क्रांतिकारी मैडम भीकाजी कामा का इतिहास व जीवन परिचय, स्वाधीनता संग्राम में योगदान (Facts, history of Bhikaji Cama Biography in Hindi, Daughter of india)
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में हमारे बहुत से क्रांतिकारियों का योगदान था। हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानी न केवल भारत में रहकर बल्कि भारत से दूर विदेशों में रहकर भी स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। विदेश में रहकर स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरित करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में विनायक दामोदर सावरकर और भीकाजी कामा शामिल थे।
हालांकि आज भी देश के बहुत से लोग आजादी की लड़ाई में भीकाजी कामा के योगदानो के बारे में नहीं जानते। भीकाजी कामा को मैडम कामा तथा मैडम भीकाजी रुस्तम कामा के नाम से जाना जाता है।
मैडम भीकाजी कामा भारतीय मूल की फ्रांसीसी नागरिक थी जिन्होंने विदेश में रहते हुए भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने विनायक दामोदर सावरकर और हरदयाल जी के साथ मिलकर भारतीय क्रांतिकारियों को कूच करने के लिए स्वाधीनता की क्रांति का एक उपयुक्त वातावरण तैयार किया।
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विषय–सूची
कौन थी मैडम भीकाजी कामा?
इतना ही नहीं मैडम भीकाजी कामा ने भारत के पहले ध्वज को फहराया था जिसमें केसरिया लाल और हरे रंग की पट्टियां लगी हुई थी। ऐसा माना जाता है कि भारतीय ध्वज के इतिहास के पहले झंडे का प्रारूप भीकाजी कामा और उनके कुछ अन्य सहयोगियों ने ही तैयार किया था। इन सबके अलावा उन्होंने वंदे मातरम जैसे पत्रों का प्रकाशन किया जिसका भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा और यह पत्रिका अत्यंत लोकप्रिय हुई।
मैडम भीकाजी कामा ने विदेश में रहते हुए भी एक क्रांतिकारी की तरह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई में अपनी भूमिका निभाई थी। आजादी की लड़ाई में उनके विशेष योगदान के लिए उन्हें देश की बेटी और मदर आफ इंडियन रिवॉल्यूशन के नाम से जाना जाता है।
तो आइए आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको मैडम भीकाजी कामा की जीवनी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में दिए गए योगदानों के बारे में बताते हैं।
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मैडम भीकाजी कामा का सक्षिप्त परिचय (Bhikaji Cama Biography in hindi)
पूरा नाम (Full Name) | सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
प्रसिद्ध नाम | देश की बेटी, मैडम रुस्तम भीकाजी कामा, क्रांतिकारी महिला, मदर ऑफ इंडियन रेवोलुशन, |
पिता (Father Name) | सोराबजी फ्रैमजी पटेल |
माता (Mother Name) | जैजीबाई सोराबजी |
जन्म (Date of Birth) | 24 सितंबर, 1861 |
जन्म स्थान (Birth Place) | मुंबई, महाराष्ट्र |
निधन | 13 अगस्त, 1936 |
धर्म (religion) | पारसी |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय, फ्रांस |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
विवाह | 3 अगस्त 1885 |
पति का नाम | रुस्तम के.आर. कामा |
बच्चें | 5 बेटियां, एक बेटा |
बेटियों के नाम | सुशीला, रुक्मिणी, पद्मावती, शकुंतला और सुंदरी |
बेटे का नाम | सर्वपल्ली गोपाल |
मैडम भीकाजी कामा का जन्म एवं शुरुआती जीवन –
मैडम भीकाजी कामा 24 सितंबर 1861 को महाराष्ट्र की मुंबई के पारसी परिवार में पैदा हुई थी। भीकाजी कामा को मैडम कामा के नाम से भी जाना जाता है।
