Advertisements

Chola Dynasty History in Hindi: जानिए चोल वंश (साम्राज्य) का इतिहास जिससे जुड़ा है सेंगोल।

जानिए क्या था चोल वंश साम्राज्य का इतिहास जिसने 1500 साल तक भारत पर किया था राज, चोल साम्राज्य से जुड़े कुछ रोचक तथ्य, (Chola dynasty history in hindi, Chola Dynasty Based movie review PS-1 Ponniyin, Selvan Story facts in hindi), चोल वंश के संस्थापक, चिह्न, शासनकाल, राजधानी, शासक, Chola Dynasty Founder, Symbol, Time Period, Capital, rulers, चोल साम्राज्य का अंत (Chol Samrajya History In Hindi), Chol Vansh History In Hindi, चोल साम्राज्य के मंदिर (Chola Dynasty Temple), Sengol

जब भी भारत के सबसे महान साम्राज्य और राजवंशों की बात होती है तो चोल साम्राज्य का नाम भी इनके अंतर्गत गिना जाता है। यह वही चोल साम्राज्य है जिसके पास उस दौर में दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना (Navy) थी। भारत का प्राचीन बृहदेश्वर मंदिर, नटराजन की मूर्ति और कांचीपुरम की मशहूर सिल्क चोल साम्राज्य की ही देन है।

Advertisements

आपको जानकर हैरानी होगी कि चोल साम्राज्य का विस्तार केवल भारत में ही नहीं बल्कि उस दौरान श्रीलंका, वियतनाम, कंबोडिया, मालदीव, फिलिपिंस, सिंगापुर, इंडोनेशिया, थाइलैंड, और बहुत से दक्षिणी एशियाई देशों में था।

चोल साम्राज्य में सत्ता हस्तांतरण के दौरान नए उत्तराधिकारी को राजदंड देने की सांस्कृतिक परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए भारत के नए संसद भवन में सेंगोल राजदंड की स्थापना की गई है। चोल साम्राज्य के दौरान जब राजा अपने उत्तराधिकारी को सत्ता की शक्तियां सोचता था तो उस दौरान सेंगोल राजदंड को एक चिन्ह के रूप में भेंट करता था

भारत के नवनिर्मित संसद भवन में सेंगोल की स्थापना होने के बाद से चोल साम्राज्य एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। आज केवल भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोग चोल साम्राज्य के समृद्ध इतिहास के बारे में जानना चाहते हैं।

इसीलिए आज हम आपके लिए चोल वंश का इतिहास लेकर आए हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चोल वंश दक्षिण भारत पर सबसे लंबे समय तक राज्य करने वाला वंश था जिसने भारत पर लगभग 1500 साल तक राज किया।

सेंगोल की स्थापना के बाद से ही लोगों के मन में चोल साम्राज्य को जानने की इच्छा बढ़ती जा रही है। इसलिए आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको चोल साम्राज्य के इतिहास (Chola dynasty history in hindi) और उस से जुड़े कई सारे रोचक रहस्य और तथ्यों के बारे में बताएंगे।

Facts-of-Sengol-Chola-Dynasty-History-in-Hindi

विषय–सूची

चोल साम्राज्य से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Chola dynasty history in hindi)

विजयालय ने की थी स्थापना (Chola Dynasty Founder) –

चोल साम्राज्य की स्थापना विजयालय ने 850 ई. में की थी जिसे चोल साम्राज्य का पहला शासक माना जाता है। उसका शासनकाल 850 से लेकर 870 ई. तक था।

आठवीं शताब्दी में विजयालय ने तंजौर पर आक्रमण करके अपना कब्जा जमा लिया और पल्लवों को हराकर चोल वंश का उदय हुआ। विजयालय के बाद चोल वंश का उत्तराधिकार आदित्य प्रथम को मिला और आगे चलकर परांतक प्रथम और राजराज प्रथम ने इसे खूब फूलने-फलने का अवसर दिया। आगे चलकर इसी वंशमें राजेंद्र प्रथम राजा भी हुए।

चोल वंश के पास थी दुनियां की सबसे बड़ी नेवी –

इतिहासकार मानते हैं कि जब समुद्री मार्ग से व्यापार की शुरुआत भी नहीं हो पाई थी। जब कोलंबस ने भी नहीं की थी अमेरिका की खोज उस समय चोल वंश के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना यानि की नेवी थी।

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram group Join Now

हिंद महासागर में चोल वंश की नौसेना का वैभव इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। चोल वंश के महान राजा राजराज प्रथम नेजिस तरीके से हिंद महासागर में दुनिया के अलग-अलग देशों से युद्ध लड़ के जीत हासिल की थी उससे यह साफ पता चलता है कि उस समय इतनी बड़ी नेवी विश्व में कहीं भी नहीं थी।

दुनिया की सबसे बड़ी और व्यवस्थित नौसेना होने के साथ-साथ चोल वंश की नेवी सभी जरूरी हथियारों से भी लैस थी।

