वृंदावन के निधिवन का अद्भुत रहस्य- भारत भूमि सनातन सभ्यता और संस्कृति की धरोहर है। देश में एक से बढ़कर एक धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है जो भक्तों के लिए आस्था का केंद्र हैं। इन सभी धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के साथ कई पौराणिक कहानियां जुड़ी हुई हैं। भारत के प्रत्येक धार्मिक स्थल अत्यंत अनोखे और रहस्यमयी हैं।
आज हम भारत के एक ऐसे ही रहस्यमई धार्मिक स्थल के बारे में बताने वाले है। वैसे तो ब्रजभूमि में कई रहस्यमई स्थान हैं लेकिन वृंदावन के निधिवन की बात कुछ और ही है।
निधिवन वृंदावन का एक ऐसा धार्मिक स्थल है जहां भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई अनोखी मान्यताएं प्रचलित हैं। लोग मानते हैं कि निधिवन में भगवान श्री कृष्ण आज भी मौजूद हैं और हर रात गोपियों के संग रास लीला रचाते हैं।
कहा जाता है कि आज तक जिसने भी रात के समय भगवान श्री कृष्ण की रासलीला देखनी चाहिए उन्होंने या तो अपना मानसिक संतुलन खो दिया या फिर उनकी मृत्यु हो गई। यही कारण है कि शाम की आरती के बाद निधिवन के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
केवल इतना ही नहीं इसके अलावा भी बहुत सी ऐसी अनोखी घटनाएं निधिवन में रोज घटित होती हैं। तो आइए आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको निधिवन से जुड़ी हुई सारी अनोखी और रहस्यमई बातें बताते हैं।
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विषय–सूची
वृंदावन में निधिवन के रंग महल में कृष्ण रचाते हैं रास –
निधिवन का अद्भुत रहस्य – वृंदावन के निधिवन में रंग महल नाम का एक महल है जिसमें भगवान श्री कृष्ण राधा के साथ रास लीला रचाते हैं और शयन भी करते हैं।
वैसे तो पौराणिक शास्त्रों में कहा गया है कि श्रीकृष्ण द्वापर युग में शरद पूर्णिमा की रात्रि को राधा और गोपियों के साथ रास रचाते थे लेकिन निधिवन के साथ यह मान्यता है कि भगवान यहां रोज अर्धरात्रि में राधा रानी के साथ रास रचाते हैं।
यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को निधिवन में प्रवेश पूर्णत वर्जित होता है। दिनभर श्रद्धालु यहां पर्यटन के लिए आ सकते हैं लेकिन दिन ढलते ही इस वन को पूरी तरह से खाली कर देते हैं।
ऐसा माना जाता है कि रासलीला के बाद भगवान श्री कृष्ण निधिवन के परिसर में स्थित रंग महल में शयन भी करते हैं।
निधिवन केवल एक ऐसा स्थान नहीं है जहां श्री कृष्ण की रास लीला से जुड़ी हुई मान्यताएं प्रचलित हैं बल्कि वृंदावन में स्थित सेवा कुंज के साथ भी कुछ ऐसी ही मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। लोग मानते हैं कि सेवा कुंज में भी हर रात भगवान श्रीकृष्ण रासलीला करते हैं। इसी स्थान पर राधा रानी का प्राचीन मंदिर भी स्थित है।
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शयन के लिए सजाया जाता है सेज –
हजारों सालों से श्रद्धालु इस बात पर विश्वास करते हैं कि भगवान श्री कृष्ण ने जीवन के रंग महल में शयन करते हैं।
इसीलिए निधि वन में स्थित रंगमहल के शयनकक्ष में चंदन का पलंग हर रात भगवान श्रीकृष्ण के लिए सजाया जाता है। चंदन का पलंग सजाने के अलावा हर रात रंग महल राधा रानी के लिए श्रृंगार का सामान रखा जाता है जिससे वह अपना श्रृंगार करती हैं।
इसके अलावा इस महल में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के लिए माखन और मिश्री का भोग लगाया जाता है तथा पीने के लिए लोटे में पानी भी रखा जाता है।
