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सोमनाथ मंदिर का इतिहास व रोचक तथ्य | Somnath Temple history hindi

आज के इस लेख में हम महादेव के ऐसे भव्य मंदिर के अद्भुत इतिहास और रहस्यों के बारे में बात करेंगे जिसमे श्रद्धालुओं की आस्था अनंत है। (Somnath Temple history hindi) सौराष्ट्र मतलब गुजरात के पश्चिमी तट पर वेरावल बंदरगाह के पास प्रभास पाटन में स्थित है। दोस्तों, क्या आपको यह जानकारी है कि महादेव के बारह ज्योतिर्लिंग में सर्वप्रथम स्थान सोमनाथ मंदिर का है।

यह स्थान गुजरात का महत्वपूर्ण पर्यटन व तीर्थ स्थल है जो गुजरात के पश्चिमी तट पर बसा है। प्राचीन काल में इसी मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी जिससे प्रभावित होकर कई मुस्लिम शासको ने और पुर्तगालियों ने एक बार नहीं बल्कि 17 बार आक्रमण किया परंतु इसे पूर्णतः ध्वस्त नहीं कर पाए और अब वर्तमान में इस भव्य हिन्दू मंदिर का पुनर्निर्माण वास्तुकला चालूक्य शैली में हुआ है।

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सोमनाथ मंदिर का इतिहास व रहस्य (Interesting Facts, Somnath Temple history hindi)

सोमनाथ मंदिर का निर्माण किसने किया था?

सोमनाथ मंदिर का नाम चंद्र देव के नाम पर रखा गया है चंद्रदेव का एक नाम सोम भी है। इन्होंने शिवजी की घोर तपस्या की थी और सर्वप्रथम मंदिर का निर्माण किया था। इसका उल्लेख धर्मग्रंथों ऋग्वेद व शिवपुराण में मिलता है। इसकी प्राचीनता व ऐतिहासिक होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है।

सोमनाथ मंदिर के प्राचीन इतिहास और इसकी वास्तुकला और प्रसिद्धि को देखने के लिए विश्वभर से लाखों शिवभक्त व श्रद्धालु भगवान शिव का आशीर्वाद लेने व दर्शन करने आते हैं।

इस मंदिर कैलाश महामेरु प्रसाद शैली में किया गया था और इसकी शिल्पकारी अद्भुत है सोमपुरा ब्रहाम्ण सम्प्रदाय के निपुण कारीगरों द्वारा बनाई शिल्पकारी की गई। मंदिर का शिखर चालुक्य वास्तुशैली में बनाए गए है।

सोमनाथ मंदिर के जिस रूप को आज हम देखते है। उसे भारत के लौहपुरुष, सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों द्वारा बनवाया गया। मई 1951 को इसका विनिर्माण शुरू किया गया और 1 दिसम्बर 1955 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया।

सोमनाथ मंदिर पर हुये आक्रमण का इतिहास ( Somnath Temple history in hindi )

प्राचीनकाल से ही गुजरात के वेरावल में स्थित सोमनाथ मंदिर की महिमा और कीर्ति बहुत दूर तक फैली हुई थी। इस मंदिर को जितनी बार भी नष्ट किया गया उतनी बार धर्म में आस्था रखने वाले राजाओं व शासकों ने इसका पुननिर्माण करवाया और यह अद्भुत शिव मंदिर अपने पुराने वैभव और कीर्ति के साथ बार-बार उठ खड़ा हुआ।

इतिहास के पन्नों में झाकने पर पता चलता है इस मंदिर का अस्तित्व ई. पूर्व से भी पहले हो चुका था हिंदु राजाओं द्वारा इसका पुननिर्माण छठी और सातवी ई.वी. में करवाया था। इस मंदिर की धार्मिक महत्व का अंदाजा इसी से लगा सकते हो कि इस व्याख्या हमें हिंदुओं के पौराणिक ग्रंथों में मिलती है।

649 ई.वी. में वैल्लभी के यादव राजाओं द्वारा इसका निर्माण करवाया था।। 725 ईवी में अलजुनैद नाम के सुबेदार ने पहली बार इसपर हमला करके मंदिर को खंडित कर दिया था और फिर धार्मिक आस्था के चलते राजा नागभट्ट ने 815 ईसवी में इस प्राचीन शिव मंदिर को दुबारा बनवा दिया था।

