ओणम त्योहार पर निबंध, ओणम क्यों मनाया जाता है?, महत्व, पौराणिक कथा ओणम 2023 में कब मनाया जायेगा? ओणम त्योहार किसका प्रतीक है? (Essay on Onam Festival in hindi) Onam Festival In Hindi, Onam 2023 Date Onam Festival In Kerala
Onam Festival 2023 : ओणम महोत्सव केरल राज्य में मनाये जाने वाले प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है। 10 दिनों तक चलने वाला ओणम त्योहार दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्योहार है।
ओणम का त्यौहार विशेष रूप से केरल में मनाया जाता है। केरल में मनाया जाने वाला यह ओणम त्यौहार 10 दिनों का होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार ओणम का यह त्योहार भाद्रपद और आश्विन माह में मनाया जाता है।
मलयालम सौर कैलेंडर के अनुसार, ओणम त्योहार चिंगम महीने में शिरुवोनम नक्षत्र में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसे ‘श्रावण नक्षत्र’ कहा जाता है।
इस बार ओणम का यह त्यौहार 20 अगस्त 2023 से लेकर 31 अगस्त 2023 तक मनाया जाएगा। ओणम त्यौहार में पड़ने वाले इन 10 दिनों का अपना अलग-अलग महत्व होता हैं।
हालांकि इन 10 दिनों में भी थिरूवोनम का दिन (Thiruvomam) सबसे ज्यादा महत्व रखता है। इस बार 29 अगस्त 2023 को थिरुवोनम मनाया जाएगा। हालांकि मलयालम भाषा में ओणम के इस त्यौहार को थिरुवोणम ही कहा जाता है।
धार्मिक मान्यता यह है कि, ‘’ओणम के पर्व पर राजा बलि (राक्षस) अपनी समस्त प्रजा से मिलने के लिए पृथ्वी पर आते हैं।‘’ इस त्यौहार पर लोग राजा बली के आगमन पर उनका स्वागत करने के लिए अपने घर आंगन को सजाते हैं तथा विभिन्न प्रकार के भोग बना कर यह त्यौहार मनाते हैं।
ओणम के त्यौहार की एक मान्यता यह भी है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार भी लिया था।
यह त्योहार राजा महाबली की याद में मनाया जाता है और इस दिन के बारे में एक किंवदंती है कि ओणम के दिन राजा बलि की आत्मा केरल आती है। यह त्योहार के दिन पूरे केरल राज्य में सार्वजनिक अवकाश होता है और इसके लिए कई सांस्कृतिक और मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
यह मुख्य रूप से ‘किसानों का त्योहार’ है, जो फसल और अच्छे मौसम के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। कहा जाता है कि केरल में महाबली नामक एक असुर राजा रहता था। ओणम त्योहार उनके ही आदर सत्कार में मनाया जाता है।
ओणम त्योहार के इस खास मौके पर लोग एक दूसरे को ओणम की हार्दिक शुभकामनाएं भेजते हैं तथा अपने करीबी प्रिय जनों को बधाइयां देते हैं। अगर आप भी ओणम पर अपने प्रियजनों को बधाई देना चाहते हैं तो ऊपर लिंक क्लिक करके शुभकामना संदेश पढ़ सकते हैं तथा साझा कर सकते हैं।
चलिए आवाज इस लेख के जरिए ओणम त्यौहार के विषय में अच्छे से जानते हैं ताकि आपको पता चल सके कि ओणम क्यों मनाया जाता है, ओणम किसका प्रतीक है, ओणम का पौराणिक इतिहास एवं महत्व क्या है।
विषय–सूची
ओणम त्योहार 2023 (Onam Festival 2023)
त्योहार का नाम | ओणम त्योहार |
ओणम त्योहार 2023 | ओणम 20 अगस्त से 31 अगस्त तक ( Thiruvonam Will Be Celebrated 29 August 2023) |
कहां मानते है? | भारत के केरल राज्य मे |
क्यों मनाते है? | राजा बलि के आगमन पर |
उद्देश्य | ओणम का त्योहार सावन के मौसम में अच्छी बारिश होने पर और राजा बलि (राक्षस) के आगमन पर मनाया जाता है। |
आरम्भ | चिंगम (सिंह) मसम, अथम (हस्ता) नक्षत्रमी |
