भारत की प्रथम मुस्लिम महिला फ़ातिमा शेख का गूगल ने डूडल बनाकर किया सम्मान (Social reformer Fatima Sheikh Biography in hindi)
हमारे समाज में अनेकों अनेक ऐसी महान विभूतियों ने जन्म लिया है जिन्होंने हमारे समाज के कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। हमारे समाज के निर्माण में अपनी ऐसी मूलभूत भूमिका निभाने वाले ऐसी महान विभूतियों का आदर सत्कार करना हमारा कर्तव्य होता है।
लेकिन बड़े शर्म की बात है कि आजकल के लोग ऐसी महान विभूतियों के बारे में बहुत कम जानते हैं और धीरे धीरे एक-एक करके इन महान विभूतियों को भूलते भी जा रहे हैं जिन्होंने समाज कल्याण के लिए और हमारे आपके अनुशासित और सुंदर जीवन के लिए अपना पूरा जीवन योगदान में दे दिया।
भले ही हम एक-एक करके उनको भूलते जा रहे हैं लेकिन आज भी बहुत सारी ऐसी संस्थाएं और कंपनियां हैं जो इन लोगों के लिए लगातार सम्मान की भावनाएं व्यक्त कर रही हैं।
इन संस्थाओं में से एक गूगल भी है जो आए दिन डूडल बनाकर ऐसे लोगों का सम्मान किया करता है।
दरअसल 9 जनवरी 2021 को गूगल ने भारत की पहली महिला शिक्षिकाफ़ातिमा शेख का डूडल बनाकर डाला है और समाज में शिक्षा के प्रति उनके योगदान के लिए सम्मान व्यक्त किया है।
तो आइए आज आपको फ़ातिमा शेख के जीवन परिचय (Fatima Sheikh Biography in Hindi) के जरिए बताते हैं कि यह फ़ातिमा शेख कौन है और शिक्षा में इनका क्या योगदान रहा है।
फ़ातिमा शेख का जीवन परिचय (Social reformer Fatima Sheikh Biography in Hindi)
फ़ातिमा शेख भारत की पहली महिला शिक्षिका थी जिन्होंने मुस्लिम महिलाओं के प्रति समाज सुधार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
फ़ातिमा शेख जी का जन्म 9 जनवरी 1931 को हुआ था।
इनका जन्म महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। फातिमा शेख जी का एक भाई भी था जिसका नाम उस्मान था जिसने फातिमा शेख जी की बहुत मदद की ताकि वह मुस्लिम महिलाओं के प्रति और उनकी शिक्षा में विकास के प्रति अपनी भूमिका निभा सके। फातिमा जी पुणे में अपने घर में अपने भाई उस्मान के साथ रहती थी।
फातिमा शेख ने ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर भारतीय महिलाओं की शिक्षा में सुधार लाने के लिए बहुत प्रयास किए थे जिनमें खासकर मुस्लिम और दलित वर्ग की महिलाएं थी जिन्हें समाज में शिक्षा का कोई अधिकार नहीं दिया जाता था।
फातिमा शेख ने सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर दलित और मुस्लिम समाज की पिछड़ी महिलाओं को पढ़ाया जिनको धर्म जाति और लिंग के आधार पर विभाजित कर उन्हें शिक्षा से वंचित रखा जाता था। फ़ातिमा शेख जी को भारत की पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका कहा जाता है।
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फातिमा शेख जी का योगदान –
फ़ातिमा शेख जी जहां रहती थी वह अपने आप पास के पिछड़े वर्ग के बच्चों और लड़कियों को जिन्हें शिक्षा से वंचित रखा जाता था उन्हें अपने घर बुलाकर पढ़ाया लिखाया करते थे।
जब इन्होंने मुस्लिम और दलित वर्ग की लड़कियों की शिक्षा के लिए प्रयास करना शुरू किया तभी इन्हे ज्योतिबा बाई फुले और सावित्रीबाई फुले जी का योगदान मिला जो इसी क्षेत्र में सतत प्रयास कर रही थी और उन्होंने शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
