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संस्कृत भाषा या संस्कृत दिवस का महत्व, इतिहास | World Sanskrit day 2023

विश्व संस्कृत दिवस 2023, क्यो मनाया जाता है? संस्कृत दिवस का महत्व व इतिहास, संस्कृत भाषा से जुड़े रोचक तथ्य (World sanskrit day 2023, history, Sanskrit Language Importance and interesting facts in hindi)

हम सब जानते हैं कि भारत में वेदों व उपनिषदों की भाषा संस्कृत ही है यह प्राचीन इतिहास की सबसें समृद्ध भाषा है। संस्कृत भाषा को सभी भाषाओं की जननी कहा जाता है क्योंकि संस्कृत भाषा से ही सभी भाषाओं की उत्पत्ति हुई है।

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सबसे पहले भारत में संस्कृत भाषा ही बोली जाती थी संस्कृत भाषा से ही दूसरी भाषा को उपजी है तथा इसी की बदौलत उन्हें बोलने और सीखने में मदद मिलती है। यहां तक कि वेद, पुराण, महाभारत की रचना संस्कृत भाषा में ही की गई है। भारत के सभी प्राचीन ग्रंथ संस्कृत भाषा में ही लिखे गए हैं।

अगर विश्व में आज भी सबसे समृद्ध कोई भाषा है तो वह संस्कृत है आज जिसका अध्ययन केवल भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व में कराया जा रहा है। जर्मनी अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों की बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी में संस्कृत भाषा की शिक्षा दी जाती है।

यहां तक की जर्मनी और जापान की टॉप यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई में भी संस्कृत की एक अहम भूमिका है लेकिन भारत में आज यही संस्कृत भाषा कहीं खो गई है। भारत के केवल कुछ दक्षिणी राज्यों में ही संस्कृत भाषा का बोलचालन रह गया है लेकिन उत्तर भारत समेत पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्र में संस्कृत भाषा का कोई अता पता नहीं है।

हम सभी जानते हैं की संस्कृति हमारी मूल है इसी से हमारी संस्कृति हमारी भाषा और हमारे ज्ञान की उत्पत्ति हुई है लेकिन फिर भी हम अपनी इस महान मातृभाषा का सम्मान नहीं करते या फिर इसे बोलते और सीखने से कतराते हैं।

संपूर्ण विश्व में संस्कृत भाषा का महत्व समझने के लिए एवं इसके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विश्व संस्कृत दिवस 30 अगस्त के दिन मनाया जाता है।

आज 30 अगस्त 2023 को विश्व संस्कृत दिवस मनाया जा रहा है। संस्कृत दिवस के इस खास मौके पर आज हम आपके लिए इस दिवस से जुड़ी संपूर्ण जानकारियां लेकर आए हैं। ताकि आप संस्कृति की गहराई और इसके महत्व को समझ पाएं।

विषय–सूची

विश्व संस्कृत दिवस का महत्व, इतिहास (World Sanskrit Day history facts in hindi)

संस्कृत दिवस को 1969 में पहली बार मनाया गया था। संस्कृत भाषा दिवस भारतीय नागरिकों को जागरूक करने के लिए मनाया गया। भारत की सभी भारतीय भाषाओं की मा संस्कृत  को माना गया है। लेकिन आजकल लोग इससे दूर हटते जा रहे है ऐसे में  सभी भारतीय नागरिकों को जागरूक करने के लिए संस्कृत भाषा दिवस मनाने का निर्णय लिया गया जिससे सभी भारतीय संस्कृत भाषा में शिक्षित हो और इसके महत्व को समझे और संस्कृत को बढ़ावा दे सकें क्योंकि भारतीय सांस्कृतिक विरासत में संस्कृत भाषा का बहुत बढ़ा योगदान है। संस्कृत भाषा हमारी समृद्ध संस्कृति का प्रतीक है।

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विश्व संस्कृत दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? इसकी शुरुआत कब हुई-

संस्कृत दिवस श्रावण मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस संस्कृत भाषा को हमारी देव भाषा कहा जाता है।

31 अगस्त गुरुवार को विश्व संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाएगा। संस्कृत दिवस का दिन बहुत ही पावन और अनूठा माना गया है क्योंकि अन्य प्राचीन भाषाओं को राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार नहीं मनाया जाता जिस प्रकार संस्कृत दिवस मनाया जाता है।

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हमारे यहां अधिकतर धार्मिक ग्रंथ, मंत्र , पाठ का अध्याय संस्कृत भाषा में ही होता है। इस समय संस्कृत भाषा अपना वजूद खोती जा रही है क्योंकि अब भारत में विदेशी भाषाओं और अंग्रेजी का महत्व बढ़ता ही जा रहा है जिसके आगे संस्कृत भाषा को भारत में कोई महत्व नही दे रहा।

