Madhya Pradesh VVIP Tree in hindi, हर साल 12 से 15 लाख रुपए व्यय करती है, मध्यप्रदेश की सरकार। भगवान गौतम बुद्ध की बेशकीमती धरोहर है यह पेड़
जब कभी हमारे सामने आर्म फ़ोर्सेज का नाम लिया जाता है तो हमारा ध्यान सीधे देश की सुरक्षा सीमा यानि की बार्डर पर जाता है जहां 24 घंटे सेना हथियारो के साथ डटी रहती है ताकी कोई इस सीमा के भीतर हस्तक्षेप न कर सके।
आपने बहुत सारे वीवीआईपी लोगों के साथ भी सेना सुरक्षा देखी होगी जो उनकी शारीरिक सुरक्षा के लिए तैनात किए जाते है।
लेकिन क्या आपने कभी किसी ऐसे वीवीआईपी पेड़ (madhya pradesh vvip tree in hindi) के बारे में सुना है जिसे 24 घंटे सेना की निगरानी में रखा जाता है और कडी सुरक्षा प्रदान की जाती है।
आइए आज आप को एक ऐसे ही खास पेड़ के बारे में बताते है और साथ ही साथ यह भी बताएंगे कि इससे जुड़ी हुई रोचक बाते क्या है।
विषय–सूची
आइए जानते है कि आखिर कितना खास है यह वीवीआईट्री (VVIP Tree in hindi) बोधिवृक्ष –
बोधिवृक्ष कहा जाने वाला यह स्पेशल पेड़ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पास साँची में स्थित है।
मध्य प्रदेश की सरकार कड़ीे सुरक्षा के साथ-साथ इसके बचाव कार्य के लिए हर साल 12 से 15 लाख रुपए व्यय करती है जिसमे इस पेड़ की लम्बी आयु को बढाने के लिए तरह तरह के इन्तजाम किए जाते है।
इस पेड़ के चारो ओर 24 घंटे सिपाही व कमांड़ों से घिरा रहता है ताकि कोई इस पेड़ को क्षति न पहुंचा सके।
बोधिवृक्ष से जुड़ी हुई ऐतिहासिक मान्यता –
दरसल इस पेड़ को मूल बोधि वृक्ष की एक शाखा कहा जाता है।
कहा जाता है कि तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में, सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने बेटे महेंद्र और बेटी संघमित्रा को बोधि वृक्ष की एक शाखा के साथ श्रीलंका भेजा था।
पिता का निर्देश पाकर उन्होंने उस बोधि वृक्ष को श्रीलंका के अनुराधापुर में लगाया था, जो आज भी वही पर सुरक्षित मौजूद है।
दर असल जिस बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई वह वास्तव में बिहार के गया जिले में है।
आपको जान कर हैरानी होगी की मुगल और दुसरे आक्रमणकर्ताओ द्वारा कई बार इस पेड़ को नष्ट करने की कोशिश भी की गई, लेकिन यह चमत्कार ही था कि हर बार एक नया पेड़ उग आता।
पर कहा जाता है कि वर्ष 1876 में प्राकृतिक आपदा के कारण यह पेड़ भी नष्ट हो गया था जिससे बौद्ध धर्म की मान्यता को स्वीकार करने वाले लोगो के भावना को काफ़ी ठेस पहुची क्योंकि उनके लिए ये पेड बहुत पवित्र और धार्मिक प्रतीक था।
कहा जाता है कि सन 1880 में ब्रिटिश अधिकारी लॉर्ड कनिंघम ने श्रीलंका के अनुराधापुरम से बोधिवृक्ष की शाखा प्राप्त की और इसे बोधगया में बहाल कर दिया। तब से वह पेड़ आज भी वहीं मौजूद है।
हालांकि यह श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे द्वारा इस पवित्र पेड़ को लगाया गया था, जो अपने देश से यह “पवित्र” पौधा लाए थे।
इनको भी पढ़े: 1. दुनिया के सबसे खतरनाक और अद्भुत पेड़ (World most dangerous tree hindi) 2. दुनिया के अद्भुत कीटभक्षी पौधे जो खाते हैं कीड़े मकोड़े (Insectivorous plants) 3. ओक पेड़ के बारे में 17 रोचक तथ्य (दुनिया का सबसें पुराना ओक ट्री)
