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Facts about World Braille Day in hindi: विश्व ब्रेल दिवस पर जानिए ब्रेल लिपि एवं लुइस ब्रेल से जुड़ी कुछ ख़ास बातें (Essay On Braille Day & Theme 2025)

विश्व ब्रेल दिवस 2025, विश्व ब्रेल दिवस कब मनाया जाता है? विश्व ब्रेल दिवस पर निबंध, विश्व ब्रेल दिवस की थीम क्या है? ब्रेल लिपि क्या है? (Essay, Facts about World Braille Day in hindi, Louis Braille, Braille Script, World Braille Day 2025 hindi)

World Braille Day Theme 2025: हर साल 4 जनवरी को विश्व भर में ब्रेल दिवस (World Braille Day) मनाया जाता है। दृष्टिबाधित लोगों के लिए यह बेहद खास दिन है क्योंकि इसी दिन नेत्रहीन और दृष्टिबाधितों के मसीहा कहे जाने वाले लुइस ब्रेल का जन्म हुआ था।

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लुइस ब्रेल ने ही ब्रेल लिपि को जन्म दिया था जिसकी बदौलत आज दृष्टिहीन और दृष्टि बाधित लोग भी पढ़ने लिखने में सक्षम है। यही वजह है कि लुइस ब्रेल को दृष्टिबाधितों का मसीहा भी कहा जाता है।

ब्रेल लिपि की बदौलत आज दृष्टिहीन लोग भी अपने सपनों को सजाने और उन्हें साकार करने का हौसला रखते हैं। ब्रेल लिपि दृष्टि बाधित लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं।

इसकी महत्वता को समझते हुए विश्व में भर में 4 जनवरी का दिन ब्रेल लिपि दिवस मनाने के लिए सुनिश्चित किया गया और निरंतर मनाया आता जा रहा है।

लुईस ब्रेल ने अपनी ब्रेल लिपि के जरिए दृष्टि बाधित लोगों को नई आख दी। इसलिए 4 जनवरी को हर साल विश्व भर में ब्रेल लिपि जैसे वरदान के अविष्कारक लुइस ब्रेल के सम्मान में उनका जन्मदिन मनाया जाता है। तो चलिए आज Essay & Facts about World Braille Day in hindi के जरिए आपको ब्रेल लिपि और इसके अविष्कारक लुइस ब्रेल से जुड़ी हुई कुछ खास बातें बताते हैं।

विश्व ब्रेल दिवस 2025, निबंध, इतिहास (Essay & Facts about World Braille Day in hindi)

विश्व ब्रेल दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

विश्व ब्रेल दिवस हर साल 4 जनवरी के दिन मनाया जाता है। इस दिन ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुइस ब्रेल का जन्म हुआ था।

ब्रेल लिपि के जनक लुइस ब्रेल 4 जनवरी 1809 को फ्रांस के कुप्रे में पैदा हुए थे। बचपन के दौरान ही लुइस ब्रेल ने एक हादसे में अपने आंखों की रोशनी खो दी थी। दरअसल बचपन के दौरान ही उनकी एक आंख में चाकू लग गया था जिसके कारण उनकी वह आंख खराब हो गई। यह सब होने के बाद धीरे-धीरे उनके दूसरे आंख की रोशनी भी चली गई।

महज 8 साल की उम्र में अपने आंखों की रोशनी खोने के बाद लुइस ब्रेल ने बहुत सारी मुश्किलों का सामना किया। लेकिन उन्होंने कभी परिस्थितियों से हार नहीं मानी और आखिरकार महज 15 साल की उम्र में ब्रेल लिपि का आविष्कार कर दिया जिसे आज दृष्टिहीन और दृष्टिबाधित लोगों के लिए वरदान माना जाता है।

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ब्रेल लिपि क्या है?

