उज्जैन का महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण, महाकाल कॉरिडोर प्रोजेक्ट की लागत, भव्य व अद्भुत है महाकाल कॉरिडोर (Facts about Mahakal Corridor ujjain hindi)
भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थित हैं जिनमें से मध्य प्रदेश के उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भी शामिल है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को कालों का काल माना जाता है। हिंदू धर्म के लोगों की ऐसी मान्यताएं हैं कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दिव्य दर्शन से दुर्घटना और अकाल मृत्यु का साया टल जाता है। महाकालेश्वर मंदिर अपनी भव्य स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है।
लेकिन अब महाकालेश्वर धाम की शोभा और भी बढ़ने वाली है क्योंकि महाकालेश्वर धाम में कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। 11 अक्टूबर को भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाकालेश्वर मंदिर के नवनिर्मित कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आदित्य योगीनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ मंदिर का भव्य कार्य जोर का निर्माण करवाया गया था। लेकिन अब महाकालेश्वर धाम ने जिस कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है वह काशी विश्वनाथ मंदिर के कार्यों की अपेक्षाकृत 4 गुना बड़ा है। अब इस बात से आप महाकाल कॉरिडोर की भव्यता का अंदाजा लगा सकते हैं।
इसके अलावा महाकाल कॉरिडोर के भीतर भगवान शिव की 190 रूपों की प्रतिमाएं देखने को मिलेंगी और यह पूरा कॉरिडोर 108 स्तंभों पर सुशोभित होगा।
तो आइए आज आर्टिकल के जरिए हम आपको उज्जैन के महाकाल मंदिर कॉरिडोर के बारे में बताते हैं कि की आखिरी यह कॉरिडोर कितने वर्ग क्षेत्रफल में बन रहा है, इसकी लागत कितनी है और इसकी विशेषताएं क्या है?
विषय–सूची
आइये जानते हैं उज्जैन का महाकाल कॉरिडोर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Facts about Mahakal Corridor Ujjain hindi)
भगवान शिव के 190 रूपों का होगा भव्य दर्शन, सप्तर्षियों की प्रतिमाएं भी होंगी मौजूद –
भगवान शिव के महाकालेश्वर धाम कॉरिडोर का नजारा बिल्कुल देवलोक में बदल गया है क्योंकि अब इस परिसर में भगवान शिव के 190 रूपों की प्रतिमाएं देखने को मिलेंगी। महाकाल कॉरिडोर के विशाल परिसर में भगवान शिव के महिमा कि वह सारी प्रतिमाएं देखने को मिलेंगी जो शिव पुराण में मौजूद हैं।
इन सबके अलावा अभी इस नवनिर्मित कॉरिडोर के भीतर सप्तर्षियों की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं जिनमें महर्षि कश्यप, महर्षि भारद्वाज, अत्रि, महर्षि गौतम, महर्षि विश्वामित्र, जमदग्नि और महर्षि वशिष्ठ की प्रतिमाएं हैं।
महाकाल मंदिर का नवनिर्मित कॉरिडोर सनातन संस्कृति की पौराणिकता और नूतनता का अद्भुत संगम है। इस मंदिर का नजारा स्वर्ग जैसा होने वाला है।
आइये जानें- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व इतिहास व रोचक तथ्य
साल 2019 में मिली थी महाकाल कॉरिडोर प्रोजेक्ट को मंजूरी –
साल 2019 में महाकाल कोरिडोर के प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी। जब इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली तब इसका बजट महज 300 करोड़ रुपए था लेकिन मध्य प्रदेश की सत्ता में बीजेपी के आने के बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में इसका बजट दोगुने से भी अधिक कर दिया गया और अब महाकाल के इस भव्य परिसर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है।
2.2 हेक्टेयर से बढ़कर 20 हेक्टेयर से अधिक हो गया है परिसर –
महाकाल मंदिर कॉरिडोर के जरिए मंदिर का नवनिर्मित परिसर लगभग 20 हेक्टेयर से भी अधिक होगा हालांकि पहले मंदिर का परिषद महज 2.2 हेक्टेयर था। यानी कि मंदिर के परिसर के क्षेत्रफल में लगभग 10 गुना वृद्धि हुई है जो अपने आप में बहुत बड़ी बात है।
इसके अलावा महाकाल मंदिर का यह नवनिर्मित कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर से लगभग 4 गुना बड़ा होगा। काशी विश्वनाथ मंदिर के नवनिर्मित परिसर का क्षेत्रफल 5 हेक्टेयर है जबकि महाकाल मंदिर के जिस कोरिडोर का उद्घाटन होने जा रहा है उसके परिसर का क्षेत्रफल 20 हेक्टेयर से भी अधिक है यानी कि कुल 4 गुना बड़ा है।
