Farmer Shekhar Tripathi Success Story: यह बात तो सब जानते हैं कि हमारे भारत में दिन प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में सरकार ने जनसंख्या का पेट भरने के लिए किसानों को रासायनिक खेती करने के लिए बिल्कुल विवश कर दिया है । क्योंकि आज हमारे भारत देश में भले ही अनाज का उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ खेती की मिट्टी भी खराब हो रही है ।
जिसकी वजह से फसल इतनी अच्छी नहीं हो पाती है। जितनी किसान मेहनत करते हैं। क्योंकि खेती में हम इसके दुष्परिणाम खुलकर सामने आ रहे हैं, जिसकी वजह से अब किसान गौ आधारित खेती की तरफ बढ़ते जा रहे हैं।
आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बात करेंगे जिसका सपना तो कुछ और ही करने का था। मगर अब वह 10 एकड़ के फॉर्म में पूरी तरीके से गौ आधारित प्राकृतिक खेती करते हैं ।
वहीं उन्होंने प्राकृतिक खेती का एक ऐसा मॉडल बनाया है, जिसकी बदौलत से न सिर्फ हो उनका उत्पादन बड़ा है बल्कि मिट्टी की सेहत में भी बहुत ही सुधार आया है। अगर आप इस व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप हमारे साथ इस आर्टिकल के अंदर तक ऐसे ही बने रहिए। हम आपको इस व्यक्ति से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें, आपको विस्तार से बताएंगे।
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इस व्यक्ति का सपना था आईएएस बनने का बन गए किसान (Farmer Shekhar Tripathi Success Story)
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जिस व्यक्ति की हम बात कर रहे थे, उनका नाम शेखर त्रिपाठी है। जिनकी उम्र 47 साल है। शेखर त्रिपाठी रायबरेली श्रीनिवास करते हैं। जिनका पहले बहुत बड़ा सपना था कि वह आईएएस अधिकारी बनेंगे। लेकिन नीति को कुछ और ही मंजूर था ।
शेखर त्रिपाठी ने आईएएस बनने के लिए बहुत तैयारी की। उनका कहना है कि उन्होंने एक कोचिंग सेंटर भी खोला था। जो उनका बिल्कुल भी नहीं चला। फिर उसके बाद शेखर त्रिपाठी ने खेती की तरफ अपना रुझान किया और उन्होंने रायबरेली जनपद के सरोज में 10 एकड़ की बंजर भूमि को खरीद लिया और उसे उपजाऊ बनाया।
फिर वहां पर 100 गायों के साथ एक गौशाला भी खोली इसे शेखर त्रिपाठी को सिर्फ ना दूध उत्पादन हुआ, बल्कि उन्होंने गाय के गोबर मूत्र के तीन दिन की खाद का भी वह निर्माण करने लगे। आज के समय में शेखर त्रिपाठी ऐसी कई तरह के प्राकृतिक अनाज उगते हैं, जिसको बाजार में अच्छे दामों पर बेचा जा सकता हैl
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चमत्कारी तालाब के पानी में खेती की मिट्टी भी हो जाती है सोना
यह बात तो आप सब जानते हैं कि किसान जब कोई फसल खेती में उगाता है, तो उस फसल के ऊपर खाद भी छिड़कना जरूरी होता है । इसीलिए किसान बाजार से खाद खरीद कर लाते हैं। लेकिन कई बार खाद की वजह से फसल खराब हो जाती है,क्योंकि जो बाजार में खाद मिलती है उसमें बहुत सी मिलावट होती है ।
जिसकी वजह से बहुत बार फसल खराब हो जाती है । लेकिन शेखर त्रिपाठी ने जब खेती करना शुरू किया, तो उन्होंने गाय के गोमूत्र और गोबर की खाद बनाना शुरू की। वही रायबरेली जनपद के सरोज में 10 एकड़ के फॉर्म में खेती करने वाले शिखर त्रिपाठी ने एक ऐसा मॉडल बनाया, जिसकी तारीफ और सरकार भी कर रही है।
उन्होंने 2017 में 10 एकड़ जमीन में गौशाला बनाया और वहीं दूसरी तरफ एक 2000 स्क्वायर वायर फिट का तालाब भी बनाया और फिर खाद की पाइप और पानी की पाइप को एक पाइप के माध्यम से जोड़ दिया। जिसकी वजह से पानी के साथ-साथ खेती में गोबर और गोमूत्र भी पहुंचा जा रहा है ।
जिसकी वजह से इस तालाब का पानी खेती के लिए एक अमृत जैसा बन गया है। उसके बाद शेखर त्रिपाठी ने किसानों को भी बताया कि जब उन्होंने इस पानी से अपनी खेती की सिंचाई की तो उससे उनकी फसल का न सिर्फ उत्पादन बड़ा बल्कि मिट्टी में कार्बनिक तत्वों की मात्रा भी एक प्रतिशत से ज्यादा हो गई है । जो की किसी चमत्कार से कम नहीं है।
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पहले करते थे बारिश के पानी का सिंचाई के लिए इस्तेमाल
शेखर त्रिपाठी का कहना है कि पहले वह तालाब के जरिए बारिश के पानी का इस्तेमाल करते थे । लेकिन उस पानी से उनकी फसल बिल्कुल भी अच्छी नहीं होती थी। फिर उनके दिमाग में इस पानी को गाय के गोबर और गोमूत्र से युक्त करके चमत्कारी खाद्य बनाने का विचार आया।
शेखर त्रिपाठी यह प्रयोग पिछले 5 सालों से कर रहे हैं और आज के समय में रासायनिक खाद के बराबर उनकी फसल का उत्पादन भी हो रहा है । वही फसल के साथ-साथ मिट्टी की सेहत में भी बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिला है और उस तालाब के पानी में वह अपने खेती की पर्याप्त सिंचाई भी अच्छे से कर लेते हैं।
अगर शेखर त्रिपाठी के पास कोई किसान इस मॉडर्न ट्रेनिंग के बारे में पूछने आता है, तो शिखर त्रिपाठी न सिर्फ उन्हें ट्रेनिंग देते हैं, बल्कि उन्हें वह संभव तरीके से मदद भी करते हैं।
हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से शेखर त्रिपाठी के बारे में जानकारी दी है कि कैसे वह आईएएस का सपना छोड़कर किसान बन गए हैं। शेखर त्रिपाठी का सपना था कि वह अपनी जिंदगी में आईएएस बनेंगे, लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया।
इसलिए उन्होंने हार नहीं मानी और खेती की तरफ ध्यान दिया। आईएएस न बनने के बाद भी आज शेखर त्रिपाठी को पूरी दुनिया में जाना जा रहा है कि कैसे उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से खेती को उपजाऊ बनाया।