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विज्ञान वरदान या अभिशाप पर निबंध | Essay on Science Boon or Curse in Hindi

विज्ञान एक वरदान या अभिशाप पर निबंध लिखें, (Vigyan Vardan Ya Abhishap Par Nibandh, Essay on Science Boon or Curse in Hindi, Science blessing or curse Essay in hindi 500 words, in 1000 words)

विज्ञान आज हमारी हर छोटी से बड़ी जरूरत पूरी कर रहा है विज्ञान की बदोलत ही हम आज इतना सुविधाजनक जीवन जी रहे हैं। लेकिन यह विज्ञान एक सिक्के की तरह है जिसके दो पहलू हैं अगर इसका एक पहलू सृजन है तो दूसरा विनाश।

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शायद आपने इनमें से दोनों पहलुओं को देख भी रखा हो। विज्ञान के यह दो स्वरूप लोगों को भ्रम में डाल देते हैं, लेकिन वह या नहीं समझ पाते की आखिर इसका वास्तविक स्वरूप कौन सा है। लेकिन हमें यह समझना होगा कि विज्ञान के यह स्वरूप हमारी उपयोगिता पर निर्भर करते हैं। हम जिस प्रकार विज्ञान का अनुप्रयोग करेंगे इस प्रकार हमें विज्ञान से परिणाम भी मिलेंगे।

विज्ञान की इस दोहरी प्रकृति के बारे में हम सब जानते हैं। विज्ञान मानव जीवन के लिए वरदान भी है और अभिशाप भी। जब तक इसका मानव जीवन के लिए सदुपयोग किया जाएगा तब तब यह एक वरदान की भूमिका निभाएगा लेकिन जब इसी विज्ञान का दुरुपयोग करके मानव जीवन को क्षति पहुंचाने के प्रयास किए जाएंगे तो यह मानव जीवन के लिए अभिशाप बन जाएगा।

विज्ञान के अनुप्रयोगों के प्रति विद्यार्थीयों के भीतर जागरूकता फैलाने के लिए अक्सर विज्ञान: एक वरदान या अभिशाप जैसे विषयों पर निबंध लेखन करवाया जाता है ताकि छात्र जीवन से ही लोग विज्ञान के सदुपयोग के लाभ तथा दुरुपयोग की हानि को समझ सकें।

विभिन्न अन्य कार्यक्रमों में भी विज्ञान वरदान या अभिशाप जैसे महत्वपूर्ण बिंदु पर निबंध लेखन और भाषण की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। आइए इस निबंध को समझते हैं।

आज के इस लेख में हम आपके लिए विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध (Science: Blessings Or Curse In Hindi) लेकर आए हैं। इस निबंध लेखन शैली का उपयोग करके आप अपनी परीक्षाओं में विज्ञान वरदान अथवा अभिशाप पर निबंध (Vigyan Vardan Ya Abhishap Par Nibandh) लिख सकते हैं।

विज्ञान: एक वरदान या अभिशाप पर निबंध (Essay on Science A Boon or A Curse in Hindi)

प्रस्तावना –

आज हम जिस दौर में जी रहे हैं यह विज्ञान और तकनीक का दौर है। विज्ञान ने मानव जीवन की उन परिकल्पनाओं को साकार करके दिखाया है, जिन्हें शायद असंभव ही समझा जाता था। संसार का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां विज्ञान ने अपनी उपयोगिता साबित ना की हो।

मानव हमेशा से ही एक जिज्ञासु प्राणी रहा है जिनकी जिज्ञासा समय के साथ बढ़ती ही जा रही है। और यही जिज्ञासा विज्ञान की जननी मानी जाती है। जैसे-जैसे मानव जीवन की आवश्यकताएं बढ़ती जाएंगी वैसे वैसे नए नए अविष्कार सामने आते रहेंगे।

