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सावित्रीबाई फुले की जयंती 2023 पर जानिए उनके जीवन से जुड़ी 10 खास बातें | Facts about Savitribai Phule Jayanti in Hindi

सावित्रीबाई फुले जयंती पर निबंध वं उनके जीवन की 10 खास तथा महत्वपूर्ण बातें (Essay on Savitribai Phule Jayanti in Hindi, Essay on 10 lines, Important facts about Savitribai Phule in hindi)

भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई ज्योतिबा फुले एक ऐसा नाम है जो भारतीय इतिहास में महिलाओं और दलितों के उत्थान को लेकर स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सेविका थी जिन्होंने भारतीय समाज में महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए उनके भीतर ज्ञान की अलख जगाने का एक सफल प्रयास किया।

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जिस दौर में महिलाओं का पढ़ना पाप माना जाता था उस दौर में सावित्रीबाई फुले जैसी शिक्षिका और समाज सेविका ने जन्म लिया और दलितों पिछड़ों और महिलाओं के लिए शिक्षण संस्थानों के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिए।

भारत में 3 जनवरी को हर साल सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाई जाती है और भारतीय समाज सुधार आंदोलनो के नेतृत्व में उनके योगदान को याद किया जाता है। चलिए आज हम भी आपको Facts about Savitribai Phule Jayanti In Hindi के जरिए भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले से जुड़ी रोचक व खास बातें बताते हैं। >> सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय

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सावित्रीबाई फुले जयंती, इतिहास, निबंध (Essay, Savitribai Phule Jayanti in Hindi)

हर साल 3 जनवरी को भारतवर्ष में सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाई जाती है। इस दिन भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सेविका सावित्रीबाई फुले का जन्म हुआ था। भारतीय इतिहास के महान समाजसेवी और समाज सुधारक ज्योतिबा फुले की पत्नी सावित्रीबाई फुले 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र में सतारा जिले के नायगांव में पैदा हुई थी।

सावित्रीबाई फुले को हमारे देश की पहली महिला शिक्षिका के रूप में जाना जाता है। एक शिक्षिका होने के साथ-साथ उन्होंने भारतीय समाज सुधारक आंदोलनों में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जिस दौर में सावित्रीबाई फुले का जन्म हुआ था उस दौर में सामाजिक भेदभाव अपने चरम पर था। उस समय समाज में लिंग और जाति के नाम पर तरह तरह के भेदभाव किए जाते थे।

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यहां तक कि खुद सावित्रीबाई फुले बाल विवाह जैसी कुरीति का शिकार बन गई थी। केवल 9 साल की छोटी उम्र में इनके परिवार ने इनका विवाह ज्योति राव फुले के साथ कर दिया था। हालांकि उस समय ज्योतिबा फुले की उम्र भी महज 13 साल थी।

शादी के दौरान सावित्रीबाई फुले को पढ़ना लिखना नहीं आता था क्योंकि उस दौर में दलितों पिछड़ों और महिलाओं का पढ़ना लिखना बहुत मुश्किल था और सावित्रीबाई फुले खुद एक दलित परिवार से संबंध रखती थी। एक तो दलित और दूसरी एक महिला इन दोनों कारणों से उन्हें शिक्षा के अवसर प्राप्त नहीं हुए।

लेकिन सावित्रीबाई फुले खुद से पढ़ना लिखना चाहती थी और विवाह के बाद इस काम में उनके पति ज्योतिबा फूले तथा उनकी सास ने उनका भरपूर साथ दिया जिसकी बदौलत सावित्रीबाई फुले अध्ययन अध्यापन कर सकीं।

समाज में महिलाओं और दलितों की शिक्षा का महत्व समझने के बाद सावित्रीबाई फुले ने समाज में जिल्लत की जिंदगी जीने वाली दलित महिलाओं के लिए व्यापक स्तर पर शिक्षण अभियान की शुरुआत की और स्वयं देश की पहली महिला शिक्षिका बन गई।

सावित्रीबाई फुले ने दलित महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक दो नहीं बल्कि 18 बालिका विद्यालय खोलें और इन विद्यालयों के माध्यम से समाज की पिछड़ी हुई दलित महिलाओं को पढ़ने लिखने का अवसर प्रदान किया। सन 1848 में इन्होंने पहली बार भारत में बालिका विद्यालय की स्थापना की। इन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले और अपनी सहयोगी तथा पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख के साथ मिलकर महाराष्ट्र के पुणे में भारत के पहले बालिका विद्यालय की नींव रखी।

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दलित महिलाओं की शिक्षा में व्यापक क्रांति लाने के बाद सावित्रीबाई फुले ने एक समाज सेविका के तौर पर भी काम किया और अपने पति तथा महान समाज सेवक ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर समाज सुधारक आंदोलनों में हिस्सा लिया। इन्होंने छुआछूत, दहेज प्रथा, बाल विवाह, विधवा सती प्रथा जैसी अनेक कुरीतियों के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई और इनका विरोध किया।

समाज सुधारक आंदोलनों और दलित महिलाओं की शिक्षण में उत्थान के लिए सावित्रीबाई फुले को सदैव याद किया जाता है। 3 जनवरी सावित्रीबाई फुले जयंती के दिन ही भारतवर्ष में इस पुण्य आत्मा का जन्म हुआ था।

