दुनियां का सबसे कीमती कोहिनूर हीरा का इतिहास से जुड़े रोचक तथ्य, कोहिनूर हीरे की कीमत(Kohinoor Diamond History and Facts in Hindi)
दोस्तों आपने कभी ना कभी कोहिनूर हीरे के बारे में तो सुना ही होगा। कोहिनूर हीरे को दुनिया का सबसे बेशकीमती हीरा माना जाता है। कोहिनूर इस दुनिया का सबसे प्रसिद्ध हीरा होने के साथ-साथ सबसे पुराना और महंगा हीरा भी माना जाता है।
कभी किसी ने इसे तख्त और ताज के लिए वरदान माना तो कभी इसे अभिशाप मान लिया गया। हालांकि कोहिनूर से जुड़ा हर वाकया ही इतना अजीबोगरीब है कि लोग इसे वरदान और अभिशाप दोनों मानने लगे हैं। कोहिनूर हीरे ने न जाने कितने राज परिवारों को तबाह कर दिया और कोहिनूर रखने वाले न जाने कितने ही सुल्तानों को मौत के घाट उतर गए।
जो भी हो लेकिन कोहिनूर आज भी दुनिया का सबसे बेशकीमती हीरा है। कोहिनूर शब्द की उत्पत्ति फारसी शब्द कोह-ए-नूर शब्द से हुई है जिसका मतलब प्रकाश का पर्वत अथवा रोशनी का पहाड़ है।
दुनिया का सबसे कीमती हीरा कोहिनूर भारत की ही देन है जिसे ब्रिटिश हुकूमत ने हथिया लिया था। आज भी यह बेशकीमती हीरा ब्रिटेन के रॉयल कलेक्शन में शामिल है और ब्रिटेन की महारानीयों के ताज पर सजता है। सबसे पहले यह हीरा ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के ताज की शोभा बढ़ाने के लिए उनके ताज में लगाया गया था जो बाद में ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय को मिल गया जिनकी हाल ही में मृत्यु हो गई।
कोहिनूर हीरे का इतिहास बेहद इंटरेस्टिंग है और इससे जुड़े हुए सारे रोचक तथ्य यानी फैक्ट्स भी उतने ही हैरान कर देने वाले हैं। तो आइए आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कोई कोहिनूर का इतिहास और इससे जुड़े हुए रोचक तथ्य (Kohinoor Diamond History and Facts In Hindi) के बारे में बताएंगे।
विषय–सूची
कोहिनूर हीरा का इतिहास (Kohinoor Diamond History and Facts in Hindi)
भारतीय इतिहासकारों के अनुसार बेशकीमती कोहिनूर हीरा दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के गोलकुंडा की खान से निकला था जो विश्व के सबसे प्राचीन खानों में से एक मानी जाती है।
कहा जाता है कि कोहिनूर लगभग 1306 के दौरान चर्चा में आया। इस दौरान इसे पहनने वाले एक शख्स ने लिखा कि जो शख्स कोहिनूर हीरे को पहनेगा वह पूरी दुनिया पर राज करेगा। लेकिन इसी कोहिनूर को पाने के बाद उस शख्स का दुर्भाग्य शुरू हो गया।
कहा जाता है कि चर्चा में आने के पूर्व कोहिनूर हीरा ग्वालियर के किसी राजा के पास था। बाबर की आत्मकथा बाबरनामा के अनुसार साल 1294 के लगभग कोहिनूर पर ग्वालियर के किसी राजा का अधिकार था हालांकि इसमें यह बात भी कही गई है कि तब उसका नाम कोहिनूर नहीं था।
माना जाता है कि चर्चा में आने के बाद यह हीरा काकतीय वंश को मिला लेकिन 1323 में तुगलक शाह प्रथम से युद्ध में पराजय के साथ ही काकतीय वंश का अस्तित्व समाप्त हो गया। काकतीय वंश के पतन के बाद कोहिनूर हीरा मोहम्मद बिन तुगलक के हाथ आ गया। यह भी माना जाता है कि लगभग 1325 से लेकर 1351 तक यह हीरा मोहम्मद बिन तुगलक के पास ही रहा और बाद में मुगलों को मिला। कहा जाता है कि इस हीरे को हथियाने के बाद ही तुगलक वंश तेजी से उभरा लेकिन इसी हीरे के अभिशाप के कारण ही उसका पतन भी हो गया।
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बाबरनामा में पहली बार हुआ था कोहिनूर हीरे का जिक्र–
