आज के इस लेख में हम बात करेंगे एलोरा के कैलाश मंदिर का क्या रहस्य है? (mysterious facts of Kailash Temple hindi) हमारे भारत में ऐसे बहुत से मंदिर है जो सुंदर, समृद्ध व खूबसूरत हैं परन्तु भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जो अपनी खूबसूरती के पीछे कई सारे रहस्यों को दफन किए हुए है। ये मंदिर भारत के 8वें अजूबे से कम नहीं है। आज हम आपको उन सभी रहस्यों से अवगत कराने की कोशिश करेंगे। तो चलिए जानते हैं कि कैलाश नाथ मंदिर के वो कौन से रहस्य हैं जो इस मंदिर को सबसे अलग बनाते हैं और जिनका पता Scientist भी नहीं लगा पाए।
विषय–सूची
एलोरा का कैलाश मंदिर कहां स्थित है? (Kailash Temple in hindi)
कैलाशनाथ मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में प्रसिद्ध एलोरा की गुफा नंबर 16 में स्थित है। इस अद्भुत मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में राष्ट्रकूट वंश के राजा कृष्ण प्रथम के द्वारा सन् 756 से सन् 773 के दौरान बनवाया गया था। एलोरा में टोटल 100 गुफाएं हैं जिसमे से 34 गुफाएं ही लोगों के लिए खुली है। बाकी गुफाओं में लोगों का जाना वर्जित है। भारत में एलोरा की गुफाएं काफी ज्यादा प्राचीन मानी जाती है। इस मंदिर को 1983 में यूनेस्कों द्वारा ‘‘विश्व विरासत स्थल’’ का दर्जा मिला है।
कैलाश मंदिर की विशेषता व निर्माण से जुड़ी रोचक बाते (Interesting & mysterious facts of Kailash Temple hindi)
कैलाश नाथ मंदिर भगवान शिव के निवास स्थल को साक्षी मानकर उन्ही के कैलाश पर्वत के भांति इसका निर्माण किया गया था और आपको ये जान कर हैरानी होगी कि कैलाश मंदिर 276 फुट लंबा और 154 फुट चौड़ा है इस मंदिर को एक बड़े से पहाड़ की चट्टान को काटकर तराशा गया है जैसे कोई शिल्पकार किसी मूर्ति को बनाता है। इसके अलावा मंदिर जिस चट्टान से बनाया गया था उसका वजन करीब 40,000 टन से ज्यादा है।
इस मंदिर के निर्माण में करीब 18 साल लग गए लेकिन इस मंदिर पर को चित्रकला हुई है उसे देखकर तो लगता है जैसे इसको संपन्न होने मे सहस्त्र वर्ष लगे होंगे।
इस चट्टान को सबसे पहले U आकार में काटा गया और करीब 2 लाख टन चट्टान को हटाया गया। आमतौर पर पत्थरों से तराशा जाने वाला मंदिर सामने की ओर तराशा जाता है परंतु यह 90 फीट ऊंचा कैलाश मंदिर का रहस्य ही कुछ ऐसा है कि ये ऊपर से नीचे की ओर तराशा गया है। ये मंदिर पूरे विश्व में एक ही पत्थर से तराशी जाने वाली सबसे अद्भुद संरचना है। मंदिर की अद्भुत नक्काशी व वस्तुकला में पल्लव और चालुक्य शैली नजर आती है।
पुरातनविदों के अनुसार इस मंदिर को बनाने में लगभग 150 वर्षों या इससे भी अधिक लगने चाहिए। जिस काल में इसका निर्माण किया गया उस समय न तो आधुनिक मशीने थी न कोई ऐसी कोई विशेष तकनीक, और आज के युग में भी इस प्रकार के मंदिर का निर्माण केवल 18 वर्षाें में करना असंभव ही है।
एलोरा कैलाश मंदिर के पीछे का रहस्य
कैलाश मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के निर्माण को लेकर लोगों की यह मान्यता है कि 8वीं शताब्दी में राष्ट्रकूट वंश के राजा कृष्ण प्रथम एक बार राजा गंभीर रूप से बीमार पड़ गए तब रानी ने उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए भगवान शिव की अर्चना की और या मन्नत भी मांगी कि राजा के स्वस्थ होने के बाद वह अद्भुत मंदिर का निर्माण करवाएंगी और मंदिर के शिखर को देखने के बाद ही अपना व्रत तोड़ेंगी।
उसके बाद जब राजा स्वस्थ हुए तो मंदिर के निर्माण की बारी आई, लेकिन रानी को यह बात से अवगत कराया गया कि मंदिर के निर्माण में काफी ज्यादा समय लगने वाला है ऐसे में वर्षों तक का व्रत रख पाना असंभव है तब रानी ने फिर से भगवान शिव की स्तुति की और उन से सहायता मांगी। कहा जाता है तब भगवान शिव ने रानी को भूमिअस्त्र दिया इस अस्त्र की विशेषता यह थी कि यह पत्थर को भी भांप बना सकता था।
राजा जब स्वस्थ हुए तो मंदिर के निर्माण के प्रारंभ होने की बारी आई, लेकिन रानी को यह बताया गया कि मंदिर के निर्माण में बहुत समय लगेगा। ऐसे में व्रत रख पाना मुश्किल है। तब रानी ने भगवान शिव से सहायता माँगी। कहा जाता है कि इसके बाद उन्हें भूमिअस्त्र प्राप्त हुआ जो पत्थर को भी भाप बना सकता है। इसी अस्त्र की सहायता से इस अद्भुत मंदिर का निर्माण इतने कम समय में हो पाया था। बाद में इस अस्त्र को धरा में नीचे छुपा दिया गया था।
