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Halloween Festival History Facts in hindi 2025: आखिर क्यों मनाया जाता है ये डरावना लेकिन मजेदार Festival, जानिए इसका इतिहास और भारत में बढ़ता क्रेज

Halloween Festival History facts in hindi : आपने कभी सोचा है कि 31 अक्टूबर की रात लोग डरावने कपड़े पहनकर क्यों घूमते हैं? कोई भूत बनता है, कोई चुड़ैल तो कोई Skeleton की तरह तैयार होता है। दरअसल, हैलोवीन एक ऐसा त्योहार है जिसमें डर और मस्ती दोनों का अनोखा मेल देखने को मिलता है। पहले ये त्योहार सिर्फ अमेरिका और यूरोप के देशों में मनाया जाता था, लेकिन अब भारत के मेट्रो सिटीज में भी इसका ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। स्कूलों से लेकर कॉलेजों तक बच्चे और बड़े सभी इस दिन खास तरह से सजते-संवरते हैं।

Halloween Festival 2025 कब मनाया जाता है?

हर साल की तरह इस बार भी Halloween Festival 2025 को 31 अक्टूबर की रात मनाया जाएगा। इस दिन लोग तरह-तरह के डरावने किरदारों में नजर आते हैं। कोई भूत बनता है, कोई चुड़ैल, तो कोई Skeleton की तरह तैयार होता है। कुछ लोग अपने घरों को भी डरावने थीम से सजाते हैं — जैसे कद्दू में मोमबत्ती जलाना, डरावनी लाइट्स लगाना या “Haunted House” जैसी सजावट करना।

Halloween Festival History Fact in hindi

हैलोवीन का असली इतिहास क्या है?

हैलोवीन का इतिहास बहुत पुराना है। ये त्योहार यूरोप के सेल्टिक लोगों की परंपराओं से जुड़ा है। पुराने समय में इसे “सैमहेन (Samhain)” कहा जाता था। सैमहेन फसल के खत्म होने और सर्दियों के आने का प्रतीक माना जाता था। उस समय लोग मानते थे कि इस रात मृत आत्माएं धरती पर लौटती हैं। इसलिए लोग आग जलाकर और मुखौटे पहनकर इन आत्माओं से बचने की कोशिश करते थे। धीरे-धीरे यही परंपरा “हैलोवीन” के नाम से मशहूर हो गई।

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भूत और चुड़ैल बनने की परंपरा कैसे शुरू हुई?

अब सवाल ये है कि आखिर हैलोवीन पर लोग भूत या चुड़ैल क्यों बनते हैं? दरअसल, पुराने समय में यह विश्वास था कि इस रात आत्माएं अपने हिस्से की फसल मांगने धरती पर आती हैं। इसलिए लोग डरावने मुखौटे पहनते थे ताकि वे आत्माओं को डरा सकें और उनसे बच सकें। यही परंपरा आज भी जारी है, बस फर्क इतना है कि अब लोग इसे डराने के लिए नहीं, बल्कि मस्ती और एंटरटेनमेंट के लिए करते हैं।

हैलोवीन कैसे पहुंचा पूरी दुनिया में

19वीं और 20वीं सदी में जब आयरलैंड और स्कॉटलैंड के लोग अमेरिका में जाकर बसे, तो वे अपने साथ हैलोवीन की परंपरा भी ले गए। वहां इस त्योहार को खूब पसंद किया गया। बच्चों में “Trick or Treat” का चलन शुरू हुआ, जिसमें बच्चे डरावने कपड़े पहनकर घर-घर जाकर कैंडीज मांगते हैं। ये परंपरा आज भी अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोप के कई देशों में बेहद लोकप्रिय है। धीरे-धीरे फिल्मों और सोशल मीडिया के जरिए हैलोवीन दुनिया के बाकी हिस्सों में भी पहुंच गया।

भारत में कैसे बढ़ा हैलोवीन का ट्रेंड

भारत में पहले हैलोवीन का नाम भी बहुत लोगों ने नहीं सुना था। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। खासतौर से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, नोएडा जैसे बड़े शहरों में इस त्योहार का जबरदस्त क्रेज देखने को मिलता है। स्कूलों और कॉलेजों में बच्चे “Halloween Dress Competition” में हिस्सा लेते हैं। मॉल और रेस्टोरेंट्स में “Haunted Theme Parties” होती हैं। कुछ लोग अपने घरों को भी डरावने लुक में सजाते हैं ताकि ये विदेशी त्योहार और भी मजेदार लगे।

हैलोवीन में कद्दू का क्या रोल है

हैलोवीन की बात हो और कद्दू का नाम न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता। आपने फिल्मों या तस्वीरों में देखा होगा — एक बड़ा नारंगी कद्दू जिसमें डरावना चेहरा बना होता है और अंदर मोमबत्ती जल रही होती है। इसे “Jack-o’-lantern” कहा जाता है। ये परंपरा भी प्राचीन काल से जुड़ी है। लोग मानते थे कि ये जलता हुआ कद्दू बुरी आत्माओं को घर से दूर रखता है। आज भी हैलोवीन की रात हर घर में Jack-o’-lantern जरूर दिखाई देता है।

Halloween Festival 2025 में भारत में क्या खास देखने को मिलेगा

इस बार भारत के कई शहरों में हैलोवीन 2025 को लेकर खास तैयारियां की जा रही हैं। मुंबई और दिल्ली के कुछ कैफे “Haunted Night Party” रख रहे हैं। कई स्कूलों में बच्चों के लिए “Best Halloween Costume” प्रतियोगिताएं होंगी। सोशल मीडिया पर भी #Halloween2025 ट्रेंड करेगा, जहां लोग अपने डरावने लुक्स शेयर करेंगे। भारत में भले ही Trick or Treat की परंपरा अभी नहीं है, लेकिन लोग इस त्योहार को एक “Fun Celebration” की तरह अपना रहे हैं।

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निष्कर्ष (Conclusion)

Halloween Festival अब सिर्फ डर का त्योहार नहीं रहा, बल्कि एक ऐसी रात बन गया है जिसमें लोग मस्ती, दोस्ती और क्रिएटिविटी के साथ जश्न मनाते हैं। भले ही इसका इतिहास प्राचीन यूरोपीय सभ्यताओं से जुड़ा हो, लेकिन आज ये एक ग्लोबल Festival बन चुका है। भारत में भी इसका क्रेज तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले सालों में शायद हम अपने मोहल्लों में बच्चों को Trick or Treat करते भी देखेंगे। आखिर डर में भी तो मज़ा है ना!

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