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दीपावली व दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) दिवाली कब है? महत्व, शुभ मुहूर्त 2022

दिवाली पर निबंध, भाषण व महत्व, शुभ मुहूर्त, संयोग (Diwali Puja Muhurat 2022 kab hai, Importance of Deepawali, Speech, Essay on Diwali in Hindi)

दीपावली व दिवाली हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्यौहार है जिसे दीपों का त्यौहार भी कहा जाता है। यह त्यौहार दीप और पटाखों के साथ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

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इस दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई करके रंगोलियां बनाते हैं और चारों ओर दीपक जलाकर घरों को सजाते हैं। दीपावली के अवसर पर गणेश जी माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि दीपावली के दिन ही प्रभु श्री राम वनवास से अयोध्या वापस लौट कर आए थे।

दिवाली शब्द का मतलब दीपों की श्रृंखला होता है। इस त्यौहार को पूरे भारत में व्यापक स्तर पर मनाया जाता है। इसकी चहल-पहल चार-पांच दिन पहले से ही शुरू हो जाती है और दीपावली के दिन पूरा भारत दीपों के रंग में रंग जाता है।

दिवाली हमारे भारत में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है। दिवाली के दिन प्रभु श्री राम के वनवास से वापस लौटने के अलावा अन्य कई महत्वपूर्ण घटनाओं की मान्यताएं भी प्रचलित है। दिवाली का दिन ही महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस माना जाता है। इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि कृष्णा अवतार में भगवान कृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस का संघार किया था।

इन सभी कारणों से असत्य पर सत्य और धर्म की विजय के रूप में दीपावली के त्यौहार की खुशियां मनाई जाती हैं। दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जिसे ना केवल हिंदू धर्म वाले मनाते हैं बल्कि अन्य धर्म वाले भी बड़ी धूमधाम से मनाते हैं जिनमें जैन बौद्ध और सिख आदि शामिल हैं।

आज इस आर्टिकल के जरिए दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) के बारे में बताते हैं इसके साथ ही। आपको बता दें कि इस साल 2022 में सूर्य ग्रहण के चलते दीपावली में लक्ष्मी माता के पूजन इत्यादि के कुछ विशेष मुहूर्त माने जा रहे हैं जिनके बारे में हम इस आर्टिकल में चर्चा करेंगे।

Speech-Essay-on-Diwali-in-Hindi

इस साल सूर्य ग्रहण के कारण दिवाली पर बन रहे हैं विशेष संयोग –

इस बार 2022 में 24 अक्टूबर को पूरे देश में दिवाली मनाई जाएगी। लेकिन सूर्यग्रहण के कारण इस बार दिवाली के दिन कई विशेष संयोग भी बन रहे हैं।

दरअसल इस दिवाली दिवाली और नरक चतुर्दशी एक ही दिन पड़ रहे हैं। जिसे छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। भले ही इस बार दिवाली का त्यौहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा लेकिन अमावस्या की तिथि 24 और 25 अक्टूबर दोनों को पड़ेगी। और अमावस्या की तिथि में ही 25 अक्टूबर के दिन सूर्य ग्रहण भी लगेगा।

24 अक्टूबर को शाम 5 बज कर 28 मिनट पर नरक चतुर्दशी यानी कि छोटी दिवाली की तिथि समाप्त होगी और अमावस्या की तिथि आरंभ होगी। अमावस्या की तिथि के आरंभ के साथ ही 24 अक्टूबर को दीपावली का त्यौहार मनाया जाएगा।

हालांकि यह तिथि 25 अक्टूबर को भी रहेगी लेकिन 25 अक्टूबर को शाम 4:29 पर सूर्य ग्रहण लगेगा जो 5 बज कर 22 मिनट पर समाप्त होगा। लेकिन सूर्य ग्रहण लगने के 12 घंटे पूर्व ही सूतक काल लग जाता है जो कि अशुभ माना जाता है। 24 अक्टूबर को रात 11 बज कर 28 मिनट पर ही सूतक काल आरंभ हो जाएगा जिसके बाद अशुभ घड़ी में यह त्यौहार नहीं बनाया जा सकता।

यही कारण है कि 25 अक्टूबर को ज्यादा समय तक अमावस्या की तिथि होने के बावजूद 24 अक्टूबर को ही दिवाली मनाई जाएगी।

दिवाली कब है? शुभ मुहूर्त 2022 (Diwali Puja Muhurat 2022)

कार्तिक अमावस्या प्रारम्भ24 अक्टूबर शाम 06:03 बजे से 02:44 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त24 अक्टूबरप्रातः 11:19 से दोपहर 12:05 तक
विजय मुहूर्त24 अक्टूबर01:36 से 02:20 तक
लक्ष्मी पूजन24 अक्टूबर06:53 से रात 08:16 तक
निशीथ काल (विशेष पूजन लक्ष्मी सिद्धि)24 अक्टूबर08:19 से 10:55 तक
महानिशीथ काल10:55 से 01:30 तक

दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi)

दिवाली को दीपों का त्योहार कहा जाता है। यह त्यौहार भारत और हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है जिसे न केवल हिंदू धर्म के लोग बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी अपनी आस्था के रूप में मनाते हैं।

दीपावली के त्यौहार को अधर्म पर धर्म असत्य पर सत्य और अंधेरे पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अंधेरे मिटाने के लिए जगह-जगह दीप जलाए जाते हैं और घरों को सजाया जाता है। इस अवसर पर घर की महिलाएं घर की साफ सफाई करके रंगोलियां भी बनाती हैं और बच्चे पटाखे फोड़ कर अपना मनोरंजन करते हैं।

दीपावली शब्द का तात्पर्य दीपों की श्रृंखला से है जो दो शब्दों से मिलकर बना है दीप + आवली। दीप का अर्थ दीपक होता है और आवली का अर्थ श्रृंखला। अपने नाम के अनुरूप ही इस त्यौहार को दीप प्रज्वलन के जरिए मनाया जाता है।

कब मनाई जाती है दिवाली?

