Mathura dwarkadhish mandir history in hindi, मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास, Mathura Dwarkadhish mandir Timing, How to reach Mathura Dwarkadhish Temple (मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर दर्शन का समय, कैसे जाएं मथुरा द्वारकाधीश मंदिर)
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करने जा रहे हैं ,मथुरा के धार्मिक मंदिर द्वारकाधीश मंदिर के बारे में इस मंदिर से जुड़ी सभी रोचक बातें हम आपको आज के इस आर्टिकल में बताएंगे और इसके इतिहास और इससे जुड़ी मान्यता का भी वर्णन हम इस लेख के अंदर आपको बताएंगे तो आप हमारे साथ आखिर तक बने रहें।
द्वारिकाधीश धाम भारत के चार प्रमुख धामों में बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम के बाद चौथा स्थान द्वारकाधीश का आता है, और हिंदू धर्म के लिए यह धार्मिक स्थल बहुत महत्व रखता है हिंदू धर्म के लोगों का यह मानना है, कि यह नगर स्वयं श्री कृष्ण के द्वारा बसाया गया है।
यह मंदिर उत्तर प्रदेश में स्थित है, और उत्तर प्रदेश के सभी धार्मिक मंदिरों में से यह मंदिर एक है, इसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे द्वारकाधीश जगत मंदिर, द्वारकाधीश के राजा आदि नामों से जाना जाता है यह मंदिर पूर्ण रूप से भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है, और इस मंदिर का निर्माण 1814 मैं कृष्ण जी के एक बहुत बड़े भक्त के द्वारा करवाया गया है यहां पर रोजाना हजारों की तादाद में श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण के दर्शन पाने के लिए आते हैं इस मंदिर में अनेक प्रकार की वास्तुकला और चित्र को दर्शाया गया है।
यह भी एक कारण है कि यह मंदिर पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है यह चित्र भगवान से जुड़े विभिन्न बातों को बताते हैं मानसून की शुरुआत में यहां पर अद्भुत झूले और अनेकों जातियां देखने को मिलती है उस समय यहां पर हजारों की भीड़ उमड़ती है।
अगर आप ने इस मंदिर की यात्रा नहीं की है तो आप अपने संपूर्ण जीवन काल में एक बार मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर की यात्रा अवश्य करें यह मंदिर आपके मन को लुभा लेगा और आपको कृष्ण भक्ति में लीन करने के लिए मजबूर कर देगा।
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विषय–सूची
मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास(History of the Dwarkadhish temple hindi)
लगभग 200 साल पुराना यह मंदिर 1814 में कृष्ण जी के परम भक्त और ग्वालियर राजा के कोषाध्यक्ष सेठ गोकुलदास पार्टी द्वारा इसका निर्माण कार्य शुरू किया गया लेकिन कुछ समय बाद उनका देहांत हो गया और उनके देहांत के बाद मंदिर का कार्य उनके सुपुत्र लक्ष्मी चंद्र ने पूरा करवाया और बाद में इस मंदिर के पूजन के लिए द्वारकाधीश मंदिर को पुष्टिमार्ग के आचार्य गिरधर लाल जी को 1930 में सौंप दिया गया और उस समय के बाद इस मंदिर में पुष्टिमार्ग तरीके से पूजन का कार्य किया जाता है।
वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध
इस मंदिर के वास्तुकला मन को लुभाने वाली है इस मंदिर की दीवारों पर हाथों से बहुत ही सुंदर सुंदर कलाकृतियां बनाई गई है जो कि भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी लीलाओं को दर्शाती है यह मंदिर बहुत बड़ा मंदिर है।
और मंदिर की दीवारों की गई वास्तुकला राजस्थान शैली में की गई है, इन्हीं वास्तुकला के कारण यह मंदिर पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है एक भव्य दरवाजा इस मंदिर के अंदर उपस्थित है और यार्ड के अंदर एक सुंदर चित्रों की नक्कासी की गई है जोकि तीन स्तंभों पर टिकी हुई है।
मंदिर के अंदर की वास्तुकला
मंदिर के अंदर जाने के लिए सबसे पहले आपको कुछ खड़ी सीढ़ियां चढ़ने पड़ती है और मंदिर के अंदर प्रवेश करने के बाद यहां पर आपको निकासी दार स्तंभों की पांच पंक्तियां देखने को मिलेगी जो पूरे आंगन के अंदर 3 अलग-अलग हिस्सों में बटी कोई है, यह आंगन को तीन अलग-अलग हिस्सों में बांटती है, यह इससे लोगों के आने की जाने के लिए होते हैं, जिसमें से डाई लाइन महिलाओं के लिए बाई लाइन पुरुषों के लिए और बीच की लाइन वीआईपी के लिए होती है यहां पर दान आदि चढ़ावे के लिए एक बड़ी दान पेटी रखी गई है
