विज्ञान के क्षेत्र में आए दिनों नए-नए खोज होते रहते हैं जिनकी रहस्यमई उत्पत्ति हम लोगों को आश्चर्य में डाल देती है। जीव-विज्ञान के क्षेत्र में भी बहुत सारे खोज हुए हैं जिनमें बहुत प्रकार की जीवो की प्रजातियां मिली हैं जो अपनी संरचना और क्रिया विधि के लिए जानी जाती हैं।
म्यामार के जंगलों में एक अमर बेल के पेड़ के नीचे डायनासोर काल का 10 करोड़ साल पुराने केकड़े (Amber Crab Facts in hindi ) का जीवाश्म मिला है। यह केकड़ा सन 2015 में म्यांमार में पाया गया था जिसके बाद इस पर लगातार रिसर्च होती रही लेकिन इस अद्भुत खोज से जुड़ी हुई आश्चर्यजनक बातें हाल ही में उभरकर लोगों के सामने आई है। इस केकड़े और इससे जुड़ी रिसर्च 2021 अक्टूबर में ही साइंस एडवांसेज जनरल में प्रकाशित हुई थी।
आधुनिक जीव वैज्ञानिकों और विकासविदों का मानना है कि इस केकड़े की खोज विकास के चरणों के अध्ययन के लिए हथियार साबित होगी क्योंकि इस केकड़े की खोज के बाद समुद्री जीवो से तथा उनके इवोल्यूशन से जुड़ी बहुत सारी नई नई बातों का पता चला और इसी क्रम में इस पर अब भी गहन अध्ययन चालू है।
इस रिसर्च में कुल आठ वैज्ञानिक ने मिलकर काम किया था जिनमे हार्वर्ड युनिवर्सिटी, युनान युनिवर्सिटी, चाइना युनिवर्सिटी लिन और डिक युनिवर्सिटी के रिसर्चर शामिल थे। इस केकड़े से जुड़ी डिटेल में जानकारियां अक्टूबर 2021 में साइंस एडवांसेज जनरल में प्रकाशित हुई है।
इस केकड़े से जुड़ी हुई ज्यादातर जानकारियां हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इवोल्यूशनरी रिसर्चर जेवियर लुक ने साझा की है।
विषय–सूची
क्यों इतना अद्भुत है यह केकड़ा (Amber Crab Facts in hindi)
इस रिसर्च में शामिल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेवियर ल्युक का मानना है कि अंबर की बेल में ज्यादातर सांप बिच्छू और कीड़े मकोड़े जकड़े हुए मिलते हैं लेकिन इस रिसर्च की खास बात यह है कि पहली बार कोई समुद्री जीव अंबर की बेल में जकड़ा हुआ मिला है। जो बहुत हैरान करने वाली बात है इसलिए इसे बहुत अद्भुत माना जा रहा है। अंबर की राल में सुरक्षित इस केकड़े को उभयचर जीवो की प्रकृति का माना जा रहा है जिससे समुद्री केकड़े का विकास हुआ।
कितना पुराना है यह केकड़ा –
इस खोज मे शामिल रिसर्चर्स का मानना है कि इस केकडे की उम्र तकरीबन 10 करोड़ साल है। यह अद्भुत खोज जंगल में मिले प्राचीन जीव-जन्तुओं की सबसे पुरानी खोज है। इस स्टडी में शामिल हार्वर्ड युनिवर्सिटी के विकासवादी शोधकर्ता जेवियर ल्युक का बयान है कि यह केकडे लगभग 125 मिलियन वर्ष पहले अपने पुर्वजों से अलग हो गए थे जो समुद्री जीव थे।
कैसी है इस केकडे की संरचना –
इस केकड़े की खोज के बाद रिसर्च में शामिल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेवियर लुक और उनकी टीम ने इस केकड़े का एक्स-रे लिया और इसका 3D मॉडल तैयार किया। जिसके द्वारा इस की शारीरिक संरचना को अच्छी तरह से देखा गया।
यह केकड़ा पहला ऐसा जीव है जो पेड़ की राल से मिला है।
इस केकड़ा की लम्बाई सिर्फ़ 5 मिली मीटर है। अम्बर के पौधे की राल में मिलने वाले इस केकडे के अंग बिल्कुल संरक्षित है। इतने लम्बे समय तक पेड़ की राल में रहने के बावजूद भी इसके आंख, गलफ़डे और मुँह को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचा है।
इसके अलावा और किन-किन नामों से जाना जाता है यह केकड़ा –
यह केकड़ा अपनी अनोखी बातों के लिए अलग-अलग नामों से जाना जाता है। वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि यह केकड़ा साफ पानी में रहने वाले जीव और समुद्री जीवो के बीच की कड़ी है जिसके कारण वैज्ञानिकों ने इस केकड़े का वैज्ञानिक नाम क्रेटस्पारा अथानाटा रखा है।
इस केकड़े को यह नाम इसकी उभयचर जीवन की प्रकृति के आधार पर दिया गया है।
क्योंकि यह केकड़ा क्रेटेशियस काल का माना जाता है इसलिए वैज्ञानिकों का ऐसा भी मानना है कि यह केकड़ा वर्तमान समुद्री केकडे का पूर्वज है और उनके इवोल्यूशन में इस केकड़े की प्रजाति का महत्वपूर्ण योगदान है। जिसके कारण इस केकड़े को क्रॉउन युब्राच्युरा या ट्रू क्रैब के नाम से भी बुलाया जाता है।
जानिए क्या है इस केकड़े से जुड़ी रोचक बातें –
1. कई करोड़ साल पुराना है यह केकड़ा – इस केकड़े को क्रेटेशियस काल का केकड़ा माना जा रहा है जिसकी उम्र 10 करोड़ साल से 9 करोड़ साल के बीच होगी।
2. घोंसला बनाकर रहता है अमर केकड़ा – आपने ज्यादातर पक्षियों को देखा होगा कि वह पेड़ों पर अपना घोंसला बनाते हैं और उसमें रहते हैं लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा यह दुनिया का पहला ऐसा केकड़ा है जो घोंसला बनाकर रहता है। दरअसल म्यांमार में जिस केकड़े का जीवाश्म मिला था वह उस पेड़ की राल में एक घोसले में संरक्षित था जिसके कारण वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि यह केकड़ा घोसले बनाकर रहते थे।
3. एंफीबियन है यह केकड़ा – ज्यादातर के कड़े जलीय जंतु होते हैं लेकिन इस केकड़े को उभयचर माना जाता है। क्योंकि कुछ वैज्ञानिकों का मानना है की अब तक अंबर की बेल में केवल कीड़े मकोड़े सांप बिच्छू जैसे स्थलीय जीव ही जकड़े हुए मिलते थे लेकिन पहली बार यह समुद्री जीव उन्हें अंबर के पेड़ में जकड़ा हुआ मिला जिसके कारण वह ऐसा मानते हैं कि यह उभयचर है।