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Rudraksha Benefits in Hindi: रुद्राक्ष धारण करने से पहले जान लें रुद्राक्ष पहनने के बाद के 5 खास नियम | जानिए रुद्राक्ष पहनने के फायदे, नियम एवं संपूर्ण जानकारी

रुद्राक्ष क्या होता है? रुद्राक्ष की उत्पत्ति, असली रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें, रुद्राक्ष को धारण करने के नियम, रुद्राक्ष कब पहनना चाहिए (All Information about Rudraksha in hindi, Rudraksha Benefits In Hindi & Origin of Rudraksha in Hindi) रुद्राक्ष को धारण करने के अद्भुत फायदे, कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए?

रुद्राक्ष की माला लगभग हम सभी ने कभी न कभी देखी होगी। लेकिन शायद बहुत कम ही लोग ऐसे होंगे जिन्हें रुद्राक्ष माला के बारे में कुछ खास जानकारी होगी।

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धार्मिक मान्यताएं हमें रुद्राक्ष की माला पहनने का सुझाव देती हैं, क्योंकि रुद्राक्ष के कई धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व हैं। लेकिन हमें रुद्राक्ष की माला पहनने के साथ-साथ इसके फ़ायदे और महत्व के बारे में भी जानना चाहिए।

तो आइए आज हम इस लेख के जरिए बताते हैं कि आखिर रुद्राक्ष क्या होता है ? रूद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई ? कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ? रुद्राक्ष के  फायदे क्या हैं ? रुद्राक्ष से जुड़े कई महत्वपूर्ण रोचक तथ्य, तथा रुद्राक्ष का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व!

विषय–सूची

रुद्राक्ष से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी (All Information about Rudraksha in hindi)

रुद्राक्ष क्या होता है? (What is Rudraksha in Hindi)

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रुद्राक्ष एक प्रकार की सदाबहार वनस्पति से प्राप्त होता है जिसका तना बेहद कठोर होता है।

इस वृक्ष में रुद्राक्ष के सफेद फूल लगते हैं, इस वृक्ष में जब फल आता है तो शुरुआत में हरा दिखाई देता है लेकिन जब यह फल पक जाता है तो नीला रंग ले लेता है।

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सूखने के बाद यही नीला रंग का रुद्राक्ष फल काले रंग में बदल जाता है तथा इसी फल की गुठली से रुद्राक्ष प्राप्त किया जाता है।

रुद्राक्ष फल की गुठली में कई दरार जैसी धारियां होती हैं जिन्हें रुद्राक्ष का मुख कहा जाता है। रुद्राक्ष के इन मूर्खों की संख्या 1 से लेकर 14 तक हो सकती है।

रुद्राक्ष का संबंध भगवान शिव से भी मना जाता है। इस रुद्राक्ष को भगवान शिव का आशीर्वाद मानते हुए हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को अत्यंत महत्व दिया जाता है, और इसकी पूजा की जाती है।

रुद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है पहला रुद्र (शिव) और दूसरा अक्ष (आंसु) है। ऐसा कहा जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रु कण से हुई है। कहा जाता है, कि रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति के ऊपर भगवान शिव की कृपा बनी रहती हैं।

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रुद्राक्ष की उत्पत्ति (Origin of Rudraksha in Hindi)

रुद्राक्ष की धार्मिक एवं पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसकी उत्पत्ति भगवान शिव से हुई है। इसलिए इसे भगवान शिव का प्रसाद माना जाता है।

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भगवान शिव द्वारा कई वर्षों तक तपस्या करने के बाद किसी कारणवश आंख खुलने पर उनकी आंख से गिरे एक आंसू के कण से रुद्राक्ष वृक्ष की उत्पत्ति हुई।

तभी से रुद्राक्ष को पवित्र और पूजनीय माना जाने लगा।

असली रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें? (How To Recognise Original Rudraksha in Hindi) –

अगर आप असली रुद्राक्ष का पता लगाना चाहते हैं‌। तो आप कई तरीकों से पता लगा सकते हैं, जो इस प्रकार है-

