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पतंगों के त्योहार पर निबंध, कब और क्यों मनाया जाता है पतंगों का त्यौहार? | History & Essay on Kite Festival India 2023 in Hindi

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अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव (Kite Festival 2023): भारत में आए दिनों कोई ना कोई त्यौहार आता रहता है। साल के 12 महीने में होली, रक्षाबंधन और दीपावली जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों की झड़ी लगी रहती है। इन्हीं त्योहारों के बीच भारत में पतंगों का त्योहार भी मनाया जाता है।

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अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह कौन सा नया त्यौहार है? हमने तो कभी पतंगों के त्यौहार का नाम नहीं सुना! लेकिन आपको बता दें की पतंगों का त्योहार किसी त्योहार विशेष का नाम नहीं है बल्कि मकर संक्रांति पोंगल और उत्तरायण जैसे त्योहारों को ही पतंगों का त्योहार कहा जाता है जिन पर सदियों से पतंग उड़ाने की प्रथा चली आ रही है।

इन त्योहारों के मौके पर आसमान में तरह-तरह के रंगों से सजी पतंगे उड़ती रहती हैं या फिर यूं कह लीजिए कि पूरा आसमान ही रंग बिरंगी पतंगों से सजा होता है। खासकर भारत के गुजरात और राजस्थान राज्य में पतंगों के त्यौहार का विशेष महत्व होता है क्योंकि न स्थानों पर पतंगों के त्यौहार को अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

गुजरात और राजस्थान समेत भारत के कई राज्यों में विशेष रुप से पतंगबाजी के लिए पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। हम जानते हैं कि अब आपके मन में यह भी सवाल उठ रहा होगा कि आखिर पतंगों का त्यौहार कब और क्यों मनाया जाता है? पतंगों के त्यौहार का इतिहास और महत्व क्या है? अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव क्या है?

तो चलिए अब एक-एक करके आपके इन सारे सवालों के जवाब देते हैं और साथ ही साथ आपको पतंगों के त्योहार पर निबंध (Essay on Kite Festival India 2023 in Hindi) के बारे में भी बताते हैं।

पतंगों के त्योहार पर निबंध | Kite Festival 2023 India-patang-mahotsav-date-kab-hai

कब और क्यों मनाया जाता है पतंगों का त्योहार?

भारत में मूलतः मकर संक्रांति के त्यौहार को ही पतंगों का त्योहार कहा जाता है। मकर संक्रांति के दिन सदियों से पतंग उड़ाने का रिवाज है जिसके कारण इसे पतंगों के त्यौहार की संज्ञा दी गई है। भारत के देहाती इलाकों में इस त्यौहार को खिचड़ी के नाम से भी जानते हैं।

मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान करके दान पुण्य करने की प्रथा बहुत पहले से चली आ रही है। मकर संक्रांति के दिन लोग दूर-दूर से संगम प्रयाग, हरिद्वार और काशी में गंगा स्नान करने के लिए आते हैं तथा यह स्नान करने के बाद गंगा तट पर दान पुण्य करते हैं।

स्नान करने के बाद लोग मकर संक्रांति के त्योहार पर खिचड़ी का भोग लगाते हैं यही कारण है कि देहाती इलाकों में इसे खिचड़ी के त्यौहार के रूप में भी जाना जाता है। गंगा स्नान और दान करने के अलावा मकर संक्रांति के दिन गुड और तिल का भी काफी विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के मौके पर गुड़ और तिल खाना शुभ माना जाता है।

इन सभी रीति-रिवाजों को पूरा करने के बाद मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी की शुरुआत होती है। मकर संक्रांति के दिन आसमान में जमकर पतंगबाजी होती है जिसके कारण पूरा आसमान तरह-तरह के रंगों की पतंगों से सजा होता है।

किन किन नामों से जानी जाती है मकर संक्रांति?

मकर सक्रांति के त्यौहार को पतंगों का त्यौहार और खिचड़ी के अलावा भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। एक ओर जहां पश्चिम बंगाल के कोलकाता में मकर संक्रांति को पौष संक्रांति कर पुकारते हैं भारत के तमिलनाडु में इस त्यौहार को पोंगल के नाम से जाना जाता है।

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भारत के गुजराती और राजस्थानी इलाकों में मकर संक्रांति के त्योहार को उत्तरायण के नाम से जानते हैं और इन त्योहारों का गुजरात तथा राजस्थान में कुछ ज्यादा ही महत्व होता है क्योंकि इस मौके पर इन राज्यों में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का अर्थ सूर्य का मकर राशि में संक्रमण करना होता है। यानी कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान मकर राशि में प्रवेश करते हैं। जबकि उत्तरायण का अर्थ भगवान सूर्य का पूर्व से उत्तर की ओर गमन होता है जो हिंदू मान्यताओं में अत्यधिक शुभ माना जाता है जबकि इसके विपरीत दक्षिण दिशा में सूर्य का गमन अशुभ होता है।

चूंकि मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गति करते हैं इसीलिए गुजरात और राजस्थान में मकर संक्रांति के त्योहार को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है।