समाप्त | चिंगम (सिहा) मसम, थिरुवोनम (श्रावण) नक्षत्रम |
ओणम क्या है? ओणम त्यौहार पर निबंध (Essay on Onam in hindi)
ओणम केरल में मनाया जाने वाला त्योहार है। यह त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन केरल राज्य इसका विशेष महत्व है। यह त्योहार केरल का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है।
यह त्योहार मंदिर में नहीं बल्कि घर में मनाया जाता है। यह त्योहार अगस्त से सितंबर के बीच में मनाया जाता हैंै। कुछ क्षेत्रों में इस त्योहार को ’ओनम’ भी कहा जाता है।
ओणम हिंदू सभ्यता के सर्वोच्च देवता विष्णु के अवतार वामन को समर्पित है। यह त्योहार किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसे लोकप्रिय रूप से ‘फसल का त्योहार’ के नाम से भी जाना जाता है। यह ओणम त्योहार अथम दिवस से लेकर थिरुवोणम दिवस तक बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
यह त्योहार फसल के मौसम की शुरुआत में मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, स्वर्ग को असुर महाराजा महाबली से मुक्त कराने के लिए भगवान विष्णु ने इसी समय वामन अवतार लिया था। कुछ राज्यों में इस त्योहार को ’वामन जयंती’ के नाम से भी जाना जाता है।
ओणम 2023 में कब मनाया जायेगा? शुभ मुर्हूत (When will Celebrated Onam 2023 Date)
ओणम ‘मलयालम कैलेंडर’ पर आधारित है। यह त्योहार मलयालम कैलेंडर के अनुसार कोलावर्षम के प्रथम माह चिंगम में मनाया जाता है। ओणम त्योहार थिरुवोणम नक्षत्र में मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह अवधि अगस्त से सितंबर तक की अवधि में आती है। इस साल 2023 में ओणम 20 अगस्त से शुरू होकर 31 अगस्त तक चलेगा। ओणम त्योहार में सबसे महत्वपूर्ण दिन ‘थिरुवोनम’ का होता है, इस बार यह महत्वपूर्ण दिन ‘थिरुवोनम’ 29 अगस्त को आएगा।
थिरुवोनम नक्षत्र तिथि शुरू | 29 अगस्त को दोपहर 02:43 से |
थिरुवोनम नक्षत्र तिथि खत्म | 29 अगस्त को रात्रि 11:50 तक |
ओणम कब मनाया जाता है? (When Is Onam celebrated?)
ओणम का पर्व मलयालम सोलर कैलेंडर के मुताबिक, चिंगम माह में मनाया जाता है। यह पर्व मलयालम कैलेंडर का प्रथम माह होता है, जो अधिकतर अगस्त-सितम्बर माह में आता है। द्वितीय सोलर कैलेंडर के मुताबिक, इस माह को ’सिम्हा महिना’ भी कहा जाता है। इसके अलावा तमिल कैलेंडर के मुताबिक, इसे ’अवनी माह’ भी कहते है। जिस दिन थिरुवोनम नक्षत्र चिंगम माह में आता है, उस दिन ओणम का पर्व बड़े धूमधाम से मनाते है। थिरुवोनम नक्षत्र को हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक, ’श्रवना’ भी कहा जाता है।
ओणम का त्योहार मलयालम सौर कैलेंडर के अनुसार चिंगम महीने में मनाया जाता है। यह मलयालम कैलेंडर का पहला महीना है और आमतौर पर अगस्त और सितंबर महीने के बीच आता है। दूसरे सोलर कैलेंडर के अनुसार इसे महीने को ’सिम्हा महिना’ भी कहा जाता है, लेकिन तमिल कैलेंडर में इसे ’अवनी माह’ कहा जाता है। ओणम का त्योहार थिरुवोनम नक्षत्र चिंगम महीने में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, तिरुवनम को नक्षत्र श्रवण कहा जाता है।
ओणम हर वर्ष सावन महीने के अंत में मनाया जाता है। सावन के महीने में बारिश बहुत अच्छी होती है और इस बारिश के कारण फसलों की उपज भी अच्छी होती है। जब यह बरसात का महीना या सावन का महीना समाप्त होता है, तो अच्छी फसल होने के कारण देवताओं को धन्यवाद देने के लिए ओणम का त्योहार मनाया जाता है।
ओणम त्यौहार कहां मनाया जाता है?
