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कब है कार्तिक पूर्णिमा की देव दीपावली – जानिए देव दीपावाली पर दीपदान का महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त | Kab hai Kartik Purnima 2025

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आज की पोस्ट में हम बात करेंगे। कब है कार्तिक पूर्णिमा, जानें पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त (Kab hai Kartik Purnima 2025, Date, time, Importance, story facts in hindi) 

हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि देव दीपावली के तौर पर मनाई जाती है। इसी दिन सिक्ख धर्म के गुरु और प्रवर्तक गुरु नानक देव की जयंती भी मनाई जाती है।

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कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन स्नान व दीपदान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती हैं। भगवान शिव की नगरी काशी में कार्तिक पूर्णिमा देवताओं की दीवाली यानी देव दीपावली के नाम से जानते हैं। यह दिन बड़े ही धूमधान व भव्य तरीके से मनाया जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी का जन्म दिवस होता है इसे सिख समुदाय प्रकाश पर्व के रुप में मनाते है।

ऐसे में आपके मन में जिज्ञासा हो रही होगी की कार्तिक पूर्णिमा व देव दीपावली क्या है? इसकी पूजा विधि क्या है महत्व क्या है शुभ मुहूर्त क्या है ऐसे तमाम सवालों के जवाब हम इस आर्टिकल मे देंगे।

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कब है कार्तिक पूर्णिमा 2025

इस बार कार्तिक पूर्णिमा का त्यौहार 5 नवंबर 2025 को हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बार पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 नवंबर 2025 की रात 11 बजकर 37 मिनट पर प्रारंभ होगी।

जबकि इसका समापन 5 नवम्बर 2025 संध्या में 6 बजकर 49 मिनट पर होगा। कार्तिक पूर्णिमा का त्यौहार 5 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा।

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कार्तिक पूर्णिमा पर कब होगा दीपदान

कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान संध्याकाल में होगा इसका शुभ मुहूर्त 5:24 पर शुरू होगा यह समय दीपदान करने का सबसे अच्छा समय हैI चंद्रमा की पूजा की जाएगी और साथ में उसके दर्शन भी किए जाएंगे इसे हम लोग देव दीपावली के नाम से भी जानते हैंI इस दिन दीपदान का मुहूर्त रात 07:05 पर समाप्त हो जाएगी।

कार्तिक पूर्णिमा व देव दीपावली की मान्यताएं व कथा

कार्तिक माह की पूर्णिमा को त्रिपुरारी कार्तिक पूर्णिमा भी कहते है ऐसी मान्यता है त्रिपुरासुर नाम के राक्षस ने बह्मा जी का घोर तप करके अमरता का वरदान प्राप्त कर लिया था। इसके पश्चात उसने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था। देवताओं में त्रहि-त्रहि मच गई थी। भगवान विष्णु ने वरदान के कारण उसका वध नहीं किया। फिर देवताओं के आग्रह पर भगवान शिव ने अर्द्धनारिश्वर रुप धारण करके राक्षस का वध किया। जिससे सभी देवता काफी खुश हुए और उन्हें पृथ्वी लोक पर आकर काशी में दीप जलाया था जिसके कारण काशी पूरी तरह से जगमग हो गया था यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है।

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दीपदान का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में किसी भी नदी या तालाब में अगर आप दीपदान करते हैं तो वह काफी शुभ माना जाता है ऐसा कहा जाता है क्या गरीब दिन आप दीप दान करेंगे तो आपके घर में सुख समृद्धि और यश आएगा और आपके घर का माहौल हमेशा खुशहाल रहेगा I

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कार्तिक पूर्णिमा का पूजा विधि

इस दिन सुबह प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर गंगा नदी या तालाब जाकर आपको स्नान करने से कई सौ यज्ञों के बराबर फल मिलता हैं। यदि आप अपने स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करनें से भी पुण्यफल की प्राप्ति होती है।

इसके पश्चात आपको भगवान विष्णु पूजा व हवन आदि करने का विधान है। दीपदान नदिया तलाब में जाकर करना चाहिये। तो आप किसी पवित्र स्थान व मंदिर में जाकर भी दीप दान कर सकते हैं। इस दिन विधि विधान से सत्य नारायण भगवान की कथा व पूजा किया जाता है।

ऐसा करेंगे तो आपके ऊपर उनके विशेष कृपा व समृद्धि प्राप्त होती है। क्योंकि भगवान विष्णु ने इसी दिन मत्स्य अवतार लिया था। इसीलिए ऐसी मान्यता है कि जो व्यत्तिफ़ इस दिन गंगा स्नान करता है उसे भगवान विष्णु का निवास स्थान बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।

कार्तिक पूर्णिमा पर कौन से काम ना करें

  • मांस, मदिरा, प्याज व लहसुन का का सेवन ना करें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करें।
  • कार्तिक पूर्णिमा पर जमीन पर सोए नहीं तो चंद्रदेव नाखुश हो जाएंगे।
  • वाद-विवाद का हिस्सा न बनें।
  • किसी असहाय, बुजुर्ग या गरीब के लिए अपशब्दों का प्रयोग भूलकर भी ना करें।

कार्तिक पूर्णिमा पर कौन सा काम करें

  • अन्न या धन का दान अवश्य करें।
  • इस दिन दीपदान जरूर करें इससे आपको यश और कृति की प्राप्ति होगी ।
  • इस दिन माता लक्ष्मी की अगर आप स्तुति करेंगे तो आपके पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहेगी।
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