सुभाष चंद्र बोस की जीवनी, जयंति 2023, जन्म स्थान, मृत्यु, इतिहास, परिवार, पत्नी का नाम, रोचक तथ्य, सुभाष चंद्र बोस के क्रांतिकारी नारे एवं विचार (Netaji Subhash Chandra bose biography hindi, netaji subhash chandra bose jayanti 2023, death mystery slogan & quotes in Hindi, Netaji Subhash Chandra bose quotes & interesting facts in hindi)
Netaji Subhash Chandra Bose Jivani 2023: दोस्तों आज के समय जहां बरसात में मेंढक की तरह चुनावी माहौल में जगह-जगह से नेता निकल निकल कर बाहर आते हैं, इसके ठीक विपरीत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन ने एक ऐसे नेता को जन्म दिया था जिसे आज के समय में एक राष्ट्रवादी हीरो के रूप में जाना जाता है। जी हां हम बात कर रहे हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस वह महापुरुष थे, जिन्होंने अपने आजाद हिंद फौज के साथ में द्वितीय विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया था, उन्होंने भारत में गहराई में जमी हुई ब्रिटिश साम्राज्य की जड़ों को खोखला कर दिया था। उन्होंने नाजी जर्मनी तथा इम्पीरियल जापान के साथ में मिलकर के ब्रिटिश साम्राज्य को तार-तार कर दिया था।
उन्हें सबसे पहली बार जर्मनी में 1942 में भारतीय सैनिकों के द्वारा नेताजी कहकर पुकारा गया था। नेताजी शब्द महान व्यक्तित्व के पीछे लगता है, जो कि जनता को सबसे ज्यादा प्यारे होते हैं और जनता के हर मुद्दों को आगे लाते हैं तथा जनता की भलाई के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देते हैं।
19 जनवरी 2021 को भारत सरकार द्वारा घोषणा की गई कि 23 जनवरी सुभाष चंद्र बोस की जयंति को पराक्रम दिवस के रुप में मनाया जाएगा। इस दिन 26 जनवरी की रिर्हसल परेड की जाती, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, सुभाष चंद्र को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
आज के लेख में हम आपको बताएंगे कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस कौन थे, उनके प्रारंभिक जीवन से लेकर के उनके राष्ट्रवादी गतिविधियों के बारे में भी हम आपको जानकारी देंगे। और अंत में उनकी विवादास्पद मृत्यु के बारे में हम आपको बताएंगे और उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और उनके नारों के बारे में आपको बताएँगे।
- सुभाष चंद्र बोस के प्रेरणादायी व सर्वश्रेष्ठ क्रांतिकारी विचार
- सुभाष चंद्र बोस की जयंती पराक्रम दिवस पर निबंध
विषय–सूची
सुभाष चंद्र बोस की जीवनी एवं संक्षिप्त जानकारी (Subhash Chandra Bose Biography in Hindi)
पूरा नाम (Full Name) | सुभाष चन्द्र बोस |
जन्म (Date of Birth) | 23 जनवरी 1897 |
जन्म स्थान (Place of Birth) | उड़ीसा कटक |
पिता (Father Name) | जानकीनाथ बोस (वकील) |
माता का नाम (Mother Name) | प्रभावती देवी |
मृत्यु का कारण (Reason of Death) | विमान दुर्घटना |
शिक्षा | बी.ए. आनर्स, कलकत्ता विश्वविद्यालय |
निधन (Death) | 18 अगस्त, 1945 जापान में |
उम्र (age) | 48 वर्ष |
पेशा | स्वतंत्रता सैनानी |
धर्म (Religion) | हिंदु |
वैवाहिक स्थिति | 1937 में विवाह |
पत्नी का नाम (Wife) | एमिली शेंकल (ऑस्ट्रियन) |
बेटी (Daughter) | अनीता बोस |
सुभाष चंद्र बोस की जीवनी (Netaji Subhash Chandra Bose Biography in hindi)