आइए अब आपको सावित्रीबाई फुले से जुडी कुछ ख़ास और अहम बातें बताते हैं जिनके बारे में शायद बहुत कम ही लोगों को पता होगा।

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सावित्रीबाई फुले से जुड़ी कुछ खास बातें (10 Important Facts about Savitribai Phule in hindi)

  • सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली महिला शिक्षिका के तौर पर जाना जाता है।
  • भारत की पहली महिला शिक्षिका होने के साथ-साथ सावित्रीबाई फुले नारी मुक्ति आंदोलन की पहली महिला नेता भी थी।
  • इन सब के साथ-साथ सावित्रीबाई फुले भारत के प्रथम बालिका विद्यालय की प्रधानाध्यापिका भी रहीं।
  • एक शिक्षिका होने के साथ-साथ सावित्रीबाई फुले अपने पति के साथ समाज सुधारक आंदोलनों में भाग लेने वाली समाज सेविका तथा कवित्री भी थी।
  • जिस दौर में पिछड़े हुए समाज में दलित महिलाओं की शिक्षा को पाप माना जाता था उस दौर में सावित्रीबाई फुले ने दलित महिलाओं के लिए शिक्षा की अलख जगाई और एक या दो नहीं बल्कि 18 बालिका विद्यालयों की स्थापना की ताकि दलित महिलाओं को भरपूर शिक्षा मिल सके।
  • साल 1848 में पहली बार महाराष्ट्र के पुणे में भारत के पहले बालिका विद्यालय की नींव रखी गई जिसकी स्थापना सावित्रीबाई फुले ने की थी।
  • सावित्रीबाई फुले ने केवल महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि किसानों और मजदूरों के लिए भी शिक्षण संस्थानों की स्थापना की। उन्होंने दिहाड़ी मजदूरों और किसानों के लिए रात के समय में पढ़ने की व्यवस्था की ताकि वह दिन भर अपना काम करके रात को शिक्षा ग्रहण कर सकें।
  • केवल महिलाओं की शिक्षा ही नहीं बल्कि सावित्रीबाई फुले ने समाज सुधारक आंदोलनों में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और छुआछूत, विधवा पुनर्विवाह निषेध, बाल विवाह और सती प्रथा जैसी कुरीतियों का भरपूर विरोध किया तथा उनके खिलाफ आवाज उठाई।
  • जब सावित्रीबाई फुले ने दलित महिलाओं के उत्थान के लिए शिक्षण संस्थान खोलने शुरू किए तो समाज में उच्च वर्ग के लोगों ने उनका काफी विरोध भी किया। लेकिन इन विरोधियों के बावजूद भी सावित्रीबाई फुले ने अपने कदम पीछे नहीं रखे बल्कि उसी उच्च वर्ग की एक महिला को न्याय दिला कर सब को मुंहतोड़ जवाब दिया।
  • सावित्रीबाई फुले ने एक विधवा महिला को आत्महत्या करने से रोका जो गर्भवती होने के नाते लोक लाज के डर से आत्महत्या करने जा रही थी। सावित्रीबाई फुले ने उस विधवा स्त्री को अपने घर पर रखा और उसका प्रसव भी करवाया। विधवा स्त्री को बच्चा पैदा होने के बाद सावित्रीबाई फुले ने उसे गोद ले लिया और पढ़ा लिखा कर डॉक्टर भी बनाया।
  • भारत में जिस समय लिंग और जाति के आधार पर भेदभाव की भावना चरम पर थी उस समय सावित्रीबाई फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की और अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर अंतर जाति विवाह को बढ़ावा दिया ताकि जाति के नाम पर भेदभाव खत्म हो सके।
  • साल 1897 में भारत में प्लेग का संक्रमण बहुत तेजी से फैला। इस दौरान सावित्रीबाई फुले ने प्लेग से जूझ रहे रोगियों का उपचार करवाया और खुद से उनकी सेवा की इस दौरान वह खुद भी इस भयावह रोग से संक्रमित हो गई और आखिरकार 10 मार्च 1897 को भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया।

तो दोस्तों आज Facts & Essay on Savitribai Phule Jayanti In Hindi के जरिए हमने आपको भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती पर निबंध और उनसे जुड़ी कुछ माधोपुर और खास बातें बताई। उम्मीद करते हैं कि हमारा यह आर्टिकल आपको बहुत पसंद आया होगा।

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FAQ

भारत की पहली महिला शिक्षिका का नाम क्या है?

सावित्रीबाई फुले

सावित्रीबाई फुले का जन्म कब हुआ था?

3 जनवरी 1831

सावित्रीबाई फुले कहां की रहने वाली थी?

महाराष्ट्र के सितारा जिले के नयागांव में

सावित्रीबाई फुले के पति का क्या नाम था?

ज्योति राव फुले

सावित्रीबाई फुले का पूरा नाम क्या है?

सावित्रीबाई ज्योतिबा फुले

भारत में पहला बालिका विद्यालय किसने और कब खोला?

सन् 1848 में पुणे के भिड़ेवाड़ी गांव में पहला बालिका विद्यालय खोला गया था जिसकी स्थापना सावित्रीबाई फुले के द्वारा की गई।

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