इनके पिता का नाम सोराबजी फ्रैमजी पटेल था जबकि इनकी माता का नाम जैजीबाई सोराबजी पटेल था। मैडम भीकाजी कामा का विवाह रुस्तम के. आर. कामा से हुआ जो एक समाज सुधारक थे। मैडम भीकाजी कामा के अंदर मानव सेवा की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। वह मानव सेवा को सबसे बड़ा धर्म मानती थी।
यही कारण था कि साल 1896 में जब पूरा मुंबई प्लेग की चपेट में आ गया था तब भीकाजी कामा ने मानव सेवा को प्राथमिकता देते हुए मरीजों की सेवा की। उन्होंने प्लेग से जूझ रहे मरीजों के उपचार के लिए तमाम व्यवस्थाएं की। हालांकि मरीजों की सेवा के दौरान वह भी प्लेग की चपेट में आ गई थी। प्लेग संक्रमण के बाद मुंबई के डॉक्टरों ने इन्हें विदेश में उपचार कराने की सलाह दी।
साल 1902 में मैडम भीकाजी कामा लंदन चली गई और वहां जाकर इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और क्रांति कार्यों के लिए विशेष वातावरण तैयार किया ताकि भारत अपनी स्वाधीनता के लिए लड़ सके।
मैडम भीकाजी कामा का इतिहास एवं स्वाधीनता संग्राम में योगदान
साल 1907 में मैडम भीकाजी कामा और सरदार सिंह राणा ने मिलकर भारत के पहले तिरंगे झंडे को डिजाइन किया जिसमें हरा नारंगी और लाल रंग शामिल था।
- 22 अगस्त 1907 को मैडम भीकाजी कामा और सरदार सिंह राणा द्वारा तैयार किए गए तिरंगे झंडे के प्रारूप को पहली बार जर्मनी में हो रहे इंटरनेशनल सोशलिस्ट कान्फ्रेंस में फहराया गया। भीकाजी कामा ऐसी व्यक्ति थे जिन्होंने भारत के तिरंगे झंडे को सबसे पहले विदेश में फहराया था।
- देश को पहले तिरंगे झंडे के रूप में राष्ट्रध्वज समर्पित करने के बाद मैडम भीकाजी कामा ने उस कान्फ्रेंस में अंग्रेजी हुकूमत से भारत को आजाद करने की अपील भी की थी।
- आपको जानकर हैरानी होगी कि मैडम भीकाजी कामा और सरदार सिंह राणा द्वारा डिजाइन किया गया पहला तिरंगा झंडा आज भी गुजरात के भावनगर में सुरक्षित रखा गया है। यह तिरंगा झंडा सरदार सिंह राणा के पुत्र और गुजरात के कद्दावर भाजपा नेता राजेंद्र सिंह राणा के पास सुरक्षित है जिन्हें राजू भाई राणा के नाम से भी जाना जाता है।
- प्लेग से संक्रमित होने के बाद मैडम भीकाजी कामा फ्रांस गई और वहां जाकर इन्होंने फ्रांस की नागरिकता ले ली। मैडम भीकाजी कामा ने यूरोप महाद्वीप के जर्मनी, स्कॉटलैंड और फ्रांस जैसे देशों में भ्रमण किया जिसके बाद साल 1905 में वह लंदन आ गई।
- मैडम भीकाजी कामा ने दादा भाई नौरोजी के सचिव के रूप में भी कार्य किया जिस दौरान इनका संपर्क बहुत से भारतीय क्रांतिकारियों से हुआ और यह भी स्वाधीनता की लड़ाई में शामिल हो गई।
- लंदन आने के बाद इनकी मुलाकात विनायक दामोदर सावरकर, हरदयाल और श्याम जी कृष्ण शर्मा से हुई। इन लोगों से प्रेरणा लेकर मैडम भीकाजी कामा सावरकर के साथ मिलकर काम करने लगी।
- भीकाजी कामा जब फ्रांस में थी उस दौरान उन्होंने भारतीय क्रांतिकारियों को क्रांति के कई संदेश दिए जिस कारण ब्रिटिश सरकार ने उन्हें फ्रांस से वापस बुलाना चाहा लेकिन जब वह नहीं आई तो ब्रिटिश सरकार द्वारा उनकी सारी भारतीय संपत्ति जप्त कर ली गई। मैडम भीकाजी कामा के सहयोगी उन्हें भारतीय क्रांति की माता Mother Of Indian Revolution मानते थे।
- 13 अगस्त 1936 को मैडम भीकाजी कामा की मृत्यु हो गई और वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के पन्नों में अमर हो गई।
मैडम भीकाजी कामा को सम्मान
मैडम भीकाजी कामा को जीते जी कोई विशेष सम्मान नहीं मिला लेकिन उनकी मौत के बाद जब 1947 में भारत आजाद हुआ तो 26 जनवरी 1962 को गणतंत्र दिवस के दिन मैडम भीकाजी कामा के नाम से डाक टिकट जारी कर उन्हें फिर से याद किया गया। आज भी भारत में कई संस्थान और जगहों को उनके नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं हमारे देश में उनके नाम से कई सारे मार्ग भी बनाए गए हैं जो आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को जीवित कर देते हैं।
