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Tungnath Temple Facts in hindi: दुनियां में सबसे ऊंचाई पर शिव मंदिर कहां पर है? जानिए इसके बारे में विस्तार से

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Tungnath Temple: वैसे तो आपको बहुत से मंदिर के बारे में जानकारी होगी लेकिन क्या आपको अभी तक यह जानकारी मालूम है कि दुनियां में सबसे ऊंचा और बड़ा शिव मंदिर कहां पर स्थित है। अगर आप यह जानना चाहते हैं और अभी तक इसी की तलाश में है तो आप हमारी इस पोस्ट पर बिल्कुल सही जगह पर पहुंचे हैं। क्योंकि हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से आज उसे शिव मंदिर के बारे में जानकारी देंगे जो दुनियां में सबसे ऊंचाई पर स्थित हैl तो चलिए आगे की इस पोस्ट में हम आपको इस मंदिर के बारे में विस्तार से बताते हैं।

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Tungnath Temple
Tungnath Temple

तुंगनाथ मंदिर का महत्व एवं मान्यताएं (Tungnath Temple Facts in hindi)

तुंगनाथ मंदिर कहां पर स्थित है?

आपने वैसे तो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के बारे में तो सुना ही होगा ऐसा कहा जाता है कि इस जिले में दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर स्थित है जिसे तुंगनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। तुंगनाथ पर्वत पर स्थित इस मंदिर की ऊंचाई 3640 मी बताई जा रही हैं।

इतना ही नहीं तुंगनाथ मंदिर केदारनाथ रुद्रनाथ और मंदिर महेश्वर कल्पेश्वर से भी सबसे ऊंचाई पर स्थित हैं। इतना ही नहीं ऐसा भी कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों द्वारा करवाया गया था।

पांडव द्वारा इस मंदिर का निर्माण तब करवाया गया था जब महाभारत युद्ध में नर्साहर से शिवाजी पांडव से रुष्ट हो गए थे तो उन्हें खुश करने के लिए पांडवों ने इस मंदिर को बनवाया था।

Tungnath Temple की यह भी मान्यता है कि इस स्थान पर शिवजी भुजा  रूप में विद्यमान हैं। इसलिए प्राचीन काल में इस मंदिर में भगवान शिव के भुजाओं की पूजा की जाती हैं।

इसके अलावा तुंगनाथ मंदिर कि यह भी मानता है कि जब माता पार्वती ने शिवजी को अपना पति बनाने के लिए तपस्या की थी तो उन्होंने वह तपस्या तुंगनाथ मंदिर के पास ही की थी।

तुंगनाथ मंदिर के दर्शन करने से पहले आपको जाना होगा यहां पर

ऐसा भी कहा जाता है कि तुंगनाथ मंदिर अगर कोई यात्री दर्शन करने आते हैं तो पहले चंद्रशिला के दर्शन करने बहुत जरूरी हैं। क्योंकि अगर कोई यात्री चंद्रशिला के दर्शन नहीं करते हैं तो उनकी तुंगनाथ मंदिर की यात्रा अधूरी मानी जाती है।

इसलिए आप तुंगनाथ मंदिर के दर्शन करने से पहले चंद्रशिला मंदिर के दर्शन करें। क्योंकि यह तुंगनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है चंद्रशिला मंदिर में रावण शीला है जिसे स्पीकिंग माउंटेन के नाम से जाना जाता है।

इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि जब रावण का वध करने के बाद श्री राम स्वयं को दोषी महसूस कर रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें लग रहा था की रावण एक महायज्ञ पंडित और परम शिव भक्त था।

इसीलिए उन्होंने रावण वध के पाप से मुक्ति के लिए यहीं पर राम जी ने शिव स्तुति की थी। तब वहां पर भोलेनाथ ने राम को मुक्ति दी इसलिए आप जब भी तुंगनाथ मंदिर दर्शन करने आएंगे तो पहले आप चंद्रशिला मंदिर के दर्शन अवश्य करें।