आज का विज्ञान भी इस प्रकार के मंदिर का निर्माण केवल कुछ वर्षों में नहीं कर सकता है फिर उस युग में इसका निर्माण केवल 18 वर्षाें में हुआ होगा यह तथ्य आज भी एक रहस्य है।
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कैलाश मंदिर के बारे में जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट सर्वे का कथन
जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट सर्वे के अनुसार उनके कई अधिकारी और खोजकर्ताओं का दावा किया है कि इस दिव्य मंदिर के नीचे एक पूरा शहर है। परन्तु वहां तक पहुंचने का रास्ता किसी को भी ज्ञात नहीं है। जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट सर्वे के खोजकर्ताओं का कहना है कि इस भव्य मंदिर को बनाने के लिए चट्टानों से 4 लाख टन पत्थर को काट कर हटाया गया होगा।
कैलाश मंदिर के निर्माण से संबंधित रहस्य (mysterious facts of Kailash Temple hindi)
कैलाश मंदिर से जुड़े अनेक रहस्य उपस्थित हैं आइए उन सभी रहस्य के बारे में जानते हैं।
(1) 7000 मजदूरों ने मिलकर इस मंदिर का निर्माण 18 वर्षों में किया था। लेकिन इस बात को मानना मुमकिन ही नहीं है आइए इस रहस्य के बारे में आपको बताते हैं मान लीजिए मजदूरों ने 12-12 घंटे भी काम किया होगा तो 18 साल में 4 लाख टन पत्थरों को निकालने के लिए हर वर्ष कम से कम 22 हजार टन पत्थरों को निकाला गया होगा इसका मतलब यह है कि 60 टन पत्थरों को हर दिन निकाला गया है यानी 5 टन पत्थरों को हर घंटे निकाला गया होगा। इस बात पैर यकीन करना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि सहस्त्र वर्ष पूर्व आधुनिक उपकरण तो हुआ ही नहीं करते थे और इतने कम समय में इतनी बारीकी से अद्भुद इमारत को बनाना लगभग ना के बराबर ही है।
इस मंदिर की बारीकी से कि गई जांच के पश्चात ये पता चला कि शिल्पकारों ने इस पूरे मंदिर को सफेद रंग से ढक दिया था। ताकि ये कैलाश पर्वत की भांति नजर आए और इसकी बनावट भी इतनी अद्भुत है कि कैलाश पर्वत से ही मिलती है।
(2) जांच के बाद सबसे बड़ा रहस्य यह निकल कर आया है कि जिन्होंने निर्माण किया या जिन्होंने निर्माण करवाया उनके बारे में कोई भी पुख्ता सबूत नहीं है और इस मंदिर का संपूर्ण निर्माण किस दिन किस तारीख को संपन्न हुआ इस बात को भी कोई पुख्ता सबूत नहीं है। यह मंदिर एक ही चट्टान व पहांड़ को काटकर व तराशकर बनाया गया है जिस कारण से इसकी कार्बन डेटिंग तकनीक द्वारा इसकी सही उम्र पता लगा पाना संभव नहीं है।
(3) एक रहस्य यह भी सामने आया है कि इतने टन पत्थरों को निकालने के बाद दूर-दूर तक इन पत्थरों की खोज नहीं हो पाई है जिससे ये भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है मानो 4 लाख टन पत्थर गायब ही हो गए।
(4) हमारा दिमाग यह सोचकर चकरा जाता है की कैसे पथरों कों काटकर पहले रास्ता बनाया गया होगा फिर उसपर नक्काशी व शिल्पकारी की गई होगी। यहां पूरा का पूरा एक ड्रेनिंग सिस्टम बना हुआ है बारिश के पानी को स्टोर करना, अतिरिक्त पानी को नालियों द्वारा निकालना। यहां छोटी से छोटी चीज को सुनियोजित तरीके से बनाया गया है।
(5) इन रहस्यों मे एक रहस्य ये भी शामिल है कि इन पत्थरों को तोड़ा नहीं जा सकता है। क्यूंकि औरंगजेब नामक राजा ने 1862 में इस मंदिर को तोड़ने के लिए 1000 सिपाहियों को बोला था परन्तु 3 साल तक प्रयास करने के बाद भी वो सिपाही उस मंदिर को तोड़ने मे असमर्थ रहे उसके बाद औरंगजेब को यह बात पता चल चुकी थी कि वह इस मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचा सकता और उसने तुरंत उन सिपाहियों को दूर हट जाने का आदेश दे दिया था। सिर्फ इतना ही नहीं तोपों से भी इस भव्य मंदिर को खंडित नहीं किया जा सकता है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने एलोरा के कैलाश नाथ मंदिर के रहस्य के बारे में जानकारी प्राप्त की है। हम आशा करते कि आपको (mysterious facts of Kailash Temple hindi) यह जानकारी पसंद आई होगी अगर पसंद आई हो तो हमें नीचे कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए और इस लेख को अपने दोस्तों व सगे संबंधियों के साथ अवश्य शेयर करें ताकि उनको भी इस भव्य मंदिर से संबंधित जानकारी प्राप्त हो सके।
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