हिंदू पंचांग के मुताबिक दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच मनाया जाता है। अमावस्या के दिन दिवाली के अवसर पर लोग अपने घरों में खेतों खलिहान में दीया जलाकर अमावस्या के अंधेरों को मिटा देते हैं।

दिवाली के अवसर पर लक्ष्मी माता और गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके अलावा दीपावली के दिन कुबेर की भी पूजा की जाती है। लक्ष्मी माता को धन और वैभव की देवी माना जाता है जबकि कुबेर को वैभव का रक्षक माना जाता है। इसलिए दीपावली के दिन लोग लक्ष्मी और गणेश की पूजा करते हैं।

क्यों मनाई जाती है दिवाली?

दिवाली को हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्योहार माना जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक दीपावली के दिन ही भगवान श्री राम अपना 14 वर्षों का वनवास पूरा करके भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ अयोध्या में वापस लौट कर आए थे।

जब अयोध्या वासियों को इस शुभ संदेश के बारे में पता चला तो उन्होंने प्रभु श्री राम का स्वागत करने के लिए पूरी अयोध्या को दीपों से सजा दिया। तभी से दीपावली के अवसर पर दीपों से घर को सजाने की परंपरा चली आ रही है।

दिवाली को महावीर स्वामी का निर्माण दिवस माना जाता है जबकि हिंदू धर्म की ही एक और मान्यता के मुताबिक इसी दिन कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इसके अलावा भी कई अन्य मान्यताएं प्रचलित हैं। यही कारण है कि दीपावली का त्यौहार बौद्ध जैन सिख और अन्य धर्मों द्वारा भी मनाया जाता है।

दिपावली का त्यौहार, एक नहीं पांच दिन तक मनाते है।

दीपावली का त्यौहार हिंदु का सबसे महत्वपूर्ण व पवित्र महापर्व है यह पांच दिन तक बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह धनतेरस से शुरु होकर भैया दूज तक पांच तीन तक लगातार चलता है।

पहला दिन- धनतेरस – इस दिन बर्तनों व सोने-चांदी के आभूषणों को खरीदा जाता है। इस दिन कुछ नया सामान अवश्य खरीदा जाता है इससे घर में बरकत व लक्ष्मी का वास होता है।

दूसरा दिन – छोटी दिपावली – इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था। यह दिन दरिद्रता को दूर करने वाला दिन है। इस दिन घरों की धुलाई आदी करके, लाइटोे व झारलो से सजावट की जाती है।

तीसरा दिन – दीपावली का यह दिन मुख्य और प्रमुख दिवस होता है। लक्ष्मी, गणेश व कुबेर की पूजा की जाती है मिठाईयों व अन्य स्वादिष्ट चिजों का भोग लगाया जाता है। घरों में दीपाें को प्रज्जवल्लित किया जाता है।

चौथा दिन – गोवर्धन पूजा- इस दिन ग्रामवासियों को भीषण वर्षा व तूफान से बचाने के लिये भगवान श्रीकृष्ण ने अपने एक हाथ की अंगुली पर गोवर्धन नाम का पर्वत उठा लिया था। इस दिन गोबर के पर्वत का निर्माण करके उसकी पूजा की जाती है।

पांचवा दिन – भैया दूज – यह दिन भाई-बहन के प्यार के पर्व भाई-दूज के रुप में मनाया जाता है। बहन अपने भाईयों की रक्षा हेतु उन्हें एक रक्षा-सूत्र में बांधती है।

सामानों की खरीद पर मिलती है धमाकेदार छूट –

भारत में दिवाली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। दीपावली के अवसर पर लोग नए कपड़े खरीदते हैं और अपनों के लिए गिफ्ट की खरीददारी भी करते हैं।

दीपावली के 2 दिन पहले त्रयोदशी की तिथि पड़ती है जिसे धनतेरस के नाम से जानते हैं। हिंदुओं की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन धातुएं जैसे कि सोना चांदी या फिर बर्तन और नए कपड़े खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इसी कारण दीपावली के 2 दिन पहले धनतेरस से ही दुकानों पर भीड़ लगी रहती है।

इस त्यौहार के मौके पर दुकान शॉपिंग मॉल और ऑनलाइन शॉपिंग पर लोगों को विशेष छूट दी जाती है। इस बात से यह साफ स्पष्ट होता है कि यह त्यौहार ना केवल धर्म और आस्था में बढ़ोतरी करता है बल्कि व्यापार और अर्थव्यवस्था में भी भरपूर योगदान देता है।

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FAQ

दिवाली का शुभ मुहूर्त कब है?

24 अक्टूबर 2022 को शाम 06:53 से रात 08:16 तक

दीपावली हर वर्ष कब मनाई जाती है?

दीपावली प्रत्येक वर्ष हिंदी कलेंडर के अनुसार कार्तिक माह(अक्टूबर, नवम्बर) की अमावस्या को मनाया जाता है।

25 अक्टूबर में सूर्य ग्रहण कब है?

25 अक्टूबर को शाम 4:29 पर सूर्य ग्रहण लगेगा जो 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।

इस बार छोटी दिवाली कब है?

इस बार दीपावाली और छोटी दिवाली एक ही दिन 24 अक्टूबर को पड़ रही हैं। जिसे नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।

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