महान क्रांतिकारी राजगुरु का जीवन परिचय (freedom fighter Shivram Rajguru biography in hindi)
हेलो दोस्तों, जैसा कि आप जानते ही हैं कि हमारे देश को आजाद कराने के लिए क्रांतिकारियों ने अपना जीवन दांव पर लगा दिया है, और अपने देश के लिए बलिदान देकर सदा के लिये अमर हो गये। इन्हीं में से हमारे एक क्रांतिकारी राजगुरु जी भी थे। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से हमारे क्रांतिकारी शिवराम राजगुरु जी का जीवन परिचय बताने वाले हैं।
विषय–सूची
शिवराम राजगुरु जी का जीवन परिचय (Freedom fighter Shivram Rajguru Biography in hindi)
असली नाम (Real Name) | शिवराम हरि राजगुरु |
बचपन का नाम | रघुनाथ |
प्रसिद्ध नाम | राजगुरु |
प्रसिद्धी प्राप्त की | स्वतंत्रता सेनानी |
जन्म (Date of Birth) | 24 अप्रैल 1908 |
जन्म स्थान (Place of Birth) | खेड़ गांव, पुणे, महाराष्ट्र, भारत |
जाति | ब्राह्मण |
आयु | 22 वर्ष (1956) |
निधन | 23 मार्च, 1931 (लाहौर, वर्तमान पंजाब, पाकिस्तान) |
पेशा (Professions) | क्रांतिकारी नेता |
परिवार (Family Details) | |
माता का नाम (Mother Name) | पार्वती बाई |
पिता (Father Name) | हरिनारायण राजगुरु |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
शिवराम राजगुरु कौन थे? (Who is Shivram Rajguru hindi)
राजगुरु जी एक महान देशभक्त एवं क्रांतिकारी नेता थे। मात्र 22 वर्ष की आयु में अपनी मातृभूमि के लिये शहीद हो गये थे। इनकी शहादत को पूरा देश कभी भी नहीं भुला सकता है। राजगुरु जी का पूरा नाम शिवराम राजगुरु था। इनका जन्म सन् 1908 में 24 अप्रैल को महाराष्ट्र राज्य के पुणे शहर के नजदीक एक छोटे से गांव खेड़ केे साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। शिवराम राजगुरु पिता का नाम हरिनारायण राजगुरु था जब वह केवल 6 वर्ष के हुये होंगे तभी इनके पिताजी की मृत्यु हो गई।
ऐसा माना जाता है कि हरिनारायण जी ने दो शादियां की थी, और हरिनारायण जी के गुजरने के बाद शिवराम राजगुरु जी का पालन-पोषण इनकी दूसरी माता पार्वती और इनके बड़े भाई ने किया था। पिता की मृत्यु हो जाने के बाद इन्होंने बहुत कम उम्र में होश संभाल लिया था।
शिवराम राजगुरु जी का शैक्षणिक जीवन (Education of Shivram Rajguru)
राजगुरु जी बचपन में पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। पिता की जल्दी मृत्यु हो जाने के कारण इनकी शिक्षा बहुत अच्छी नहीं हो पाई थी। इनकी प्रारंभिक शिक्षा खेड़ गांव के एक सरकारी स्कूल में हुई। कुछ साल गांव में पढ़ने के बाद राजगुरु जी उच्च पढ़ाई के लिए वाराणसी चले गए थे। वाराणसी में इन्होंने संस्कृत विषय का ज्ञान लिया। राजगुरु जी ने वाराणसी में हिंदू धर्म-ग्रंथों तथा वेदों का अध्ययन भी कर लिया था। साथ ही साथ इन्होंने लघु सिद्धांत कौमुदी जैसा एक कठिन धर्म ग्रंथ कम आयु में कंठस्थ कर लिया था।
शिवराम राजगुरु जी की क्रांतिकारी गतिविधियां (Revolutionary Activities of Shivram Rajguru)
शिवराम राजगुरु जी जब वाराणसी में अध्ययन कर रहे थे। तभी उनकी मुलाकात कई देश क्रांतिकारियों से हुई। कहते हैं कि राजगुरु जी मैं बचपन से ही आजाद-ए-जंग की ललक थी। राजगुरु जी ने वाराणसी में हूं एक क्रांतिकारी दल के सदस्य बन गए थे उस क्रांतिकारी दल का नाम हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) था। शिवराम राजगुरु जी क्रांतिकारी दल के प्रमुख सदस्य चंद्रशेखर आजाद जी से बहुत ही प्रभावित थे जिसके कारण उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) जॉइन किया था।
HSRA का नाम पहले हिंदुस्तान रिपब्लिक आर्मी (HRA) था। इस पार्टी का गठन कानपुर में 1924 में किया गया था। लाला हरदयाल जी ने दल की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस समय काकोरी कांड के बाद हिंदुस्तान रिपब्लिक आर्मी के बहुत से क्रांतिकारियों को फांसी हो गई थी। जिसके कारण हिंदुस्तान रिपब्लिक आर्मी टूट गई थी।
लेकिन स्वतंत्रता के आंदोलन को बनाए रखने के लिए हिंदुस्तान रिपब्लिक आर्मी के प्रमुख सदस्य चंद्रशेखर आजाद तथा नौजवान भारत सभा के प्रमुख सदस्य भगत सिंह जी के दल ने हाथ मिला लिया। और एक नया क्रांतिकारी दल बनाया। जिसका नाम हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन रखा गया।