अरब प्रांत के एक यात्री जिसका नाम अल बरूनी था उसने अपनी यात्र में सोमनाथ मंदिर का विस्तृत वर्णन किया जिसे सुनकर क्रूर शासक महमूद गजनवी ने सन 1024 में अपने पांच हजार सैनिकों के साथ इस मंदिर पर आक्रमण किया था और मंदिर के स्वर्ण को पूरी तरह लूट लिया और मंदिर को ध्वस्त कर दिया था उस समय हजारों लोग पूजा कर रहे थे उसने उन्हें भी नहीं बक्शा सभी को मरवा दिया था।

इस मंदिर को आक्रमणकारी, शासकों ने एक बार नहीं लगभग 17 बार इसकों लूटा व बरबाद करने की पूरी कोशिश की परंतु हर बार शद्धालुओं ने इसका विनिर्माण करवाया। जिसके फलस्वरुप आज का सोमनाथ मंदिर अपने पुराने वैभव को वापस लाने में सफल रहा है।

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इसके बाद इसको अनेको श्रद्धालुओं ने इसके जीर्णेद्धार व निर्माण में योगदान दिया। गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। सन् 1297 में जब दिल्ली की बागडोर अलाउद्दीन खिलजी के हाथों में आई तब खिलजी के सेनापति नुसरत खां गुजरात पर अपना कब्जा किया और सोमनाथ मंदिर पूरी तरह से लूटा और चौथी बार इस मंदिर को फिर से ध्वस्त किया गया।

इसके पश्चात गुजरात के शहंशाह मुजफफरशाह ने 1395 ई में और 1412 में अहमद शाह ने भी अपने पिता के पद्चिन्हों पर चलते हुये मंदिर लूटा और ध्वस्त किया।

औरंगजेब नामक बादशाह ने 1704 में आदेश दिया कि हिंदू सोमनाथ मंदिर में दोबारा से पूजा की गई तो इसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाएगा। आिखरकार उसने पुनः 1707 में सोमनाथ मंदिर को गिरवा दिया था और जब उसे पता चला कि मंदिर में अभी भी पूजा हो रही है तो उसने श्रद्धालुओं की हत्याएं करवा दी।

फिर इसके बाद मराठा राजाओं ने भारत के कई हिस्सों पर राज किया। 1783 में मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर जी ने मंदिर से कुछ दूरी पर ही एक और महादेव की पूजा के लिए एक और सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।

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सोमनाथ मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण कहानी (Somnath temple related story in hindi)

सोमनाथ मंदिर से जुड़ी कई प्राचीन कथाएं है किवदंतियों के अनुसार चंद्रदेव ने राजा दक्षप्रजाति की सत्ताइस पुत्रियों के साथ विवाह हुआ था।

लेकिन सोम यानि चंद्रदेव सिर्फ अपनी एक ही पत्नी रोहिणी को सबसे ज्यादा प्यार करते और उन्हीं के साथ अपना ज्यादातर समय व्यतीत करते थे। इस व्यवहार से उनकी अन्य 26 रानियाँ परेशान रहने लगी। इस बात का आभास जब दक्षप्रजापति को हुआ तो उन्होंने बड़े ही विनम्र भाव से चंद्रदेव को कई बार समझाया कि उनकी अन्य रानियों के प्रति भी उनका कुछ कर्तव्य है।

परन्तु जब बहुत समझाने और निवेदन करने के पश्चात भी चंद्रदेव के व्यवहार में कुछ परिवर्तन नहीं आया तो रुष्ट होकर राजा दक्ष ने राजा चंद्रदेव को क्षय रोग होने का श्राप दे डाला और कहां कि आपको जो अपनी सुंदर काया पर इतना घमंड है तो जो जाओं आपकी सारी चमक धीरे-धीरे कम होती चली जाएगी।

उनकी चमक धीरे-धीरे क्षीण होती जा रही थी जिससे वह बहुत दुखी हो गए। तब उन्होंने इसे श्राप से मुक्ति पाने के लिये ब्रह्माजी की श्ररण में गये उन्होंने चंद्र देव जी को इसके निवारण हेतु भगवान शिव की अराधना करने की सलाह दी। चंद्रदेव ने कठिन तपस्या की और महामृत्युंजय भगवान शिव की अराधना करके उन्हें प्रसन्न किया जिसके फलस्वरुप वह रोगमुक्त हुये और अमरत्व का वरदान भी प्राप्त किया। इसके पश्चात सर्वप्रथम बार चंद्रदेव ने भगवान शिव के प्रथम ज्योर्तिलिंग की स्थापना की और स्वर्ण से जडित भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।

