खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोबिंद सिंह के जीवन व इतिहास से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें, जयंति रचनाएं, ग्रंथ, युद्ध (Guru Gobind Singh Biography hindi, Jayanti 2024, Sikh guru govind ki jivan katha, history, fights, battle)
गुरु गोबिंद सिंह सिख समुदाय के दसवें और अंतिम सिख गुरु थे जिन्होंने सिख समाज को एक नई दिशा प्रदान करी। गुरु गोविंद सिंह एक महान आध्यात्मिक गुरु व अद्वितीय योद्धा तथा कवि और एक महान दार्शनिक भी थे। गुरु गोविंद सिंह ने मानवता व धर्म, संस्कृति की रक्षा के लिए कई युद्ध लड़े और कई बलिदान दिये। उन्होंने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की। उन्होंने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया।
गुरु गोविंद सिंह की जयंती भारत में एक पर्व की तरह मनाई जाती है। हर साल पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन गुरु गोविंद सिंह की जयंती पड़ती है। इस बार गुरु गोविंद सिंह की जयंती 17 जनवरी 2024 को मनाई जा रही है।
गुरु गोविंद सिंह एक धर्मरक्षक योद्धा, लेखक व सच्चे संत थे। आज के लेख में हम गुरु गोविंद सिंह जी का जीवन परिचय व इतिहास के बारे में जानेगे और समझेंगे कि क्यों गुरु गोविंद सिंह/गोबिंद सिंह जी को एक महान संत व सिखों के दसवें गुरु का दर्जा प्राप्त है। तो चलिए शुरू करते हैं-
विषय–सूची
गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती 2024
गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती हर वर्ष २२ दिसंबर को आती है। हालांकि यह तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक गुरु गोविंद सिंह की जयंती है। जबकि गुरु गोविंद सिंह का जन्म पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन हुआ था। । यह दिन नानकशाही कैलेंडर के अनुसार निर्धारित किया जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बार साल 2024 में गुरु गोविंद सिंह की जयंती 17 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी।
गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती मनाने का उद्देश्य पूरे भारत तथा विश्व में शांति का सन्देश देना है। और गुरु गोविन्द सिंह जी की बहादुरी, उनके द्वारा लगे गए महान युद्धों, उनके द्वारा दिये गये बलिदानों को याद रखने के लिए गुरु गोविन्द सिंह जी की जयंती मनाई जाती है।
गुरु गोबिंद सिंह का जीवन परिचय (Guru Gobind Singh Biography hindi)
गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रारंभिक जीवन
गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना में हुआ था। उनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर था, जो कि सिख समाज के बहुत बडे योद्धा थे। लेकिन औरंगजेब गुरु तेग बहादुर को धोखे से कत्ल कर दिया था।
इसके बाद में सर्वसम्मति से गुरु तेग बहादुर के एकमात्र पुत्र गोविंद राय को 9 साल की उम्र में सिखों के नेता के रूप में चुना गया। गुरु गोविंद सिंह जी के चार पुत्र हुए थे जिनमें दो की वीरगति युद्ध में हुई थी तथा दो पुत्र मुगल सेनाओं के हाथों जिन्दा दिवार में चिनवा दिए गए थे।
गुरु गोविंद सिंह जी, सिक्ख के समाज के नौवें सिख गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के एकमात्र पुत्र थे। गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म पटना में सोढ़ी खत्री परिवार में हुआ था।
पटना में स्थित तख्त श्री पटना हरमंदिर साहिब नमक मंदिर उन्हीं की याद में बनाया गया है, जहां उनका जन्म हुआ था। तथा उन्होंने अपने जीवन के पहले 4 साल वहीं पर गुजारे थे।
1672 में उत्तर भारत के हिमालय की तलहटी में चले गए थे जो पर उन्होंने शिवालिक रेंज में अपने प्राथमिक स्कूली शिक्षा प्राप्त करी थी।
गुरु गोबिंद सिंह जी के बारे में जानकारी (Guru Gobind Singh, history, bio, family, father, mother name)
पूरा नाम (Full Name) | श्री गुरु गोविंद सिंह |
बचपन का नाम (जन्म) | गोबिंद राय |