  • नकली रुद्राक्ष पानी में डालने पर तैरता रहता है, जबकि असली रुद्राक्ष पानी में डालने पर वह डूब जाता है।
  • अगर आप रुद्राक्ष की असली पहचान करना चाहते हैं तो रुद्राक्ष को किसी नुकीली चीज से कुरेदे अगर कुरेदने पर रेशे जैसे निकले तो समझो यह असली रुद्राक्ष है।
  • सरसों के तेल में असली रुद्राक्ष को डूबने पर वह कलर नहीं छोड़ेगा जबकि नकली रुद्राक्ष कलर छोड़ने लगता है।

रुद्राक्ष माला पहनने के नियम —

रुद्राक्ष  बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है। इसलिए हमें हमेशा इस बात का ध्यान देना चाहिए कि रुद्राक्ष को कभी भी स्नान करके शुद्ध हाथों से ही छूना और धारण करना चाहिए।

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रुद्राक्ष पहनने से पहले रुद्राक्ष के नियमों को जानना अत्यंत आवश्यक है,जो निम्नलिखित इस प्रकार हैं-

  • रुद्राक्ष को धारण करते समय ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण अवश्य करना चाहिए।
  • रुद्राक्ष को लाल या पीला रंग के धागे में ही पहने।
  • पंडित के द्वारा किए गए प्राण प्रतिष्ठा के बाद उन्हें दक्षिणा देकर रुद्राक्ष पहने।
  • रुद्राक्ष की माला अपने पैसे से खरीदे और उसे कभी भी गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए।
  • रुद्राक्ष की माला सदैव सही मुहूर्त में धारण करनी चाहिए वरना इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं।

रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम –

  • रुद्राक्ष की माला पहनने के बाद मांस मदिरा का सेवन वर्जित माना जाता है। इसलिए रुद्राक्ष की माला पहनने के बाद मांस मदिरा का सेवन त्याग देना चाहिए वरना इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं।
  • किसी व्यक्ति की पहनी गई रुद्राक्ष माला को भी कभी धारण नहीं करना चाहिए। हमेशा नई रुद्राक्ष माला धारण करें।
  • सोते समय रुद्राक्ष की माला उतार कर रख देनी चाहिए एवं पुनः सुबह स्नान करने के बाद धारण कर लेना चाहिए।
  • रुद्राक्ष की माला पहनने के बाद, भोजन, वाणी तथा स्वभाव तीनों में सात्विकता रखनी चाहिए। रुद्राक्ष पहनने के बाद गलत शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • मान्यता अनुसार शौच के दौरान भी रुद्राक्ष की माला उतार देनी चाहिए तथा पुनः शुद्धि के बाद धारण करना चाहिए।

अपनी राशी के अनुसार धारण करें रुद्राक्ष –

  1. मेष राशि वालों को तीन मुखी रुद्राक्ष
  2. वृष राशि वालों को छह या दस मुखी रुद्राक्ष
  3. मिथुन राशि वालों को चार या ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
  4. कर्क राशि वालों को चार मुखी और गौरीशंकर रुद्राक्ष
  5. सिंह राशि वालों को एक मुखी रुद्राक्ष
  6. कन्या राशि वालों को गौरीशंकर रुद्राक्ष
  7. तुला राशि वालों को सातमुखी रुद्राक्ष
  8. वृश्चिक राशि वालों को आठ और तेरह मुखी रुद्राक्ष
  9. धनु राशि वालों को पांच मुखी रुद्राक्ष
  10. मकर राशि वालों को  दस मुखी रुद्राक्ष
  11. कुंभ राशि वालों को सात मुखी रुद्राक्ष
  12. मीन राशि वालों को एक मुखी रुद्राक्ष

रुद्राक्ष माला पहनने के फायदे– ( Rudraksha Benefits in Hindi)