फातिमा शेख और सावित्रीबाई फुले की मुलाकात एक टीचर ट्रेनिंग संस्था में हुई थी जिसे अमेरिकी मिशनरी Cynthia Farrar संचालित करती थी।
इसी दौरान दोनों की मुलाकात हुई और एक दूसरे के साथ विचारों के आदान-प्रदान के जरिए दोनों में काफी गहरी मित्रता भी हो गई जिसके बाद दोनों ने मिलकर समाज में पिछड़ी महिलाओं को उनके शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए प्रयास शुरू कर दिया गया।
फ़ातिमा शेख को भारत की पहली महिला शिक्षिका और पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका कहा जाता है और उनके योगदान के लिए केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व में अन्य स्थानों पर भी उन्हें सम्मान के साथ याद किया जाता है और उनका उदाहरण भी दिया जाता है।
फ़ातिमाशेख जी खुद मुस्लिम संप्रदाय से संबंध रखती थी इसलिए वो मुस्लिम समाज में महिलाओं के साथ हो रहे उत्पीड़न और उनके शिक्षा के अधिकारों का हनन के बारे में अच्छे से जानती थी हालांकि उन्होंने समाज में पिछड़ी महिलाओं की शिक्षा विकास के लिए किसी जाति धर्म या अन्य भावना के आधार पर प्रयास नहीं किए बल्कि समान रूप से सभी महिलाओं के शिक्षा के अधिकार को देने के लिए प्रयास किया जिनमें दलित वर्ग मुस्लिम वर्ग और अन्य पिछड़े वर्गों की महिलाएं शामिल थी।
फातिमा शेख जी ने सन 1848 ईस्वी में स्वदेशी पुस्तकालय की स्थापना की उन्होंने इस पुस्तकालय की स्थापना अपने और अपने भाई उस्मान के घर में ही की, जिसको उस समय भारत का पहला ऐसा विद्यालय माना गया जहां लड़कियों को शिक्षा दी गई।
फातिमा शेख जी ने ज्योतिबा बाई फुले और सावित्रीबाई फुले का बहुत साथ दिया खासकर तब जब उन दोनों के प्रयासों को कुछ कट्टर महिलाओं द्वारा नकार दिया गया और उन दोनों को घर से निकाल दिया गया उस समय फातिमा शेख जी ही ने उन्हें अपने घर में रहने की जगह दी और स्कूल खोलने के लिए भी स्थान दिया।
सावित्रीबाई फुले ने कुल 5 स्कूलों की स्थापना की थी जिन सभी में फातिमा शेख ने बच्चों को शिक्षा देकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी इतना ही नहीं सन अट्ठारह सौ इक्यावन में फातिमा शेख ने 2 विद्यालयों की स्थापना में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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गूगल ने फ़ातिमा शेख का डूडल बनाकर किया उनका सम्मान (Google doodle on 191st Birth Anniversary)
गूगल आए दिनों ऐसे लोगों का डूडल बनाता रहता है जिन्होंने जिन्होंने समाज के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी गूगल डूडल बनाकर उन्हें न केवल सम्मान देता है बल्कि उनकी एक प्रतिमा सभी के हृदय में जीवित कर देता है ताकि लोग उन्हें और उनकी सेवाओं को सदैव याद रखें।
इसी एक प्रयास के क्रम में 9 जनवरी 2022 फातिमा शेख जी के 191वी जन्मतिथि के अवसर पर एक शानदार डूडल बनाकर तैयार किया है और सम्मान दिया है।
फातिमा शेख जैसी महिलाएं हमारे समाज के लिए और हमारे समाज की महिलाओं के लिए एक आदर्श है जिससे हमारे समाज की महिलाओं को सीख लेनी चाहिए और निडर होकर निस्वार्थ भाव से समाज के निर्माण और उत्थान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
दोस्तों आज इस आर्टिकल Fatima Sheikh Biography in Hindi के जरिए हमने फातिमा शेख की बायोग्राफी के बारे में जाना और समाज में महिलाओं की शिक्षा और उन्हें शिक्षा का अधिकार देने के लिए उनके योगदान के बारे में चर्चा की ।