कोहिनूर हीरे का सबसे पहले जिक्र बाबर की आत्मकथा बाबरनामा में किया गया था जिसमें मुगल शासक बाबर ने लिखा कि उसे यह हीरा उसके बेटे ने उपहार स्वरूप भेंट किया था। मुगल साम्राज्य के दौरान इसे बाबर का हीरा कह कर ही बुलाया जाता था।
मयूर सिंहासन में भी जड़ा गया था बेशकीमती कोहिनूर हीरा–
मुगल सम्राट बाबर और हुमायूं की मौत के बाद कोहिनूर हीरा हुमायूं के बेटे शाहजहां को मिला जिसने इसे अपने मयूर सिंहासन में जड़वा दिया जिसे पहले तख्त-ए-ताउस के नाम से जाना जाता था। बाबर का हीरा पाने के बाद शाहजहां की दौलत और साम्राज्य में काफी बढ़ोतरी हुई लेकिन इसके साथ-साथ उनका दुर्भाग्य भी शुरू हो गया। क्योंकि इसी दौरान शाहजहां की पत्नी मुमताज का देहांत भी हो गया।
मुमताज की मौत के बाद सिंहासन के लालच में शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने उसे नजर बंद कर दिया और अपने सभी भाइयों की हत्या कर के सिंहासन पर अपना अधिकार जमा लिया। लेकिन सिंहासन पर बैठने के कुछ देर बाद उसका भी दुर्भाग्य शुरू हो गया। कहा जाता है कि मयूर सिंहासन में जुड़ा हुआ बाबर का हीरा इतना प्रसिद्ध हुआ कि दुनिया भर के बड़े-बड़े जोहरी इसे देखने के लिए आने लगे। उन्हीं जौहरीयों में वेनिस के होर्टेंसो बोर्जिया भी शामिल थे।
तब 739 कैरेट का था कोहिनूर हीरा –
बताया जाता है कि औरंगजेब ने वेनिस के होर्टेंसो बोर्जिया को हीरा तराशने के लिए दिया था ताकि उस की चमक और भी बढ़ जाए लेकिन नतीजा यह निकला कि उस जौहरी ने हीरे के कई टुकड़े कर दिए। तराशने के दौरान हुई दुर्दशा के कारण 739 कैरेट का हीरा महज 186 कैरेट का रह गया।
मुगल साम्राज्य की बिगड़ती स्थिति को देखकर फारसी शासक नादिरशाह ने भारत आकर 1739 में मुगल सल्तनत पर आक्रमण कर दिया। इस दौरान उसने दिल्ली और आगरा समेत कई जगहों पर भारी-भरकम लूटपाट की और मुगलों का मयूर सिंहासन तथा यह बेशकीमती हीरा लेकर ईरान चला गया।
नादिरशाह ने दिया था कोहिनूर नाम–
जब नादिरशाह ने इस बेशकीमती हीरे की लहलहाती चमक को देखा तो उसके मुंह से कोह-ए-नूर निकल पड़ा जिस का हिंदी में मतलब रोशनी का पहाड़ होता है। तभी से इस हीरे को कोहिनूर नाम मिला।
हालांकि इस कोहिनूर को हथियाने के बाद नादिर शाह के भी बुरे दिन शुरू हो गए और कोहिनूर हीरा ले जाने के ठीक 8 साल बाद 1747 में नादिर शाह की हत्या हो गई।
नादिर शाह की मौत के बाद कोहिनूर हीरा अफगानी शहंशाह अहमद शाह दुर्रानी के हाथ लगा और आगे चलकर यह हीरा उसी के वंशज शाहजुआ दुर्रानी को मिल गया। लेकिन जब अहमद शाह अब्दाली के पौत्र और तो शाह के बेटे मोहम्मद शाह ने शाहजुआ दुर्रानी पर आक्रमण कर दिया तो किसी तरह से कोहिनूर को लेकर जान बचाते हुए भारत आया और उसने यही हीरा पंजाब के राजा रणजीत सिंह को थमा दिया। इसके बदले में राजा रणजीत सिंह ने शाह जुआ दुर्रानी को पुनः अफगानिस्तान का राज सिंहासन पाने में उसकी मदद की।
भगवान जगन्नाथ को राजा रणजीत सिंह ने कोहिनूर किया था दान–
कहा जाता है कि साल 1839 में महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई जिसके बाद 30 मार्च 1849 को ब्रिटिश साम्राज्य का अंग बना लिया गया जिसके बाद अंग्रेजों ने महाराजा रणजीत सिंह की सारी संपत्ति हथिया ली जिसमें कोहिनूर हीरा भी शामिल था। बताया जाता है कि महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी मृत्यु के बाद कोहिनूर हीरो को भगवान श्री जगन्नाथ पुरी को दान कर देने की बात कही थी लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसे उनकी वसीयत ना मानते हुए ब्रिटेन भेज दिया।