ओणम दक्षिण भारत के केरल में मनाया जाने वाला एक बहुत ही लोकप्रिय त्योहार है। केरल राज्य में यह त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और हर वर्ष 10 दिनों तक मनाया जाता है।
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ओणम क्यों मनाया जाता है? ओणम की पौराणिक कथा (Onam Festival Story in hindi)
ओणम मलयाली लोगों के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और इसे देश और विदेश में रहने वाले लगभग सभी मलयाली लोगों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। ओणम का सबसे भव्य आयोजन केरल में होता है, लेकिन यह त्योहार कई अन्य राज्यों में भी काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। सामान्य तौर पर नई फसल की अच्छी उपज होने पर इस महोत्सव को उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
इसके अलावा इस त्योहार की एक विशेषता यह भी है कि इस दिन लोग मंदिरों के बजाय घर पर ही पूजा-पाठ करते हैं।
ओणम मनाने के कई कारण हैं। लेकिन ज्यादातर ओणम को महाबली की वापसी के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा इस त्योहार की एक पौराणिक कथा भी है। इसलिए मलयालम के लोग इस त्योहार का बहुत सम्मान देते है।
पौराणिक कथा के अनुसार, बहुत पहले राक्षसों के राजा बलि अलग-अलग प्रकार के अनुष्ठान करवाते थे जिससे देवताओं को काफी तकलीफ होती थी। जब भगवान इंद्र को राजा बलि के अनुष्ठान से तकलीफ होने लगी तो उन्होंने भगवान विष्णु से मदद की गुहार लगाई। हालांकि राजा बलि एक अच्छे राक्षस राजा थे जो अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखते थे और केरल राज्य की पूरी बजा उनसे बहुत प्यार करती थी। इस वजह से भगवान विष्णु ने राजा बलि से प्रत्यक्ष रूप से लड़ाई करना सही नहीं समझा और अवतार लेकर एक ब्राम्हण भेष में उनके घर गए।
वहां उन्होंने राजा बलि से कुछ भिक्षा मांगी, जिस पर राजा बलि ने रोब दिखाते हुए कहा कि आपकी प्रत्येक इच्छा पूरी करेगे और इसी समय वामन अवतार ने तीन पैर जमीन मांगी, राजा बलि के आदेश पर वामन अवतार ने अपने पहले ही कदम में संपूर्ण धरती को नाप दिया और दूसरे कदम में संपूर्ण आकाश को नाप दिया और उसके बाद राजा बलि से कहा कि अपनी आज्ञा अनुसार मुझे तीसरा पग रखने की जगह बताइए। राजा बलि अपने वचनों के बड़े पक्के थे इस वजह से उन्होंने वामन अवतार को उनके तीसरा पग को अपने शीश पर ले लिया। जिस वजह से राजा बलि पाताल लोक में समा गए।
इस घटना पर केरल की सभी प्रजा बहुत दुखी हुई और भगवान से लड़ने लगी। भगवान को राजा बलि का व्यक्तित्व बहुत पसंद आया जिस वजह से उन्होंने केरल की प्रजा को यह आश्वासन दिया इस साल में 10 दिन के लिए राजा बलि आप लोगों के साथ आकर रह सकते है। ऐसी मान्यता है कि ओणम पर्व की खुशी में ही ‘पूनम का त्योहार’ मनाया जाता है, क्योंकि इसी शुभ दिन पर केरल के सबसे प्रियतम राजा बलि 10 दिनों तक उनके बीच रहते हुए, उनकी सभी परेशानियों का समाधान करते है।
ऐसी मान्यता है कि राजा बलि का आगमन होने से फसल बहुत अच्छी होती है और इसी कारण राजा बलि के आगमन के लिए लोग अपने घरों की फूलों से सजावाट करते हैं और रास्तों की भी सफाई करते हैं। एक ऐसा त्योहार जहां सब अपने आसपास के इलाके को साफ करते है, और घर में 10 दिन तक अलग-अलग तरह के पकवान राजा बलि और भगवान विष्णु के वामन अवतार के लिए बनाया जाता है। यह देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है।
ओणम त्योहार किसका प्रतीक है?