चोल वंश में नौसेना के विकास का पूरा श्रेय चोल वंश के महान राजा राजराज प्रथम को जाता है।

चोल वंश के सबसे प्रतापी और महान राजा थे राजराज प्रथम (Chola Dynasty Rulers) –

चोल वंश की स्थापना विजयालय ने की थी जिसके बाद आदित्य प्रथम इसके पहले उत्तराधिकारी बने। आदित्य प्रथम और परांतक प्रथम के बाद राजराज प्रथम चोल वंश के अगले उत्तराधिकारी बने। उनका शासन काल 985 से लेकर 1014 ई. तक था।

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram group Join Now

राजराज प्रथम का मूल नाम अरिमोलिवर्मन् (अरुलमोली) था। कहा जाता है कि राजराज प्रथम ने अपना नाम खुद राजराज रखा जिसका अर्थ राजाओं का राजा होता है। इसके अलावा राजराज प्रथम को उसके जीवन काल में चोल मार्तंड, शशिपादशेखर, राज मार्तंड, राज आश्रय जैसी उपाधियां भी मिली।

राजराज प्रथम चोल वंश के सबसे महान राजा थे। इन्होंने चोल वंश के विस्तार और नौसेना विकास में सबसे अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने केरल के राजा रवि वर्मा को त्रिवेंद्रम में हराया जिसके बाद धीरे-धीरे पांड्या राजाओं को भी हराया और सिंहल को हराकर राजराज प्रथम ने दक्षिण में श्रीलंका तक अपना साम्राज्य बढ़ा लिया।

उत्तर में उसने कलिंग को पराजित किया और उड़ीसा तक अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया। इसके अलावा राजराज प्रथम ने मालदीव के कई हिस्सों पर भी अपना साम्राज्य स्थापित किया।

राजराज प्रथम ने हिंद महासागर में विदेशी राजाओं से बहुत से युद्ध लड़े और उन्हें पराजित किया। ऐसा माना जाता है कि राजराज प्रथम ने इतनी बड़ी नौसेना विकसित की थी कि उस समय किसी देश के पास वैसी नेवी नही थी।

इन्हें भी पढ़ेंमहाराजा विक्रमादित्य का इतिहास, कहानी और जीवन परिचय

नृत्य करते हुए नटराज की प्रतिमा भी है चोल साम्राज्य की देन (Chola Dynasty Symbols) –

चोल साम्राज्य में कांस्य का उपयोग चरम पर रहा। इस साम्राज्य में मूर्तिकला बहुत प्रचलित थी। चोल साम्राज्य के दौरान कांस्य का उपयोग करके सजीव और कलात्मक मूर्तियां बनाई जाती थी।

नृत्य करते हुए नटराज की प्रतिमा भी चोल साम्राज्य की ही देन है। इसे चोल साम्राज्य में ही कांस्य धातु द्वारा बनाया गया था। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि चोल साम्राज्य के सिक्के दुनिया के कई अलग-अलग देशों में चलते थे।

इतना ही नहीं कांचीपुरम की मशहूर सिल्क साड़ियां और कांचीपुरम का मंदिर भी चोल साम्राज्य की देन है।

  • इन्हें भी पढ़ें –एलोरा का कैलाश मंदिर पूरे विश्व में एक ही पत्थर से तराशी जाने वाली सबसे अद्भुत संरचना

चोल वंश के राजराज प्रथम ने ही बनवाया था तंजौर का राजराजेश्वर मंदिर (Chola Dynasty Temple) –

तंजौर का भव्य और अद्भुत बृहदेश्वर मंदिर जिसे राजराजेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है उसका निर्माण चोल वंश के राजराज प्रथम ने हीं करवाया था।

क्योंकि इस मंदिर का निर्माण राजराज प्रथम ने करवाया था इसलिए बृहदेश्वर मंदिर को राज राजेश्वर मंदिर का नाम दिया गया। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

यह मंदिर चोल वंश की वास्तु और स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। इस मंदिर की खास बात यह है कि पूरे मंदिर को ग्रेनाइट से बनाया गया है। यह दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है जिसे ग्रेनाइट पत्थर के सहारे बनाया गया है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में लगभग एक लाख तीस हजार टन (1,30,000 टन) का उपयोग किया गया है। इस मंदिर के गुंबद का वजन लगभग 30 टन होगा जबकि इस में स्थापित नंदी का वजन 25 टन के लगभग है।

भारत के अलावा भी दुनिया के कई देशों तक फैला था चोल साम्राज्य (Chola Dynasty Map And Capital) –

चोल साम्राज्य दुनिया के सबसे बड़े और लंबे समय तक चलने वाले साम्राज्यों में से एक है। वैसे तो चोलों का उदय दक्षिण भारत में हुआ था लेकिन आगे चल कर यह साम्राज्य न केवल भारत बल्कि विश्व के कई अलग अलग देशों तक फैल गया।

चोल साम्राज्य का वास्तविक विस्तार राजराज प्रथम और उनके उत्तराधिकारी राजेंद्र चोल प्रथम के समय में हुआ। 1014 में जब राजेंद्र चोल प्रथम को चोल साम्राज्य का उत्तराधिकार मिला तो उन्होंने इसका विस्तार श्रीलंका, वियतनाम, कंबोडिया, मालदीव, फिलिपिंस, सिंगापुर, इंडोनेशिया, थाइलैंड, और बहुत से दक्षिणी एशियाई देशों में कर दिया था। इतना ही नहीं राजेंद्र प्रथम ने चीन से व्यापार के अच्छे संबंध बनाने के लिए राजदूत भी भेजे।

अपने शासनकाल के दौरान राजेंद्र चोल प्रथम ने दक्षिण भारत में कृष्णा नदी के तट पर गंगईकोंडाचोलपुरम को अपनी राजधानी बनाया जिसका अर्थ गंगा को जीत लेने वाला होता है।

अपने इन्हीं महान कार्यों की वजह से राजेंद्र प्रथम को गंगेईकोंडचोल, कडर कोंड, पण्डित चोल, वीर राजेंद्र जैसे नामों की उपाधियों से सम्मानित किया गया।

चोल साम्राज्य का अंत (पतन) कब हुआ?

राजेंद्र तृतीय को चोल साम्राज्य का अंतिम शासक माना जाता है। चोल साम्राज्य के पतन की शुरुआत तब हुई जब 1246 में राजेंद्र तृतीय गद्दी पर बैठा। राजेंद्र तृतीय को भले ही चोल साम्राज्य का उत्तराधिकार मिल गया लेकिन वह एक अयोग्य शासक था जिस कारण चोल साम्राज्य को संभाल न सका।

1250 में चोल साम्राज्य के कांचीपुरम को काकतीय राजा गणपति ने जीत लिया जिसके बाद पांड्या वंश के सुंदर पंड्या ने चोल साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया और राजेंद्र तृतीय को हराकर अपने अधीन कर लिया। कहा जाता है कि 1279 तक राजेंद्र तृतीय ने पांड्या राजाओं के साम्राज्य में सामंत के रूप में काम किया।

राजेंद्र तृतीय के बाद चोल साम्राज्य में कोई योग्य उत्तराधिकारी नहीं हुआ और चोल साम्राज्य का अंत हो गया।

Ponniyin Selvan chola dynasty history in hindi

चोल साम्राज्य पर आधारित है पोन्नियिन सेल्वन -1

Ponniyin Selvan Movie – 30 सितंबर 2022 को रिलीज़ हुई फ़िल्म पोन्नियिन सेल्वन-1 / PS-1 तमिल साहित्य के पोन्नियिन सेल्वन उपन्यास (Novel) पर आधारित है।

30 सितंबर 2022 को रिलीज हुई पोन्नियिन सेल्वन 1 फिल्म पूरी तरह से चोल साम्राज्य पर आधारित है जिसमें चोल साम्राज्य के नौसैनिक विकास और साम्राज्य विस्तार को दिखाया गया है। इसके साथ ही चोल वंश के राजा को पोन्नियान सेल्वन के जीवन को भी दिखाया गया है जो इस कहानी के नायक हैं।

500 करोड़ के बजट में बनी साउथ फिल्म डायरेक्टर मणिरत्नम की यह फिल्म तमिल साहित्य में लिखे गए नावेल पोन्नियन सेल्वन : (पोन्नी का बेटा) पर बनी है जिसे तमिल लेखक कल्कि कृष्णमूर्ति द्वारा लिखा गया है। यह उपन्यास व्यापक रूप से तमिल साहित्य का सबसे बड़ा उपन्यास है। इसे कुल 2400 पन्नों में लिखा गया है।

यह फिल्म चोल वंश के योद्धा और शासक पोन्नियन सेल्वन (Ponniyin Selvan History) के जीवन पर बनी है जिसका किरदार जयराम रवि ने निभाया है। फिल्म में कई साउथ सुपरस्टार के साथ बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय भी नजर आई हैं।

HomeGoogle News

चोल साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?

चोल साम्राज्य की स्थापना विजयालय ने की थी।

चोल साम्राज्य का अंतिम शासक कौन था?

राजेंद्र तृतीय को चोल साम्राज्य का अंतिम शासक माना जाता है।

चोल साम्राज्य ने भारत पर कितने साल तक राज्य किया?

भारत पर चोल साम्राज्य का शासन काल तकरीबन 1500 साल माना जाता है।

चोल साम्राज्य कहां तक फैला हुआ था?

चोल साम्राज्य भारत के अलावा श्रीलंका, मालदीव, वियतनाम और कई अन्य दक्षिण एशियाई देशीं में फैला हुआ था।

Leave a Comment