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की माता का नाम प्रभावती बॉस था, तथा पिता का नाम जानकीनाथ बोस था। और उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ था। जो कि आज के समय ओडिशा राज्य के रूप में भारत में स्थित है। 1897 में उड़ीसा बंगाल प्रोविंस का ही एक हिस्सा था तथा सुभाष चंद्र बोस कुल मिलाकर के 13 भाई-बहन थे और नेताजी स्वयं अपनी माता की 9वीं संतान तथा छठे पुत्र थे।
1902 में उन्होंने बापिस्त मिशंस प्रोटेस्टेंट यूरोपीयन स्कूल जॉइन किया था जो कि इंग्लिश मीडियम में था, वहां पर ज्यादातर विद्यार्थी या तो यूरोपियन थे या फिर एंग्लोइंडियन थे।
तथा इसके बाद में सुभाष चंद्र बोस ने प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता से अध्ययन किया था लेकिन उन्हें वहां से सन 1916 में कुछ राष्ट्रवादी गतिविधियों के कारण बाहर निकाल दिया गया था। लेकिन वे वहां पर नहीं रुके थे और इसके बाद में उन्होंने इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय में जाकर के भारतीय सिविल सेवा की तैयारी करी थी, और उन्होंने 1920 में भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण करी थी और उन्होंने उस परीक्षा में टॉप किया था।
लेकिन जब उन्होंने देखा कि भारत में कुछ राजनीतिक उथल-पुथल हो रही है तब उन्होंने अपनी सिविल सर्विस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और वे वापस भारत आ गए थे। उन्हें अपने इस पूरे समय के दौरान अपने बड़े भाई के द्वारा आर्थिक और भावनात्मक रूप से समर्थन किया गया था। उनके भाई का नाम शरद चंद्र बोस था। तथा सुभाष चंद्र बोस से 4 साल बड़े थे तथा वे एक कोलकाता में धनवान वकील और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक राजनीतिज्ञ के रूप में काम करते थे।
स्वतंत्रता आंदोलन में नेताजी की भूमिका
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी के द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया। तथा इसके बाद में उन्होंने भारतीय राष्ट्र कांग्रेस को एक शक्तिशाली और अहिंसक संगठन बनाया था। वहीं पर गांधीजी ने सुभाष चंद्र बोस को चितरंजन दास के अंतर्गत काम करने की सलाह दी थी जो कि एक बंगाल के राजनीतिज्ञ थे। वहां पर नेताजी ने कांग्रेस के एक स्वयंसेवक के रूप में काम किया।
लेकिन उनके पराक्रमी गतिविधियों के कारण उन्हें 1921 में जेल भी जाना पड़ा।
लेकिन उन्होंने जेल में से ही अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ाया। तथा अपने लोगों का नेतृत्व किया था जिसके बाद में उन्हें चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर ऑफ कोलकाता मुंसिपल कॉरपोरेशन के रूप में नियुक्त किया गया था। उस समय वहां पर चितरंजन दास को वहां का मेयर बनाया गया था।
सन 1927 में चितरंजन दास की मृत्यु हो गई थी और उस समय उन्हें जेल से रिहा किया गया था लेकिन वह बाद में वापस से बंगाल लौट आए, जहां उन्हें बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया।
इसके बाद में जवाहरलाल नेहरू तथा सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो महासचिव के पदों को संभाला, तथा सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस के गरम दल का प्रतिनिधित्व भी किया था जो कि गांधीवादी गुट के खिलाफ अधिक उग्रवादी स्वभाव की थी।
