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महाशिवरात्रि 2023 पर जानिए भगवान शिव से जुड़े हुए अद्भुत रहस्य | Mahashivratri 2023 Unknown Secrets Facts of Lord Shiva in hindi

भगवान शिव से जुड़े हुए अद्भुत रहस्य: हिंदू धर्म में भगवान शिव सबसे प्रमुख देवताओं में से एक हैं, जिन्हें देवों के देव और महादेव के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव को तीनों देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश की त्रिमूर्ति में से एक माना जाता है।

यद्यपि शिव का अर्थ कल्याणकारी होता है, लेकिन भगवान शिव सृजन और विनाश दोनों के देवता माने जाते हैं। भगवान शिव को एक निराकार ब्रह्म के रूप में भी माना जाता है, जिन्हें लोग उनके साकार लिंग स्वरूप में पूजते हैं।

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ऐसा माना जाता है कि संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति शिव से ही हुई है और इसका विनाश भी शिव ही करते हैं। यानी कि युग के अंत में संपूर्ण शिव में ही विलीन हो जाती है।

विज्ञान की बिग बैंग थ्योरी के मुताबिक संपूर्ण विश्व का उद्गम एक बिंदु से हुआ है जिसमें असीमित ऊर्जा थी और है, वह बिंदु कोई और नहीं बल्कि शिव ही है, जिसमें अपार ऊर्जा संचित है।

इस संपूर्ण सृष्टि में द्रव्यमान और पिंड केवल अस्तित्व के सागर की छीटें हैं जबकि भगवान शिव उसी अस्तित्व के अथाह सागर हैं जिनसे यह छीटें उभरती हैं और फिर उन्हीं में विलीन हो जाती हैं। शिव का न तो कोई आदि है ना कोई अंत।

भगवान शिव हिंदू धर्म के सबसे रहस्यमय और अद्भुत देवता हैं। आज इस लेख में हम आपके लिए भगवान शिव से जुड़े हुए आश्चर्यजनक और अद्भुत रहस्य लेकर आए हैं।

भगवान शिव से जुड़े हुए अद्भुत रहस्य (Interesting Facts about Lord Shiva)

शिव और शंकर –

आमतौर पर भगवान शिव को शंकर और शिव दोनों नामों से जाना जाता है। भले ही शिव और शंकर को एक ही समझा जाता हो लेकिन कुछ मान्यताओं के मुताबिक दोनों का अपना-अपना अलग और विशेष महत्व है।

एक ओर जहां भगवान शिव की आराधना शिवलिंग के रूप में की जाती है, वही शंकर को भगवान शिव का तपस्वी स्वरूप माना जाता है। शंकर स्वरूप में भगवान शिव ध्यान करते हुए दिखाई पड़ते हैं। कई बार तो शंकर को भी शिवलिंग की उपासना करते हुए देखा जा सकता है।

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भगवान शिव के द्वारपाल –

कुछ अवधारणाओं के मुताबिक नंदी और महाकाल को भगवान शिव का द्वारपाल माना जाता है। जबकि रूद्र को भगवान शिव की पंचायत का सदस्य माना जाता है।

भगवान शिव के शिष्य –

ब्रह्मा के पुत्र और सप्त ऋषि को भगवान शिव का शिष्य माना जाता है। सप्तर्षियों के माध्यम से ही पृथ्वी पर भगवान शिव का ज्ञान फैला। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव से ही गुरु शिष्य परंपरा की शुरुआत हुई थी।

बुध: भगवान शिव के अवतार –

बौद्ध धर्म और साहित्य के मर्मज्ञ विद्वानों का मानना है कि गौतम बुद्ध भी भगवान शिव के ही एक अवतार थे। पाली ग्रंथों में बुद्ध के 3 नाम बताए गए हैं। तणंकर, शणंकर और मेघंकर यह तीनों बुद्ध के अति प्राचीन नाम है।

भगवान शिव के व्रत एवं त्यौहार –

हिंदू धर्म की मान्यताओं में प्रायः सप्ताह में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इसके अलावा श्रावण मास और प्रदोष काल में भी शिव की व्रत आराधना की जाती है। इसके अलावा शिवरात्रि और महाशिवरात्रि 2023 भी भगवान शिव के विशेष पर्व हैं।

भगवान शिव के पुत्र –

गणेश और कार्तिकेय के अलावा भगवान शिव के 4 और पुत्र थे जिनके बारे में शायद बहुत कम ही लोगों को जानकारी होगी। गणेश और कार्तिकेय के अलावा सुकेश को भी भगवान शिव का पुत्र माना जाता है क्योंकि उनका भरण पोषण उन्हीं के द्वारा किया गया था।

जालंधर असुर भी भगवान शिव का ही एक अंश था जो उनके तेज से उत्पन्न हुआ था। इसके अलावा भूमा को भी उनका अंश माना जाता है जो उनके माथे के पसीने से पैदा हुआ था। भगवान शिव और मोहिनी के संभोग से भी उन्हें अयप्पा नाम का एक पुत्र पैदा हुआ था।