हालांकि सिक्के के दो पहलुओं की तरह विज्ञान के भी दो पहलू हैं। एक ओर जहां विज्ञान मानव जीवन के लिए वरदान है तो वहीं दूसरी ओर इसे अभिशाप भी माना जाता है। विज्ञान के भीतर सृजन और विनाश दोनों की क्षमताएं हैं। जिनके बल पर विज्ञान नए नए अविष्कार भी कर सकता है और मानव जाति का विनाश भी।

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आज स्वास्थ्य चिकित्सा, दूरसंचार, यातायात, सूचना प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष विज्ञान इन सभी क्षेत्रों में विज्ञान की अपनी विशेष भूमिका है। जिस मानव समाज में हमेशा से केवल चंदामामा की कहानियां सुनाई जाती थी आज वही मानव प्रजाति अंतरिक्ष और चंद्रमा दोनों पर पहुंच भी चुकी है।

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विज्ञान की बदोलत ही आज आज दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए मोबाइल फोन से लेकर सुपर कंप्यूटर तक मौजूद हैं।

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विज्ञान का अर्थ और परिभाषा –

विज्ञान शब्द की उत्पत्ति वि + ज्ञान से हुई है। इन दोनों शब्दों में से वि का अर्थ विशिष्ट अथवा विशेष तथा ज्ञान का अर्थ बोध या जानना होता है।

अगर सरल शब्दों में विज्ञान की परिभाषा दी जाए तो विज्ञान और कुछ नहीं बल्कि एक प्रकार का विशिष्ट ज्ञान है। किसी विशेष घटन, विशेष वस्तु का बोध अथवा अनुभव कर लेना ही विज्ञान है।

विज्ञान की परिभाषा कुछ इस प्रकार भी दी जा सकती है कि, “प्रयोग एवं निष्कर्ष पर आधारित क्रमबद्ध, संगठित और व्यवस्थित ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैं।”

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विज्ञान की बदोलत आज मानव बेहद सरल और सुविधाजनक जीवन व्यतीत कर रहा है। ऐसे में विज्ञान को किसी वरदान और चमत्कार से कम नहीं आंका जा सकता।

विज्ञान की देन ही है कि आज पृथ्वी पर रेंगने वाला प्राणी कृत्रिम पंखों को लगाकर पक्षियों की तरह आकाश में उड़ सकता है। विज्ञान ने मानव जीवन को अनगिनत वरदान दिए हैं। लेकिन विज्ञान की विनाश लीला भी किसी से छुपी हुई नहीं है।

6 अगस्त 1945 और 9 अगस्त 1945 मानव इतिहास के दो ऐसे दिन है, जब विज्ञान की विनाश लीला पूरे विश्व ने देखी। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मानव जीवन के लिए अनगिनत वरदान देने वाली विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी को तबाह कर दिया।

विनाश की यह ऐतिहासिक घटना मानव जीवन के लिए एक चुनौती थी। विज्ञान का सदुपयोग इसे वरदान बना सकता है और दुरुपयोग एक अभिशाप। यह दोनों ही चीजें मनुष्य के हाथ में है, इसलिए अब फैसला आपको करना है।

विज्ञान: एक वरदान (Essay on Science Boon or Curse in Hindi)

विज्ञान की बदोलत मनुष्य ने अपनी मनचाही सुख सुविधाएं प्राप्त कर ली हैं, जो किसी वरदान से कम नहीं है।

मानव जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जो विज्ञान से अछूता हो। विज्ञान ने मानव जीवन के हर क्षेत्र में असंभव की सीमा को लांघ कर चीज़ों को संभव करके दिखाया है। इसलिए आज इस विज्ञान को ईश्वर के वरदान की संज्ञा दी जा रही है।

विज्ञान की बदोलत इंसानों ने विद्युत का आविष्कार किया और अंधकार पर विजय प्राप्त की। विद्युत का आविष्कार केवल प्रकाश के लिए ही नहीं बल्कि विभिन्न यंत्रों के संचालन और ऊर्जा उत्पादन के लिए भी उपयोगी साबित हुआ।