तिरंगे झंडे को फहराने वाली पहली शख्स थी भीकाजी कामा –
22 अगस्त साल 1907 में जर्मनी के इंटरनेशनल सोशलिस्ट कॉन्फ्रेंस में पहली बार तिरंगे झंडे को भीकाजी कामा द्वारा फहराया गया था। माना जाता है कि इस तिरंगे झंडे को मैडम भीकाजी कामा और उनके सहयोगी सरदार सिंह राणा ने मिलकर तैयार किया था।
इस तिरंगे झंडे में हरा नारंगी और लाल रंग शामिल थे। तिरंगे झंडे को तैयार करते वक्त मैडम भीकाजी कामा ने भारत के सभी पंथों को समेटने की कोशिश की। उन्होंने इस्लाम के प्रतिनिधित्व में तिरंगे झंडे में हरा रंग शामिल किया जबकि सिख समुदाय और सनातन संस्कृति के लिए केसरिया और लाल रंग शामिल किया गया। भीकाजी कामा द्वारा डिजाइन किए गए झंडे के बीच में देवनागरी लिपि में वंदे मातरम लिखा गया था। हालांकि इन सबके अलावा तिरंगे झंडे में 8 पंखुड़ी वाला कमल का फूल तथा सूर्य, चंद्रमा भी बनाए गए थे।
मैडम भीकाजी कामा और विनायक दामोदर सावरकर –
मैडम भीकाजी कामा के लंदन आने के बाद उनकी मुलाकात विनायक दामोदर सावरकर अर्थात वीर सावरकर से हुई। इस दौरान वह उनके सहयोगियों के संपर्क में भी आई जिसमें श्याम कृष्ण शर्मा और हरदयाल जी शामिल थे। विनायक दामोदर सावरकर के सानिध्य में रहकर ही इन्होंने सरदार सिंह राणा के साथ मिलकर भारत के पहले राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के प्रारूप को तैयार किया था।
कहा जाता है कि जब साल 1910 के लगभग विनायक दामोदर सावरकर की तबीयत बिगड़ गई उस दौरान वह भीकाजी कामा के पास आए और इन्होंने ही उनकी सेवा की। मैडम भीकाजी कामा विनायक दामोदर सावरकर को अपना आदर्श मानती थी। हालांकि बाद में विनायक दामोदर सावरकर को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें भारत वापस ले जाया गया जहां उन्हें काला पानी की सजा दे दी गई। आपको बता दें कि विनायक दामोदर सावरकर के सुझाव पर ही पिंगली वेंकैया द्वारा डिजाइन किए गए भारत के तिरंगे झंडे में चरखें को हटाकर अशोक का धर्म चक्र लगाया गया था।
इस प्रकार मैडम भीकाजी कामा ने भारत से बाहर विदेश में रहते हुए भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में अपनी अहम भूमिका निभाई थी उनका सबसे बड़ा योगदान तिरंगे झंडे के पहले प्रारूप को डिजाइन करना तथा इसे फहराना था।
दोस्तों उम्मीद करते हैं कि मैडम भीकाजी कामा की जीवनी और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान से जुड़ा हुआ यह आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया होगा। आज भी बहुत से ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं जिनके बारे में भारतीयों को कोई खबर नहीं। हमें अपने ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।
मैडम भीकाजी कामा कौन थी ?
मैडम भीकाजी कामा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की क्रांतिकारी महिला थी जो भारतीय मूल की फ्रांसीसी नागरिक थी।
भारत का पहला तिरंगा झंडा किसने बनाया?
मैडम भीकाजी कामा और उनके सहयोगी सरदार सिंह राणा ने मिलकर पहली बार भारतीय तिरंगे झंडे को डिजाइन किया था।
भारत के तिरंगे झंडे को सबसे पहले किसने फहराया था?
मैडम भीकाजी कामा ने भारत के तिरंगे झंडे को सबसे पहले विदेश में फहराया था।
मैडम भीकाजी कामा द्वारा प्रकाशित की गई पत्रिका का नाम क्या था ?
मैडम भीकाजी कामा ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वंदे मातरम नाम की पत्रिका का संपादन किया था।
भारतीय क्रांति की माता किसे कहा जाता है?
मैडम भीकाजी कामा को मदर आफ इंडियन रिवॉल्यूशन अर्थात भारतीय क्रांति की माता कहा जाता है।