एक भारतीय न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक अब महाकाल मंदिर का यह परिसर इतना बड़ा हो चुका है कि इस समय 1 घंटे में लगभग 1 लाख श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं।
750 करोड़ की लागत से बन रहा है महाकाल का भव्य कॉरिडोर–
साल 2019 में जब महाकाल मंदिर के कॉरीडोर के प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी तो उस समय इसका बजट महज 300 करोड़ रुपए था लेकिन शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी प्रदेश सरकार ने इसका बजट 750 करोड़ रुपए कर दिया। यानी कि अब यह कॉरिडोर कुल 750 करोड रुपए की लागत से बन रहा है।
डीएनए इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन 750 करोड़ रुपयों में से 422 करोड रुपए ता खर्च वाहन प्रदेश सरकार करेगी जबकि लगभग 21करोड़ रुपए मंदिर समिति ने जमा किए हैं और बाकी का खर्च वहन केंद्र सरकार के जिम्मे है। कॉरिडोर निर्माण का पहला चरण लगभग पूरा हो चुका है।
महाकालेश्वर का दर्शन करने और मंदिर परिसर घूमने में लगेगा 5 से 6 घंटे का वक्त –
महाकालेश्वर धाम का नवनिर्मित कॉरिडोर इतना भव्य और विस्तृत बनाया गया है कि इस परिसर को पूरा घूमने में लगभग 5 से 6 घंटे का वक्त लग जाएगा। दरअसल मंदिर के नवनिर्मित परिसर में भगवान शिव के 190 स्वरूपों की प्रतिमाएं मिलेंगी। इसके अलावा सप्तर्षियों की प्रतिमाएं, महाकालेश्वर वाटिका, शिवा अवतार वाटिका, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला, शिव तांडव स्त्रोत, और शिव विवाह प्रसंग जैसी चीजें देखने को मिलेंगी।
इन सबके अलावा मंदिर परिसर कार और मोटर बाइक पार्किंग सुविधाओं का विकास भी किया गया है जिनमें एक समय में लगभग 450 गाड़ियों को पार्क किया जा सकता है।
108 स्तंभों पर टिका है पूरा कॉरिडोर –
हिंदू मान्यताओं के अनुसार गणना में संख्या 108 का विशेष महत्व है फिर चाहे वह मंत्रोचार हो, जप मालाएं हो या फिर या फिर कुछ और हर जगह 108 संख्या को शुभ माना जाता है।
इसी तर्ज पर महाकाल मंदिर के नवनिर्मित कॉरिडोर को भी 108 स्तंभों पर बनाया गया है। 910 मीटर का यह पूरा महाकाल मंदिर परिसर 108 स्तंभों पर टिका होगा।
महाकवि कालिदास के मेघदूत महाकाव्य पर आधारित है महाकाल वन –
वैसे तो मंदिर परिसर में शिव तांडव स्त्रोत शिव विवाह प्रसंग पार्किंग स्थल, धर्मशाला और कई अन्य सारी चीजें बनाई गई हैं लेकिन इनमें महाकाल वन भी शामिल है जिसका निर्माण संस्कृत के महाकवि कालिदास के महाकाव्य मेघदूत में महाकाल वन के वर्णन और चित्रण के आधार पर किया गया है।
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11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे महाकाल कॉरिडोर का उद्घाटन –
महाकाल मंदिर के नवनिर्मित कॉरिडोर के निर्माण का पहला चरण पहले ही पूरा हो चुका है। महाकाल मंदिर के कॉरिडोर निर्माण का कार्य बहुत तेजी से हो रहा है और लगभग अब पूरा होने की कगार पर है।
11 अक्टूबर 2022 को महाकाल मंदिर के नवनिर्मित कार्य डोर का उद्घाटन भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी करेंगे।
इसी मंदिर से उपजी थी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS की शाख –
बीजेपी (BJP) और आरएसएस (RSS) का महाकाल मंदिर से काफी गहरा नाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी कि RSS भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की मात्र संस्था है।
शायद बहुत कम ही लोग यह जानते होंगे कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली शाख उज्जैन के इसी महाकाल मंदिर में लगी थी और आज संपूर्ण भारत में इसकी बहुत सारी शाखाएं हैं। या फिर यूं कह लीजिए कि भगवान महाकाल की कृपा से ही RSS भारत ही नहीं विश्व का सबसे बड़ा संगठन बन चुका है।
यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दोनों का जुड़ाव महाकालेश्वर मंदिर के साथ विशेष है। मध्य प्रदेश की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी के प्रवेश होते हैं शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भारी बजट के साथ बीजेपी ने कोरिडोर निर्माण की कमान संभाल ली।
तो दोस्तों आज इस लेख के जरिए हमने आपके साथ महाकालेश्वर मंदिर की नवनिर्मित कोरिडोर की संपूर्ण जानकारियां साझा की। उम्मीद करते हैं कि यह लेख आपको बेहद पसंद आया होगा।
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