जन्म (Date of Birth) | 22 दिसंबर 1666 |
जन्म स्थान (Place of Birth) | पटना, बिहार, भारत |
पिता (Father Name) | गुरु तेग बहादुर (सिखों के नवें गुरु) |
माता (Mother Name) | गुजरी देवी |
पद | दसवें सिख गुरु |
प्रसिद्धि | संस्थापक खालसा पंथ |
खालसा पंथ स्थापना | सन 1699 बैसाखी |
मृत्यु | 7 अक्टूबर 1708 (उम्र 42) |
गुरु गोबिंद सिंह का परिवार
गुरु गोविंद सिंह जी ने 10 साल की उम्र में माता जीतो से शादी करी थी और उनके जुझार सिंह जी, जोरावर सिंह जी, तथा फतेह सिंह जी 3 पुत्र हुए थे इसके बाद भी 17 वर्ष की उम्र में उन्होंने माता सुंदरी से शादी करी थी जिसके बाद में उनके एक बेटा हुआ था जिसका नाम अजीत सिंह था इसके बाद उन्होंने 33 वर्ष की उम्र में माता साहिब देवान से शादी करी थी और उनसे उनकी कोई संतान नहीं थी।
विवाह | तीन विवाह बसंतगढ़ – 21 जून 1677 आनन्दपुर – 4 अप्रैल 1684 आनन्दपुर – 5 अप्रैल 1700 |
पत्निया | जीतो, सुंदरी तथा साहिब दीवान |
पुत्र | जोरावर सिंह, जीत सिंह तथा फतेह सिंह जूझार सिंह |
गुरु गोबिंद सिंह जी के महान कार्य व इतिहास (Guru Gobind Singh History in Hindi)
गुरु गोविंद सिंह ने सन 1699 में खालसा पंथ की शुरुआत करी थी, तथा उन्होंने सिख समुदाय के लिये 5 ‘क’ अक्षर से बने शब्द कंकार के सिद्धांत को अपनाने को कहा। जिसमे पांच ‘क’ केश, कंघा, कड़ा, कचेरा और कृपाण है। यानी कि हर सिख अपने साथ में इन 5 सिख की निशानी को सदैव अपने साथ रखता है।
इसी के साथ में गुरु गोविंद सिंह जी को दशम ग्रंथ का श्रेय भी दिया जाता है, जो कि सिख धर्म में भजन प्रार्थना तथा खालसा अनुष्ठानों का एक पवित्र हिस्सा है।
इसी के साथ में गुरु गोविंद सिंह जी ने सिख धर्म के शाश्वत तथा प्राथमिक ग्रंथ यानी कि गुरु ग्रंथ साहिब को अंतिम रूप देने का काम भी किया है।
गुरु गोविंद सिंह जी के पिता गुरु तेग बहादुर सिंह जी ने कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिए 1675 में मुगल राजा औरंगजेब के अधीन कश्मीर के गवर्नर इफ्तिकार खान के द्वारा करे जा रहे उत्पीड़न के खिलाफ याचिका दायर करी थी। तथा इसी के मामले में भी औरंगजेब से मिलकर के शांतिपूर्ण समाधान करने के लिए पहुंचे थे। लेकिन वहां पर गुरु तेग बहादुर सिंह जी को गिरफ्तार कर लिया गया तथा वहां पर सार्वजनिक रूप से उनका सर कलम कर दिया गया था।
गुरु गोविंद सिंह जी के द्वारा लड़े गए युद्ध
गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने जीवन काल में बहुत सारे युद्ध लड़े थे और उन्हें एक अविजेय योद्धा के रूप में जाना जाता था। उन्हें किसी भी युद्ध में हराया नहीं गया था। लेकिन उन्होंने अपने अंतिम युद्ध में वीरगति को प्राप्त किया था।
गुरु गोविंद सिंह जी के द्वारा भंगानी का युद्ध किया गया था। यह युद्ध गुरु गोविंद सिंह जी ने 19 वर्ष की उम्र में लड़ा। इसके बाद में नादौन का युद्ध, गुलेर का युद्ध, आनंदपुर का युद्ध निरमोहा का युद्ध, बसौली का युद्ध, आनंदपुर का पहला युद्ध, आनंदपुर का दूसरा युद्ध, सारसा का युद्ध, चमकौर का युद्ध, मुख़्तसर का युद्ध, यह सारे युद्ध गुरु गोविंद सिंह जी के द्वारा लड़े गए थे तथा जीते गए थे।
गुरु गोबिंद द्वारा लड़ा गया विश्व प्रसिद्ध चमकोर युद्ध इतिहास में ऐसा युद्ध कभी नहीं लड़ा गया है इस युद्ध में मुगलों की दस लाख कीे सैना का सामना 40 सिंखों ने किया। जोकि एक अविश्वसिय कारनामा था। इस युद्ध में गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने दो पुत्रो अजीत व जुझार सिह का बलिदान दिया। इसके बाद इनके अन्य दो पुत्रो को बाद में दिवार में चिनवा दिया गया।
नं | युद्ध | सन |
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1. | भंगानी युद्ध | 1688 |
2. | नंदौन युद्ध | 1691 |
3. | गुलेर युद्ध | 1696 |
4. | आनंदपुर युद्ध | 1700 |
5. | निर्मोहगढ़ युद्ध | 1702 |
6. | बसोली युद्ध | 1702 |
7. | आनंदपुर युद्ध | 1704 |
8. | सरसा युद्ध | 1704 |
9. | मुक्तसर युद्ध | 1705 |
10. | चमकोर युद्ध | 1707 |