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सोमनाथ मंदिर से जुड़े स्मरणीय रोचक तथ्य (Interesting facts about Somnath temple in hindi)

सोमनाथ मंदिर गुजरात का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है, इस मंदिर से जुड़ी मान्यताए व निर्माण से जुड़े बहुत से ऐसे तथ्य है जिनकी उत्सुकता को तृप्त करने के लिए लोग वहां जाते हैं। सोमनाथ मंदिर भी विशेषताओं से भरा हुआ है। तो आइए जानते हैं सोमनाथ मंदिर से जुड़े स्मरणीय रोचक तथ्य क्या है।

1. सोमनाथ मंदिर शिव भत्तिफ़ के लिए बहुत मत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यहीं पर पहला ज्योतिर्लिंग स्थापित हुआ था उसके बाद रामेश्वरम, द्वारका, वाराणसी में स्थापित किया गया था।

2. इसकी ऊंचाई 150 फीट और इनमें सभा मंडपम नृत्य मंडपम और गर्भगृह भी है। इसके शिखर पर 10 टन वजनी कलश रखा हुआ है और इसके ध्वजपोल की ऊंचाई लगभग 27 फीट है।

4. सोमनाथ मंदिर के दक्षिणी भाग में एक बाण स्तंभ है। जो कि कोई साधारण स्तंभ नहीं है बल्कि इस पर तीर लगा हुआ है। इस स्तंभ पर लिखे अभिलेखों के अनुसार दक्षिण ध्रुव और इस मंदिर के मध्य पृथ्वी का कोई भी भाग यानि टापू और पहाड़ मौजूद नहीं है।

6. यहां पर तीन नदियों का संगम त्रिवेणी स्थित है। कपिला, हिरण और सरस्वती जिसमें नहाकर श्रद्धालु पाप व रोगमुक्त हो जाते हैं।

7. ऐसी मानना है कि आगरा में रखे हुये देवद्वार सोमनाथ से लाए गए थे जिसे आक्रमणकारी महमूद गजनवी इसे लूटकर ले गया था।

8. सोमनाथ मंदिर में रखा प्राचीन शिवलिंग हवा में तैरता था यह इसमें व्याप्त चुम्बकीय गुण के कारण हुआ था। जिसे देखकर मोहमद गजनवी अंचभित रह गया था।

9. सोमनाथ मंदिर से 200 किमी की दूरी पर भगवान श्रीकृष्ण की द्वारिकाधाम स्थित है जिसकी अपनी धार्मिक मान्यताऐं हैं।

10. पौराणिक ग्रंधों व मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि भगवान कृष्ण भालुका नामक स्थान पर विश्राम कर रहे थे जहां पर एक शिकारी ने उनके अंगूठे को हिरण की आंख समझकर उनपर बांण चला दिया था और इसी स्थान पर श्रीकृष्ण ने अपने प्राण त्याग दिये थे। इस स्थान पर एक भव्य मंदिर भी बना हुआ है।

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बांणस्तंभ का अदभुद रहस्य (somnath temple mysterious arrow pillar hindi)

इस मंदिर के प्रांगण में खंभे में एक तीर लगा हुआ है जो कि बांणस्तंभ के नाम से प्रचलित है और इस स्तंभ पर लिखे अभिलेख (आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव, पर्यंत अबाधित ज्योर्तिमार्ग) के अनुसार सोमनाथ मंदिर जहां पर स्थापित है उस स्थान से अंटार्टिका (दक्षिणी ध्रुव) इन दोनों के बीच में यदि एक सरल रेखा खींची जाए तों कोई भी भूमि अथवा बाधा पहांड़ व टापु उपस्थित नहीं है।

यह एक ऐतिहासिक रहस्य भी है कैसे हजारों साल पहले इस बात का अंदाजा लगाया गया होगा। जब कोई ऐसी आधुनिक तकनीक उपलब्ध नहीं थी।

निष्कर्ष

आज के इस लेख (Somnath Temple history in hindi) में हमने भगवान शिव के सबसे प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर के इतिहास व रोचक तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की इसके अलावा इस मंदिर से जुड़े अनेक स्मरणीय तथ्यों व बाण स्तंभ के अद्भुत रहस्य के बारें में भी जाना। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि हां तो इस लेख को ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया व दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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