लाहौर की संधि के दौरान अंग्रेजों को मिला कोहिनूर–
लाहौर की संधि के दौरान लाहौर के राजा ने कोहिनूर हीरा ब्रिटिश हुकूमत को सौंप दिया। कोहिनूर हीरे को ब्रिटेन ले जाने में भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड डलहौजी का सबसे बड़ा हाथ था। कहा जाता है कि लॉर्ड डलहौजी कोहिनूर को अपनी आस्तीन में सिलवा के लंदन चला गया और वहां जाकर उसने कोहिनूर हीरा ईस्ट इंडिया कंपनी के डायरेक्टर्स को सौंप दिया।
महारानी विक्टोरिया ने ताज में जड़वाया था कोहिनूर–
साल 1950 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोई नूर हीरा ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया। कहा जाता है कि महारानी विक्टोरिया को कोहिनूर का तत्कालीन प्रारूप पसंद नहीं आया जिस कारण उन्होंने एक बार फिर से कोहिनूर हीरे को तराशने के लिए दे दिया। तराशने के बाद 186 कैरेट का कोहिनूर हीरा 105.6 कैरेट का रह गया। साल 1911 में यह हीरा महारानी अलेग्जेंडर मैरी के सरताज में जड़ दिया गया। और आज भी यह हीरा ब्रिटेन के रॉयल कलेक्शंस में शामिल है और मौत से पहले महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताज में जड़ा हुआ था।
कोहिनूर हीरे से जुड़े फैक्ट्स अथवा रोचक तथ्य (Interesting Facts about Kohinoor)
- कोहिनूर इस दुनिया का सबसे कीमती हीरा है। बाबरनामा में बाबर ने कहा है कि अगर कोहिनूर को बेच दिया जाए तो उसकी कीमत से 2 दिन तक पूरी दुनिया को खाना खिलाया जा सकता है।
- आपको जानकर हैरानी होगी कि आज तक कभी कोहिनूर हीरे का सौदा नहीं हुआ और ना ही इसे बेचा गया बल्कि यह एक राजा से दूसरे राजाओं और सुल्तानो को मिला और अंततः राजा रंजीत सिंह से ब्रिटिश हुकूमत ने हथिया लिया।
- जब कोहिनूर हीरा पाया गया था उस समय यह कुल 739 कैरेट का था लेकिन औरंगजेब के शासन में वेनिस के जौहरी होर्टेंसो बोर्जिया द्वारा तरह से जाने के बाद यह केवल 186 कैरेट का बचा। और बाद में इसे फिर महारानी विक्टोरिया द्वारा तराशवाया गया जिसके बाद अब यह महज 105.6 कैरेट का बचा है।
- मुगल काल में कोहिनूर हीरे को बाबर का हीरा कहा जाता था जिसे हुमायूं ने बाबर को भेंट किया था।
- शाहजहां के मयूर सिंहासन में भी कोहिनूर हीरा जड़ा गया था जिसे तख्ते ताऊस के नाम से भी जाना जाता है।
- ईरानी शासक नादिरशाह ने इस हीरे का नाम कोहिनूर रखा। कोहिनूर एक फारसी शब्द है जिसका मतलब रोशनी का पहाड़ होता है। यह नाम हीरे को उसकी चमक और चकाचौंध के कारण मिला।
- 1658 में कोहिनूर हीरे को चखने की वजह से आनंद बाबू की मौत हो गई थी।
- हिंदुओं के धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कोहिनूर हीरा लगभग 5000 वर्ष पुराना है जो सांस्कृतिक इतिहास में स्यमंतक मणि के नाम से प्रसिद्ध थी। यह मणि जामवंत को मिली थी जिसके बाद उन्होंने इस मणि को हिंदुओं के आराध्य भगवान श्री कृष्ण को दे दिया था और बाद में कृष्ण जी ने उनकी पुत्री जामवंती से विवाह किया था।
- शुरुआत में जिस इंसान को कोहिनूर हीरा मिला था उसने लिखा था कि यह कोहिनूर हीरा जिसे मिलेगा वह पूरी दुनिया पर राज करेगा। हालांकि महारानी विक्टोरिया के संदर्भ में यह बातें भी कुछ हद तक सही हैं।
- एक तरफ जहां कोहिनूर को वरदान माना जाता है वहीं दूसरी तरफ इसे अभिशाप भी माना जाता है। इतिहास में कोहिनूर जिन जिन राजा और शासकों के पास गया उनके दुर्भाग्य और मौत का कारण बना।