अपने आंखों की रोशनी खो देने के बावजूद लुइस ब्रेल ने दृष्टिबाधित समुदाय के लिए बहुत बड़ा उपकार किया ताकि दृष्टिबाधित लोग भी अपने सपनों को साकार कर सकें और आत्मनिर्भर हो सकें।

ब्रेल लिपि एक ऐसी लिपि है जिसका इस्तेमाल दृष्टिबाधित लोगों को पढ़ाने के लिए किया जाता है। जैसे हमें देवनागरी और रोमन लिपि में चीजें बनाई जाती हैं ठीक वैसे ही दृष्टि बाधित लोगों के पढ़ने लिखने के लिए ब्रेल लिपि का इस्तेमाल किया जाता है।

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इस लिपि में दृष्टि बाधित लोगों को स्पर्श के माध्यम से चीजें पढ़ाई लिखाई जाती हैं। इस लिपि में कागज पर उभरे हुए बिंदुओं के स्पर्श से दृष्टिबाधित लोगों को शिक्षा दी जाती है।

ब्रेल लिपि के जरिए दृष्टिबाधित लोग न केवल पढ़ सकते हैं बल्कि पुस्तकों की रचना भी कर सकते हैं। जिस प्रकार टाइपराइटर के माध्यम से पुस्तकें लिखी जाती हैं ठीक उसी प्रकार ब्रेल लिपि में रचना के लिए ब्रेलराइटर का उपयोग किया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रेल लिपि में कई सारी पुस्तकें भी लिखी गई हैं और आज भी लिखी जाती हैं।

कैसे हुआ ब्रेल लिपि का आविष्कार?

अपनी पढ़ाई लिखाई के दौरान ही एक बार लुइस ब्रेल की मुलाकात फ्रांस के सेनानायक चार्ल्स बार्बियर से हुई थी। मुलाकात के दौरान फ्रांस के सेनानायक ने लुइस ब्रेल को सेना की एक विशेष अध्ययन प्रणाली के बारे में बताया।

चार्ल्स बार्बियर ने लुइस ब्रेल को नाइट रीडिंग और सोनोग्राफी जैसी विशेष अध्ययन प्रणालियों के बारे में बताया जिसका इस्तेमाल फ्रांसीसी सैनिक रातों के अंधेरे में पढ़ने के लिए किया करते थे। इन अध्ययन प्रणालियों के बारे में जानने के बाद लुइस ब्रेल को काफी मदद मिली।

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चार्ल्स बार्बियर लुइस ब्रेल को सेना की जिस विशेष अध्ययन प्रणाली के बारे में बताया था उस समय कागजों पर उभरे हुए अक्षरों के माध्यम से 12 बिंदुओं की दो पंक्तियां बनाई जाती हैं जिनमे 6-6 बिंदु शामिल होते हैं। लेकिन इस अध्ययन प्रणाली की सबसे बड़ी खामियां थी कि इसमें विराम चिह्न, संख्या और गणितीय चिह्न आदि मौजूद नहीं थे।

सेना की इसी विशेष अध्ययन प्रणाली को आधार बनाकर लुइस ब्रेल ने ब्रेल लिपि का आविष्कार किया था। लुइस ब्रेल ने सेना की इस अध्ययन प्रणाली में 12 बिंदुओं को केवल 6 बिंदुओं में संग्रहित कर दिया जिसमें 64 अक्षर और विराम चिन्ह भी मौजूद थे। कमाल की बात तो यह थी कि ब्रेल लिपि में विराम चिन्ह के साथ-साथ गलती जन्म और संगीत के नोटेशन भी शामिल है।

महज 15 साल की उम्र में लुइस ब्रेल ब्रेल लिपि का आविष्कार करके दुनिया को दिखा दिया कि अगर इंसान के भीतर हौसला हो तो वह कुछ भी कर सकता है फिर चाहे परिस्थितियां और उसका शरीर दोनों साथ दे या ना दे।

विश्व ब्रेल दिवस 2025 (Facts about World Braille Day in hindi)

