Adhik Maas Kya Hota Hai: कब से शुरु है अधिकमास प्रारंभ 2023: अधिकमास क्या है? मलमास एवं पुरुषोत्तम मास (All Sawan Somwar 2023 Dates) अधिकमास लौंद का महीना कौन सा है 2023
अधिकमास प्रारंभ 2023: हिंदू धर्म के लोगों के लिए सावन का महीना बहुत ही खास होता है। सावन का यह शुभ महीना भगवान शिव जी की भक्ति के लिए समर्पित होता है।
सावन के खास महीने में पूरी निष्ठा एवं भक्ति के साथ भगवान शिव के लिए सोमवार का व्रत रखने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
ऐसी मान्यता है कि श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना के लिए सोमवार का व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
इस बार श्रावण मास 2023 में कई दुर्लभ एवं अद्भुत संयोग बन रहे हैं जिसकी वजह से सावन मास का महत्त्व और भी ज्यादा बढ़ गया है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सावन मास में यह दुर्लभ संयोग लगभग 19 साल बाद बन रहे हैं। चलिए जानते हैं श्रावण मास 2023 के दुर्लभ संयोगों के बारे में! साथ ही साथ आपको सावन सोमवार 2023 तारीख के बारे में भी बताते हैं।
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विषय–सूची
श्रावण (सावन) मास 2023 के अत्यंत दुर्लभ संयोग–
इस बार सावन का महीना यानी श्रावण मास 2023 लगभग 2 महीनों का होने वाला है। अर्थात् इस बार सावन मास में कुल 59 दिन होंगे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बार 04 जुलाई 2023 को शुरु होने वाला श्रावण मास 31 अगस्त 2023 को समाप्त होगा।
कब होगा अधिकमास प्रारंभ 2023- अधिकमास कब से कब तक है? (लौंद का महीना कौन सा है?)
श्रावण मास के इन 59 दिनों के बीच में एक अधिकमास भी होगा जिसकी शुरुआत 18 जुलाई 2023 से होगी एवं 16 अगस्त सन 2023 को यह अधिक मास समाप्त हो जाएगा।
इसी अधिकमास को मलमास एवं पुरुषोत्तम मास, लौंद का महीना भी कहा जाता है। चलिए जानते हैं कि इसका नाम मलमास और पुरुषोत्तम मास क्यों पड़ा?
अधिकमास क्या है? क्यों कहा जाता है पुरुषोत्तम और मलमास? (Adhik Maas Kya Hota Hai)
भारतीय हिंदू पंचांग में हर तीन वर्ष में एक बार अधिकमास प्रकट होता है। यह अधिक मास हिंदू पंचांग का एक अतिरिक्त मास होता है जो सूर्य मास और चंद्र मास के बीच संतुलन बनाता है।
आपकी सभी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय हिंदू पंचांग सूर्य तथा चंद्र मास की गणना मुताबिक चलता है।
एक तरफ जहां सूर्य मास लगभग 365 दिन का होता है तो वहीं चंद्र मास लगभग 354 दिनों का ही होता है। यही कारण है कि एक सूर्य मास और चंद्र मास के बीच में लगभग 11 दिनों का अंतर आ जाता है।
यही कारण है कि हर 3 साल में लगभग यह 11 दिनों के अंतर की अवधि लगभग एक माह हो जाती है। इस तरह हिंदू पंचांग का वह वर्ष 13 महीनों का हो जाता है।
इसी एक माह की अतिरिक्त अवधी को ही अधिकमास कहा जाता है। इसी अधिकमास को ही मलमास और पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मास के अधिपति विष्णु जी माने जाते हैं जिनका एक नाम पुरुषोत्तम भी है। यही कारण है कि अधिक मास को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है।
अतिरिक्त मास होने के कारण हिंदू मान्यता के मुताबिक यह मास मलिन माना जाता है जिसमें सभी पवित्र कार्य जैसे कि विवाह गृह प्रवेश आदि वर्जित होते हैं।
इसलिए इस अधिक मास को मलमास की संज्ञा भी दी गई है।
अधिकमास का महत्व एवं पौराणिक आधार –
ऐसा कहा जाता है कि अधिक मास के दौरान विधि विधान से ईश्वर की आराधना करने से अन्य माह में की गई पूजा आराधना का 10 गुना अधिक शुभ फल मिलता है।
अधिक मास भगवान विष्णु को समर्पित है क्योंकि वही इस अधिक मास के अधिपति माने जाते हैं। जब सावन मास के दौरान अधिकमास लगता है तो इस शुभ घड़ी में भगवान शिव का रुद्राभिषेक बहुत पुण्य फलदाई माना जाता है।
