Ayodhya Ram Mandir History & interesting Facts: कई सालों तक विवादों में रहने वाला अयोध्या मंदिर अब आखिरकार 22 जनवरी 2024 को इसका भव्य रूप से उद्घाटन किया जाएगा। मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी के अनुसार 15 से 24 जनवरी के बीच पूजा अनुष्ठान किया जाएगा। उद्घाटन के दिन स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पधारेंगे और उसी दिन रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा होगी।
24 जनवरी से आम लोगों के लिए अयोध्या के इस नए भव्य मंदिर का द्वार खोल दिया जाएगा। इतने सालों तक विवादों में रहे इस मंदिर का इतिहास क्या आप अच्छे से जानते हैं? अगर नहीं तो आज के इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें जिसमें हमने अयोध्या मंदिर से जुड़े कई रोचक तथ्य और इसके इतिहास के बारे में बताया है।
विषय–सूची
भगवान श्री राम के पुत्र कुश ने अयोध्या पुनः बसाया था।
अयोध्या के राम मंदिर का इतिहास भगवान श्री राम के पुत्र कुश से जुड़ा हुआ है। कालिदास के द्वारा रचित ग्रंथ रघुवंश में यह बात कही गई है कि भगवान श्री राम प्रजा सहित जब बैकुंठ धाम चले गए तो पूरी अयोध्या नगरी सरयू में समाहित हो गई और मात्र अयोध्या का भू भाग बचा रह गया।
कई सालों तक यह भूभाग यूं ही पड़ा रहा। बाद में कौशांबी के महाराज को यानी कि भगवान श्री राम के पुत्र ने फिर से इसी भूमि पर पत्थर के खंबो वाली मंदिर का निर्माण करवाया। वहीं जैन परंपराओं के अनुसार जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने अयोध्या को फिर से बसाया था।
भव्य राम मंदिर का निर्माण महाराजा विक्रमादित्य के द्वारा किया गया था
भविष्य पुराण में जिक्र किया गया है कि उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य ने उजड़ चुकी अयोध्या का दूसरी बार निर्माण करवाया था। विक्रमादित्य भगवान श्री राम के परम भक्त थे इसीलिए उन्होंने अयोध्या में सरयू नदी के लक्ष्मण घाट को आधार बनाकर 360 मंदिरों का निर्माण करवाया था। लेकिन बाबर से पहले मुस्लिम आक्रमण कारी सालार मसूद ने विक्रमादित्य के द्वारा बनाए गए मंदिर को ध्वस्तु कर दिया जिसके बाद गढ़हविल वंश के राजाओं के द्वारा तीसरी बार इस मंदिर का फिर से निर्माण करवाया गया।
गुरु नानक देव जी राम जन्मभूमि के दर्शन करने आए थे
राम जन्मभूमि मंदिर का विवाद 1528 से शुरू हुआ है जब हिंदुओं का दावा था कि मुगल आक्रमणकारी बाबर ने उस पवित्र जगह को तोड़कर मस्जिद का निर्माण करा दिया है। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लेते समय सिख ग्रंथ को भी अहम सबूत माना।
बाबर के भारत आने से पहले ही भगवान राम के जन्म भूमि के दर्शन करने के लिए अयोध्या आए थे। गुरु नानक जी 1510 से 1511 के बीच अयोध्या आए थे जबकि बाबर भारत 1528 ईस्वी में आया था। उस अनुसार बाबर ने राम मंदिर को ध्वस कर एक सूबेदार से कहकर वहां पर मस्जिद का निर्माण करवाया था।
राम मंदिर के इतिहास से जुड़े महत्वपूर्ण तारीख (Important date of Ram Mandir History in hindi)
1853: 1853 में राम जन्मभूमि के आसपास के इलाके में पहली बार दंगा हुआ। इस दंगे को रोकने के लिए अंग्रेजों ने मुसलमान को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को राम चबूतरे पर पूजा अर्चना की इजाजत दी।
1885: 1885 में पहली बार महंत रघबीर दास बाबरी मस्जिद के पास मंदिर निर्माण को लेकर फैजाबाद कोर्ट में याचिका दर्ज की हालांकि कोर्ट ने उनकी याचिका को ठुकरा दिया।
1949: 23 दिसंबर 1949 को राम जन्मभूमि के मंदिर का विवाद अचानक से बहुत ज्यादा बढ़ गया जब मस्जिद के अंदर अचानक से रामलाल की प्रतिमा विराजमान पाई गई । इस बढे विवाद को रोकने के लिए तत्कालीन सरकार ने उस ढांचे पर ताला लगा दिया जिसके बाद वहां पर नमाज रुक गया। हालांकि उस ढांचे के बाहर राम चबूतरे और परिसर के बाकी हिस्सों में पूजा अर्चना जारी रहा।