इस दल में जुड़ने के कारण शिवराम राजगुरु जी भगत सिंह और सुखदेव के घनिष्ठ मित्र बन गए थे। और इनके साथ मिलकर के आंदोलन किये। शिवराम राजगुरु जी को उनके दल ने रघुनाथ नाम दिया था। राजगुरु जी ने चंद्रशेखर आजाद से निशानेबाजी सीखी तथा निशानेबाजी में एक कुशल योद्धा बने। शिवराम राजगुरु जी महात्मा गांधी के विचारों के बिल्कुल विपरीत है जहां महात्मा गांधी जी अहिंसा वादी थे वही शिवराम राजगुरु जी हिंसा के बल पर स्वतंत्रता पाना चाहते थे।
लाल लाजपत राय का बदला (Revenge of Lala Lajapat Ray)
1928 में अंग्रेजों ने भारतीय राजनीति में सुधार लाने के लिए साइमन कमीशन नियुक्त किया था अंग्रेजों ने इस साइमन कमीशन में किसी भी भारतीय नेता को शामिल नहीं किया था जिसके कारण लाला लाजपत राय जी ने इस साइमन कमीशन का विरोध किया। लाला लाजपत राय जी ने साइमन कमीशन के बहिष्कार में भयानक आंदोलन किया। इस आंदोलन में जिसने भी भाग लिया था, उन पर अंग्रेजों ने लाठीचार्ज की। लाठी चार्ज होने के कारण लाला लाजपत राय जी आहत हुए और उनका उसी आंदोलन में देहांत हो गया। राय जी की मृत्यु की खबर सुनते ही HSRA के सदस्यों का खून खौल उठा और उन्होंने लाला लाजपत राय जी की हत्या का बदला लेने की एक योजना बनाई। भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, शिवराम राजगुरु तथा सुखदेव जी ने जेम्स ए स्कॉट को मारने की योजना बनाई थी। क्योंकि जेम्स ए स्कॉट ने ही लाठी चार्ज करने का आदेश दिया था।
राजगुरु जी के एक साथी जय गोपाल जी जेम्स ए स्कॉट को पहचान सकते थे। राजगुरु तथा उनके अन्य साथियों ने योजना बनाई थी कि जैसे ही जय गोपाल जी जेम्स ए स्कॉट की तरफ इशारा करेंगे, हम जेम्स एस्कॉर्ट को वही मार देंगे। योजना के अनुसार 17 दिसंबर 1928 को राजगुरु और भगत सिंह जी कोतवाली के सामने चल रहे थे और जय गोपाल अपनी साइकिल ठीक करने का नाटक कर रहे थे जैसे ही कोतवाली से एक पुलिस बाहर आया तो जय गोपाल जी ने उसकी तरफ इशारा किया और राजगुरु जी ने बिना सोचे समझे उसके माथे पर एक गोली चला दी और भगत सिंह जी ने भी उसमे तीन चार गोलियां दाग दी। बाद में राजगुरु तथा उनके साथियों को पता चला कि जिस पुलिस वाले को उन्होंने मारा था उसका नाम जेम्स ए स्कॉट नहीं बल्कि सांडर्स था।
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शिवराम राजगुरु जी की शहादत, मृत्यु (Death of Shivram Rajguru hindi)
सांडर्स की हत्या करने के बाद अंग्रेजों ने पूरे भारत में उनके दोषियों को पकड़ने में लग गए। राजगुरु तथा उनके साथी छिपने के लिए लाहौर छोड़ के भाग गए थे। लाहौर छोड़ने में राजगुरु जी की मदद एक क्रांतिकारी भगवती चरण की पत्नी दुर्गादेवी ने की थी। राजगुरु जी के साथी हावड़ा में छिप गए थे और राजगुरु जी वाराणसी वापस आ गए थे। उन्होंने वाराणसी में RSS कार्यकर्ता के घर मे शरण ली थी।
राजगुरु ओर उनके साथी ने पूरी तरह से अपना वेश बदल लिया था। जिससे कि अंग्रेज उन्हें पहचान न सके। अंग्रेजों को भगत सिंह और उनके साथी पे सांडर्स को मारने का शक था, इसलिए अंग्रेज़ भगत और उनके साथी की खोज में लग गए थे।
30 सितम्बर 1929, को राजगुरु जी जब पुणे जा रहे थे तभी रास्ते मे अंग्रेजों ने इन्हें पकड़ा लिया। उनके साथी भगत सिंह और सुखदेव को भी पकड़ लिया गया था। सांडर्स की हत्या करने के जुर्म में 23 मार्च, 1931 को राजगुरु जी को फांसी दी गयी। इस दिन हमारे देश की जीत हुई थी क्योंकि राजगुरु जी और उनके साथी हँसते-हँसते देश के लिए शहिद हुए थे।
FAQ
Q. शहीद राजगुरु का पूरा नाम क्या है?
Q. शहीद राजगुरु जयंती कब है?
Ans: 24 अप्रैल को मनाई जाती है। इनका जन्म पुणे के खेड़ गांव में 24 अप्रैल 1908 को हुआ था।
Q. शिवराम राजगुरु जी के माता-पिता का नाम क्या था?
Ans; राजगुरुजी के पिता का नाम हरिनारायण तथा माता का नाम पार्वती था।
Q. राजगुरु की जाति क्या थी?
Ans. राजगुरु जी ब्राह्मण जाति के थे।
Q. शिवराम हरी राजगुरु ने कम आयु में कौन सा ग्रंथ कंठस्थ याद कर लिया था ?
Ans. राजगुरु जी ने लघु सिद्धांत कौमुदी जैसा एक कठिन धर्म ग्रंथ कम आयु में कंठस्थ कर लिया था।