ओणम का त्योहार न्यायप्रिय राजा महाबली की आत्मा की पृथ्वी पर वापसी का प्रतीक है।
इस दिन को केरल के हर वर्ग समुदाय द्वारा बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है। ओणम के इस त्यौहार को सामाजिक समरसता, भाईचारा तथा प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।
केवल इतना ही नहीं वरन इस त्यौहार का संबंध लहलहाती हरी भरी फसलों के साथ भी जोड़ा जाता है। इसलिए किसानों के लिए
ओणम त्यौहार कैसे मनाया जाता है? (How Onam Is Celebrated)
ओणम का त्योहार मलायाली लोगों द्वारा काफी धूम-धाम से तथा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। केरल के लोग इस त्योहार से दस दिन पहले ही तैयारियां शुरू कर देते हैं। ओणम आने से पहले घरों की साफ-सफाई की जाती है। ओणम के पहले दिन को ’उथ्रादम’ के नाम से जाना जाता है। उथ्रादम की रात में घरों को खूबसूरती से सजाया जाता है। इसके बाद थिरुओणम के दिन सुबह घरों में पूजा की जाती हैं। इस समय 20 से अधिक प्रकार के शाकाहारी पकवान बनाये जाते है, जो घर पर तैयार किए जाते हैं।
ओणम त्योहार मनाने वाले लोग अपने घरो में रंग-बिरंगी रंगोलियां बनाते हैं। लड़कियाँ घर में बनी रंगोली के चारों तरफ केरल का एक विशेष लोक नृत्यन ’तिरुवाथिरा कलि’ करती है। इस उक्लम पर हर दिन फूलों का एक गोला बनाया जाता है, जो दसवें दिन यानी तिरुवोनम के दिन तक बहुत बड़ा हो जाता है।
इसके अलावा, ओणम त्योहार के दौरान लोग अपने घरों में राजा महाबली की मूर्ति भी स्थापित करते है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस समय राजा बाली पाताल लोक से पृथ्वी पर अपनी प्रजा से मिलने के लिए लौटेंगे। राजा बलि की यह मूर्ति भगवान विष्णु के वामन अवतार के साथ पूलकम के बीच में स्थापित की जाती है।
आठ दिनों तक फूलों की सजावट का कार्य होता है और नौवें दिन प्रत्येक घर में विष्णु की मूर्ति बनायीं जाती है और फिर उसकी पूजा की जाती है। इसी दिन महिलाएं भगवान विष्णु के चारों ओर नाच-गाकर और ताली बजाती है और उनकी पूजा-अर्चना करती हैं। गणेश और श्रावण देवता की मूर्तियाँ रात में बनाई जाती हैं। इसके बाद बच्चे वामन अवतार को समर्पित एक गीत गाते हैं। मूर्ति के सामने दीपक जलाया जाता है और पूजा के बाद दसवें दिन मूर्तियों को विसर्जित कर दिया जाता है।
पूजा-पाठ के अलावा ओणम त्योहार अपने व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है। इस पर्व के दौरान घर पर तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। इसलिए बच्चे इस पर्व को लेकर सबसे अधिक उत्साहित रहते है। आम तौर पर, इस दिन दिन पचड़ी-पचड़ी काल्लम, दाव, घी, ओल्लम, सांभर आदि जैसे व्यंजन बनाए जाते हैं। इस दिन जो पकवान बनाए जाते हैं, उन्हें केले के पत्तों पर परोसा जाता हैं। ओणम में तैयार किए जाने वाले पाक व्यंजन निम्बूदरी ब्राम्हणों व्यंजनों के खाने की विविधता को दर्शाते हैं जो उनकी को प्रदर्शित करने का कार्य करता है। कई जगहों पर इस दिन दूध से बने 18 अलग-अलग व्यंजन परोसे जाते हैं।
