गोवर्धन पूजा कब है? शुभ मुहूर्त, आइये जाने इसका पौराणिक महत्व, (Govardhan puja story in hindi, History facts in hindi) क्या होता है अन्नकूट?
दीपावली के त्यौहार के समाप्ति के पश्चात ही गोवर्धन पूजा का शुभ आरंभ हो जाता है लेकिन इस बार पंचाग की तिथि के अनुसार गोबर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की शुल्क पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस बार यह तिथि दो दिन 1 तथा 2 नवबंर को है उदया तिथि पड़ने के कारण यह दिपावली के दूसरे दिन मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा भारत के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उत्तर भारत में इस पूजा का बहुत विशेष महत्व है क्योंकि इस पूजा के समापन के साथ छठ पूजा का पावन त्यौहार भी शुरू हो जाता है।
ऐसे में बहुत सारे लोगों के मन में सवाल आता है कि गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है गोवर्धन पूजा 2024 में कब मनाया जाएगा, शुभ मुहूर्त क्या है? गोवर्धन पूजा कैसे मनाया जाएगा पूजा की विधि क्या होगी अगर आप इन सभी सवालों के जवाब जानना चाहते हैं तो हमारे साथ आर्टिकल पर आखिर तक बने रहें चलिए शुरू करते हैं-
विषय–सूची
2024 में गोवर्धन पूजा कब है?
2024 में गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2023 को भारत के विभिन्न राज्यों में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इस बार गोवर्धन पूजा का शुभारंभ दीपावली के 1 दिन बाद नहीं बल्कि 2 नवंबर को मनाया जाएगा I इस बार कार्तिक माह में शुल्क पक्ष की तिथि दो दिनों तक रहेगी। उदया तिथि होने के कारण इसे 2 नवंबर को मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा कब मनाया जाएगा
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिभा तिथि को को मनाया जाता है इस बार गोवर्धन पूजा 2 नवंबर 2024 को भारत के विभिन्न शहरों में मनाया जाएगा गोवर्धन पूजा को भारत के कई राज्यों में अन्नकूट के नाम से मनाया जाता हैI
गोवर्धन पूजा करने का शुभ मुहूर्त
इस बार शुल्क पक्ष की प्रतिप्रदा तिथि 1 नवंबर को 06:16 से शुरु होकर अगले दिन 2 नवंबर को 8:21 तक रहेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल 06ः34 से 8 बजकर 44 मिनट तक रहेगा, जबकि संध्याकाल को 3:23 से 5:35 तक आप पूजा कर सकते हैं।
गोवर्धन पूजा के पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के दिन सभी लोग स्नान कर कर अपने आप को पवित्र करते हैं इसके बाद इस दिन गोवर्धन पर्वत, गाय, भगवान विश्वकर्मा और श्रीकृष्ण की पूजा विधि विधान से की जाती है इसके लिए घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाया जाता है फिर उसे फूलों से सजाया जाएगा इसके बाद उसके ऊपर मिट्टी डाली जाएगी और बीच में मटके का दूध रखा जाएगा और उसमें बताशा डाला जाएगा पूजा के दौरान गोबर द्वारा बनाए गोवर्धन पर्वत पर धूप, दीप आदि जलाएं।
पूजन के समाप्त होने के बाद गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की जाएगी, जब परिक्रमा पूरी हो जाएगी तो भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग का प्रसाद अर्पित किया जाएगा और उसके बाद ही इस प्रसाद को सभी लोगों में वितरित किया जाएगा
आइये इन्हें भी पढ़ें –
- धनतेरस क्यों मनाया जाता है? धनतेरस पूजा का महत्व व पौराणिक कथाएं
- दिवाली पर कविता हिंदी में (Poem on Diwali)
- दीपावली व दिवाली पर निबंध, भाषण
- विजयदशमी दशहरा पर निबंध, भाषण एवं कविता
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है जैसा कि आप लोग जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस पृथ्वी पर मनुष्य रूप में अवतार लिया था और उनका अवतार लेने का प्रमुख उद्देश्य के पृथ्वी पर जितने भी पापी और राक्षस है उनका विनाश करना इसके अलावा उन्होंने समय-समय पर अपने लीला के माध्यम से कई देवी-देवताओं के घमंड को भी चूर चूर किया थाI ऐसे में भगवान इंद्र को भी बहुत ज्यादा घमंड हो गया था कि उनके कारण गोकुल में रहने वाले सभी मानव जीवित रह पा रहे हैंI
ऐसे में श्रीकृष्ण ने भगवान इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए एक उपाय सोचा, 1 दिन भगवान से श्रीकृष्ण ने अपनी माता यशोदा से पूछा कि मां हम लोग भगवान इंद्र की पूजा क्यों करते हैं तो इस पर मां ने कहा कि अगर उनकी पूजा हम नहीं करेंगे तो हमारे गोकुल में वर्षा नहीं होगी और वर्षा नहीं होने के कारण नया फसल नहीं होगा इसके अलावा हमारी गायों को हरी हरी घास से प्राप्त नहीं होगी