इसके साथ ही मकर संक्रांति का किसानों के जीवन में भी विशेष महत्व होता है क्योंकि इस दिन के बाद मौसम से ठंडी गायब होने लगती है। देहाती इलाकों में इसे लेकर एक कहावत मशहूर है, कहा जाता है कि खिचड़ी के त्यौहार से एक डेलरी ठंडी कम हो जाती है। यानी कि ठंड का एक हिस्सा मकर संक्रांति के त्योहार पर कम हो जाता है।

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राजस्थान और गुजरात का अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव–

हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर राजस्थान और गुजरात में बड़े स्तर पर अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव के दौरान पतंगबाजी के मुकाबलों का आयोजन किया जाता है जिसमें भारत के अलग-अलग राज्यों से लोग हिस्सा लेने के लिए आते हैं। अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव के दिन आयोजित पतंगबाजी के मुकाबलों में भारी-भरकम इनाम भी रखे जाते हैं जो विजेता पतंग बाज को मिलता है।

खासकर भारत के गुजरात राज्य में मकर संक्रांति के कई दिन पहले से ही पतंगे खरीदने की होड़ लग जाती है क्योंकि पतंग महोत्सव लगभग एक हफ्ते तक चलता है। कई बार इसे अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव सप्ताह के रूप में भी जाना जाता है। अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव के मौके पर पतंगबाजी के मुकाबलों को देखने के लिए और इनमें हिस्सा लेने के लिए लाखों लोग गुजरात और राजस्थान आते हैं तथा बढ़-चढ़कर पतंगबाजी के मुकाबलों में हिस्सा लेते हैं।

अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव 2023 कब है? इसकी शुरुआत कब होगी?

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव की शुरुआत मकर संक्रांति के कई दिनों पहले ही हो जाती है। इस साल भी गुजरात और राजस्थान में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव मनाया जाएगा जिसकी तैयारियां 6 जनवरी से ही शुरू हो जाएंगी। यानी कि अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का कार्यक्रम 6 जनवरी से लेकर 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन तक चलेगा। इस मौके पर गुजरात के अहमदाबाद सूरत और राजकोट जैसे अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

पतंगों के त्योहार पर निबंध (Essay On Kite Festival 2023 in Hindi)

भारत में हर साल 14 और 15 जनवरी के दिन मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। खासकर उत्तर भारत में 14 जनवरी के दिन मकर संक्रांति को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इस साल 2023 में भी पतंगों के त्यौहार और अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव को मनाया जाएगा।

मूल रूप से मकर संक्रांति के त्योहार को ही पतंगों का त्योहार कहा जाता है क्योंकि इस दिन पतंग उड़ाने का रिवाज है और यह प्रथा सदियों से चली आ रही है। हालांकि मकर संक्रांति को खिचड़ी, पोंगल और उत्तरायण के अलग अलग नामों से भी जानते हैं।

पतंगों के त्यौहार मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करके अन्न दान करना शुभ माना जाता है। यही कारण है कि मकर संक्रांति के दिन लोग दूर-दूर से संगम प्रयाग जैसे स्थानों पर गंगा स्नान करने के लिए आते हैं। मकर संक्रांति पर सुबह स्नान करने के बाद खिचड़ी खाने की प्रथा भी सदियों से चली आ रही है यही कारण है कि देहाती इलाकों में लोग इसे खिचड़ी के त्यौहार के रूप में भी जानते हैं।

ऐसे तो मकर संक्रांति के कई दिनों पहले से ही आसमान में पतंगों के बादल छाए रहते हैं लेकिन मकर संक्रांति के दिन खासकर पूरा आसमान रंग बिरंगी पतंगों से भरा पड़ा होता है क्योंकि इस दिन लगभग हर इंसान के हाथ में पतंगों की डोरियां होती हैं और इसे उड़ा कर लोग त्यौहार का लुफ्त उठाते हैं।

भारत के राजस्थान और गुजरात राज्य में बड़े पैमाने पर पतंगबाजी के मुकाबलों का आयोजन किया जाता है। गुजरात के इस भव्य आयोजन को अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव के रूप में जाना जाता है।

तो दोस्तों आज साईकिल के जरिए हमने आपको पतंगों के त्यौहार का इतिहास (Kite Festival History And Facts In Hindi) और पतंगों के त्यौहार पर निबंध (Essay On Kite Festival India 2023 In Hindi) के बारे में भी बताया।

उम्मीद करते हैं कि यह आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया होगा।

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FAQ

भारत में पतंग महोत्सव कब मनाया जाता है?

14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव कब से कब तक मनाया जाता है?

यह महोत्सव 6 जनवरी से 15 जनवरी तक आयोजित किया जाता है।

पंतग महोत्सव भारत में कहां-कहां मनाया जाता है?

पंतगों का उत्सव मुख्यत गुजरात व राजस्थान में विशेष तौर पर मनाया जाता है।

मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती है?

भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं जो कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार बेहद शुभ माना जाता है।

मकर संक्रांति का अर्थ क्या होता है?

मकर संक्रांति का अर्थ सूर्य का मकर राशि में संक्रमण होता है।

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