इसी उद्देश्य से संस्कृत दिवस मनाया जाता है जिससे भारत के सभी नागरिक संस्कृत को अधिक महत्व दे। संस्कृत हमारी मातृभाषा है। संस्कृत भाषा के आदि स्रोत ऋषि मुनि को माना गया है इसलिए इसे ऋषि पर्व के नाम से भी जाना जाता है यह दिन ऋषि मुनियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।

भारत सरकार द्वारा 1969 में शिक्षा मंत्रालय के निर्देशानुसार संस्कृत दिवस मनाया गया था। केंद्रीय तथा राज्य स्तर पर भारत में श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन इस दिवस को मनाया जाता है। प्राचीन भारत में इसी दिन विद्यार्थी शास्त्रों का अध्ययन प्रारंभ करते थे और वेद पाठ का शुभारंभ होता  है।

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संस्कृत भाषा की उत्पत्ति (Origin of Sanskrit language)

संस्कृत इंडो-यूरोपीय भाषाओं में सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत भाषा में करीब 102 अरब 78 करोड़ 5 0लाख शब्दों की विश्व में सबसे बड़ी शब्दावली है।

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आपको बता दे कि कर्नाटक के शिमोगा नाम के गांव में संस्कृत भाषा बहुत ही मशहूर है। यहां हर कोई संस्कृत भाषा में ही बात करता है और इसके अलावा उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को उत्तराखंड की अधिकारिक भाषा घोषित किया गया है। हमारे यहां भारतीय शास्त्रीय संगीत में संस्कृत भाषा का ही प्रयोग किया जाता है और कंप्यूटर की सबसे अनुकूल भाषा संस्कृत को माना गया है।

संस्कृत दिवस मनाने का उद्देश्य-

संस्कृत भाषा को अधिक से अधिक बढ़ावा देने के लिए और सभी भारती को जागरूक करने के लिए संस्कृत दिवस मनाया जाता है क्योंकि भारत के नई पीढ़ी के लोग इससे वंचित है। संस्कृत के प्रति उनका रुझान खत्म होता जा रहा है जबकि विदेशों और अन्य देशों में संस्कृत भाषा के प्रति लगाव बढ़ता ही जा रहा है।

जापान की कई यूनिवर्सिटी में संस्कृत में शिक्षा दी जाती है।

नई पीढ़ी के लोग संस्कृत भाषा बोलने और पढ़ने में शर्माते हैं और इसे बहुत ही पुरानी भाषा समझ कर इस पर कोई ध्यान नहीं देते आज के लोगों को संस्कृत भाषा बोलने तक नहीं आता और ना ही वह पढ़ना और बोलना चाहते हैं

 इसी सोच को बदलने के लिए नई पीढ़ी के लोगों को जागरूक करने के लिए संस्कृत दिवस मनाया जाता है और इसे बढ़ावा दिया जा रहा है।

भारत में संस्कृत भाषा की स्थिति-

इस समय भारत में संस्कृत की स्थिति कुछ ठीक नहीं है जबकि विश्व भर में अन्य देश संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता और उपयोगिता समझ रहे हैं और इसे अपना भी रहे हैं।

उत्तर भारत में संस्कृत पूरी तरह से गुमनाम हो रही है हालांकि अब भी दक्षिण भारत के कुछ राज्यों और क्षेत्रों में संस्कृत का प्रचलन है जिनमें से कर्नाटक केरल और तमिलनाडु प्रमुख हैं। भारत में संस्कृत भाषा का प्रभुत्व कम होने का सबसे प्रमुख कारण विदेशी भाषाओं का हावी हो जाना है। भारत में संस्कृत की महत्वता कम होते देख लोग इसे सीखना भी नहीं चाहते यही कारण है कि भारत में संस्कृत का प्रचलन इतना कम हो गया है। हालांकि पिछले कुछ सालों में संस्कृत भाषा को एक बार फिर निखारने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।

विश्व में संस्कृत भाषा की स्थिति

विश्व में अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया और यूरोप के ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, फ्रांस जर्मनी और नार्वे के विश्वविद्यालयों में संस्कृत भाषा के कोर्स की सुविधा उपलब्ध है। हालांकि इन देशों में जर्मनी में संस्कृत भाषा की मांग सर्वाधिक है।

जर्मनी के 14 टॉप यूनिवर्सिटीज में संस्कृत और इंडोलॉजी की शिक्षा दी जाती है। इन विश्वविद्यालयों में हिडेल बर्ग समेत कई अन्य टेक्निकल यूनिवर्सिटीज भी शामिल हैं। जर्मनी में कई इंजीनियरिंग और मेडिकल कालेजों भी संस्कृत पढ़ाई जाती है।