इन सभी मुद्दों के बीच में नेताजी के प्रति कांग्रेस के भीतर अधिक समर्थन बढ़ने लगा, लेकिन गांधीजी के लिए भी मुखर समर्थन की वृद्धि होने लगी। गांधीजी ने 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया था, लेकिन उस समय नेताजी कुछ बंगाल वॉलिंटियर के साथ में जो कि भूमिगत क्रांतिकारी समूह के सदस्य थे, उनके साथ जुड़ाव पाने के संदर्भ में उन्हें हिरासत में रखा गया था।
उन्होंने जेल में रहते हुए भी कोलकाता के मेयर का चुनाव लड़ा और जीत गए। लेकिन कुछ हिंसक कृत्यों के बाद में उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया था, और मेयर बनने के तुरंत बाद ही उन्हें रिहा भी कर दिया गया था। लेकिन अंत में उन्हें तपेदिक की बीमारी हो जाने के बाद में यूरोप जा कर के वहां पर इलाज करने की इजाजत दे दी गई थी।
सन 1936 में वे यूरोप से वापस लौटे और उन्होंने इसी बीच गांधीजी के अधिक रूढ़िवादी विचारों की आलोचना करनी शुरू कर दी थी। 1938 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे। उन्होंने एक राष्ट्रीय योजना समिति का गठन किया जिसने एक व्यापक औद्योगीकरण की नीति को तैयार किया था।
मुख्य रूप से यह नीति गांधीजी के आर्थिक विचारों से मेल नहीं खाती थी जो कि मूल रूप से कुटीर उद्योगों से जुड़ी हुई थी। गांधी जी के कहने पर फिर से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करवाया गया जहां पर नेताजी ने गांधीजी के द्वारा खड़े किए गए प्रतिद्वंदी को हरा दिया था।
लेकिन ब्रिटिश साम्राज्य की पकड़ को देखते हुए जहां गांधी जी के समर्थन में कमी आने की बात होने लगी थी, वहीं पर इस मुद्दे को देखते हुए नेता जी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था तथा 1940 में उन्हें फिर से कट्टरपंथी तत्वों की रैली का नेतृत्व करने के लिए जेल में डाल दिया गया था।
उन्होंने जेल में ही आमरण अनशन शुरू कर दिया, जिसके बाद में ब्रिटिश सरकार ने कोई रेस्पोंस नहीं दिया तथा उन्होंने जेल से भागकर, अपना भेष बदलकर के काबुल से मॉस्को होते हुए जर्मनी की यात्रा तय करी।
सुभाष चंद्र बोस का अंतिम समय
जर्मनी में पहुंचने के बाद में सुभाष चंद्र बोस एक विशेष ब्यूरो के संरक्षण में आए जो कि नए तौर पर तैयार किया गया था। वहां पर उनका मार्गदर्शन एडाम वान ने किया था तथा जर्मनी से ही उन्होंने 1942 में आजाद हिंद रेडियो के द्वारा अंग्रेजी हिंदी, बंगाली, तमिल, तेलुगू, गुजराती, और पश्तों में एक नियमित प्रसारण किया था।
1946 में नेताजी टोक्यो पहुंचे तथा वहां उन्होंने दक्षिण पूर्व एशिया में तकरीबन 40000 सैनिकों को प्रशिक्षित किया, तथा वहीं से उन्होंने 21 अक्टूबर 1943 को 15 स्वतंत्र भारत सरकार की स्थापना की घोषणा कर दी थी। वही 40,000 की आजाद हिंद फौज की सेना रंगून से यात्रा करते हुए भारत की भूमि पर 18 मार्च 1944 को पहुंच गई थी, जो कि कोहिमा और इंफाल के कई इलाकों में चली गई थी।
वहां पर जापानी सेना ने ब्रिटिश सेना के सामने घुटने टेक दिए थे तथा वहीं पर भारतीय राष्ट्रीय सेना ने कुछ समय के लिए वर्मा और इंडो चीन की भूमि पर एक अपनी पहचान बनाने में सफलता हासिल करी। लेकिन इसके बाद में जैसे ही जापान की हार घोषित हो गई उसी प्रकार से सुभाष चंद्र बोस की सारी मेहनत पर पानी फिर गया।
अगस्त 1945 को जापान ने अपना आत्मसमर्पण कर दिया था और इसके कुछ समय बाद ही जब सुभाष चंद्र बोस दक्षिण पूर्व एशिया से ताइवान जा रहे थे, तब वहां पर एक विमान दुर्घटना के चलते उनकी मृत्यु हो गई।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विवादास्पद मृत्यु
