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भगवान शिव के 11 रुद्रावतार के नाम क्या है? (11 Rudra Avatars of Lord Shiva in hindi)

11 Rudra Avatars of Lord Shiva in hindi: हिंदू धर्म के लोगों के द्वारा भगवान शिव जी के प्रति काफी आस्था है। वैसे तो ब्रह्मा, विष्णु और अन्य भगवानों के द्वारा धरती लोक की रक्षा के लिए अलग-अलग अवतार लिए गए हैं। जब संसार में पाप बढ़ा है, भगवान के द्वारा अलग-अलग अवतार लिए गए हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भगवान शिव जी के 11 रुद्र अवतार के बारे में जानकारी देने वाले हैं।

कहां जाता है कि जो भी भगवान शिव जी की सच्चे मन से पूजा कर लेता है, उस भक्त की सारी मनोकामना भगवान शिवजी पूरा करते हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हम इनके 11 रुद्र अवतार के बारे (11 Rudra Avatars of Lord Shiva in hindi) में जानेंगे। जो काफी मुख्य हैं।

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इसके अलावा यह भी जानेंगे कि किस प्रकार से इन रुद्र अवतार की पूजा करने से आपको फायदा होगा। पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

11 Rudra Avatars of Lord Shiva in hindi (भगवान शिव के 11 रुद्रावतार के बारे में यहां से जाने)

1. महाकाल

भगवान शिव जी ने संसार की रक्षा करने के लिए कई अवतार लिए है। लेकिन भगवान शिव जी के सबसे पहले अवतार महाकाल को माना जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस अवतार की शक्ति मां महाकाली को माना जाता है। महाकाल का विश्व प्रसिद्ध मंदिर भारत के मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित हैl

अगर आप अपने जीवन को एक दिशा देना चाहते हैं, सुख संपत्ति पाना चाहते हैं, तो जिंदगी में एक बार महाकाल के दर्शन करने उज्जैन जरूर जाना । उज्जैन में गढ़ कालिका क्षेत्र में मंदिर है। इसके अलावा गुजरात के पावागढ़ में भी महाकाली का मंदिर है। जहां पर हर वर्ष श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दे की मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में भी प्रसिद्ध है। हर साल यहां पर विदेशी भी दर्शन करने के लिए आते हैं। भगवान भोलेनाथ की कृपा सब पर बनी रहती है।

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2. वीर भद्र

शिव जी के रुद्रअवतार वीरभद्र की उत्पत्ति शिवजी की जटा से हुआ था। जब माता सती अपने पिता दक्ष प्रजापति के विशाल यज्ञ में भगवान शिव के लाख मना करने पर भी चली गई। जिसमें महाराज दक्ष ने अपने दमाद शिवजी को घोर अपमान करने लगे जिससे माता सति सहन नहीं कर सकी और यज्ञ के अग्निकुण्ड में अपनी आहुति दे दी। जिसके पश्चात शिवजी अपने प्रचण्ड रुप में आ गए और उन्होंने अपनी जटा से वीभद्र को प्रकट किया जिसने पूरा यज्ञ तहस नहस करते हुये राजा दक्ष का सिर काट दिया था। बाद में क्षमा मांगने पर बकरे का सिर लगाकर जीवनदान भी दे दिया था। यह शिवजी का प्रथम भयंकर अवतार था।

3. तारा

आपने कभी ना कभी तारा देवी मंदिर के बारे में तो सुनाई होगा या तारा देवी के बारे में सुना होगा। दरअसल यह भगवान शिव जी का दूसरा अवतार माना जाता है। भगवान शिव जी का दूसरा अवतार तारा है। इस अवतार में शक्ति तारा देवी है। पश्चिम बंगाल के वीरभूम में स्थित द्वारका नदी के पास ही यह मंदिर स्थित है। अगर आपने अब तक महाकाल के इस दूसरे रुद्र अवतार के दर्शन नहीं किए हैं, तो इस मंदिर में जरूर आना। आपका जीवन धन्य हो जाएगा। पूरे वर्ष यहां पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है।

4. बाल भुवनेश

भगवान शिव जी के तीसरे अवतार का नाम बाल भुवनेश है। इस अवतार की शक्ति को बाल भुवनेशी कहा जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि उत्तराखंड में भुवनेश्वरी का शक्तिपीठ है। अगर आप इस शक्तिपीठ में दर्शन करने के लिए आना चाहते हैं तो आप आ सकते हैं।

पूरे साल यहां दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को अनुमति होती है। यह मंदिर सतपुली से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम विलखेत के मध्य नारद गंगा के तट पर स्थित है। अगर आप यहां घूमने आना चाहते हैं, तो आ सकते हैं।

5. षोडश श्रीविद्येश

भगवान शिव जी के चौथा अवतार का नाम षोडश श्रीविद्येश है। इस अवतार की शक्ति को षोडशी श्रीविद्या माना जाता है। कहां जाता है भारतीय राज्य त्रिपुरा के उदयपुर के निकट राधा किशोरपुरा गांव के माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दाया पर गिर गया था। भगवान शिव जी का यह रुद्र अवतार भी सभी अवतार में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और प्रसिद्ध भी है। यहां भी दर्शन करने के लिए हर साल श्रद्धालु आते हैं।

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6. भैरव

भगवान शिव जी के पांचवें सबसे रुद्र अवतार के रूप में भैरव देव जी को माना जाता है। भगवान भोलेनाथ की सभी अवतारों में भैरव देव का अवतार सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। भैरव यानी पांचवें अवतार में शक्ति भैरवी गिरिजा मानी जाती है। अगर आप भगवान शिव जी इस रूप के दर्शन करना चाहते हैं, तो आप मध्य प्रदेश के उज्जैन में आ सकते हैं।