1986: 1950 से लेकर 1986 तक राम मंदिर का विवाद को लेकर कानूनी जंग जारी रहा। इस बीच गोपाल विशारद और रामचंद्र दास ने ढांचे के अंदर रामलाल की प्रतिमा को वहीं रहने देने की अनुमति और पूजा की इजाजत के लिए फिरोजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की।
1959 में निर्मोही अखाड़ा ने भी तीसरी अर्जी लगाई वंही 1961 में यूपी सुन्नी वक्श बोर्ड ने भी ढांचे के अंदर से मूर्ति हटाने की अर्जी लगाई। आखिरकार 1986 में यूसी पांडे की आचिका पर फैजाबाद जिला के जज के एम पांडे ने 1 फरवरी 1986 को विवादित ढांचे से ताला हटाकर वहां पर हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति दे दी।
1989: 1989 में फैजाबाद जिला अदालत से टाइटल सूट इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने हाथ में ले लिया। इलाहाबाद कोर्ट ने भी विवादित ढांचे पर पूजा अर्चना निरंतर जारी रखने का आदेश दिया।
1992: 6 दिसंबर 1992 को राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े लाखों कार सेवक जूटे। उन्होंने विवादित ढांचे को ध्वस्त करके राम लला की प्रतिमा ढांचे से निकालकर अस्थाई टेंट में स्थापित कर दिया।
6 दिसंबर 1992 से लेकर 9 दिसंबर 2016 तक सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने तक उस अस्थाई टेंट में राम लला विराजमान रहे जहां पर पूजा अर्चना जारी रहा।
2010: 30 दिसंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2-1 जजों के बहुमत से विवादित संपत्ति को तीन दावेदार में बांटने का फैसला सुनाया गया जिसमें एक तिहाई हिस्सा निर्मोही अखाड़े को, एक तिहाई हिस्सा हिंदुओं को और तीसरा हिस्सा मुसलमान पक्ष को देने का फैसला सुनाया गया। लेकिन साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने कई याचिकाओं के कारण इस फैसले पर रोक लगा दिया।
2019: 9 नवंबर 2019 को वो ऐतिहासिक दिन आया जब सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि के विवाद को हमेशा हमेशा के लिए निपटारा करते हुए संपूर्ण विवादित परिसर पर भगवान राम लाल का मालिकाना हक होने का फैसला सुनाया।
इस फैसले के बाद 3 महीने के भीतर ही एक ट्रस्ट के द्वारा राम मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी ली गई। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की ओर फैसला सुनाते हुए उन्हें अयोध्या में किसी महत्वपूर्ण स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया। इस तरह 5 अगस्त 2020 को भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ।
अयोध्या भव्य मंदिर की वास्तुकला (Architecture of Ayodhya Grand Temple)
राम जन्मभूमि पर रामलला मंदिर को तकरीबन ढाई एकड़ के क्षेत्रफल में बनाया गया है। परिक्रमा पथ को जोड़ते हुए यह पूरा परिसर 8 एकड़ का हो जाता है। यह मंदिर तीन मंजिले का है जिसकी ऊंचाई 162 फिट है।
पूरे मंदिर के निर्माण में 1700 से 1800 करोड रुपए के खर्च होने का अनुमान है। मंदिर के गर्भ ग्रह में रामलाल की 51 इंच की प्रतिमा को एक चबूतरे के ऊपर स्थापित किया जाएगा।
मंदिर के परिसर में रामलला मंदिर के अलावा और भी 6 मंदिर बनाए गए हैं। मंदिर का निर्माण कुल 393 पिलर पर किया गया है। मुख्य प्रवेश द्वार में सिंहद्वार है। मंदिर में कुल 12 द्वारा है और प्रत्येक द्वार को सागौन की लकड़ी से बनाया गया है। मंदिर के गर्भग्रह में 160 और ऊपर वाले ताल में 13 खंबे हैं।
राम मंदिर के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts about Ram Mandir in hindi)