मंदिर के आंगन के बिल्कुल सामने गर्भ ग्रह है यहां पर द्वारिकाधीश जी की पवित्र मूर्ति स्थापित है मूर्ति के दर्शन के साथ-साथ यहा की दीवारों पर सुंदर सुंदर आकृति अभी बनाई गई है, इन कलाकृतियों में श्री कृष्ण के जन्म और उनकी रास लीलाओं के बारे में दर्शाया गया है यहां पर आप श्री कृष्ण की मुख्य मूर्ति के अलावा कुछ अन्य धार्मिक मूर्तियों के दर्शन भी कर सकते हैं और यहां पर छोटे-छोटे तुलसी के अनेक पौधे देखने को मिल जाते हैं, जो कि भगवान श्री कृष्ण के प्रिय है
द्वारकाधीश मंदिर में मनाए जाने वाले धार्मिक उत्सव
यह धार्मिक मंदिर अपने वास्तुकला के साथ-साथ कुछ पवित्र त्योहारों के लिए भी प्रसिद्ध है, जो यहां पर बहुत ही धूमधाम से मनाए जाते हैं और यहां पर हजारों श्रद्धालु अपनी श्रद्धा भाव से आते हैं
द्वारकाधीश मंदिर के कपाट खुलने का समय, दर्शन करने का समय (Timing)
प्रातःकाल (Morning) | समय सारिणी (Timing) |
---|---|
मंगला आरती | 6.30 |
मंगला दर्शन का समय | 7.00 से 8.00 |
अभिषेक पूजा [स्नन विधी]: दर्शन बंद | 8.00 से 9.00 |
श्रृंगार दर्शन का समय | 9.00 से 9.30 |
स्नान भोग : दर्शन बंद | 9.30 से 9.45 |
श्रृंगार दर्शन का समय | 9.45 से 10.15 |
श्रृंगारोगोग: दर्शन बंद | 10.15 से 10.30 |
श्रृंगार आरती | 10.30 से 10.45 |
ग्वाल भोग: दर्शन बंद | 11.05 से 11.20 |
दर्शन का समय | 11.20 से 12.00 |
राजभाग: दर्शन बंद | 12.00 से 12.20 |
दर्शन का समय | 12.20 से 12.30 |
अनोसार, दर्शन बंद | 13.00 |
संध्या काल (Evening) | समय सारिणी (Timing) |
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पहला दर्शन | 5.00 उथप्पा |
उथप्पान भोग: दर्शन बंद | 5.30 से 5.45 |
दर्शन का समय | 5.45 से 7.15 |
संध्या भोग: दर्शन बंद | 7.15 से 7.30 |
संध्या आरती | 7.30 से 7.45 |
शयनभोग: दर्शन बंद | 8.00 से 8.10 |
दर्शन का समय | 8.10 से 8.30 |
शायन आरती | 8.30 से 8.35 |
दर्शन का समय | 8.35 से 9 .00 |
बंटभोग और शयन: दर्शन बंद | 9.00 से 9.20 |
दर्शन का समय | 9.20 से 9.30 |
मंदिर कपाटबंद | 9.30 |
श्री कृष्ण जन्म उत्सव (जन्माष्टमी)
जैसा कि इस त्योहार के नाम से ही पता चल रहा है कि यह त्यौहार श्री कृष्ण के जन्मोत्सव जन्माष्टमी पर मनाया जाता है और यह त्यौहार यहां पर पूरे शहर में बहुत ही धूमधाम और श्रद्धा भाव से मनाया जाता है इस उत्सव के चलते पूरी द्वारकाधीश नगरी को दुल्हन के समान सजाया जाता है, और मंदिर के अंदर भगवान श्री कृष्ण को पानी, दूध और दही से स्नान करवाया जाता है और स्नान के पश्चात श्रीकृष्ण को पालने में विराजित किया जाता है इस उत्सव को मनाने के लिए देश के विभिन्न कोनों से श्रद्धालु आते हैं और इस त्यौहार का आनंद बड़े ही श्रद्धा भाव से लेते हैं।
हिंडोला उत्सव
यह उत्सव मथुरा का एक धार्मिक उत्सव है जो मथुरा नगरी में मनाया जाता है, और यह उत्सव सावण (अगस्त सितंबर) के हिंदू महीने में मनाया जाता है इसका एक अन्य नाम जो कि झूला उत्सव है, इस उत्सव के अंदर राधा रानी को और श्रीकृष्ण जी को सोने चांदी से लेकर और अनेक प्रकार के फूलों और रंग-बिरंगे वस्त्र से लेकर एक फलों के द्वारा बने झूले के अंदर दोनों को जलाया जाता है।
द्वारकाधीश मंदिर के पास कुछ दर्शन स्थल।
अगर आप भी पवित्र नगरी मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में जाने की सोच रहे हैं, तो आप इसके आसपास के कुछ पवित्र दर्शन स्थलों के बारे में अवश्य जान ले और यहां के यात्रा अवश्य करें
- गोवर्धन पहाड़ी
- कुसुम सरोवर
- रंगजी मंदिर
- बरसाना
- श्री कृष्ण जन्मभूमि
- कंस किला
- मथुरा के पवित्र घाट
कैसे जाएं मथुरा द्वारकाधीश मंदिर।
तो दोस्तों अगर आप भी मथुरा के पवित्र स्थल द्वारकाधीश मंदिर की यात्रा करने का सोच रहे हैं, और द्वारकाधीश जाने का आसान रास्ता ढूंढ रहे हैं।
तो मैं आपको बता दूं की मथुरा नगरी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है, जहां पर आप अपने यातायात के विभिन्न साधनों के माध्यम से पहुंच सकते हैं और इस पवित्र स्थल के दर्शन कर सकते हैं, यहां पर आप अपने प्राइवेट वही कल को बड़े ही आराम से लेकर जा सकते हैं, और आप चाहे तो बस ,ट्रेन से भी इस पवित्र स्थल की यात्रा कर सकते हैं।
Conclusion (निष्कर्ष):-
तो दोस्तों कैसा लगा आपको हमारा आज का यह आर्टिकल उम्मीद करता हूं कि आपको हमारा आज का यह आर्टिकल पसंद आया होगा अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आए तो इसे लाइक शेयर कमेंट अवश्य करें और इसे अपनी सोशल मीडिया साइट पर अवश्य शेयर करें ताकि आपके अन्य दोस्तों को भी इस मंदिर के बारे में पता चल सकेऔर अगर आपको हमारे इस आर्टिकल में कोई कमी नजर आए तो हमें कमेंट सेक्शन में अवश्य बताएं हम आपके कमेंट का जल्द से जल्द रिप्लाई करेंगे।