4 जनवरी 2025 को एक बार फिर पूरे विश्व में विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाएगा। 6 नवंबर 2018 को पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में लुइस ब्रेल दिवस को मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया जिसके बाद 4 जनवरी 2019 को पहली बार विश्व ब्रेल दिवस मनाया गया।

विश्व ब्रेल दिवस के दिन विश्व भर में दृष्टिबाधित लोगों के लिए ब्रेल लिपि के महत्व और इसकी उपयोगिता के बारे में बताया जाता है तथा लोगों को जागरूक किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्व स्वास्थ संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में इस समय तकरीबन 39 मिलियन लोग ऐसे हैं जिनकी आंखों में रोशनी नहीं है, वह देख नहीं सकते। तो वहीं 253 मिलियन लोग ऐसे भी हैं जो किसी ना किसी दृष्टि विकार से जूझ रहे हैं। ऐसे लोगों को उत्साहित करने के लिए तथा उनके कल्याण के लिए ब्रेल लिपि को बढ़ावा देने के लिए हर साल 4 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाने लगा।

तो दोस्तों आज Facts & Essay on World Braille Day 2025 in Hindi के जरिए हमने आपको ब्रेल लिपि और इसके जनक लुइस ब्रेल के बारे में कई सारी बातें बताई। उम्मीद करते हैं कि यह आर्टिकल आपको पसंद आया है।

ब्रेल लिपि से जुड़े ख़ास व रोचक तथ्य (Interesting Facts about Braille Script hindi)

1. ब्रेल लिपि का आविष्कार सन 1821 में हुआ था जिसकी श्रेय लुइस ब्रेल को जाता है।

2. देवनागरी और रोमन लिपि की भांति ब्रेल लिपि भी एक लिपि है जिसमें दृष्टि बाधित लोगों को पढ़ाया जाता है।

3. इसमें 6 बिंदु बनाए गए हैं जिनमें कुल 64 वर्ण थे लेकिन वर्तमान समय में यह बढ़कर 256 हो गए है। इसके अलावा इस लिपि में विराम चिन्ह गणित चिन्ह और साथ-साथ संगीत के नोटेशन भी हैं।

4. इस ब्रेल लिपि का निर्माण लुइस ब्रेल ने सोनोग्राफी और नाइट राइटिंग तकनीक के आधार पर किया है जो उस समय फ्रांसीसी सेना रात के समय  अंधेरे में लिखने के लिए इस्तेमाल करती थी।

5. ब्रेल लिपि को वर्णमाला के अक्षरों को कूट रूप में  लिखने वाली पहली लिपि माना जाता है।

6. भारत के महान धार्मिक ग्रंथ जैसे रामायण महाभारत और भागवत गीता आदि ब्रेल लिपि में यहां के दृष्टिबाधितओं को पढ़ाए जाते हैं।

7. ब्रेल लिपि में पुस्तकें भी लिखी जा सकती हैं हालांकि कुछ पुस्तकें लिखी भी गई हैं।

8. आधुनिक ब्रेल लिपि को छह के बजाय 8 बिंदुओं में फिर से विकसित किया गया है ताकि इसका ध्यान आसान हो सकें।

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FAQ

विश्व ब्रेल दिवस क्यों मनाया जाता है?

विश्व ब्रेल दिवस 4 जनवरी को लुईस ब्रेल के जन्म दिवस के अवसर पर मनाया जाता है। जिन्होंने ब्रेल लिपि का अविष्कार किया था।

विश्व ब्रेल दिवस कब मनाया जाता है?

4 जनवरी

विश्व ब्रेल दिवस को मनाने की शुरुआत कब हुई?

4 जनवरी 2019

लुई ब्रेल का जन्म कब और जन्म कहां हुआ था?

लुइस ब्रेल 4 जनवरी 1809 को फ्रांस के कुप्रे में पैदा हुए थे

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