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इस वजह से है यह मंदिर खास (Tungnath Temple Famous Things)

अगर हम यह बात करें कि इस मंदिर को पर्यटक इतना ज्यादा पसंद क्यों करते हैं, तो आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि उत्तराखंड का तुंगनाथ मंदिर एक ऐसी जगह पर स्थित है। जहां पर रंग-बिरंगे फूल मखमली घास और बर्फ वाले मौसम में बर्फ से चारों ओर से घिरा हुआ l

बादलों की धुंध में चारों ओर से हमेशा गिरा होता है जो यात्रियों को जनवरी-फरवरी के महीना में अपनी और आकर्षित करता है। अगर हम जनवरी-फरवरी की बात करें तो तुंगनाथ मंदिर के पास सिर्फ बर्फ की चादर ही नजर आती है इसलिए इस जगह को लोग बहुत ज्यादा पसंद करते हैं।

मंदिर की खोज कब की गई और किसने की (Tungnath Temple Ki Khoj Kaise Hui)

आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि उत्तराखंड का तुंगनाथ मंदिर महादेव और पार्वती माता को समर्पित हैं। इस मंदिर की खोज 18वीं सदी में संत शंकराचार्य द्वारा की गई थी। इस मंदिर को इतनी खूबसूरती से बनाया गया है की लोग देखकर खुद व खुद तुंगनाथ मंदिर की ओर आकर्षित होते हैं। इतना ही नहीं तुंगनाथ मंदिर पंच केदारो मंदिरों में से एक है जो एक हजार साल पुराना बताया जा रहा हैं।

कुछ ही समय के लिए खुलता है यह मंदिर

आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि तुंगनाथ मंदिर पूरे वर्ष खुल नहीं रहता है यह मंदिर सिर्फ गर्मियों के महीने में ही खुला रहता हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सर्दियों के महीने में वहां पर बर्फ बहुत ज्यादा गिर जाती है जिसकी वजह से सभी रास्ते और मंदिर को भी बंद किया जाता है। इसलिए अगर आप तुंगनाथ मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो आप गर्मियों के महीने में भगवान शिव और पार्वती माता के दर्शन कर सकते हैं।

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तुंगनाथ मंदिर की यात्रा कैसे करें (How To Visit Tungnath Temple)

तुंगनाथ मंदिर के दर्शन करने का प्लान तो आपने बना लिया होगा लेकिन अब आप यह सोच रहे होंगे कि वहां के लिए हम यात्रा कैसे करें, तो आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि तुंगनाथ मंदिर की यात्रा आप ट्रेन से नहीं कर सकते हैं। क्योंकि तुंगनाथ मंदिर के आसपास कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। अगर फिर भी आप ट्रेन से यात्रा करना चाहते हैं तो आप ऋषिकेश रेलवे स्टेशन तक ट्रेन में सफर कर सकते हैं।

यह रेलवे स्टेशन तुंगनाथ मंदिर से सिर्फ 210 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। जब आप ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे तो वहां से आप लोकल साधन लेकर तुंगनाथ मंदिर दर्शन करने आ सकते हैं। लेकिन अगर आपके पास अपनी गाड़ी है तो यह आपके लिए बहुत ही बढ़िया यात्रा रहेगी। क्योंकि तुंगनाथ मंदिर के पास में ही आप अपनी गाड़ी को खड़ी कर सकते हैं और भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर सकते हैं।

तुंगनाथ मंदिर की यात्रा के लिए कौन सा समय सही है

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए और तुंगनाथ मंदिर की यात्रा के लिए कौन सा समय सही हैं, तो आपको बता दे की तुंगनाथ मंदिर की यात्रा करने के लिए जुलाई अगस्त का महीना बहुत ही बढ़िया है क्योंकि इस समय यहां की खूबसूरती और अधिक बढ़ जाती हैं।