हर वर्ष श्रद्धालु यहां पर भैरव जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। उज्जैन के शिप्रा नदी पर भैरव पर्वत पर मां भैरवी का शक्तिपीठ बनाया गया है। जहां पर इनके ओष्ठ गिरे थे। वहीं पर ही मंदिर का निर्माण किया गया है।

हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गुजरात में गिरनार पर्वत पर स्थित भैरव के मंदिर को वास्तविक मंदिर मानते हैं और कहा जाता है कि वास्तव में यही पर ही मुख्य शक्तिपीठ है। अलग-अलग मान्यताओं के आधार पर अलग-अलग शक्तिपीठ माना जाता है।

7. छिन्नमस्तक

भगवान शिव जी का छठा अवतार छिन्नमस्तक को माना जाता है। इस अवतार की शक्ति देवी छिन्नमस्तक है। छिन्नमस्तिका का प्रसिद्ध मंदिर तांत्रिक पीठ के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यहां पर माता रानी का प्राचीन मंदिर स्थित था।

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लेकिन वह नष्ट हो गया था। लेकिन माता रानी की प्रतिमा वैसे की वैसे ही थी। इसीलिए यहां पर नए मंदिर का निर्माण किया गया है। यहां पर हर साल दर्शन करने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। अगर आप भी इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आना चाहते हैं, तो आप भी झारखंड की राजधानी रांची में आ सकती है और वहां से आगे इस मंदिर में दर्शन के लिए जा सकते हैं। इस शक्तिपीठ में दर्शन करने से आपको काफी पुण्य मिलेगा।

8. द्यूमवान

भगवान शिव जी के सातवें अवतार का नाम द्यूमवान है। भगवान शिव जी के 11 अवतार में से इस अवतार को भी सबसे शक्तिशाली अवतार के रूप में माना जाता है। इस अवतार की शक्ति देवी को धूमावती माना जाता है। यह शक्तिपीठ पीतांबर पीठ के प्रांगण में शामिल है।

पूरे भारत में धूमावती देवी का एकमात्र मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित है। यह मंदिर भी विश्व प्रसिद्ध है। यहां पर हर साल श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।

9. बगलामुख

भगवान शिव जी का आठवां अवतार बगलामुख है। इस अवतार की शक्ति को बगलामुखी देवी माना जाता है। 10 महाविद्याओं में से एक बगलामुखी के तीन शक्तिपीठ में से एक हिमाचल प्रदेश में स्थित है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में यह शक्तिपीठ स्थित है। कांगड़ा में स्थित यह शक्तिपीठ काफी ज्यादा फेमस भी है। आसपास के लोग वा अन्य दूर राज्य से भी श्रद्धालु यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं।

इसके अलावा मध्य प्रदेश के दतिया जिले में यहां एक और मंदिर स्थित है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के शाजापुर में भी एक अन्य शक्तिपीठ स्थित है। आप अगर दर्शन करने के लिए जाना चाहते हैं, तो इन तीनों जगह पर जा सकते हैं। तीनों ही जगह जाकर आपको अच्छा महसूस होगा और शांति मिलेगी।

10. मातंग

शिव के 11 अवतार में से नौंवा अवतार मातंग को माना जाता है। मातंग में शक्ति देवी मातंगी को माना जाता है। झाबुआ के मोढेरा में देविका प्रसिद्ध स्थान स्थित है। जहां पर दर्शन करने के लिए हर साल श्रद्धालु आते हैं।

11. कमल

भगवान शिव के 10 प्रमुख अवतारों में से एक कमल भी है। यह भगवान शिव जी का दसवां अवतार है। इस अवतार की शक्ति को कमला देवी माना जाता है। भगवान शिव जी का यह अवतार भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।

भगवान शिव जी के रुद्रावतार की पूजा करने से हर कष्ट होता है दूर

इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको भगवान शिव जी के 11 रुद्र अवतार (11 Rudra Avatars of Lord Shiva in hindi) के बारे में पूरी जानकारी दी है। हमने आपको यह बताया है कि भगवान शिव जी के रुद्रावतार से जुड़े शक्तिपीठ वा मंदिर कहां पर स्थित है और आप कैसे इनके दर्शन कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें, भगवान शिव जी के रूद्र अवतारों के लिए अलग-अलग मंत्र है और इन मंत्र का उच्चारण करने से और उनकी पूजा करने से आपकी हर दुख को दूर किया जा सकता है।

भगवान शिव जी के अगर इन रूद्र अवतारों को कि आप सच्चे मन से पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं। तो भगवान शिव जी आपसे काफी ज्यादा प्रसन्न हो जाएंगे और आपको आपकी मनोकामना पूरी कर देंगे। इसके अलावा आपके घर में सुख शांति आएगी और धन-धान्य में कमी कभी भी नहीं होगी।

उम्मीद करते हैं कि आपको हर एक रुद्रावतार के बारे में समझ में आ गया होगा। भगवान शिव जी के जो मुख्य 11 रुद्रावतार है, उनका अलग-अलग महत्व है और अलग-अलग शक्ति से जुड़े हुए है।

अगर आपको रुद्रावतार की पूजा अर्चना करनी है, तो सभी अवतार के आधार पर अलग-अलग मंत्र व पूजा विधि के आधार पर पूजा कर सकते हैं। इस पोस्ट को अन्य लोगों के साथ भी शेयर करना ताकि उन्हें भी भगवान शिव जी के इन सभी मुख्य रुद्रावतार के बारे में जानकारी मिल सकें।

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