तर कभी कम नहीं होता है और खास बात यह है कि इसके जल के स्रोत का आज तक पता नहीं चल पाया है। चाहे कितनी भी गर्मी क्यों न पड़े जहाँ एक तरफ गर्मी के मौसम में सभी नदियों एवं अन्य जलाशयों में पानी का स्तर कम हो जाता है वही दूसरी और इस कुंड का जल स्तर जस का तस बना रहता है. यह बात आज तक किसी के समझ में नहीं आयी कि आखिरकार इस कुंडके जल का क्या स्रोत है।

5. वैज्ञानिक मानते हैं शांत ज्वालामुखी

आज तक कोई भी इस भीम कुंड की गहराई का पता नहीं लगा सका कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि इस कुंड की 80 फीट गहराई के नीचे बहुत तेजी से चलने वाली जलधाराएं बहती हैं जो इसे समुद्रों से जोड़ देती हैं हालांकि इसका कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है लेकिन वैज्ञानिकों की मान्यताओं के अनुसार इस बात को माना जाता है।

6. भीमकुंड में स्नान करने से रोग मुक्त हो जाता है शरीर

इस कुंड को लेकर ऐसी भी मान्यताएं हैं कि जो भी भीम कुंड में स्नान करता है उसकी गंभीर से गंभीर बीमारियों का विनाश हो जाता है और उसका संपूर्ण शरीर निरोग हो जाता है।

7. कुंड के जल की तीन बून्द ही बुझा सकती है प्यास

इस कुंड के अद्भुत जल के विषय में कहा जाता है कि कितनी भी प्यास लगी हो  अगर इस कुंड का मात्र तीन बूंद जल भी  ग्रहण कर लिया  जाए तो  इंसान की पूरी प्यास बुझ सकती है।

8. कुंड में डूबने वाला व्यक्ति हो जाता है अदृश्य

कुंड की गहराई को लेकर बहुत से मतभेद हैं लेकिन  कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति गलती से भी इस कुंड में डूब गया  तो वह वापस नहीं निकल पाता बल्कि अदृश्य हो जाता है।

लोगों का मानना है कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह कुंड तल विहीन है अर्थात जिस में कोई तल नहीं। यही कारण है कि इस में डूबने वाला व्यक्ति सदा के लिए अदृश्य हो जाता है।

9. गंगा की तरह निर्मल है इसका जल

भीम कुंड के जल को गंगा जल की तरह ही निर्मल माना जाता है दरअसल इस कुंड में उपस्थित जल बहुत ही निर्मल और पारदर्शी होता है  जिससे कुंड  बहुत गहराई तक भी नजर आता है।

ऐसा माना जाता है कि गंगा के जल की तरह ही भीम कुंड के जल में भी कभी कीड़े नहीं पड़ते  इसका जल हिमालय से निकलने वाली गंगा की तरह मिनरल वाटर जैसा होता है।

ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति चर्म रोग से पीड़ित है और उस पर भीमकुंड का पानी पड़ जाए तो उसे चर्म रोगों से निदान मिल जाता है इतना ही नहीं लोग आस्था और पवित्रता के प्रतीक के रूप में भी इस जल को अपने साथ बोतलों में भरकर अपने घर ले जाते हैं।

10. कुंड के अंदर हैं दो कुए जैसे बड़े छिद्र

जिन वैज्ञानिकों और गोताखोरों ने इस कुंड की गहराई मापने के लिए कोशिश की है उनका मानना है कि कुंड के भीतर दो कुए जैसे बड़े छिद्र हैं।

उनका मानना है कि इनमें से एक कुए से जल आता है और दूसरे कुए कि मदद  से बाहर निकल जाता है।

हालांकि इस कुंड के नजदीक मौजूद लोगों का मानना है कि कुंड का भीतरी संबंध समुंदर के साथ है जहां से  बहुत तेज लहरों के साथ पानी आता जाता रहता है।

11. कभी नहीं घटता कुंड का जलस्तर

भीमकुंड का जलस्तर कभी कम नहीं होता यहां तक कि भीतर गर्मियों में भी इसका जलस्तर बहुत बड़ा हुआ होता है कई बार सरकार ने इस के बढ़े हुए जल स्तर को कम करने के लिए यहां वाटर पंप लगवाए थे लेकिन उसके बावजूद भी भीम कुंड के जल स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

हालांकि लोगों का मानना है कि कुंड का बढ़ता हुआ जलस्तर आने वाली प्राकृतिक आपदा का संदेश देता है।

यह कुंड अपने आप में बहुत से रहस्यों (Mystery of Bhimkund in hindi) से भरा हुआ है जिसके बारे में न किसी को जानकारी थी और ना अब तक हुई है  हालांकि लोग अभी इसका रहस्य सुलझाने में लगे हुए हैं तो यह थी रहस्यमयी भीमकुंड से जुडी कुछ अनोखी एवं विचित्र बातें जो इस कुंड को वास्तव में काफी अनोखा बनाता है।

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