क्योंकि यहां पर आसपास की हरियाली हरी भरी हो जाती है और फूल भी बहुत ही अच्छे खेलने लगते हैं। अगर हम तुंगनाथ मंदिर की नवंबर के बाद के बारे में बात करें तो नवंबर के बाद यहां पर बर्फबारी होनी शुरू हो जाती है। इसी वजह से तुंगनाथ मंदिर सफेद रंग की चादर में पूरी तरह से ढक जाता है। इसलिए नवंबर से पहले ही आप तुंगनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।

तुंगनाथ मंदिर की यात्रा करने के लिए आपको कितना समय लगेगा

आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि अगर आप ट्रेन से तुंगनाथ मंदिर की यात्रा करते हैं, तो आपको कम से कम 4 से 5 दिन लग सकते हैं। लेकिन अगर आप अपनी गाड़ी या फिर किराए पर टैक्सी लेकर यात्रा करते हैं तो आपको 2 दिन से ज्यादा समय नहीं लगेगा। अगर आप बीच में नहीं रुकेंगे लेकिन अगर आप बीच में कहीं रुकते हैं तो उस  हिसाब से आपको यात्रा में टाइम लगेगा।

तुंगनाथ मंदिर के अंदर है यह सब

जब आप तुंगनाथ मंदिर में प्रवेश करते हैं तो द्वार पर दाहिने तरफ को भगवान गणेश की छवि हैं। इतना ही नहीं मुख्य कक्ष के अंदर अष्टधातु है जो आठ धातुओं से मिलकर बनी हैं। तुंगनाथ मंदिर के अंदर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती तथा संत व्यास और काल भैरव की मूर्तियां भी स्थापित है जो बहुत ही खूबसूरत है।

तुंगनाथ मंदिर के कपाट कब खोले जाते हैं

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि सर्दियों के बाद तुंगनाथ मंदिर के द्वारा कब खोले जाते हैं तो आपको बता दे की तुंगनाथ मंदिर के द्वारा में में खोले जाते हैं। क्योंकि मई महीने के बाद फिर बर्फ गिरने की संभावना नहीं होती है क्योंकि मैं के बाद गर्म दिन शुरू हो जाते हैं। इसीलिए तुंगनाथ मंदिर के द्वारा भी मैं में ही खोले जाते हैं जब मौसम थोड़ा ठीक हो जाता हैं।

तुंगनाथ मंदिर है केदारनाथ मंदिर से ऊंचा

आपकी जानकारी के लिए बता देते हैं कि तुंगनाथ मंदिर केदारनाथ मंदिर से भी ऊंचा है। क्योंकि केदारनाथ मंदिर 11,755 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। अगर हम तुंगनाथ मंदिर की बात करें तो तुंगनाथ मंदिर 12,070 फिट की ऊंचाई पर स्थित हैं।

तुंगनाथ मंदिर में कौन सी भगवान की पूजा होती है

जैसा कि आप जानते हैं तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैं। इसीलिए इस मंदिर में भगवान महादेव के हृदय और बाहो की पूजा की जाती हैं। अगर आप तुंगनाथ मंदिर में उस समय दर्शन करने जाएंगे जब वहां पर आरती होती है तो आपको बहुत ही अच्छा लगेगा।

क्योंकि जब वहां पर आरती होती है तो ऐसा लगता है जैसे सभी पहाड़ आरती की धुन में गूंज रहे हैं। इसलिए अगर आप भी यह आनंद लेना चाहते हैं तो आप सुबह या शाम के समय ही तुंगनाथ मंदिर के दर्शन करने जाए ताकि आप मन की शांति प्राप्त कर सकें।

हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भगवान शिव के सबसे बड़े और सबसे ऊंचाई पर स्थित मंदिर के बारे में जानकारी दी है ताकि आपको यह जानकारी मालूम हो कि दुनिया में सबसे बड़ा शिव मंदिर कहां पर स्थित हैं। अगर आपको अभी तक भी कोई बात समझ नहीं आई होगी तो आप हमें कमेंट सेक्शन पर कमेंट करके जरूर बता सकते हैं।

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