गुरु गोबिंद सिंह जी का अंतिम समय
गुरु गोविंद सिंह जी की माता गुजरी तथा उनके दो जवान पुत्र वजीर खान के द्वारा बंधक बनाए गए थे। तथा उनके दो जवान बेटे साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फ़तेह सिंह, जिनकी उम्र 5 साल और 8 साल की उन्हें दीवार में जिंदा चिनवा दिया गया था। क्योंकि उन्होंने इस्लाम मानने से और अपनाने से मना कर दिया था। यह देखकर के और इस बारे में सुनकर के माता गुजरी ने अपना देह त्याग कर दिया और गुरु गोविंद सिंह जी के बड़े पुत्र साहिबजादा अजीत सिंह और साहिबजादा जूझार सिंह, जिनकी उम्र 13 वर्ष और 17 वर्ष थी वह चमकौर के युद्ध में मुगल आर्मी के हाथों वीरगति को प्राप्त हो गए।
इसके बाद में वजीर खान ने दो अफ़गानों को गुरु गोविंद सिंह जी की हत्या करने के लिए चुना तथा उन हत्यारों को गुरु गोविंद सिंह जी की सेना पर नजर रखने को कहा और गुरु गोविंद सिंह जी की दिनचर्या पर भी नजर रखने को कहा, और मौका मिलते ही मार देने को कहा।
ऐसा कहा जाता है कि उन दोनों में से किसी एक अफगान ने समय पाते ही गुरु गोविंद सिंह जी के पीठ में छुरा घोंप दिया जिसकी वजह से 7 अक्टूबर 1708 में नांदेड, महाराष्ट्र में 42 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया था।
गुरु गोबिंद सिंह जी की प्रमुख रचनाएं
गुरु गोविंद सिंह जी एक कुशल योद्धा, विचारक, समाजसुधारक के साथ-साथ एक लेखक कवि भी थे उन्होंने अपने जीवन में कई रचनाओं व कविताए लिखी जिनमें कुछ प्रमुख रचनाएं है।
1 | जाप साहिब |
2 | अकल उस्तत |
3 | जफरनामा |
4 | खालसा की महिमा |
5 | बचित्र नाटक |
6 | चंडी दी वार |
गुरु गोबिंद सिंह जी की विशेष बातें
- गुरु गोबिंद सिंह जी के पिता गुरु तेग बहादुर जी को जब औरंगजेब ने धोखे से मारा था, तब गुरु गोविन्द सिंह जी की उम्र मात्र 9 साल की थी।
- गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना पहला युद्ध 19 वर्ष की आयु में लड़ा था और जीता था।
- 9 साल की आयु में उन्हें सिक्खों का सरदार चुन लिया गया था।
- गुरु गोबिंद सिंह जी ने तीन शादियाँ करी थी और उनकी तीनों पत्नियों का नाम माता जीतो, माता सुंदरी और माता देवान से शादी करी थी और उनके पहली दो पत्नियों से उन्हें 4 पुत्र हुए।
- गुरु गोबिंद सिंह जी की हत्या धोखे से करी गयी थी।
- गुरु गोबिंद सिंह जी ने गुरु ग्रन्थ साहिब को अंतिम रूप दिया था, तथा दशम ग्रन्थ की स्थापना करी थी।
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निष्कर्ष
गुरु गोविंद सिंह के जीवन के बारे में, Guru Gobind Singh Biography hindi इस लेख में हमने आपको जितना बताया है, वह सारे केवल मुख्य बिंदु है। लेकिन उनकी असली जिंदगी की तुलना में या फिर उनके बारे में जितनी बातें बताई जा चुकी है उनकी तुलना में हमारी दी गयी जानकारी केवल और केवल 1% का हिस्सा है।
गुरु गोविंद सिंह ने सिख समाज को एक नई पहचान दिलाई। तथा इसी के साथ में उन्होंने खालसा पंथ की शुरुआत के लिए दशम ग्रंथ की उन्होंने स्थापना करी। गुरु गोविंद सिंह जी अपने आप में एक महान आध्यात्मिक गुरु भी थे। योद्धा भी थे। कवि भी थे। दर्शनिक भी थे। उनके बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है।
गुरु गोबिंद सिंह से संबधित कुछ प्रश्न/उत्तर (FAQ)
प्रश्न- गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना कब की?
उत्तर- सन 1699 में खालसा पंथ की स्थापना बैसाखी के दिन गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा की गई। इसका मुख्य उद्देश्य मानवता पर हो रहे अत्याचार से मानव समाज की रक्षा करना है।
प्रश्न- गुरु गोबिंद सिंह की मृत्यु कब और कहां हुई?
उत्तर- 7 अक्टूबर 1708 में नांदेड, महाराष्ट्र में 42 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु एक साजिश के कारण हुई थी।
प्रश्न- गुरु गोबिंद सिंह की पत्नियों के नाम क्या है?
उत्तर- माता जीतो, सुंदरी तथा साहिब दीवान
प्रश्न- गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती 2024 में कब है?
उत्तर- 17 जनवरी 2024