Advertisements

Oppenheimer Movie: गीता से मिली थी सीख, जानिए परमाणु बम अविष्कारक जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर का जीवन परिचय। Julius Robert Oppenheimer Biography in Hindi

Story of Julius Robert Oppenheimer Biography in Hindi, Oppenheimer Movie Review In Hindi, Now I Am Become Death, The Destroyer Of Worlds Bhagvad Gita, J. Robert Oppenheimer The Father Of Atomic Bomb

यह कहानी एक ऐसे सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी की है जिसने दुनिया को तबाह करने की सबसे विनाशकारी ताकत दी।

Advertisements

वह शख्स कोई और नहीं बल्कि जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर हैं जिन्हें विनाशकारी परमाणु बम का अविष्कारक माना जाता है। वही परमाणु बम जिसकी विनाश लीला द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सम्पूर्ण विश्व ने देखी।

06 अगस्त 1945 और 09 अगस्त 1945 का दिन विश्व के इतिहास का वह काला दिन है जब जापान के दो शहर हिरोशिमा और नागासाकी पूरी तरह बर्बाद हो गए। इस क्रूर घटना ने आखिर यह साबित कर ही दिया कि विज्ञान मानवता के लिए केवल वरदान नहीं बल्कि एक अभिशाप भी है।

संसार को यह अभिशाप देने वाला व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि सैद्धांतिक भौतिक वैज्ञानिक जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर ही थे।

क्रिस्टोफर नोलन के निर्देशन में बनी फिल्म ‘Oppenheimer’ भैतिक विज्ञानी जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर की जीवनी पर आधारित है, जो इस 21 जुलाई 2023 को रिलीज़ हुई।

इस फ़िल्म में रॉबर्ट ओपेनहाइमर की दुविधा विजय और त्रासदी दोनों का चित्रण किया गया है।

आज इस लेख के जरिए हम आपको जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर की जीवनी के साथ साथ उनके जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण घटनाएं भी बताने वाले हैं।

Join Our WhatsApp Group hindikhojijankari

जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर की जीवनी (Julius Robert Oppenheimer Biography in Hindi)

जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर 22 अप्रैल 1904 को न्यूयॉर्क, अमेरिका में पैदा हुए थे। उनका परिवार जर्मनी का अप्रवासी यहूदी परिवार था जो अमेरिका में बस गया था।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर अमेरिका के बर्कले में स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान  के प्रोफ़ेसर भी थे।

जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर परमाणु पर अपना शोध कर रहे थे। परमाणु बम (Atom Bomb) का अविष्कार करने के अलावा भौतिकी के क्षेत्र में आज भी उनके कई महत्वपूर्ण योगदान हैं।

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram group Join Now

18 फरवरी 1967 को महज 62 साल की उम्र में प्रिंसटन, न्यू जर्सी, अमेरिका में उनकी मृत्यु हो गई।

Julius-Robert-Oppenheimer-Biography-in-Hindi

Now I Am Become Death, The Destroyer Of Worlds

– Oppenheimer

मैनहट्टन प्रोजेक्ट का नेतृत्व–

साल 1939 में जब द्वितीय विश्व युद्ध आगाज़ हुआ तो जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने चारों तरफ तबाही मचा रखी थी।

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान विश्व भर में आधुनिक हथियार बनाने की होड़ लग गई थी। जर्मनी भी बहुत तेजी से परमाणु हथियार बम पर कार्य कर रहा थी।

महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन समेत कई अन्य वैज्ञानिकों को यह चिंता थी कि यदि जर्मनी ने पहले ही परमाणु बम बना लिया तो वह सभी दुश्मन देशों को पूरी तरह तबाह कर देगा।

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram group Join Now

इसीलिए अल्बर्ट आइंस्टाइन समेत कई अन्य वैज्ञानिकों द्वारा तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए एक चिट्ठी लिखी गई तथा चेतावनी दी कि हिटलर अगर पहले परमाणु बम बना लेता है तो वह सब कुछ तहस-नहस कर देगा।

इसलिए जरूरी है कि अमेरिका एडोल्फ हिटलर के आतंक को रोकने के लिए पहले ही परमाणु बम तैयार करे।

अल्बर्ट आइंस्टाइन तथा अन्य वैज्ञानिकों द्वारा लिखा गया यह पत्र पाकर तत्कालीन अमेरिकी सरकार ने एहतियातन मैनहट्टन प्रोजेक्ट की शुरुआत की।

