अक्टूबर का महीना आते ही भारत में हिंदुओं के त्योहारों की झड़ी लग जाती है। अक्टूबर से लेकर नवंबर महीने के बीच हिंदुओं के कई प्रमुख त्यौहार मनाए जाते हैं जिनमें नवरात्रि दशहरा और दीपावली शामिल है।
दशहरे के दिन भगवान श्रीराम ने राक्षस रावण का वध किया था इसी कारण हर साल दशहरे का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दशहरे को विजयदशमी के नाम से भी जानते हैं क्योंकि इस दिन दशमी की तिथि पर भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय पाई थी।
दशहरा अर्थात विजयदशमी के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है और रामलीला मंचन जैसे विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा दशहरे के अवसर पर भाषण वाद संवाद आदि का भी आयोजन किया जाता है।
आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको विजयादशमी व दशहरा पर निबंध और भाषण (Essay and Speech on Dussehra in Hindi) अर्थात विजयदशमी पर निबंध (Essay on Vijaydashmi) तथा दशहरा विजयदशमी पर कविता (Poem on Dussehra, Vijaydashmi in Hindi) के बारे में बताएंगे।
विषय–सूची
विजयादशमी व दशहरा पर निबंध (Dussehra Essay In Hindi)
हिंदू समुदाय के लोग हर साल विजयदशमी की तिथि पर दशहरा का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।
दशहरे का त्यौहार अश्विनी यानि की क्वार मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है जिसे विजयदशमी के नाम से भी जानते हैं।
इस दिन हम सब के आराध्य देव प्रभु श्री राम ने राक्षस रावण का वध किया था। रावण लंका नगरी का राजा था जिसने तीनों लोकों पर अपनी राक्षसी शक्तियों का प्रभुत्व स्थापित किया था इसीलिए उसे त्रिलोक विजेता रावण भी कहते थे।
अधर्मी रावण ने भगवान श्री राम भगवान श्री राम की पत्नी सीता माता का हरण कर लिया था और उन्हें अपने अशोक वन में बंदी बना रखा था। सीता माता को रावण से आजाद कराने के लिए भगवान श्रीराम और उनकी सेना ने संयोजन समुद्र पर राम सेतु पुल बांधा और लंका पर आक्रमण किया।
दशहरा का पर्व क्यों मनाया जाता हैं?
अश्विन महीने की प्रतिपदा तिथि को रावण भगवान श्री राम से युद्ध करने के लिए मैदान में उतरा था। 10 दिनों के घोर संग्राम के बाद भगवान श्रीराम ने अंततः दसवीं की तिथि पर रावण का वध कर दिया और लंका पर विजय प्राप्त कर दी। इसी कारण इस दसवीं की तिथि को विजयदशमी का नाम दिया गया। और इसीलिए बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में हर साल दशहरा मनाया जाता है।
दशहरे से जुड़ी एक और कथा काफी प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि अश्विन महीने की प्रतिपदा तिथि को ही महिषासुर और देवी दुर्गा के बीच युद्ध प्रारंभ हुआ था और विजयदशमी की तिथि पर ही देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। यानी कि दशहरे का त्यौहार ना केवल रावण पर प्रभु श्री राम के विजय का प्रतीक है बल्कि यह महिषासुर पर देवी दुर्गा के विजय का भी प्रतीक है।
यही कारण है कि असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत के लिए हर साल दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है।
दशहरे के अवसर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें रामलीला मंचन और रावण दहन प्रमुख हैं। खासकर रामलीला मंचन अश्विन महीने की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है जिस दिन रावण युद्ध स्थल में उतरा था और 10 दिनों तक चलता है और अंततः विजयदशमी की तिथि पर रावण वध का मंचन किया जाता है।
भारत में दशहरे की तिथि पर मुख्य रूप से मेलों का आयोजन किया जाता है। दशहरे के दिन भारत के कोने कोने में रावण के पुतले को जलाया जाता है और भव्य मेलों का आयोजन किया जाता है।
आइये जानते हैं- रावण से जुड़े रोचक तथ्य- क्या सचमुच रावण के 10 सिर और 20 भुजाएं थी?
विजयादशमी दशहरा पर भाषण (Speech On Dussehra In Hindi)
अभिवादन !
जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि हर साल बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत के प्रतीक रूप में दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम ने दुष्ट रावण का संघार किया था और लंका पर विजय प्राप्त की थी। इसके अलावा इसी दिन देवी दुर्गा ने भी दानों महिषासुर का संहार किया था।
भले ही विजयदशमी की तिथि पर भगवान श्रीराम ने रावण को मार दिया था लेकिन आज भी हमारे समाज में हमारे देश में ऐसे कई रावण पैदा हो रहे हैं। रावण ने तो सीता माता का हरण ही किया था पर कभी उन्हें स्पर्श नहीं किया था लेकिन आज के समय में ऐसे न जाने कितने रावण हर दिन देश के न जाने कितनी औरतों का हरण कर रहे हैं। आज का समय अधर्म अत्याचार और अपराध का है। ऐसे में दशहरे का त्यौहार मना कर हम अपने समाज के नैतिक पतन को रोकने का एक स्वर्णिम प्रयास कर सकते हैं।
तो आइए आज इस दशहरे के अवसर पर संकल्प लेते हैं कि ना अधर्म और अपराध करेंगे न इसे सहेंगे बल्कि एक अभियान चलाकर इन्हें रोकने का प्रयास करेंगे।
धन्यवाद !
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विजयादशमी व दशहरा पर कविता (Vijayadashami & Dussehra Poem in Hindi)
हे कलयुग के राम जगो ! रावण ने अधर्म मचाया है। कर्म न्याय की दुनिया पर, अब घना अंधेरा छाया है। हे कलयुग के राम जगो ! यह नर ही अब नरभक्षी हैं, संकट इनसे ही इन पर है। वसुधा पापों से भरी हुई, सौ नरकों से भी बदतर है। यह संकट निशा मिटा दो ना, फिर आज दशहरा आया है। हे कलयुग के राम जगो! अब घना अंधेरा छाया है। रघुनाथ आप तो बसते हैं, इस सृष्टि के हर कण कण में। फिर धनुष उठा कर हाथों में, आ जाओ जगति के रण में। अब कलयुग की हर सीता ने, रघुनाथ तुम्हें बुलाया है। हे कलयुग के राम जगो! अब घना अंधेरा छाया है। – सौरभ शुक्ला
दशहरा का पर्व कब मनाया जाता हैं?
अश्विनी यानि की क्वार मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
रावण के दस सिर किसके प्रतिक हैं?
रावण के दस सिरों को दस विकारों व बुराईयों का प्रतिक माना गया है जिसमें
1. काम 2. क्रोध, 3. लोभ 4. मोह 5. घृणा 6. ईर्ष्या 7. वासना 8. द्वैष 9. अनैतिकता 10. अहंकार
हम रावण के अन्य नाम बताए?
लंकेश, लंकापति, दशानन, दशग्रीव