दीवाली कब है, दिवाली क्यों मनाई जाती है? साल 2025 में दीवाली कब है? दिवाली का शुभ मुहूर्त (Diwali Festival 2025 Date, History, Story Facts in hindi, shubh muhurat, Ganesh Pooja 2025, Laxmi Pooja, Gobardhan Pooja & Diwali All festivals in hindi)
दिवाली हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्यौहार है जिसे दीपों का त्यौहार भी कहा जाता है। यह त्यौहार दीप और पटाखों के साथ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दिन लोग अपने घरों की विशेष साफ-सफाई कर रंगोलियां बनाते हैं और चारों ओर दीपक जलाकर घरों को सजाते हैं। दीपावली के अवसर पर गणेश जी माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि दीपावली के दिन ही प्रभु श्री रामचंद्र जी वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आए थे।
दिवाली शब्द का मतलब दीपों की श्रृंखला होता है। इस त्यौहार को पूरे भारत में व्यापक स्तर पर मनाया जाता है। इस पर्व की चहल-पहल चार-पांच दिन पहले से ही शुरू हो जाती है और दीपावली के दिन पूरा भारत दीपों के रंग में रंग जाता है।
दिवाली हमारे भारत में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है। दिवाली के दिन प्रभु श्री रामचंद्र जी के वनवास से वापस लौटने के अलावा अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं की मान्यताएं भी प्रचलित है। दिवाली का दिन ही महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि कृष्णा अवतार में भगवान कृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस का संहार किया था।
इन सभी कारणों से असत्य पर सत्य और धर्म की विजय के रूप में दीपावली के त्यौहार की खुशियां मनाई जाती हैं। दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जिसे ना केवल हिंदू धर्म लोग बल्कि अन्य धर्म को वाले भी बड़ी धूमधाम से मनाते हैं, जिनमें जैन बौद्ध और सिख आदि शामिल हैं।
विषय–सूची
दिवाली कब है? शुभ मुहूर्त 2025 (Diwali Puja Muhurat 2025)
इस बार दिवाली की अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर एवं 21 अक्टूबर दोनों दिन पड़ रही है। ऐसे में बहुत से मतभेद हैं कि आखिरकार दिवाली का त्यौहार कब मनाया जाय?
जैसा कि हम सब जानते हैं कि हिंदुओं का हर त्यौहार उदया तिथि के अनुसार ही मनाया जाता है इसलिए उदया तिथि में पड़ने के कारण 20 अक्टूबर 2025 को ही दिवाली का पावन पर्व मनाया जाएगा।

ज्योतिष की मानें तो इस बार 20 अक्टूबर 2025 को ही अमावस्या की तिथि पर कई अदभुद संयोग भी बन रहे हैं ऐसे में यह कारण भी एक ठोस आधार है कि संपूर्ण भारत में दीवाली का पर्व 20 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। हालांकि इस अमावस्या पर होने वाला स्नान दान 21 अक्टूबर को करना सर्वोत्तम होगा।
20 अक्टूबर को निशिता काल और प्रदोष काल दोनों की घड़ियां अमावस्या की तिथि के अंतर्गत पड़ेगी जबकि 21 अक्टूबर को इन दोनों घड़ियों का योग नहीं रहेगा। इन कारणों से 20 अक्टूबर 2025 को ही दिवाली मनाई जाएगी। इस बार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को 03:44 पर होगी जो अगले दिन 21 अक्टूबर 2025 को 05:54 पर समाप्त हो जाएगी।

दिवाली के पावन पर्व पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शुभारंभ 20 अक्टूबर की शाम 07 बजकर 08 मिनट पर होगा। इस दिन शाम 07:8 लेकर रात 08:18 तक लक्ष्मी माता का पूजन विधि विधान से किया जा सकता है। इस शुभ मुहूर्त पर लक्ष्मी पूजन करने से विशेष लाभ मिलेगा।
दिवाली का पर्व क्या है?
दिवाली को दीपों का त्योहार कहा जाता है। यह त्यौहार भारत और हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है जिसे न केवल हिंदू धर्म के लोग बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी अपनी आस्था के रूप में मनाते हैं।
दीपावली के त्यौहार को अधर्म पर धर्म असत्य पर सत्य और अंधेरे पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अंधेरे मिटाने के लिए जगह-जगह दीप जलाए जाते हैं और घरों को सजाया जाता है। इस अवसर पर घर की महिलाएं घर की साफ सफाई करके रंगोलियां भी बनाती हैं और बच्चे पटाखे फोड़ कर अपना मनोरंजन करते हैं।
दीपावली शब्द का तात्पर्य दीपों की श्रृंखला से है जो दो शब्दों से मिलकर बना है दीप + आवली। दीप का अर्थ दीपक होता है और आवली का अर्थ श्रृंखला। अपने नाम के अनुरूप ही इस त्यौहार को दीप प्रज्वलन के जरिए मनाया जाता है।