यह वही प्रोजेक्ट है जिसकी जिम्मेदारी परमाणु बम बनाने की थी। उस दौरान जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने न्यू मैक्सिको लॉस एलामोस प्रयोगशाला के निदेशक के रूप में मैनहट्टन प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया।

रॉबर्ट ओपेनहाइमर का संबंध कम्युनिस्ट विचार धारा के साथ था लेकिन इस प्रोजेक्ट में शामिल होने के बाद उन्होंने कम्युनिस्ट विचारधारा से दूरी बना ली थी ताकि अमेरिकी सरकार को उनकी राष्ट्रभक्ति पर तनिक भी संदेह ना रहे।

मैनहट्टन प्रोजेक्ट के लिएकई वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई गई जिसका नेतृत्व जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने किया।

परमाणु बम का आविष्कार –

16 जुलाई 1945 को पहली बार परमाणु बम का परीक्षण किया गया। इस परीक्षण की देख रेख ओपेनहाइमर ही कर रहे थे।

इस परीक्षण के पहले ओपेनहाइमर तनाव की स्थिति में देखे गए लेकिन जैसे ही यह परमाणु विस्फोट हुआ तो एक ऐसी तेज़ चमक उभरी की सूरज का प्रकाश की हीन हो गया।

इस सफल परमाणु परीक्षण को ट्रिनिटी टेस्ट नाम दिया गया।

भले ही परमाणु बम बनाने के लिए इस मैनहट्टन प्रोजेक्ट की शुरुआत एडॉल्फ हिटलर के आतंक की वजह से हुई थी लेकिन इस परीक्षण के ढ़ाई महीने पूर्व ही हिटलर ने आत्महत्या कर ली थी।

हिटलर की मौत के बाद जर्मनी ने द्वितीय विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण कर दिया लेकिन एशिया महाद्वीप में युद्ध अब भी जारी था क्योंकि अभी तक जापान ने आत्मसमर्पण नहीं किया था।

इसलिए जापान को उसके आत्मसमर्पण के लिए मजबूर करना बेहद जरूरी हो गया था। अंततः 6 अगस्त 1945 तथा 9 अगस्त 1945 को क्रमशः हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका द्वारा परमाणु बम गिरा दिए गए।

इस भयंकर परमाणु आक्रमण में लाखों निर्दोष लोग मारे गए तथा जापान को आत्मसमर्पण भी करना पड़ा।

लेकिन परमाणु विस्फोट में जो निर्दोष नरसंहार हुआ उसने रॉबर्ट ओपेनहाइमर को बहुत ज्यादा विचलित कर दिया।

इस घटना के बाद उन्हें बहुत आत्मग्लानि हुई और वह खुद को ही इस भीषण नरसंहार का जिम्मेदार मानने लगे।

कहा जाता है कि अक्टूबर 1945 में जब रॉबर्ट ओपेनहाइमर की बातचीत अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन से हुई तो वह खुद को इस घटना का जिम्मेदार ठहराने लगे और कहने लगे कि ‘मुझे लगता है कि मेरे हाथ खून से रंगे हैं’

इस बात पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने उन्हें समझाया और कहा कि ‘खून तो असल में मेरे हाथ में लगा है इसलिए आप खुद को दोषी मत मानिए’

गीता से ली थी कर्तव्य परायण की सीख –

कहा जाता है कि परमाणु बम निर्माण के दौरान कई बार रॉबर्ट ओपेनहाइमर एवं कई अन्य साथी वैज्ञानिकों के मन में तरह-तरह के सवाल थे।

वह इस बात को लेकर संशय में थे कि कहीं वह कोई विनाशकारी ताकत तो नहीं बना रहे। क्या परमाणु बम केवल राष्ट्र की रक्षा के लिए बना है?

परमाणु हथियारों को लेकर ऐसे कई सारे सवाल थे जो ओपेनहाइमर और उनके साथी वैज्ञानिकों के मन में उठते रहते थे।

लेकिन अपने सभी साथियों की हिचकिचाहट दूर करने के लिए रॉबर्ट ओपेनहाइमर अक्सर श्रीमद् भगवद्गीता का संदेश दिया करते थे।

रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने भी यह मान लिया था कि सृजन और विनाश दोनों एक दूसरे के स्वरूप हैं जैसा कि भगवान श्री कृष्ण भगवद्गीता में उपदेश देते हैं।

गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि हमें केवल कर्म करते रहना चाहिए फल/परिणाम की इच्छा नहीं करनी चाहिए।

ठीक इसी तरह रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने भी साथी वैज्ञानिकों को समझाया कि इस समय उनका एक ही कर्तव्य है, राष्ट्र की सेवा करना बिना इस बात की चिंता किए कि परिणाम क्या होंगे