रुद्राक्ष पहनने के कई सारे फायदे और चमत्कारी लाभ होते हैं जो इस प्रकार हैं-

  • मनुष्य की कई शारीरिक समस्याएं रुद्राक्ष पहनने से दूर होती है।
  • वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार, रुद्राक्ष पहनने से ह्रदय रोग से पीड़ित लोगों को कई लाभ होते हैं।
  • रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति के मन में सकारात्मकता का जन्म होता है तथा नकारात्मकताएं दूर हो जाती हैं।
  • रुद्राक्ष धारण करने से हृदय की गति सामान्य रहती है तथा रक्तचाप भी नियमित होता है।
  • रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन में धन के साथ-साथ सुख समृद्धि बनी रहती है।
  • धार्मिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति का भाग्य उदय होता है और उसके पाप भी नष्ट होते हैं।

रुद्राक्ष के प्रकार तथा इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य (All Information about Rudraksha in hindi)

सामान्यता हम सभी पंचमुखी रुद्राक्ष के बारे में ही जानते हैं, परंतु शिव पुराण में एक मुखी से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष के बारे में वर्णन किया गया है। सभी रुद्राक्षों का अपना अलग-अलग प्रभाव होता है, जिनके कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं-

एक मुखी रुद्राक्ष –

साक्षात भगवान शिव का स्वरूप एक मुखी रुद्राक्ष होता है। लक्ष्मी का स्वरूप, एक मुखी रुद्राक्ष को कहने के साथ -साथ मोक्ष प्रदान करने वाला भी कहा जाता है।

एक मुखी रुद्राक्ष सूर्य के नकारात्मक प्रभाव को दूर करके शुभ फल की प्राप्ति देता है।

दो मुखी रुद्राक्ष-

दो मुखी रुद्राक्ष अर्धनारीश्वर भगवान शिव और पार्वती का रूप है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से अनेक व्याधियों शरीर की दूर होती हैं, और मोक्ष की प्राप्ति होते हैं।

तीन मुखी रुद्राक्ष-

 त्रिमुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा, विष्णु,महेश और अग्नि देव का स्वरूप है। इस रुद्राक्ष का धारण रक्त विकार से मुक्ति और बुद्धि विकास के लिए किया जाता है।

चार मुखी रुद्राक्ष-

चतुर्मुखी रुद्राक्ष सभी जातियों के लोग धारण कर सकते हैं, यह साक्षात ब्रह्म देव का स्वरूप माना जाता है। या रुद्राक्ष मोक्ष,धर्म,काम,अर्थ की प्राप्ति के लिए धारण किया जाता है।

पांच मुखी रुद्राक्ष-

पंचमुखी रुद्राक्ष पंच तत्वों का प्रतीक और पंच ब्रह्मा का स्वरूप है। लीवर व जंगा की बीमारियों से मुक्ति पाने के साथ-साथ सिद्धिदायक,पुण्यदायक, आयुवर्धक, सर्वकल्याणकारी, स्वास्थ्यवर्धक, हेतु धारण किया जाता है।

छः मुखी रुद्राक्ष-

यह रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का स्वरूप है, और इस रुद्राक्ष को धारण करने से लोभ, मोह, काम,क्रोध आदि पर नियंत्रण होता है।

सात मुखी रुद्राक्ष-

सात मुखी रुद्राक्ष मृत्यु से छुटकारा दिलाने के साथ-साथ व्यक्ति को अहंकार से बचाता है। यह रूद्राक्ष कामदेव का स्वरूप माना गया है।

आठ मुखी रुद्राक्ष –

अष्ट मुखी रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति की रक्षा 8 देवियां करती हैं।और यह रुद्राक्ष भगवान गणेश का स्वरूप है, और इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को समाज में मान सम्मान मिलता है।

नौ मुखी रुद्राक्ष –

इस रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य मनुष्य के अंदर वीरता धीरता सहनशीलता आदि की शक्ति बढ़ती है। यह रुद्राक्ष भगवती दुर्गा का स्वरूप है।

दस मुखी रुद्राक्ष-

इस रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य को दसों देवताओं की दिव्य शक्ति प्राप्त होती है। और वह मनुष्य सभी बाधाओं से मुक्त रहता है, यह रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरूप है।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष –

एकादश मुखी रुद्राक्ष भगवान शंकर के 11 रूप बजरंगबली का प्रतीक है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को संसार के सभी सुख और संतान की प्राप्ति होती है।

बारह मुखी रुद्राक्ष-

ज्योतिष के अनुसार इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति के सुरेश जनित रोग दूर होता है। यह आदित्य रुद्राक्ष के नाम से भी जाना जाता है।

तेरह मुखी रुद्राक्ष-

साक्षात इंद्र का स्वरूप त्रयोदशी मुखी रुद्राक्ष को माना जाता है। शुक्र ग्रह का सामना इस रुद्राक्ष का प्रभाव करता है और यह रुद्राक्ष कामना पूर्ति करता है।

चौदह मुखी रुद्राक्ष-

भगवान हनुमत के नाम से रुद्राक्ष जाना जाता है, यह रुद्राक्ष हनुमान का ही स्वरूप है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर होती है।

रुद्राक्ष का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व (Religious and Scientific Singnificance Of Rudraksha In Hindi)

रुद्राक्ष का धार्मिक ग्रंथों के साथ-साथ  वैज्ञानिक मे भी महत्वपूर्ण माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसे धारण करने से मनुष्य के बड़े-बड़े रोग ठीक हो सकता है।

इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा की वैज्ञानिक शोध के अनुसार रुद्राक्ष मनुष्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और मनुष्य के मस्तिष्क के लिए रुद्राक्ष धारण करना बहुत ही फायदेमंद होता है।

रुद्राक्ष में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पावर होने के नाते यह हमारे शरीर पर जादुई रूप से काम करता है। शरीर को स्थिर कर रुद्राक्ष हमारे दिल और इंद्रियों पर प्रभाव डाल कर समस्याओं को हल करता है।

शरीर की नसों की रुकावट को रुद्राक्ष दूर करता है, रक्तचाप को नियमित बनाता है जिससे हृदय की गति सामान हो जाती है।

रुद्राक्ष की माला पहनने से हार्ट अटैक  जैसी गंभीर  बीमारियां दूर हो जाती है।

रुद्राक्ष कब पहनना चाहिए?

रुद्राक्ष धारण करने के लिए पूर्णिमा अथवा अमावस्या की तिथि सीट मानी जाती है। इसके अलावा सोमवार के दिन भी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है।

केवल इतना ही नहीं भगवान शिव के सावन महीने में रुद्राक्ष को पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है। अगर आप श्रावण मास में रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं तो सावन के सोमवार के दिन अथवा सावन की शिवरात्रि तिथि पर रुद्राक्ष धारण करें।

कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए –

रुद्राक्ष पहनने से मनुष्य को कई सारे लाभ होते हैं, रुद्राक्ष मनुष्य को सकारात्मक परिणाम देता है।तो आइए जानते हैं कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए और इसके क्या परिणाम होते हैं।

1. कौन सा रुद्राक्ष धारण करना सबसे अच्छा माना जाता है?

सबसे अच्छा पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना माना जाता है, यह रुद्राक्ष पहनने से आपके जीवन में अच्छा भाग्य लाने के साथ-साथ घर में सुख, समृद्धि भी आती है।

2. रुद्राक्ष कितने दिनों में अपना असर दिखाता है?

रुद्राक्ष पहनने का प्रभाव 7 दिनों में दिखाने लगता है।

3. सबसे अच्छा रुद्राक्ष धारण कहां करना माना जाता है?

गले में रुद्राक्ष को धारण करना सर्वोत्तम माना जाता है। अगर आप गले में रुद्राक्ष की माला धारण करते हैं, तो एक माला में 108 मनके होते हैं। कलाई में 12 रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

4. रुद्राक्ष धारण करने के बाद क्या नहीं खाना चाहिए?

कुछ नियमों का पालन रुद्राक्ष पहनने के बाद अवश्य करना चाहिए। नहीं तो यह हमारे लिए अशुभ होने लगता है, जैसे-रुद्राक्ष पहनने के बाद, मांस, मछली शराब आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

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