- भूकंप के लिहाज से उत्तर प्रदेश जॉन 4 में आता है। लेकिन जिस एरिया में राम मंदिर का निर्माण किया गया है, अयोध्या का यह हिस्सा जोन 3 में आता है. भूकंप के कारण बड़े से बड़ी और मजबूत से मजबूत बिल्डिंग भी ढह सकती हैl इसीलिए अयोध्या राम मंदिर को 8 से 10 रिक्टर स्केल मापन तक भूकंप सहने के लिए मजबूत बनाया गया हैl
- अयोध्या के राम मंदिर की खास बात यह है कि राम मंदिर को बनाने के लिए लोहे व स्टील का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया जाएगा. अयोध्या राम मंदिर को बनाने के लिए तांबा और लकड़ी जैसे तत्व का इस्तेमाल किया गया हैl
- अयोध्या राम मंदिर की एक खास बात यह है कि मंदिर के निचले हिस्से में इस प्रकार से चित्रकारी और डिजाइन बनाया गया है कि यह डिजाइन भगवान राम के जन्म परिवार और उनके बचपन की कहानी को दर्शाएगीl मंदिर दो मंजिल बनाया गया हैI मंदिर की ऊंचाई लगभग 128 फीट ऊंची हैl चौड़ाई 140 फीट और लंबाई 268 फिट हैl
- राम मंदिर भारत के सबसे बड़े मंदिर में से एक होने वाला हैl क्योंकि राम मंदिर के होल में एक बारी में 10000 से अधिक श्रद्धालु शामिल होकर रामलला के दर्शन कर पाएंगे। राम मंदिर में भगवान राम के अलावा भी कई बड़े देवी देवताओं की मूर्ति राम मंदिर के अंदर स्थापित की जाएगी।
- अयोध्या राम मंदिर में पूरे भारत में से लोगों के द्वारा सहयोग दिया गया है। सोने और चांदी की ईंटें तक लोगों के द्वारा मंदिर के निर्माण के लिए दी गई है।
- राम मंदिर का निर्माण करने के लिए लगभग 2500 से अधिक स्थानों से मिट्टी अयोध्या लाई गई है और उस मिट्टी का इस्तेमाल करके राम मंदिर का निर्माण किया गया है।
- आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कर्नाटक की अंजना नामक पहाड़ी जहां पर भगवान श्री हनुमान जी का जन्म स्थान बताया जाता है, वहां से पत्थर लाकर राम मंदिर के निर्माण के लिए इस्तेमाल किए गए हैं। जो अपने आप में एक बड़ी बात है।
- भगवान श्री राम जी के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी को कहा जाता था। इसलिए भगवान राम के मंदिर के लिए हनुमान जी के जन्म स्थान से पत्थर लाए गए हैं।
- राम मंदिर का निर्माण करने के लिए उन ईंटो का इस्तेमाल किया गया है, जिन पर भगवान श्री राम जी का नाम लिखा हुआ है। भगवान श्री राम जी के मंदिर राम मंदिर को बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली इन ईंटो को रामशिला का नाम भी दिया गया है।
- बताया जाता है कि राम मंदिर के आसपास कुछ दूरी पर टाइम कैप्सूल को दबाया गया है। इस उपकरण की मदद से राम मंदिर के बारे में जानकारी निकाली जा सकेगी। अगर सालों बाद राम मंदिर की स्थिति के बारे में कोई जानकारी लेनी हुई तो इस उपकरण से ली जाएगी।
- सोमपुरा के एक आर्किटेक्चर के द्वारा राम मंदिर का नक्शा बनाया गया है। कहा जाता है कि सोमपुरा परिवार हजारों सालों से भवन और मंदिर निर्माण में पारंगत है।
- राम मंदिर के निर्माण के लिए भारत की प्रसिद्ध नदियों के पानी का इस्तेमाल किया गया है और इसके अलावा राम मंदिर के अंदर जल कुंड वा अन्य चीजों के लिए भी अलग-अलग जगह से पानी लाया गया है।
राम मंदिर का नक्शा किसी छोटे-मोटे आर्किटेक्चर ने नहीं बनाया है। जिस आर्किटेक्चर ने बनाया है वह सोमपुर के हैं। राम मंदिर के इस डिजाइन को लगभग 30 वर्ष पहले चंद्रकांत सोमपुरा के बेटे आशीष सोमपुरा के द्वारा बनाया गया था। राम मंदिर लगभग 28000 वर्ग फुट के क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर की ऊंचाई लगभग 161 फिट है।
FAQ
अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन कब होगा?
22 जनवरी 2024 को इसका भव्य रूप से उद्घाटन किया जाएगा।
अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी कौन है?
आचार्य सत्येंद्र दास जी