मौजूदा समय में एक साइंटिस्ट का यह कर्म है कि वह राष्ट्र की सुरक्षा के लिए परमाणु हथियार बनाए लेकिन आगामी भविष्य में इसका किस प्रकार उपयोग किया जाएगा इसके लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे।

यह जिम्मेदारी उन नेताओं की होगी जो परमाणु विस्फोट का आदेश देंगे। हालांकि बाद में शायद रॉबर्ट ओपेनहाइमर का नजरिया बदल गया जब उन्होंने जापान का भीषण नरसंहार देखा।

हालांकि वह यह भी मानते थे परमाणु बम बनना बिल्कुल तय था। अगर यह काम अमेरिका नहीं करता तो कोई ना कोई देश जरूर करता।

इसलिए उन्होंने स्वयं को एक निमित्त मात्र मान कर अपना कर्म किया। जीवन के आखिरी पड़ाव तक रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने अपने अंदर ही अंदर आंतरिक द्वंद का सामना किया।

परमाणु बम परीक्षण के दौरान याद आया था गीता का श्लोक –

रॉबर्ट ओपेनहाइमर शुरूआत से ही श्रीमद्भागवत गीता से बेहद प्रभावित थे। उन्होंने केवल गीता पढ़ने के लिए संस्कृत सीखी थी।

वह श्रीमद्भागवत को उसके मूल भाषा के स्वरूप में पढ़ना चाहते थे इसलिए वह अंग्रेजी अनुवाद पढ़ने की बजाय संस्कृत सीखने में लग गए।

साल 1965 में दिए गए एक इंटरव्यू में रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने 1945 की क्रूर घटना के लिए खेद जताते हुए कहा कि,

जब परमाणु परीक्षण सफल हुआ उस समय उनके मन में गीता का एक श्लोक गूंज उठा।

जिसमें भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि काल: अस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धो लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः।

‘अर्थात अब मैं काल बन गया हूं, जो दुनिया का नाश करने के लिए प्रवृद्ध है’

श्रीमद्भागवत के इस श्लोक का उद्धरण देते हुए जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने अंग्रेजी में कहा कि,

‘Now I Am Become Death, The Destroyer Of Worlds’

जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर के जीवन पर आधारित है हॉलीवुड फिल्म ओपेनहाइमर (Julius Robert Biography Based Oppenheimer Movie Review)–

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जूलिया रॉबर्ट ओपेनहाइमर इन दिनों इसलिए चर्चा में है क्योंकि हाल ही उन पर एक हॉलीवुड फिल्म रिलीज होने जा रही है।

इस फिल्म का नाम ‘Oppenheimer’  है, जिसे हॉलीवुड फिल्म निर्माता क्रिस्टोफर नोलन ने बनाया है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह फिल्म 21 जुलाई 2023 को रिलीज हो गई है।

इस फिल्म में हॉलीवुड अभिनेता किलियन मर्फी रॉबर्ट ओपेनहाइमर की भूमिका निभा रहे हैं। वह इससे पहले पीकी ब्लेंडर सीरीज में जबरदस्त किरदार निभा चुके हैं।

आशा है कि यह बड़ी फिल्म उनके जीवन के लिए एक बड़ा मोड़ लेकर आएगी। भविष्य में इस किरदार को लेकर उन्हें विभिन्न प्रकार के अवॉर्ड विनिंग की संभावना भी जताई जा रही है।

यह फ़िल्म अमेरिकन प्रोमेथियस पुस्तक पर आधारित है जो जुलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर की बायोग्राफी है।

काई बार्ड (Kai Bard) और मार्टिन शेरविन के द्वारा लिखी गई पुस्तक अमेरिकन प्रोमेथियस: द ट्रायम्फ एंड ट्रेजेडी ऑफ जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर (American Prometheus: The Triumph and Tragedy of J. Robert) रॉबर्ट ओपेनहाइमर की जीवनी पर आधारित है।

इस किताब में उनके जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण घटनाएं बताई गई हैं जिन्हें आधार मान कर यह फिल्म तैयार की गई है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह पूरी फिल्म लगभग 3 घंटे की है। इस फिल्म की कहानी में वह दृश्य भी दिखाया गया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन के सामने बातचीत करते हुए जुलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर कहते हैं कि, उन्हें लगता है कि उनके हाथ खून से सने हुए हैं।

इस फिल्म को बहुत शानदार तरीके से तैयार किया गया है। यह पूरी फिल्म बहुत गंभीर स्क्रीन प्ले द्वारा तैयार की गई हैं।

HomeGoogle News

Leave a Comment