इस तरह कुल मिलाकर भगवान शिव के 6 पुत्र माने जाते हैं।

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग –

ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव पृथ्वी पर अपने 12 ज्योतिर्लिंगों में विभक्त हुए थे और महाशिवरात्रि के दिन ही उनके इन ज्योतिर्लिंगों का उद्गम हुआ था।

भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथ जी, त्रयम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर, सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओमकारेश्वर, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग यह सभी भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल हैं।

शिवलिंग –

यह भगवान शिव के आभाषी स्वरूप को दर्शाता है। यह एक विशेष प्रकार का प्रतीक है जो भगवान शिव की साकार आराधना के लिए पूजा जाता है।

शिव तत्व –

सृजन का आधार होने के साथ साथ भगवान शिव एक उच्च स्तर का तत्व भी हैं, जो ब्रह्मा और विष्णु के साथ संयोग से बनते हैं। वे ब्रह्मांड के समस्त तत्वों को नियंत्रित करते हैं और समस्त उन्नति और संस्कार के स्रोत होते हैं।

शिव-शक्ति

शिव का मतलब भगवान शंकर और शक्ति का अर्थ उनकी पत्नि देवी पार्वती। शिव-शक्ति एक अद्भुत और अनंत शक्ति का संयोग है। यह व्यक्ति के आंतरिक शक्ति को जागृत करता है और उसे ब्रह्मांड की सृष्टि, स्थिति और संहार के लिए उत्तेजित करता है। शिव और शक्ति का संयोग सृष्टि के नियमों को संभालता है और उसे अनंत स्वतंत्रता और उन्नति का स्रोत बनाता है।

शिव का महामृत्युंजय मंत्र –

महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंत्र है, जो दुर्घटना और अकाल मृत्यु से जुड़ी समस्याओं से मुक्ति प्रदान करता है।

।। ॐ ह्रौं जूं स: । ॐ भूर्भुव: स्व: ।।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।
ॐ स्व: भुव: भू: ॐ । स: जूं ह्रौं ॐ ।।

शिव के अर्धनारीश्वर रूप –

शिव के अर्धनारीश्वर रूप में वह दो विभिन्न लिंगों के साथ एक होते हुए दिखाई देते हैं। यह रूप शिव और पार्वती के एकत्व को दर्शाता है तथा इससे उनके साथ होने वाले प्रेम एवं समानता का संदेश दिया जाता है।

शिव के तांडव नृत्य का रहस्य –

शिव के तांडव नृत्य के बारे में कहा जाता है कि यह उनके सारे रूपों में सबसे प्रभावशाली होता है। इस नृत्य के द्वारा शिव अपनी उग्र और विनाशकारी शक्तियों को नियंत्रित करते हुए जगत की रक्षा करते हैं और विनाश भी कर सकते हैं।

शिव के भैरव रूप का रहस्य –

तंत्र साधना में भगवान शिव को भैरव के नाम से जाना जाता है। शिव के भैरव रूप के बारे में कहा जाता है, कि वह अति उग्र रूप होता है, जो दुष्टों एवं असत्य को नष्ट करता है। इस रूप से शिव अपनी क्रोध शक्ति को प्रकट करते हुए दुष्टों का नाश करते हैं तथा सत्य एवं धर्म की रक्षा करते हैं।

शिव का पंचाक्षर मंत्र –

शिव के पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस मंत्र के प्रथम अक्षर “ओम” से सब कुछ उत्पन्न हुआ और आखिरी अक्षर “शिवाय” उनके साथ होने वाले सबका नाश करता है।

शिव के त्रिशूल का रहस्य –

शिव का त्रिशूल एक शक्ति चिह्न है, और भगवान शिव का अस्त्र भी जो तीनों गुणों – रजोगुण, तमोगुण और सत्वगुण को प्रतिनिधित्व करता है।

शिव के काले रंग का रहस्य –

भले ही स्तुतियों में भगवान शिव के लिए कर्पूर गौरं अर्थातकपूर जैसे सफेद रंग वालेशब्द का प्रयोग किया गया है लेकिन कई बार भगवान शिव का रंग काला भी मान लिया जाता है। उनका भैरव स्वरूप इसी रंग का माना जाता है।

शिव का काला रंग उनकी शक्तियों और गुणों का प्रतीक है। काला रंग अस्तित्व का रंग है जो सर्वव्यापक और अनंत होता है। शिव के काले रंग का अर्थ है कि उन्हें समस्त जीवों के भीतर देखा जाता है और उनका संचार प्रकृति के कण कण में है। शिव के इसी निराकार अंधकार से साकार ज्योति का उद्गम हुआ है, और अंततः संपूर्ण सृष्टि का प्रकाश द्रव्यमान पिंड और आकार इसी अंधकार और निराकार में विलीन हो जाएंगे।

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