इस पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा तो अगर ऐसा है तो आपको गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि उनके कारण ही हमारे गायों को हरी घास मिलती है लेकिन के इस बात को मान कर सभी गोकुल वासियों ने वर्धन पर्वत की पूजा शुरू की इंद्र को इस पर बहुत ज्यादा क्रोध आया और उन्होंने लगातार गोकुल में भीषण बारिश की, जिसके कारण गोकुल वासी श्री कृष्ण के पास गए और उन्हें कहा कि भगवान हमें बचा लीजिए इसके बाद ही श्रीकृष्ण ने अपनी कानी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा कर सभी गोकुल वासियों की जान बचाई I
इसके बाद इंद्र को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से माफी मांगे इस प्रकार अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में भी गोवर्धन पूजा मनाई जाती है और तभी से यह परंपरा शुरू हुई और आज तक कायम है I
गोवर्धन पूजा कैसे मनाई जाती है
गोवर्धन पूजा काफी धूमधाम और उत्साह के साथ भारत के विभिन्न शहरों में मनाया जाता है इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने भगवान इंद्र का घमंड तोड़ा था और गोवर्धन पर्वत को अपनी कानी उंगली पर उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की थी जिसके कारण गोवर्धन पूजा मनाई जाती हैI इस दिन सबसे पहले घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग अर्पित किए जाते हैं क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कानी उंगली में उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा की थी गोवर्धन पूजा के दिन गाय और माता अन्नपूर्णा की भी पूजा की जाती है क्योंकि माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से आपके घर में कभी भी अनाज की कमी नहीं होगी और उनकी विशेष कृपा आपको प्राप्त होगी गाय की पूजा करने से आपको भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होगी कि कोई गाय भगवान श्री कृष्ण को सबसे अधिक प्रिय था I
गोवर्धन पूजा की कथा (Govardhan puja story in hindi)
गोवर्धन पूजा की परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है क्योंकि द्वापर युग में ही गोवर्धन पूजा मनाने की प्रथा शुरू हुई थी इसके पीछे की कहानी काफी पुरानी है कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने एक दिन अपनी माता से पूछा कि मां हम लोग भगवान इंद्र की पूजा क्यों करते हैं? तो माता ने कहा कि भगवान इंद्र की पूजा के द्वारा ही हमारे गोकुल में वर्षा होती हैI
जिसके फलस्वरूप हमारे खेतों को प्राप्त मात्रा में पानी मिल पाता है जिससे फसल के उत्पादन में वृद्धि होती है इसके अलावा हमारे गायों को गोवर्धन पर्वत पर हरी भरी घास से मिल पाती हैं इसलिए हम लोग भगवान इंद्र की पूजा करते हैं इस पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा तब तो हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि उनके द्वारा ही हमारे गाय को हरी भरी घास प्राप्त हुई है इसके बाद गोकुल वासियों ने भगवान इंद्र की पूजा छोड़ गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कियाI
जिसके बाद इंद्रदेव काफी क्रोधित हुए और उन्होंने भारी वर्षा के द्वारा गोकुल को तहस-नहस कर दिया जिसके कारण गोकुल वासियों ने भगवान श्री कृष्ण से याचना लगाई थी उन्हें भीषण बारिश से बचाए तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कानी अंगुली अं पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल वासियों की बारिश से रक्षा किया तभी से गोवर्धन पूजा मनाने की परंपरा शुरू हुई I
गोवर्धन पूजा में गायों की पूजा का महत्व:-
गोवर्धन के महान पर्व पर गाय और बैलों सजा कर उनकी पूजा की जाती है उन्हें फूल माला चंदन इत्यादि अर्पित किया जाता है और उन्हें प्रसाद खिलाया जाता है सभी इस दिन अपनी गायों को कलर, घुंघरू, मोरपँख, आदि से सजाया जाता है।
यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण को गायों से विशेष लगाव था और वह गाय को खुद चराने के लिए जाते हैं और उनके बीच बैठकर बांसुरी बजाते थे। उनकी बांसुरी से निकलने वाली धुन से मंत्रमुग्ध होकर गाय उन्हें छोड़कर कहीं भी नहीं जाती थी और वहीं चरती रहती थी। इसलिए गायों का महत्व हमारे हिन्दू धर्म में अत्यधिक है।
अन्नकूट क्या होता है?