- कुछ मान्यताओं के अनुसार कोहिनूर हीरा केवल पुरुष स्वामियों के लिए दुर्भाग्य और मौत का कारण बनता है जबकि महिला स्वामीनियों के लिए यह हीरा सौभाग्य के नए द्वार खोल देता है।
- इन्हीं मान्यताओं के कारण महारानी विक्टोरिया ने कोहिनूर हीरे की वसीयत राजघराने की महारानीओं के नाम कर दी थी। उन्होंने कोहिनूर से जुड़ा हुआ ताज पहनने का उत्तराधिकार केवल महारानीयों को दिया है।
- अगर ब्रिटेन के राजघराने की सत्ता किसी पुरुष राजा के हाथ में है तो कोहिनूर से जुड़ा हुआ यह ताज उसकी पत्नी तथा ब्रिटेन की रानी पहनेंगी।
- कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर कोहिनूर हीरे को इस समय बेचा जाए तो उसकी कीमत लगभग एक सौ पचास हजार करोड़ रुपए के करीब होगी।
- इस समय या बेशकीमती कोहिनूर हीरा ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताज में जड़ा हुआ है।
- कोहिनूर को लेकर अलग-अलग देश उस पर अपना अधिकार जमाते रहते हैं। आज से कई सालों पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ज़ुल्फिकार अली भुट्टो ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को एक खत लिखा था जिसमें उन्होंने कोहिनूर हीरो को पाकिस्तान को वापस देने की बात कही थी।
- पंजाब के राजा रंजीत सिंह ने कोहिनूर हीरे को भगवान जगन्नाथ के नाम दान किया था। भारतीयों का मानना है कि कोहिनूर हीरा भगवान जगन्नाथ का उत्तराधिकार है क्योंकि महाराजा रणजीत सिंह ने इसे उन्हें दान किया था अतः ब्रिटिश हुकूमत को यह हीरा वापस लौटा देना चाहिए।
- महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मौत के बाद भारतीयों द्वारा कोहिनूर को लौटाने की मांग काफी तेजी से उठ रही है।
- ब्रिटेन के बहुत से इतिहासकार भी यह चाहते हैं कि कोहिनूर हीरा भारत को वापस लौटा दिया जाए।
- माना जाता है कि बेशकीमती कोहिनूर हीरा दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के गोलकुंडा खान में मिला था।
- साल 1306 में पहली बार कोहिनूर हीरा चर्चा में आया था।
- कहा जाता है कि अहमद शाह अब्दाली के पौत्र और तैमूर शाह के बेटे ने कोहिनूर को हासिल करने के लिए भारत पर आक्रमण करने की योजना बनाई थी लेकिन तैमूर शाह के दूसरे बेटे मोहम्मद शाह द्वारा ही उसे बंदी बना लिया गया और कारावास में रहते हुए उसकी दोनों आंखे निकाल ली गई।
तो दोस्तों कोहिनूर हीरे के इतिहास और उससे जुड़े हुए रोचक तथ्यों पर यह आर्टिकल बेहद पसंद आया होगा।
FAQ
कोहिनूर हीरे की कीमत कितनी होगी?
कुछ रिपोर्ट्स के दावों के मुताबिक इस समय कोहिनूर हीरे की कीमत लगभग एक सौ पचास हजार करोड़ होगी। हालांकि अभी तक कभी कोहिनूर हीरे का सौदा नहीं हुआ है।
कोहिनूर हीरा कहां से निकला था?
कोहिनूर दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के गोलकुंडा की खान से निकला था।
कोहिनूर हीरा कितने कैरेट का है?
इस समय कोहिनूर हीरा 105.6 कैरेट का है हालांकि जब यह मुगल शासकों के हाथ में आया था उस समय 739 कैरेट था।
कोहिनूर का अर्थ क्या होता है?
कोहिनूर शब्द फारसी भाषा के कोह-ए-नूर से लिया गया है जिसका मतलब रोशनी का पहाड़ होता है।
कोहिनूर हीरा किसके पास है ?
इस समय बेश कीमती कोहिनूर हीरा ब्रिटेन के राजघराने में है जो वहां की महारानी के ताज पर जड़ा हुआ है।
जगन्नाथपुरी को कोहिनूर हीरा किस ने दान किया ?
पंजाब के महाराजा रंजीत सिंह ने कोहिनूर हीरे को जगन्नाथपुरी को दान किया था लेकिन उनकी मौत के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने इस पर अपना अधिकार जमा लिया और इसे ब्रिटेन भेज दिया।