उत्तरी अमेरिका में प्रमुख रूप से संस्कृत की शिक्षा के लिए कई बड़े बड़े संस्थान हैं जिसमें ब्राउन यूनिवर्सिटी, कोलंबिया यूनिवर्सिटी, जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी और हावर्ड यूनिवर्सिटी समेत लगभग अट्ठारह विश्वविद्यालय शामिल हैं 18 विश्वविद्यालय शामिल हैं। इन विश्वविद्यालयों में संस्कृत के अलावा अन्य भारतीय और यूरोपीय भाषाओं की शिक्षा भी प्रदान की जाती है। स्वामी प्रभुपाद के सनातन अभियान के बाद से इजरायल समेत कई अन्य मुस्लिम देशों और यूरोपीय देशों में संस्कृत और सनातन संस्कृति की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है।

संस्कृत दिवस का इतिहास (Sanskrit day history and facts in hindi)

भारत की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत ही है इसकी उत्पत्ति 4,000 वर्ष पूर्व ही हो गई थी। हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथ, मंत्रों का उच्चारण संस्कृत भाषा में ही किया गया है। इसके पश्चात भारत में उपनिषदों, वेद व पुराणों की रचना 1000 से 500 ईसापूर्व की समयावधि में संस्कृत में ही की गई थी। हमारे यहां प्राचीन समय से ही ऋषि मुनियों द्वारा संस्कृत भाषा का उपयोग किया जाता था। उन्हीं के द्वारा सभी वेद ग्रंथ का उच्चारण संस्कृत में हुआ है।

 इसी प्रकार कई पुराण, उपनिषद, महापुराण, वेद आदि संस्कृत में ही लिखे गए हैं।

भारत के 12 अनुसूचित की भाषाओं में संस्कृत भाषा को सूचीबद्ध किया गया।

संस्कृत भाषा का महत्व (Importance of Sanskrit language)

भारतीय संस्कृति के विरासत का प्रतीक संस्कृत भाषा को माना गया है। संस्कृत भाषा बहुत ही सुंदर भाषा है। संस्कृत भाषा के कारण ही विश्व में भारत का समृद्धशाली इतिहास रहा है। संस्कृत भाषा हमारे कंप्यूटर के लिए सबसे अच्छा विकल्प माना गया है।

इतिहास में भारत के सबसे अधिक मूल्यवान और शिक्षा सामग्री शास्त्रीय संगीत आदि संस्कृत में लिखी गई है।

संस्कृत भाषा के अध्ययन से इतिहास के तथ्यों का ज्ञान मिलता है और संस्कृत भाषा से ही हमें धार्मिक, सांस्कृतिक तथ्यों के असंख्य रहस्य के बारे में जानने में मदद मिलती है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार संस्कृत भाषा को हमारे यहां देववाणी भाषा कहा जाता है। संस्कृत भाषा से ही अन्य भाषाओं की उत्पत्ति हुई है आज के समय में विदेशों  में संस्कृत संस्कृत भाषा को अधिक महत्व और बढ़ावा दिया जा रहा है और लगातार इसपर रिसर्च चल रहे हैं।

संस्कृत भाषा भारत देश का गौरव है। एक नागरिक होने के नाते हमें इसे अधिक से अधिक बढ़ावा देना चाहिए। संस्कृत दिवस सावन मास मे पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है उसी दिन रक्षाबंधन का त्यौहार भी मनाया जाता है। भारत के अलावा अन्य देशों में भी कॉलेजों एवं स्कूलों में फॉरेन भाषा के तौर पर संस्कृत भाषा की मान्यता प्राप्त है जिसमें छात्र अपनी इच्छा के अनुसार एक भाषा संस्कृत का भी अध्ययन कर सकता है।

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आधुनिक युग में संस्कृत भाषा की महत्वता-

संस्कृत भाषा में वेद और उपनिषद लिखे ही नहीं गए थे बल्कि नवग्रहों, राहु, केतु, धूमकेतु का ज्ञान भी संस्कृत भाषा को था।

 संस्कृत भाषा में ही आयुर्वेद के चिकित्सा का रहस्य भी छुपा था। वेद में लिखे गए नौ गृह, दिन, मौसम,  आदि की जानकारी से प्रकृति की रचना और मौसम के बारे में जानकारी प्राप्त हुई।

जर्मन के एक भाषा विद मैक्स मूलर ने भारतीय की पौराणिक कहानियों व किदवंदियों व कथाओं को जर्मन में अनुवाद किया है। इसके साथ-साथ उसने अपना नाम भी संस्कृत में मोक्ष मूलर भट्ट रखा। उसे संस्कृत के प्रति उसका इतना गहरा लगाव हो गया था की उसने अपना नाम संस्कृत में ही रख लिया। मोक्ष मूलम भट्ट ने कालिदास द्वारा रचित मेघदूत को जर्मनी भाषा में फेटल रिंग नाम दिया।