बोधिवृक्ष, VVIP पेड़ की सुरक्षा और लम्बी आयु के लिए क्या-क्या हैं इन्तेजाम –
इस पेड़ को इतनी वरीयता दी जाती है कि इसके लिए साँची की नगर पालिका ने एक अलग वाटर टैंक की व्यवस्था की है जिसके जरिए केवल इस पेड़ की सिचाई का काम किया जाता है।
इस पेड़ के रोग निराकरण के लिए भी साँची नगर पालिका ने बहुत सारी तैयरिया की हुई है।
हर सप्ताह बड़े बड़े एग्रीकल्चर एक्स्पर्ट्स यहाँ आते है और पेड़ की देख-रेख करते है ताकि पेड़ मे किसी भी प्रकार का रोग न लगे।
पेड़ की सिचाई और सुरक्षा की पूरी प्रक्रिया जिला कलेक्टर के निर्देशन में संचालित होती है।
इस पेड़ को पर्यटको से जोड़ने के लिए मध्य प्रदेश विदिशा से पहाड़ी तक हाइवे का निर्माण किया गया है ताकि लोग इस वीवीआईपी पेड़ को देखने के लिए सुविधाजनक तरीके से यहां आ सके।
यह पेड़ लोगों के लिए बहुत विशेष महत्व रखता है इसे बोधिवृक्ष के नाम से बुलाया जाता है।
नाम से ही इस वृक्ष का सम्बन्ध महात्मा बुद्ध से साफ़ स्पष्ट होता है।
किसने और कहा लगाया था यह पेड़ –
यह पेड़ प्रदेश के लिए श्री लंका के राष्ट्रपति की सौगात है जो धरोहर के रुप में विराजमान है।
दर असल इस पेड़ का रोपड श्रीलंका के पुर्व राष्ट्रपति महिन्द्रा राजपक्षे ने किया था।
यह पेड साची और सलामतपूर के बीच स्थित एक पहाड़ी पर स्थित है और सुरक्षा के लिए जालीयो से ढका हुआ है।
आम तौर पर इसे देखने वाले लोग इसे पीपल का पेड़ समझ लेते हैं लेकिन जो इसे जानते है वो इसे बोधिवृक्ष कह कर सम्बोधित करते है।
सरकार क्यों कर रही है इस पेड का इतना रख-रखाव –
यह पेड़ बौद्ध धर्म के लिए आस्था का प्रतीक है इसलिए सरकार ने इस बोधि वृक्ष के महत्व को देखते हुए इसके संरक्षण के इंतजाम किए हैं।
ताकि ये प्राचीन पेड़ पूरी तरह सुरक्षित रह सकें। इस पेड़ पर हर साल सैकड़ों लोग आते हैं। हालांकि, पर्यावरणविदों द्वारा इस पेड़ पर भारी मात्रा में पैसा खर्च करने पर आपत्ति जताई जा रही है लेकिन एक दृष्टिकोण से इसका संरक्षण भी बहुत जरूरी है।
आखिर यह पेड़ क्यों रखता है इतना धार्मिक महत्व और क्या है महात्मा गौतम बुद्ध से इसका कनेक्शन –
क्योंकि यह पेड़ बुद्ध धर्म के प्रवर्तक और महान गौतम बुद्ध से सम्बन्ध रखता इसलिए इसे इतना महत्व दिया जाता और इसकी सुरक्षा और रख रखाव के लिए बेहतर इन्तेजाम किए जाते है।
जिन लोगों की बौध धर्म में आस्था है उनके लिए इस पेड़ का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है।
वो इसे अत्यन्त पवित्र और मोक्ष प्राप्ति का साधन मानते है ऐसा इसलिए है क्युकि कहा जाता है इसी वृक्ष के नीचे भगवान गौतम बुद्ध ने जीवन की चक्र्व्यूह से बाहर निकल कर उत्कृष्ट मोक्ष की प्राप्ति की थी।
बोधिवृक्ष, इस पेड़ के पास ही है बौद्ध विश्वविद्यालय का काया-कल्प
जिस स्थान पर बोधिवृक्ष का पेड़ है, वहां साँची बौद्ध-भारतीय अध्ययन विश्वविद्यालय बनाने की तैयारी चल रही है जिसका बजट तकरीबन 300 करोड़ रुपए है ।
यह विश्वविद्यालय यह 100 एकड़ में फैला हुआ है। अभी के लिए इस बौद्घ विश्वविद्यालय को एक किराये की इमारत से चलाया जा रहा है जिसका किराया लगभग पर 20 लाख रुपये प्रतिमाह है।