हरतालिका तीज कब है 2023? हरतालिका तीज क्यों मनाई जाती है? हरतालिका तीज व्रत कथा, महत्व, तिथि, पूजा विधि व मुहूर्त (kyu manaya jata hai Hartalika Teej, Hartalika Teej 2023 mein Kab hai, Hartalika Teej 2023 Date In Hindi, Hartalika Teej Vrat Katha, tyohar, HartalikaTeej Puja Vidhi in Hindi, Hartalika Teej Kab Hai 2023)
हरतालिका तीज सुहागिनों और कुंवारी कन्याओं के लिए सबसे बड़ा पर्व होता है। इस दिन का इंतजार हर महिला बेहद बेसब्री से करती है।
हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती हैं और निर्जला व्रत रखती हैं।
इस पर्व के आने से एक माह पहले ही महिलाएं इसकी तैयारियां शुरू कर देती है। तीज का त्योहार हर सुहागन महिला के लिए बहुत खास होता है क्योंकि यह त्यौहार सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखती हैं।
भारत में मुख्यतः तीन तरह की तीज मनाई जाती है। पहली तीज सावन की तीज होती है जिसे हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। जबकि दूसरी तीज कजरी के मौके पर हरियाली तीज के बाद आती है। इस चीज को कजरी तीज के नाम से जाना जाता है।
लेकिन उत्तर प्रदेश तथा बिहार समेत कई राज्यों में मुख्य रूप से मनाए जाने वाली तीज भाद्रपद महीने में आती है जिसे हरितालिका तीज कहते हैं। कई लोग हरितालिका तीज और हरियाली तीज को लेकर संसार में रहते हैं तो चलिए जानते हैं कि हरतालिका तीज क्यों मनाई जाती है? तथा हरियाली तीज और हरितालिका तीज में क्या अंतर है?
तो आइए जानते हैं महिलाओं के इस खास पर्व हरतालिका तीज का महत्व, इतिहास और इससे जुड़ी कुछ खास बातें…
विषय–सूची
हरतालिका तीज क्यों मनाई जाती है? (Hartalika Teej kyu manaya jata hai )
इस पर्व के महत्व को जानने से पहले हम यह जानेंगे कि इस पर्व को क्यो मनाया जाता है?
दरअसल, यह पर्व सौभाग्यवती महिलाएं अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने के लिए मनाती हैं।
जबकि कुंवारी कन्याएं यह व्रत मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं।
यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और मां पार्वती से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि मां पार्वती ने ही सबसे पहले इस व्रत की शुरुआत की थी।
उन्होंने हरतालिका तीज का व्रत कर भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था।
तभी से इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग को अखंड और कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं।
कहा जाता है जो भी महिला माता पार्वती का ध्यान कर इस व्रत को सच्चे दिल से पूर्ण करती हैं, उनका दांपत्य जीवन भगवान शिवजी और माता पार्वती जैसा रहता है।
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हरतालिका तीज कैसे मनाई जाती है?
हरतालिका तीज क्यों मनाई जाती है? इसका जवाब तो आपको मिल गया होगा!
आइए अब जानते हैं हरतालिका तीज कैसे मनाई जाती है?
इस दिन कुंवारी कन्याओं और सुहागिन महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनने चाहिए।
इसके बाद हाथ में जल लेकर व्रत करने का संकप्ल करना चाहिए। इस व्रत के लिए आपको माता पार्वती, शिव जी और गणेश जी की मिट्टी की प्रमिमाएं बनाकर उसे एक चौकी पर रखना होता है।
इसके बाद आपको मां पार्वती को सुंदर वस्त्र, चुनरी और श्रृंगार के सामान से तैयार करना है। फिर उनके और भगवान शिव के चरणों में फूल, धूप और चंदन अर्पित करना है।
इस निर्जाला व्रत के दौरान अगर आप भजन कीर्तन करते हैं, तो यह बेहद शुभ माना जाता है।
2023 में हरतालिका तीज कब है?
पंचाग के मुताबिक, 17 सितंबर को 11 बजकर 8 मिनट से यह पर्व शुरू होगा और अगले दिन 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा।
अब ऐसे में बहुत-सी महिलाएं यह सोच रही होंगी कि व्रत किस दिन रखा जाएगा?
तो हम आपको बता दें कि उदया तिथि के अनुसार, यह व्रत 18 सितंबर 2023 को रखा जाएगा।
18 सितंबर को सुबह 6 बजे से रात के 8 बजे तक का समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए बेहद शुभ है।
क्या है हरतालिका तीज का इतिहास?
जैसा कि हमने आपको ऊपर भी बताया कि यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा हुआ है। दरअसल, माता पार्वती जी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए गंगा नदी के तट पर कठोर तपस्या की थी।
लेकिन अपनी बेटी को ऐसी कठोर तपस्या करते देख पिता हिमालय ने मां पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से करने का फैसला किया।
जब इस बारे में माता पार्वती जी ने अपनी सखी को बताया, तो उन्होंने मां पार्वती की मदद की और उनका अपहरण कर लिया।
फिर वह उन्हें एक घने जंगल में ले गई जहां माता पार्वती ने अपनी साधना को जारी रखा।
फिर काफी वक्त तक माता पार्वती को कठोर तपस्या करता देख भगवान शिव का ध्यान उन पर गया और वह मां पार्वती से विवाह के लिए मान गए।
क्या है हरतालिका तीज का महत्व?
एक सुहागिन महिला हमेशा यही चाहती है कि उसका सुहाग हमेशा सलामत रहे।
दोनों का दांपत्य जीवन खुशहाल हो और उनके रिशते में कभी दरार ना आए। वहीं, जब कुंवारी कन्या किसी से प्रेम कर बैठती है, तो वह भी यही चाहती है कि जिससे वह प्रेम करती है वही उसका जीवनसाथी बने।
इसलिए कुंवारी कन्याएं इस व्रत को रखती हैं ताकि वह मनचाहा वर प्राप्त हो सकें। वहीं, सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने के लिए यह पर्व मनाती है।
मान्यता है कि जो भी महिला मां पार्वती का ध्यान कर इस व्रत को सच्चे दिल से पूरा करती है, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है।
हरियाली तीज और हरतालिका तीज में अंतर
बहुत-सी महिलाएं हरियाली व हरतालिका तीज को लेकर दुविधा में रहती हैं।
कई लोगों को लगता है कि यह दोनों पर्व एक ही हैं, लेकिन ऐसा नहीं है…
हरियाली तीज मानसून के मौसम में मनाया जाता है यानी यह व्रत सावन में रखा जाता है। यह तीज भी बहुत खास है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है।
इस व्रत को कर सुहागन महिलाएं अपने पतियों की भलाई, लम्बी उम्र और उनकी तरक्की की कामना करती हैं।
वहीं, हरतालिका तीज अलग पर्व होता है, जो सावन के खत्म होने के कुछ माह बाद मनाया जाता है। इस व्रत को महिलाएं अपने सुहाग को अखंड और कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर को पाने के लिए रखती हैं।
हरतालिका तीज व्रत कथा (Hartalika Teej Vart Katha 2023)
इस व्रत की कथा कुछ इस प्रकार है:-
माता पार्वती जी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
माता पार्वती के मन में भगवान शिव के लिए बचपन से ही अटूट प्रेम था। वह कई जन्मों से भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाना चाहती थीं।
इसके लिए वह बचपन से ही हिमालय पर्वत के गंगा तट पर कठोर तपस्या करती थीं।
इस तपस्या के दौरान माता पार्वती ने अन्न और जल का त्याग कर दिया था। खाने में मां पार्वती केवल सूखे पत्ते चबाया करती थीं। पार्वती की ऐसी हालत देख उनके माता-पिता काफी दुखी हो गए थे।
एक दिन देवऋषि नारद माता पार्वती के लिए भगवान विष्णु का प्रस्ताव लेकर आते हैं। मां पार्वती के माता-पिता इस प्रस्ताव से बहुत खुश होते हैं और मां पार्वती को इस प्रस्ताव के बारे में बताते हैं।
इस प्रस्ताव को सुन मां पार्वती बेहद दुखी हो जाती हैं और अपनी सखी को इस बारे में बताती हैं। मां पार्वती की सखी उनकी मदद करने का फैसला करती हैं और माता को घने वन में एक गुफा में भगवान शिव की अराधना करने की सलाह देती हैं।
माता पार्वती जी अपनी सखी की सलाह पर मिट्टी से शिवलिंग बनाकर विधिवत पूजा करती हैं और रातभर जागरण करती हैं। माता पार्वती के तप से खुश होकर भगवान शिव मां पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लेते हैं।
हरितालिका तीज पर करें यह उपाय-
अगर आपके दांपत्य जीवन में बैलेंस नहीं बन पा रहा है या फिर पति-पत्नी में दूरियां आ रही हैं, लड़ाई-झगड़े हो रहे हैं, तो आप हरितालिका तीज पर इन उपाय को कर सकते हैं।
दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाने के उपाय:-
अगर आपके दांपत्य जीवन में तालमेल नहीं बैठ पा रहा है, तो आप हरितालिका तीज के दिन निर्जला या फलाहार व्रत रखें।
शाम के समय सम्पूर्ण श्रृंगार करके शिव मंदिर में जाएं और शिवजी को जल अर्पित करें। जल अर्पित करने के बाद “ॐ गौरीशंकराय नमः” का 108 बार जाप करें। इस उपाय से आपका दांपत्य जीवन खुशियों से भर जाएगा।
दांपत्य जीवन में बढ़ रही दूरी को कम करने के उपाय:-
अगर पति-पत्नी के बीच दूरियां आ रही हैं, तो हरितालिका तीज के दिन निर्जला या जल पीकर व्रत रखें और भगवान शिव मंदिर के मंदिर में शिवजी के सामने घी का चौमुखी दीया जलाएं।
माता पार्वती को सिन्दूर चढ़ाएं और लाल चूड़ियां अर्पित करें और “नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
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