इसके अलावा भी उसने कई सारी धार्मिक ग्रंथों को अनुवादित कर प्रकाशित किया।

श्रीमद्भागवत गीता को विद्वान सर चार्ल्स ने अंग्रेजी भाषा में लिखा।

इसके अलावा  विलियम जान 1783 में ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर कोलकाता आए थे। यह एक अंग्रेजी भाषाविद, संस्कृत के विद्वान और एशियाई सोसाइटी में संस्थापक थे।

इन्होंने कालिदास जी द्वारा रचित ऋतुसंहार, शकुंतला, को अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया इसके अलावा मनुस्मृति, गीता गोविंद जयदेव द्वारा रचित कई ग्रंथ और पाठ को अंग्रेजी भाषा में ट्रांसलेट किया। भारत के अलावा संस्कृत भाषा कई देशों में प्रसिद्ध है और आज भी उसका अध्ययन  विद्यालयों में कराया जाता है।

संस्कृत भाषा से जुड़े रोचक तथ्य (Interesting Facts about Sanskrit Language hindi)

  • संस्कृत भाषा को देववाणी और सुर भारती के नाम से भी जानते हैं।
  • संस्कृत भाषा विश्व की प्रथम पूर्ण भाषा है जिसका व्याकरण अत्यंत विस्तृत है संस्कृत भाषा के व्याकरण का पूरा अध्ययन करने में 12 वर्षों का समय लग सकता है।
  • संस्कृत भाषा का उदय हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद और वैदिक सभ्यता की शुरूआत से माना जाता है। वैदिक सभ्यता के ऋगवैदिक काल में संस्कृत भाषा का उदय हुआ।
  • संस्कृत भाषा के विकास को दो चरणों में बांटा गया है जिनमें से वैदिक संस्कृत में वेदों और उपनिषदों की रचना हुई जबकि पाणिनि द्वारा रचित संस्कृत से अभिज्ञान शाकुंतलम् जैसे काव्यों की रचना हुई। वर्तमान समय में उपयोग होने वाला संस्कृत का प्रारूप पाणिनि के व्याकरण पर आधारित है।
  • संस्कृत विश्व की एकमात्र ऐसी भाषा है जिसके शब्दों को किसी भी क्रम में व्यवस्थित करने से वाक्य का अर्थ परिवर्तित नहीं होता। जबकि अन्य भाषाओं में कर्ता क्रिया कर्म के परिवर्तन से वाक्य के अर्थ भी बदल जाते हैं।
  • संस्कृत को आर्यों की भाषा माना जाता है जिन्होंने वैदिक सभ्यता की नींव रखी और मध्य एशिया से भारत में आए।
  • इसको संस्कृत को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे उपयुक्त भाषा मानते हैं क्योंकि इसका व्याकरण कंप्यूटर के प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के समान है।
  • कंप्यूटर में गणना के लिए उपयोग किए गए Algorithms संस्कृत द्वारा ही बनाए गए हैं।
  • भारत में इस समय सर्वाधिक संस्कृत कर्नाटक राज्य में बोली जाती है यहां के मत्तूर गांव में सभी संस्कृत में बात करते हैं।
  • संस्कृत को इंडो आर्यन परिवार की भाषा माना जाता है।
  • संस्कृत के छोटे-छोटे वाक्यों में विस्तृत अर्थ का समावेश किया जा सकता है जबकि अन्य भाषाओं में वाक्य बहुत बड़े होते हैं।
  • भारत में उपयोग होने वाली यज्ञ अनुष्ठानों की भाषा संस्कृत है संस्कृत भाषा में ही भारत के पवित्र ग्रंथों महाभारत बाल्मीकि रामायण और श्रीमद भगवद्गीता की रचना हुई है।

FAQ

संस्कृत किसकी भाषा है?

संस्कृति आर्यों की भाषा है।

विश्व संस्कृत दिवस कब मनाया जाता है?

31 अगस्त का दिन विश्व संस्कृत भाषा दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

संस्कृत भाषा का उदय कब हुआ?

संस्कृत भाषा का उदय वैदिक काल से माना जाता है।

भारत के अलावा किन देशों में संस्कृत पढ़ाया जाता है?

भारत के अलावा मुख्य रूप से जर्मनी जापान और उत्तरी अमेरिका में संस्कृत पढ़ाई जाती है।

विश्व संस्कृत दिवस क्यों मनाया जाता है?

विश्व को संस्कृत की वैज्ञानिकता और उपयोगिता का महत्व बताने के लिए विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है।

भारत में ऐसा गांव जहां सब संस्कृत में बात करते हैं?

कर्नाटक के मत्तुर गांव में सभी लोग संस्कृत में बात करते हैं।

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