इस दिन को मनाने के अलावा, लोगों के मनोरंजन के लिए कथककली नृत्य, कुम्मत्तीकली (मुखौटा नृत्य), पुलीकली नृत्य (शेर की पोशाक में किया जाने वाला नृत्य) आदि जैसे नृत्यों का आयोजन किया जाता है। इस दिन नौका दौड़ और विभिन्न प्रकार के खेलों का भी आयोजन किया जाता है।
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ओणम त्यौहार 10 दिनों तक मनाया जाता है –
पहला दिन – इस पर्व में पहला दिन ’अथं’ का होता है, जब राजा महाबली (राक्षस) पाताल लोक से धरती पर अपने राज्य में जाने की तैयारी करते हैं और इस दिन राज्य की प्रजा भीी अपने राजा के आगमन पर उनके स्वागत की तैयारियाँ करती है।
दूसरा दिन – इस त्यौहार का दूसरा दिन ’चिथिरा’ का होता है। इसी दिन फूलों के कालीन बनाना प्रारंभ कर दिये जाते है, जिसको ’पूक्क्लम’ कहा जाता है।
तीसरा दिन – इस पर्व का तीसरा दिन ’चोधी पूक्क्लम’ का होता है। इसी दिन 4-5 प्रकार के फूलों वाली अगली लेयर बनाई जाती है।
चौथा दिन – इस पर्व का चौथा दिन ’विशाखाम’ का होता है। इस दिन विभिन्न प्रतियोगिताएं प्रारंभ होती हैं।
पांचवा दिन – इस पर्व के पांचवें दिन को ’अनिज्हम’ कहा जाता है। केरल के कई हिस्सों में वल्लमकली बोट रेस शुरू होती है।
छठां दिन – इस पर्व का छठां दिन ’थ्रिकेता’ का होता है। इसी दिन से त्यौहार की छुट्टियां शुरू होती है।
सातवां दिन – इस दिन ’मूलम’ मंदिरों में विशेष रूप से पूजा का आयोजन होता है।
आठवां दिन – इस पर्व का आठवां दिन ’पूरादम’ का होता है। इसी दिन घरों में राजा महाबली और वामन की मूर्ति को स्थापित किया जाता है।
नौवां दिन – ’उठाद्रोम’ का होता है। इस दिन केरल में महाबली प्रवेश करते हैं।
दसवां दिन – ’थिरुवोनम’ का होता है। यह सबसे महत्वपूर्ण दिन है, जब केरल की प्रजा बड़े उत्साह के साथ राजा महाबली का स्वागत और पूजा करती हैं।
ओणम पर बनने वाले पकवान (Dishes made on Onam)
ओणम में खान-पान का भी विशेष स्थान है। इस दिन लोगों के लिए दावत बनाई जाती है। इस दावत में कई तरह के पकवान तैयार किये जाते हैं। ओणम के आखिरी दिन विशेष पकवान बनाते है। इसे ’साद्या थाली’ कहा जाता है। इसमें लगभग 26 अलग-अलग प्रकार के पकवान शामिल होते हैं, जो पूरी तरह से शाकाहारी होते हैं। इस दिन पारंपरिक रूप में केले के पत्ते पर भोजन किया जाता है।
इसमें मुख्य रूप से पचड़ी काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर, केले और पापड़ के चिप्स बनाए जाते हैं। साद्या थाली में प्रमुख रूप से सांभर, उपेरी, शर्करा वरही, नारंगा करी, मांगा करी, रसम, इंजी करी, चावल, ओलन, कालन, चेन यानी सूरन करी, परिप्पु करी, पच्चड़ी, पुलुस्सरी, एलिस्सरी, मोर यानी खट्टा रायता, अवियल, तोरन और पायसम आदि पकवान होते हैं।
तो दोस्तों आज इस आर्टिकल के जरिए हमने आपके साथ ओणम त्योहार पर निबंध से जुड़ी जानकारियां साझा की और आपको बताया कि ओणम क्यों मनाया जाता है। उम्मीद करते हैं कि हमारा यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा।