छोटी दिवाली 2025 कब है? शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा (Narak chaturdashi Choti Diwali Kab hai Date Time facts in hindi)
दीपावली की रौनक शुरू होने से एक दिन पहले आता है छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहा जाता है। यह दिन सिर्फ घर की सफाई का नहीं, बल्कि मन की सफाई का प्रतीक है।
मान्यता है कि इस दिन नकारात्मकता को दूर कर मन, तन और घर को देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए तैयार किया जाता है।
2025 में लोग इस बात को लेकर उलझन में हैं कि छोटी दिवाली 19 अक्टूबर को है या 20 अक्टूबर को? आइए जानते हैं सटीक तिथि, शुभ मुहूर्त, पौराणिक कथा और आधुनिक समय में इस पर्व का वास्तविक महत्व।
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विषय–सूची
📅 छोटी दिवाली 2025 कब है? शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
पंचांगों और प्रमुख मीडिया रिपोर्टों के अनुसार —
कार्यक्रम | दिनांक व समय (भारतीय समय) |
चतुर्दशी तिथि शुरू | 19 अक्टूबर 2025, दोपहर 1:51 बजे |
चतुर्दशी तिथि समाप्त | 20 अक्टूबर 2025, दोपहर 2:48 बजे |
मुख्य पूजा (अभ्यंग स्नान व दीपदान) | 19 अक्टूबर की सुबह ब्रह्म मुहूर्त से सूर्योदय तक |
दीपावली (लक्ष्मी पूजन) | सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 |
📌 निष्कर्ष: ज्यादातर पंचांगों के अनुसार छोटी दिवाली 19 अक्टूबर 2025, रविवार को मनाई जाएगी।
हालांकि कुछ क्षेत्रों में चतुर्दशी तिथि 20 अक्टूबर की सुबह तक रहने के कारण पूजा का समय अलग-अलग हो सकता है।
👉 इसलिए अपने शहर का स्थानीय पंचांग अवश्य देखें।
नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा – अंधकार पर प्रकाश की जीत
प्राचीन काल में असुर राजा नरकासुर ने धरती और स्वर्ग में आतंक मचा रखा था। उसने देवताओं से कीमती रत्न छीन लिए और हजारों स्त्रियों को बंदी बना लिया।
देवताओं ने भगवान श्रीकृष्ण से सहायता मांगी। कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ नरकासुर का वध किया और समस्त लोकों को भय से मुक्त किया।
यह युद्ध चतुर्दशी की भोर में समाप्त हुआ था। लोगों ने घरों में दीपक जलाकर इस विजय का स्वागत किया — और तभी से यह दिन नरक चतुर्दशी कहलाया।
यह कथा सिर्फ दानव के विनाश की नहीं, बल्कि हमारे अंतर के अंधकार पर विजय का संदेश देती है — पहले अपने भीतर के “नरक” यानी क्रोध, लोभ और अहंकार को खत्म करें, तभी असली दीपावली मनाई जा सकती है।
🪔 छोटी दिवाली की पूजा विधि और उसका अर्थ
1️⃣ अभ्यंग स्नान (तेल स्नान)
भोर में उठकर शरीर पर तिल या सरसों का तेल लगाकर स्नान किया जाता है।
💧 महत्व: यह शरीर व मन की शुद्धि का प्रतीक है।
आयुर्वेद के अनुसार यह स्नान रक्तसंचार ठीक करता है और ठंड के मौसम में शरीर को ऊर्जा देता है।
2️⃣ दीपदान (पहला दीपक जलाना)
स्नान के बाद घर के द्वार पर तेल का दिया जलाया जाता है।
🔥 अर्थ: यह दिया अंधकार दूर करने और यमराज से सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।
3️⃣ यम पूजा
सुबह तिल और जल अर्पित कर यमराज की प्रार्थना की जाती है —
“ॐ यमाय नमः”
🙏 इससे दीर्घायु और सुख-शांति की कामना की जाती है।
4️⃣ सात्त्विक भोजन और भोग
इस दिन प्याज-लहसुन रहित भोजन जैसे हलवा, पूड़ी, या मीठा पोहा बनाकर भगवान को अर्पित किया जाता है।
5️⃣ शाम का दीपदान
सूर्यास्त के बाद घर, आंगन और जल स्रोतों के पास दीपक जलाए जाते हैं।
✨ कहा जाता है कि इससे पितृ आत्माओं को शांति मिलती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
6️⃣ दान–पुण्य
इस दिन किसी जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र या मिठाई देना बहुत शुभ माना गया है।
💖 दूसरों को खुश देखकर लक्ष्मी माँ और प्रसन्न होती हैं।
🌸 विभिन्न राज्यों में छोटी दिवाली के नाम और परंपराएँ
- गुजरात: यहाँ इसे काली चौदस कहा जाता है और माँ काली की पूजा की जाती है।
- महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश: इसे रूप चौदस कहते हैं, महिलाएँ उबटन लगाकर सौंदर्य स्नान करती हैं।
- दक्षिण भारत: यहाँ इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है और सुबह ही दीपक जलाए जाते हैं।
- पश्चिम बंगाल: यहाँ इसे भूत चौदस कहा जाता है, लोग 14 दीपक जलाकर पितरों को स्मरण करते हैं।
- हर प्रदेश की परंपरा अलग होते हुए भी भावना एक ही है — अंधकार मिटाकर प्रकाश फैलाना।
🌕 छोटी दिवाली का आध्यात्मिक अर्थ
छोटी दिवाली का असली संदेश है —
“पहले अपने मन के अंधकार को दूर करें, तभी असली दीवाली का प्रकाश अनुभव होगा।”
- शुद्धिकरण: शरीर, मन और घर की सफाई
- आत्म-ज्योति: भीतर की रोशनी जगाना
- त्याग: नकारात्मक भावनाओं को छोड़ना
- संतुलन: कृष्ण (कर्म) और सत्यभामा (करुणा) का संगम
🧘♀️ स्वास्थ्य और आधुनिक जीवन के सुझाव
- जल अधिक पिएँ: स्नान से पहले हल्का गुनगुना पानी पिएँ।
- तेल स्नान सुरक्षित करें: फर्श पर फिसलन से बचें।
- हल्का भोजन करें: फल, मेवे और सात्त्विक आहार लें।
- पटाखों में सावधानी: बच्चों को दूरी से जलाने दें।
- मिट्टी के दीये अपनाएँ: यह पर्यावरण-हितैषी और शुभ होते हैं।
🌙 आधुनिक जीवन में छोटी दिवाली कैसे मनाएँ
आज के व्यस्त जीवन में यदि लंबी पूजा संभव न हो तो भी इन सरल तरीकों से आप पर्व की भावना जीवित रख सकते हैं —
- सुबह या शाम कम से कम एक दीपक जरूर जलाएँ।
- पाँच मिनट ध्यान या आभार व्यक्त करें।
- किसी जरूरतमंद को मिठाई दें।
- पूरे दिन सकारात्मक रहें और वाणी में मधुरता रखें।
छोटी-छोटी शुभ कर्म ही असली बड़ी दिवाली का रास्ता बनाते हैं।
निष्कर्ष – भीतर की दीप–ज्योति
छोटी दिवाली सिखाती है कि पहले भीतर की अंधेरी जगह को रोशन करें, तभी बाहर की दीयों की रोशनी सच्चा आनंद देगी। यह दिन क्षमा, कृतज्ञता और नई शुरुआत का प्रतीक है।
2025 में जब 19 अक्टूबर की रात दीपक जलें, तो याद रखें — थोड़ी-सी रोशनी भी अंधेरे को मिटाने के लिए काफी होती है।
FAQ
छोटी दिवाली 2025 कब है?
रविवार, 19 अक्टूबर 2025, चतुर्दशी तिथि 19 को दोपहर 1:51 बजे से 20 को 2:48 बजे तक रहेगी।
इसे नरक चतुर्दशी क्यों कहा जाता है?
क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने असुर नरकासुर का वध किया था।
पूजा का शुभ समय क्या है?
सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में अभ्यंग स्नान और दीपदान श्रेष्ठ माना गया है।
इस दिन क्या नहीं करना चाहिए?
गुस्सा, झगड़ा, नकारात्मक बातें और मांसाहार से बचें।
छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली में क्या फर्क है?
छोटी दिवाली शुद्धिकरण का दिन है, बड़ी दिवाली लक्ष्मी-पूजन और आनंद का।