कब मनाई जाती है दिवाली?
हिंदू पंचांग के मुताबिक दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच मनाया जाता है। अमावस्या के दिन दिवाली के अवसर पर लोग अपने घरों में खेतों खलिहान में दीया जलाकर अमावस्या के अंधेरों को मिटा देते हैं।
दिवाली के अवसर पर लक्ष्मी माता और गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके अलावा दीपावली के दिन कुबेर की भी पूजा की जाती है। लक्ष्मी माता को धन और वैभव की देवी माना जाता है जबकि कुबेर को वैभव का रक्षक माना जाता है। इसलिए दीपावली के दिन लोग लक्ष्मी और गणेश की पूजा करते हैं।
दिवाली क्यों मनाई जाती है?
दिवाली को हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्योहार माना जाता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक दीपावली के दिन ही भगवान श्री राम अपना 14 वर्षों का वनवास पूरा करके भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ अयोध्या में वापस लौट कर आए थे।
जब अयोध्या वासियों को इस शुभ संदेश के बारे में पता चला तो उन्होंने प्रभु श्री राम का स्वागत करने के लिए पूरी अयोध्या को दीपों से सजा दिया। तभी से दीपावली के अवसर पर दीपों से घर को सजाने की परंपरा चली आ रही है।
दिवाली को महावीर स्वामी का निर्माण दिवस माना जाता है जबकि हिंदू धर्म की ही एक और मान्यता के मुताबिक इसी दिन कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। इसके अलावा भी कई अन्य मान्यताएं प्रचलित हैं। यही कारण है कि दीपावली का त्यौहार बौद्ध जैन सिख और अन्य धर्मों द्वारा भी मनाया जाता है।

दिपावली का पर्व कितने दिन के लिए मनाया जाता है?
दीपावली का त्यौहार हिंदु का सबसे महत्वपूर्ण व पवित्र महापर्व है यह पांच दिन तक बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह धनतेरस से शुरु होकर भैया दूज तक पांच तीन तक लगातार चलता है।
हालांकि इस बार दिवाली की खुशियां कुल 06 दिन तक मनाई जाएंगी क्यों कि इस बार दीपावली के पावन पर्व की शुरुआत 18 अक्टूबर पर धनतेरस की तिथि के साथ होगी जबकि इसका समापन 23 अक्टूबर को होगा।
पहला दिन- धनतेरस –
इस दिन बर्तनों व सोने-चांदी के आभूषणों को खरीदा जाता है। इस दिन कुछ नया सामान अवश्य खरीदा जाता है इससे घर में बरकत व लक्ष्मी का वास होता है। इस बार धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।
दूसरा दिन – छोटी दिपावली –
इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था। यह दिन दरिद्रता को दूर करने वाला दिन है। इस दिन घरों की धुलाई आदी करके, झालर और लाइट से सजावट की जाती है। इस बार छोटी दीपावली 19 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी।
तीसरा दिन – दिपावली –
दीपावली का यह दिन मुख्य और प्रमुख दिवस होता है। लक्ष्मी, गणेश व कुबेर की पूजा की जाती है मिठाईयों व अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। इस दिन घरों में दीप का प्रज्वलन किया जाता है। 20 अक्टूबर 2025 को बड़ी धूमधाम के साथ दीपावली का त्यौहार मनाया जाएगा।
चौथा दिन – गोवर्धन पूजा-
इस दिन ग्रामवासियों को भीषण वर्षा व तूफान से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपने एक हाथ की अंगुली पर गोवर्धन नाम का पर्वत उठा लिया था। इस दिन गोबर के पर्वत का निर्माण करके उसकी पूजा की जाती है। इस बार गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर 2025 को की जाएगी।
पांचवा दिन – भाई दूज –
यह दिन भाई-बहन के प्यार के पर्व भाई-दूज के रुप में मनाया जाता है। बहन अपने भाईयों की रक्षा हेतु उन्हें एक रक्षा-सूत्र में बांधती है। 23 अक्टूबर 2025 को गोवर्धन पूजा के बाद भैया दूज मनाया जाएगा।
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इस दिन सामानों की खरीद पर मिलती है धमाकेदार छूट
भारत में दिवाली बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। दीपावली के अवसर पर लोग नए कपड़े खरीदते हैं और अपनों के लिए गिफ्ट की खरीददारी भी करते हैं।
दीपावली के 2 दिन पहले त्रयोदशी की तिथि पड़ती है जिसे धनतेरस के नाम से जानते हैं। हिंदुओं की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन धातुएं जैसे कि सोना चांदी या फिर बर्तन और नए कपड़े खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इसी कारण दीपावली के 2 दिन पहले धनतेरस से ही दुकानों पर भीड़ लगी रहती है।
इस त्यौहार के मौके पर दुकान शॉपिंग मॉल और ऑनलाइन शॉपिंग पर लोगों को विशेष छूट दी जाती है। इस बात से यह साफ स्पष्ट होता है कि यह त्यौहार ना केवल धर्म और आस्था में बढ़ोतरी करता है बल्कि व्यापार और अर्थव्यवस्था में भी भरपूर योगदान देता है।
FAQ
दिवाली 2025 कब है?
20 अक्टूबर 2025
छोटी दिवाली 2025 कब है?
19 अक्टूबर 2025
दिवाली कब मनाई जाती है?
कार्तिक मास की अमावस्या तिथि