अधिक मास की पौराणिक कथा दैत्य राज हिरण्यकश्यप के वध से जुड़ी हुई है। एक बार दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की। इस पर ब्रह्मा जी ने उसे एक वरदान देने की बात कही लेकिन हिरण्यकश्यप अमरत्व का वरदान मानने लगा।
ब्रह्मा जी हिरण्यकश्यप को अमर होने का वरदान नहीं दे सकते थे इसीलिए उन्होंने हिरण कश्यप को दूसरा वरदान मांगने के लिए कहा इस पर हिरण्यकश्यप ने वरदान मांगा कि उसे विश्व का कोई नर नारी पशु देवता या दानव ना मार पाए तथा वर्ष के 12 महीनों में उसकी मृत्यु न हो। जब उसकी मृत्यु हो तो न दिन हो ना वह रात हो, ना अस्त्र से मारा जा सकें ना शस्त्र से, ना घर में मारा जा सकें ना बाहर।
ब्रह्मा जी ने उसे यह वरदान दे दिया। वरदान पाने के बाद हिरण्यकश्यप स्वयं को अमर समझने लगा और दुराचार करने लगा। लेकिन जब उसने अपने पुत्र प्रहलाद की हत्या करने की कोशिश की जो भगवान विष्णु का भक्त था तब भगवान विष्णु खंबे में से नरसिंह अवतार लेकर प्रकट हुए।
उनका आधा शरीर नर अर्थात मानव का था तथा आधा शरीर सिंह अर्थात शेर का था। उन्होंने ब्रह्मा जी के वरदान को सफल करने के लिए इसी अधिक मास में हिरण्यकश्यप का शाम के समय दहलीज पर अपने नाखूनों से वध किया था।
इस प्रकार हिरण्यकश्यप 12 महीना के उपरांत आने वाले अधिक मास अर्थात 13 वें मास में मारा गया।
अधिकमास (मलमास) में क्या करें क्या ना करें?
अधिकमास अर्थात् मलमास के दौरान विवाह, गृहप्रवेश, घर आभूषणों की खरीदारी आदि जैसे शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं इसीलिए मलमास के दौरान यह सब नहीं करने चाहिए।
मलमास के अधिष्ठाता यानी कि अधिपति भगवान विष्णु माने जाते हैं। यही कारण है कि मलमास महीने में भगवान विष्णु की आराधना तथा उनके मंत्रों का जाप करने से साधकों को पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
अधिक मास में पूजा पाठ भजन कीर्तन यज्ञ अनुष्ठान हवन पूजा श्रीमद्भागवत पाठ विष्णु पुराण पाठ आदि करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
सावन सोमवार 2023 तारीख (Sawan Somwar 2023 Date) –
चूंकि इस बार सावन महीना 59 दिनों का होगा इसलिए इस मास में कुल 8 सावन सोमवार व्रत पड़ रहे हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सावन महीने में आठ सोमवार का ऐसा अद्भुत एवं दुर्लभ संयोग 19 साल बाद बन रहा है।
सावन महीने की शुरुआत 04 जुलाई 2023 को हुई है। इसलिए 10 जुलाई 2023 का सोमवार सावन का पहला सोमवार होगा।
जबकि 28 अगस्त 2023 का सोमवार इस श्रावण मास का अंतिम सोमवार होगा।
निम्नलिखित सूची में सावन सोमवार 2023 की सभी तिथियां दी गई हैं।
सोमवार का क्रम। | सोमवार की तिथियां। |
पहला सोमवार | 10 जुलाई 2023 |
दूसरा सोमवार | 17 जुलाई 2023 |
तीसरा सोमवार | 24 जुलाई 2023 |
चौथा सोमवार | 31 जुलाई 2023 |
पांचवा सोमवार | 07 अगस्त 2023 |
छठा सोमवार | 14 अगस्त 2023 |
सातवां सोमवार | 21 अगस्त 2023 |
आठवां सोमवार | 28 अगस्त 2023 |
तो दोस्तों आज हमने इस लेख के जरिए आपको श्रावण मास 2023 की खास बातें बताई। उम्मीद करते हैं कि हमारा यह लेख आपको बेहद पसंद आया होगा।
FAQ
सावन का पहला सोमवार कब से शुरु है?
10 जुलाई 2023
सावन का अन्तिम सोमवार कब पड़ेगा?
28 अगस्त 2023
2023 का सावन कितने दिन का है?
इस बार सावन महीना 59 दिनों का हैं 2023 में इस बार कुल 8 सोमवार व्रत हैं।
2023 में अधिकमास कब से कब तक है?
18 जुलाई 2023 से होगी एवं 16 अगस्त तक है।
अधिक मास 2023 की पंचमी कब है?
शुक्लपक्ष की पंचमी दिनांक 23 जुलाई 2023 को रविवार की है।
अधिक मास कितने साल में आता है?
अधिक मास, मलमास प्रत्येक 3 वर्ष में
2023 अधिकमास कब से है?
18 जुलाई 2023 से शुरु है।