हैरानी की बात यह है कि जब सुबह पुजारी इस रंग महल में प्रवेश करते हैं तो भोग के साथ साथ पानी से भरा लोटा खाली होता है तथा चयन के लिए सजाए गए चंदन के पलंग को देखकर साफ प्रतीत होता है कि भगवान श्री कृष्ण यहां पर शयन करते हैं।
छिपकर रासलीला देखने वाले खो बैठते हैं अपना मानसिक संतुलन –
कहा जाता है कि निधि वन के रंग महल में जो छिपकर श्री कृष्ण की रासलीला देखने की कोशिश करता है या तो वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है अथवा उसकी मृत्यु हो जाती है। यह केवल मान्यता नहीं है बल्कि ऐसी कई घटनाएं यहां पर घटित हो चुकी हैं।
लोगों का मानना है कि आज से कई साल पहले संतराम नाम का एक श्रद्धालु जयपुर से वृंदावन आया था। जब उस श्रद्धालुओं ने वृंदावन में स्थित निधिवन की अनोखी और रहस्यमई मान्यताओं के बारे में सुना तो उसने श्री कृष्ण और राधा रानी की रासलीला देने की हठ ठान ली और चुपके से निधिवन के रंग महल में छुप कर बैठ गया। जब सुबह निधिवन का कपाट खुला तो संतराम रंग महल में बेहोश पड़े मिले जब उन्हें होश में लाने की कोशिश की गई तो पता चला कि वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं।
इसके अलावा निधिवन में रासलीला देखने वालों की मृत्यु से जुड़ी हुई कथाएं भी प्रचलित हैं। इन्हीं सब कारणों के चलते शाम की आरती के तुरंत बाद निधिवन के कपाट निधिवन के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
वृक्षों की है विशेष आकृति –
वैसे तो निधिवन के परिसर में अलग-अलग तरह के पौधे लगे हुए हैं लेकिन यहां पर तुलसी और मेहंदी भारी मात्रा में उपलब्ध हैं।
निधिवन में उपस्थित वृक्षों की आकृति बहुत विशेष होती है। यहां पर उपस्थित तुलसी और मेहंदी के युगल होते हैं जो एक दुसरे के साथ गूथे रहते हैं। इनकी डालियां भी जोड़ों में एक दुसरे से लिपटी होती हैं। केवल इतना ही नहीं यहां पर स्थित तुलसी और मेहंदी के पेड़ सामान्य आकृति से बड़े होते हैं और उनका रुख जमीन की ओर होता है यानी कि पौधों की डालियां जमीन की ओर झुकी हुई होती हैं।
पौधों की डालियां एक दूसरे से कुछ इस तरह लिपटी होती हैं जैसे कि वह एक दूसरे को आलिंगन कर रहे हो। लोग मानते हैं कि यह पौधे रात के समय गोप गोपियों का रूप धारण कर लेते हैं और श्री कृष्ण के साथ रास रचाते हैं।
निधिवन परिसर में अन्य कई स्थल भी हैं मौजूद-
वृंदावन के लोग मानते हैं कि जो लोग रात के समय निधिवन परिसर में रुक जाते हैं वह सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाते हैं तथा मोक्ष को प्राप्त होते हैं। जो लोग इस परिसर में जीवन के बंधन से मुक्त हुए हैं उनकी समाधियां इसी निधिवन परिसर में बनाई गई हैं।
निधिवन परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर भी बनाए गए जहां भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की मनमोहक मूर्तियां सुशोभित होती हैं। इन मंदिरों में रंग महल का अपना विषेश महत्त्व है जहां भगवान श्री कृष्ण अपने हाथों से राधा रानी का श्रृंगार करते हैं और उनके साथ रास रचाते हैं तथा रात्रि के समय इसी स्थान पर शयन भी करते हैं।
सुबह मंदिर का कपाट खुलने पर शयन कक्ष में लगे चंदन के पलंग का बिस्तर अस्त व्यस्त होता है तथा लगाए गए भोग भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जित कर लिए जाते हैं और पानी से भरकर रखा हुआ लोटा भी खाली हो जाता है।