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अशोक स्तंभ का इतिहास, महत्व | Facts & Controversy, Ashok Stambh history in hindi

अशोक स्तंभ का इतिहास व महत्व क्या है, अशोक स्तंभ कहां पर स्थित है, अशोक स्तंभ का विवाद क्या है, अशोक स्तंभ का निर्माण (Ashok Stambh history in hindi, ashok stambh story, sarnath pillar history hindi, new parliament building Ashok Stambh Controversy, national emblem hindi)

दोस्तों संसद भवन के ऊपर बने अशोका स्तंभ के अनावरण के बाद से ही आजकल अशोक स्तंभ काफी चर्चा में है। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने 11 जुलाई 2022 सोमवार के दिन नए संसद भवन की छत पर बने अशोक स्तंभ का अनावरण किया है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन पर पहुंचे वहां के निर्माण कार्यों का निरीक्षण भी किया और 20 फीट ऊंचे स्तंभ का अनावरण भी किया।

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इस नए अशोक स्तंभ की काफी चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया पर लगातार इससे जुड़े हुए तथ्य खोजे जा रहे हैं। ऐसे में बहुत से लोग इस नए अशोक का स्तंभ के बारे में जानना चाहते हैं और साथी अशोक स्तंभ के इतिहास से भी परिचित होना चाहते हैं इसलिए आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको अशोक का स्तंभ के इतिहास से परिचित कराएंगे।

क्यों चर्चा में है अशोक स्तंभ (Controversy of Ashoka pillar hindi)

भारतीय प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी ने 11 जुलाई को संसद भवन की छत पर नवनिर्मित अशोक स्तंभ का अनावरण किया। लेकिन खास बात यह है कि यह नवनिर्मित अशोका स्तंभ पुराने अशोक स्तंभ से रूपरेखा में भिन्न है। दरअसल इस स्तंभ में शेर को दहाड़ की मुद्रा में निर्मित किया गया है। यही कारण है कि इस समय भारत के संवैधानिक राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ को लेकर काफी आलोचनाएं हो रही हैं।

ऐसे में हमें अशोका स्तंभ से जुड़े हुए कानूनी नियमों के बारे में जानने की आवश्यकता है ताकि हम सही विश्लेषण कर सकें। तो आइए इस नए अशोक अष्टम और इससे जुड़े हुए कानून के बारे में चर्चा करते हैं।

कैसा है नया अशोक स्तंभ –

जिस नए अशोक स्तंभ का अनावरण हुआ है वह संरचना में मूल अशोक स्तंभ से भिन्न है।

भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक का स्तंभ उत्तर प्रदेश के सारनाथ में स्थित है जिसे मौर्य वंश के शासन काल के दौरान बनाया गया था। मूल अशोक स्तंभ में चार भारतीय शेर की आकृति बनाई गई है जो एक दूसरे से पीठ का संपर्क किए हुए दिखते हैं। इन चार भारतीय शेरों की आकृति को सिंह चतुर्मुख कह कर बुलाया जाता है।

इसी सिंह चतुर्मुख की आकृति के आधार पर अशोक चक्र बनाया गया है जो कि हमारे राष्ट्रीय ध्वज के बीच में भी दिखाई पड़ता है। अगर आप अशोका स्तंभ को बारीकी से देखेंगे तो आपको सिंह चतुर्मुख के नीचे एक सांड और घोड़े की आकृति भी दिखाई देगी। इन्हीं दोनों आकृतियों के बीच अशोक चक्र स्थित है। इन सब चीजों के अलावा अशोक का स्तंभ के नीचे सत्यमेव जयते लिखा गया है जोकि मुंडक उपनिषद से लिया गया है जिसका अर्थ होता है “सत्य की सदा विजय होती है।”

हालांकि नए अशोक स्तंभ में शेर दहाड़ देते हुए नजर आ रहे हैं जबकि पुराने अशोक स्तंभ में शेर शांत मुद्रा में चित्रित किए गए थे। यही वजह भी है कि अशोक स्तंभ अपनी नई आकृति को लेकर काफी चर्चा में भी है।

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अशोक स्तंभ का इतिहास (Ashok Stambh history in hindi )

26 जनवरी सन 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया था इसी दिन उत्तर प्रदेश के सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ को भारत के राष्ट्रीय चिह्न का संवैधानिक दर्जा भी दिया गया।

लेकिन अशोक स्तंभ का इतिहास यहीं खत्म नहीं होता बल्कि इसका इतिहास 273 ईसा पूर्व से संबंधित है जब भारत पर मौर्य वंश का शासन था। उस समय तृतीय मौर्यवंशी राजा अशोक मौर्य वंश के सिंहासन पर विराजमान थे। कहा जाता है कि अशोक बहुत ही क्रूर प्रकृति के शासक थे लेकिन कलिंग के युद्ध में अपनी आंखों के सामने भारी नरसंहार देखने के पश्चात उनका मन द्रवित हो गया और उन्होंने अपनी क्रूरता को त्याग कर बौद्ध धर्म को अपनाने का निर्णय लिया।

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कलिंग युद्ध में भीषण नरसंहार के पश्चात उन्होंने अपने राज्य पाठ का त्याग कर दिया और बुद्ध के बताए मार्ग पर चलने लगे। बौद्ध धर्म अपनाने के पश्चात ही सम्राट अशोक इसके प्रचार-प्रसार में लग गए क्योंकि वह बौद्ध धर्म का विस्तार करना चाहते थे। इसी क्रम में उन्होंने देशभर में बौद्ध धर्म को प्रचारित प्रसारित करने के लिए चार सिंघ की गर्जना वाली आकृति का देशभर में कई स्थानों पर निर्माण कराया।

बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए सिंह की आकृति को चुनने का प्रमुख कारण यह था कि बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध को सिंह का पर्याय माना जाता है। शाक्य सिंह और नरसिंह जैसे नाम बुध के 100 नामों में शामिल हैं। और दूसरी प्रमुख वजह यह है कि भगवान बुद्ध ने उत्तर प्रदेश के सारनाथ में जो धर्म उपदेश दिया था उसे सिंह गर्जना के नाम से भी जाना जाता है। यही कारण था कि बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए सम्राट अशोक ने गर्जन करते हुए चार सिंह की आकृतियों को चुना।

इन्हें भी पढ़ें – अमर जवान ज्योति का इतिहास एवं महत्व क्या है?

राष्ट्रीय चिन्ह में परिवर्तन को लेकर नियम –

आपको बता दें कि अशोक का स्तंभ के चिन्ह का उपयोग केवल संवैधानिक पद पर बैठे हुए लोग ही कर सकते हैं। इनमें भारत के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री राज्यपाल मुख्यमंत्री और अन्य कई सारी सरकारी संस्थाओं के उच्च अधिकारी शामिल हैं। लेकिन आपको बता दें कि रिटायरमेंट के बाद कोई भी भूतपूर्व सांसद विधायक या अन्य अधिकारी इन प्रतीकों का उपयोग नहीं कर सकता। संविधान के इस नियम की अवमानना करने पर 2 वर्ष की जेल और ₹5000 का आर्थिक दंड भुगतान देना पड़ सकता है।

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भारत के राष्ट्रीय चिन्हों का दुरुपयोग करने के संबंध में पहला कानून सन 2000 में बनाया गया जिसके पश्चात इसे सन् 2007 में पुनः संशोधित किया गया। भारत के राष्ट्रीय चिन्हों के दुरुपयोग की रोकथाम के लिए बनाए गए एक्ट 6 में यह उल्लेख किया गया है कि भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ सारनाथ Lion capital of India से लिया गया है। लेकिन आपको बता दें कि भारत में राष्ट्रीय चिन्हों के दुरुपयोग की रोकथाम से संबंधित एक्ट के सेक्शन 6(2)(f) मैं यह बात भी कही गई है कि भारत सरकार इन राष्ट्रीय चिन्हों की रूपरेखा में बदलाव कर सकती है हालांकि यह उल्लेख नहीं है कि इस राष्ट्रीय चिन्ह को पूरी तरह परिवर्तित किया जा सकता है।

अगर भारत सरकार राष्ट्रीय चिन्हों को बदलना चाहती है तो सबसे पहले उसे एक विधेयक लाना होगा उस विधेयक के अनुसार कानून बनाकर ही राष्ट्रीय चिन्हों को बदला जा सकता है।

अशोक स्तंभ के महत्वपूर्ण तथ्य(Facts about Ashoka Stambh hindi)

  • भारत का अशोक स्तंभ उत्तर प्रदेश के सारनाथ से लिया गया है।
  • भारत के इस अशोका स्तंभ का निर्माण मौर्य वंश के तीसरे राजा अशोक ने कराया था।
  • इस स्तंभ में चार शेर बनाए गए हैं जिन्हें सिंह चतुर्मुख कहा जाता है।
  • अशोक स्तंभ के नीचे एक सांड और एक घोड़े की आकृति भी बनाई गई है जो गौर से देखने पर दिखाई देती है।
  • अशोक स्तंभ को कुछ इस प्रकार बनाया गया है कि 2D में केवल तीन शेर ही दिखाई देते हैं जबकि 3D में चारों शेर नजर आते हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि अशोक स्तंभ को गोल आकृति में निर्मित किया गया है।
  • भारत के प्रमुख संवैधानिक दस्तावेजों आदि पर अशोक स्तंभ का प्रतीक छपा होता है बिना इसके यह संवैधानिक दस्तावेज मान्य नहीं होते।
  • अशोक स्तंभ के चिन्ह को उपयोग में लाने का अधिकार केवल भारत के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति राज्यपाल उप राज्यपाल मुख्यमंत्री और अन्य सरकारी संस्थाओं के उच्च अधिकारियों को ही है।
  • अगर गैर संवैधानिक रूप से कोई इस चिन्ह का उपयोग करता है तो उसे 2 वर्ष की जेल बंदी की सजा और ₹5000 तक आर्थिक जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • हाल ही में नए शब्द भवन के ऊपर प्रधानमंत्री जी ने जिस नए अशोक स्तंभ का अनावरण किया है उसमें चारों शेर गर्जन की मुद्रा में हैं जबकि पुराने अशोक का स्तंभ जहां से यह लिया गया है शेर शांत मुद्रा में दिखाई देते है।

FAQ

अशोक स्तंभ का निर्माण किसने करवाया था?

इसका निर्माण 250 ईसापूर्व सम्राट अशोक द्वारा किया गया था।

नये अशोक स्तंभ का विवाद क्या है?

अशोक स्तंभ में चार शेर बहुत ही अक्रामक मुद्रा में लग रहे है जबकि पहले सारनाथ के अशोक स्तंभ में शेर शांत लग है। इसी बात लेकर विवाद चल रहा है।

अशोक स्तंभ में कितने जानवर अंकित हैं?

अशोक स्तंभ के चारों दिशाओं में चार शेर है इसके अलावा इसके आधार में एक अश्व, सांड, हाथी व शेर हैं।

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