यातायात के क्षेत्र में विज्ञान का पहले कदम की शुरुआत साइकिल से हुई और आज यही विज्ञान अंतरिक्ष यान के जरिए अंतरिक्ष और ब्रम्हांड के कोने कोने में पहुंच गया है।

जिन चांद सितारों ग्रह नक्षत्रों की बात दादी नानी की कहानियों में की जाती थी, आज इंसान ब्रह्मांड के उन सभी पिंडों तक पहुंच सकता है अथवा पहुंचने का प्रयास कर रहा है।

विज्ञान के जरिए ही हवाई जहाज और विमानों का आविष्कार हुआ जिसकी बदोलत आज इंसान पक्षियों की तरह आकाश में उड़ सकता है और कुछ मिनट घंटों का सफर तय करके ही लंबी-लंबी दूरियां तय कर सकता है।

सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार के मामले में भी विज्ञान पीछे नहीं है। आज इंटरनेट के जरिए हम दुनिया के हर हिस्से की जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। इतिहास की किसी भी घटना को टटोल सकते हैं, और सुनहरे भविष्य के लिए सुनियोजित कदम उठा सकते हैं।

इंटरनेट की दुनिया में विज्ञान की शुरुआत पहले जनरेशन 1G से हुई थी। आज इंटरनेट की यह पीढ़ी 5G Spectrum तक पहुंच चुकी है।

विज्ञान के आने से शिक्षा के क्षेत्र में भी अद्भुत क्रांति आई है। आज दुनिया बहुत तेजी से ऑनलाइन पढ़ाई के पीछे भाग रही है क्योंकि यह ऑफलाइन पढ़ाई के मामले में बेहद सस्ती और सुविधाजनक शैली है। आज विद्यार्थी इंटरनेट की मदद से जो चाहे सीख सकते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में विज्ञान की बदोलत ही दुनियाभर के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोट तैयार किए गए हैं। इन चीजों के आविष्कार के बाद शिक्षा के क्षेत्र में भीषण क्रांति आई है।

हाल ही में Chat Gpt और Bard AI  जैसे दो बेहतरीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकों को विकसित किया गया है जिससे इंसान अपने किसी भी सवाल का जवाब प्राप्त कर सकता है और मुश्किल चीजों को समझ सकता है।

मनोरंजन के क्षेत्र में भी विज्ञान पिछड़ा नहीं है। मोबाइल फोन से लेकर, टेलीविजन और टेलीविजन से लेकर वीडियो गेम्स खेल संसाधन और वाद्य यंत्र यह सभी विज्ञान की ही देन है।

चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान के योगदान होने मानव जीवन के जटिल से जटिल समस्याओं का निदान ढूंढ रखा है। आज विज्ञान के पास जटिल से जटिल असाध्य रोगों के लिए भी इलाज और उपचार मौजूद है।

विज्ञान की देन ही है कि आज तमाम रोगों से बचाव के लिए Vaccines और टीकाकरण की अनोखी व्यवस्था उपलब्ध है जो इंसानों में रोग उत्पन्न होने के पहले ही रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देती है।

कृषि के क्षेत्र में भी विज्ञान ने किसानों को उन्नतशील बीज, उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए उर्वरक, खेत की जुताई के लिए ट्रैक्टर कटाई के लिए हार्वेस्टर, आदि जैसी तमाम सुख सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की चंद्रयान मिशन  और ISRO का मंगलयान मिशन  जैसे सफल अभियान भी विज्ञान की बदोलत ही संभव हो पाए हैं। भारतीय विज्ञान भी आज पूरी दुनिया में बहुत तेजी से उभर रहा है।

सुरक्षा के क्षेत्र में भी विज्ञान ने तमाम तकनीकी उपलब्ध कराई हैं। विज्ञान द्वारा बनाए गए हथियार, लड़ाकू विमान जैसी चीजें सुरक्षा व्यवस्था के लिए किसी वरदान से कम नहीं लेकिन जब इन्हीं चीजों का दुरुपयोग किया जाने लगता है तो यही चीजें विज्ञान का अभिशाप बन जाती हैं।

विज्ञान: एक अभिशाप

जिस प्रकार हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं उसी तरह विज्ञान के भी दो पहलू हैं। एक ओर जहां विज्ञान का सदुपयोग वरदान है तो वहीं दूसरी और विज्ञान का दुरुपयोग अभिशाप बन जाता है। विज्ञान के अभिशाप के तमाम उदाहरण आज हमारे सामने मौजूद हैं।

विज्ञान ने सुरक्षा के लिए जिन हथियारों के अविष्कार किए थे आज वही हथियार एक-दूसरे का विनाश करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इस समय पूरे विश्व में ध्रुवीकरण हो गया है।

एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मच गई है और इस होड़ में पूरी दुनिया अंधी हो चुकी है। विज्ञान का दुरुपयोग करके आज हाइड्रोजन बम और परमाणु बम जैसे विध्वंसक हथियार बनाए जा चुके हैं जो पल भर में पूरे विश्व का सर्वनाश कर सकते हैं।

विज्ञान की बढ़ती तकनीक ने बेरोजगारी और निर्धनता की समस्या भी खड़ी कर दी है। जैसे-जैसे तकनीकी संसाधन बढ़ते जा रहे हैं वैसे-वैसे रोजगार घटते जा रहे हैं।

बेरोजगारी और निर्धनता की समस्या से ही जनसंख्या भी अंधाधुंध बढ़ रही है। अगर ऐसे ही विश्व की जनसंख्या बढ़ने लगी तो आने वाले समय ने वह दिन दूर नहीं जब लोग रोटी के लिए एक दूसरे का कत्लेआम कर देंगे।

बढ़ती जनसंख्या से विश्व भर का प्रदूषण भी बढ़ रहा है। एक ओर जहां विज्ञान का उपयोग करके फसलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा रही है वहीं फसलों की पोषकता में नियमित कमी हो रही है।

पोषक तत्वों की कमी से तरह तरह के रोग जन्म ले रहे हैं। आए दिनों एक से बढ़कर एक जटिल बीमारियां उभरकर सामने आ रही हैं।

उपसंहार –

विज्ञान उस कच्ची मिट्टी की तरह है, जिससे कुम्हार मिट्टी के बर्तन और जानलेवा हथियार दोनों बना सकता है। वह कुम्हार हम हैं। हमें ही तय करना है कि हम विज्ञान को अपने लिए अभिशाप बनाना चाहते हैं या फिर वरदान।

हालांकि वर्तमान समय में कुछ लोग बिना इस विचार के ही विज्ञान का दुरुपयोग कर रहे हैं। विज्ञान का दुरुपयोग संपूर्ण मानव जाति के लिए घातक साबित हो सकता है जिसकी एक झलक पूरी दुनिया ने द्वितीय विश्व युद्ध में देख ली थी।

अगर विज्ञान का दुरुपयोग ऐसे ही बढ़ता रहा तो आने वाले समय में पूरी मानव जाति विनाश की खाई में विलीन हो जाएगी। हमें मिलकर एकजुट होकर विज्ञान के दुरुपयोग को रोकना होगा और विज्ञान के सदुपयोग का संकल्प लेना होगा।

अगर विज्ञान का अनुप्रयोग सही दिशा में किया जाए तो यह जटिल से जटिल समस्याओं का समाधान बन सकता है और मानव जीवन को सुगम एवं सुविधाजनक बन सकता है।

तो दोस्तों आज इस लेख के जरिए हमने आपके साथ विज्ञान एक वरदान अथवा अभिशाप पर निबंध साझा किया।

उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपको पसंद आया होगा

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