श्रीकृष्ण जी ने अपनी अंगुली पर लगातार 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी। इसके पश्चात श्रीकृष्ण ने ग्रामवासियों का उत्सव मनाने को कहा था इसके पश्चात सभी गोकुलवासियों ने श्रीकृष्ण को धन्यवाद देते हुये उनकों प्रसन्न करने के लिये अन्नकूट व 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया था। तभी से कार्तिक मास की शुल्क प्रतिप्रदा से इस त्यौहार को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाने लगा।
गोवर्धन पूजा में अन्नकूट का सबसे अधिक महत्व माना गया इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 व्यंजन का भोग प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता हैI
इस दिन विभिन्न प्रकार की सब्जियों को मिलाकर मिली जुली सब्जियां और पूड़ी बनाई जाती है जिसे भगवान श्री कृष्ण को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है और फिर उसे प्रसाद के रूप में लोगों के बीच वितरित कर दिया जाता है इसके अलावा इस दिन भगवान श्री कृष्ण के मूर्ति को दूध से स्नान कराया जाता है और फिर उन्हें रेशम और शिफॉन जैसे महीन कपड़ों में लपेटा जाता है।
इन वस्त्रों के रंग आमतौर पर लाल, पीले या केसरिया होते हैं क्योंकि हिंदू धर्म में इस प्रकार के रंग काफी शुभ मानें जाते हैंI गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट पूजा करने से आपकी उम्र लंबी होगी और साथ में आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा I
FAQ
गोवर्धन पूजा 2024 कब मनाई जाएगी?
2 नवंबर 2024
गोवर्धन पूजा के दिन किस भगवान कि पूजा की जाती है?
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण, गोवर्धन पर्वत, माता अन्नपूर्णा और गाय की पूजा की जाती है I
गोवर्धन पूजा 1 नवंबर के बजाय 2 नवंबर को क्यों मनाया जा रहा है?
इस अमावस की तिथि संध्याकाल 6 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो रही है जिसकी वजह से शुल्क पक्ष की प्रतिप्रदा तिथि 1 नवंबर को संध्याकाल 06:16 से शुरु होकर 2 नवंबर को रात्रि 08:21 तक रहेगी। उदया तिथि होने के कारण इस बार यह 1 नवंबर को मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
प्रातःकाल 06ः34 से 8 बजकर 44 मिनट तक का शुभ मुहूर्त है।
गोवर्धन पूजा पर गायों की पूजा क्यों की जाती है?
गोवर्धन पूजा पर गायों की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि गायों से भगवान श्री कृष्ण का विशेष लगाव था और गायों को हिंदू धर्म में माता माना जाता है I
अन्नकूट में क्या होता है?
अन्नकूट में कई सारी सब्जियों को एक-साथ मिलाकर बहुत ही स्वादिष्ट सब्जी बनाई जाती है इसके साथ पूड़ी, कढ़ी-चावल व 56 प्रकार के व्यंजनों के साथ श्रीकृष्ण भगवान को भोग लगाया जाता है।