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के बारे में सरकारी आंकड़ों का यह कहना है कि उनकी मृत्यु ताइवान में एक प्लेन क्रैश में हुई थी, जहां पर उनका शरीर जलकर झुलस गया था। लेकिन सन 1983 में उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में एक गुमनामी बाबा को पाया गया जहां ऐसा बताया जा रहा था कि वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही है। और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 1945 में नहीं हुई थी। वह भारत की भूमि पर स्थित थे, ना कि ताइवान में।
गुमनामी बाबा की मृत्यु 16 सितंबर 1985 को हुई थी और इसके ठीक 2 दिन बाद में 18 सितंबर 1985 को उनकी अंत्येष्टि किया गया था। यदि यह बात सही है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी है तो अंतिम समय में वे 88 वर्ष के आयु प्राप्त कर चुके होंगे।
सुभाष चंद्र बोस की जयंती 2023 पराक्रम दिवस
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती हर साल 23 जनवरी को मनाई जाती है और इस दिन झारखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा जैसे राज्यों में छुट्टी होती है। नेताजी की जयंती पहली बार रंगून में मनाई गयी थी। और 1945 के बाद से हर वर्ष मनाई जाती है। 19 जनवरी 2021 को भारतीय केंद्र सर्कार ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस घोषित किया था।
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नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 10 क्रांतिकारी नारे एवं विचार (Netaji Subhash Chandra Boss Slogan & Quotes)
नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक विजनरी नेता थे, तथा उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारे नारे दिए थे। लेकिन उनमें से कुछ मुख्य 10 नारे आज के लिए हम आपको बताएंगे।
तो चलिए शुरू करते हैं। उनका पहला नारा था कि-
- एक व्यक्ति जरूर मर सकता है, लेकिन उसके विचार कभी नहीं मर सकते। व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी उसके विचार हजारों जन्मों में अवतार लेते रहते है।
- यह खून ही है जो कि हमारी आजादी की कीमत चुका सकता है, तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
- हमारी सब की एक इच्छा होनी चाहिए, वह मरने की इच्छा है, ताकि हमारा भारत जीत सके। एक शहीद की मृत्यु की सामना करने की इच्छा, ताकि शहीद के खून से हमारी स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त हो सके।
- वास्तविकता को समझने के लिए हमारी कमजोर समझ काफी छोटी है। लेकिन फिर भी हमें उसे सिद्धांत पर चलना होगा जिसमें अधिकतम सत्य हो।
- यदि जीवन में कोई संघर्ष नहीं है, कोई जोखिम नहीं है, तो जीवन अपनी आधी रूचि ऐसे ही खो देता है।
- मनुष्य धन और सामग्री से जीत और स्वतंत्रता नहीं ला सकता। हमारे पास में वह प्रेरणा शक्ति होनी चाहिए जो कि हमें उस महान कर्म के लिए प्रेरित करें।
- राजनीतिक सौदेबाजी का मुख्य रहस्य यह है कि आप जो वास्तव में है उससे ज्यादा आप को मजबूत रखना जरूरी है।
- हमारे इतिहास के बारे में यह एक शब्द कह सकते हैं कि हमारे नागरिक हमारी अस्थाई हार से कभी भी निराश ना होने पाए। हमेशा हंसमुख और आशावादी बने रहे और भारत में अपना विश्वास कभी ना खोए। क्योंकि पृथ्वी पर वह कोई भी शक्ति नहीं जो भारत को गुलामी की जंजीरों में बांधकर रख सकें। भारत आजाद होगा, वह भी जल्द।
- यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि अन्याय और गलत के साथ समझौता करना भी बड़ा अपराध है। यह शाश्वत कानून है। इसे याद रखना चाहिए।
- यह हमारा कर्तव्य है कि हम हमारी स्वतंत्रता के लिए खून से भुगतान करें, क्योंकि जो स्वतंत्रता हमें अपने बलिदान और परिश्रम से मिलेगी, उसकी ताकत से हम उसे संरक्षित करने में भी सक्षम होंगे।
सुभाष चंद्र बोस के जीवन बारे में महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य
सुभाष नेता जी बहुत ही प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी थे। उनके बारे में बहुत सारी रोचक उपलब्ध है। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे रोचक तथ्य बताएँगे, जो उनके व्यक्तित्व को आपके सामने एक फिल्म की तरह प्रदर्शित करेगा।
- गांधी जी के द्वारा सुभाष चंद्र बोस को “राष्ट्रवादियों की आँखों का तारा” की संज्ञा दी गई थी।
- गांधीजी और सुभाष चंद्र बोस की विचारधारा एक मोड़ पर आकर के बिल्कुल ही अलग हो गई थी फिर भी गांधी जी नेताजी के व्यक्तित्व का सम्मान करते थे।
- नेताजी, स्वामी विवेकानंद और श्री रामकृष्ण परमहंस के द्वारा प्रेरित थे।
- 1921 से लेकर के 1945 के बीच में उन्हें 11 बार जेल भी हुई थी।
- उन्होंने जेल में रहकर के कोलकाता के मेयर का चुनाव लड़ा था और जीत गए थे।
- जर्मनी में उन्होंने आजाद हिंदी रेडियो स्टेशन की स्थापना करी थी।
- नेताजी एक मात्र ऐसे नेता है जो कि स्वतंत्रता आंदोलन के मुख्य चेहरे थे जिनकी विवादास्पद मृत्यु को लेकर के भारतीय सरकार के बयानों पर भारतीय सरकार को ही भरोसा नहीं है।
- जब नेताजी जर्मनी में भारत की स्वतंत्रता के लिए लोगों का साथ जुटा रहे थे तब उन्होंने एमिली स्केचिन से शादी करी थी और उनकी एक बेटी हुई थी जिनका नाम अनिता बोस था और उनकी बेटी आगे चलकर के एक महान अर्थशास्त्री बनी।
- नेताजी ने इटालियन फॉरेन मिनिस्टर ग्लेज ओसियानो से मिलकर के 1941 में भारत की स्वतंत्रता का डिक्लेरेशन ड्राफ्ट तैयार करने के लिए उनसे डिस्कस किया था।
- सरकारी आंकड़ों के अनुसार नेताजी 1945 को मृत्यु को प्राप्त हो गए थे लेकिन यह माना जाता है कि पूरे अंतिम बार 1985 में उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में देखा गया था।
निष्कर्ष
तो आज के लेख में हमने सुभाष चंद्र बोस की जीवनी (Netaji Subhash Chandra Boss Biography hindi), उनका व्यक्तित्व तथा उनका जीवन, उनका राजनीतिक जीवन, उनका प्रारंभिक जीवन कैसा था, इसके बारे में जाना। तथा यह भी जाना कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में कौन सी भूमिका निभाई थी तथा उनकी विवादास्पद मृत्यु कैसे हुई।
अंत में हमने नेता जी के द्वारा दिए गए 10 नारों के बारे में आपको बताया जो कि आज के समय भी लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। आज हमने नेताजी के रोचक तथ्यों के बारे में भी जाना। हम आशा करते हैं कि आपको नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त हुई होगी।
FAQ
प्रश्न- सुभाष चंद्र बोस की पत्नी कौन थी?
उत्तर- सुभाषचंद्र जी पत्नी का नाम एमिली शेंकल था वह मूलतः ऑस्ट्रियन थी। उनकी मुलाकात 1934 में वियना में हुई।
प्रश्न- सुभाष चंद्र बोस के पिता जी क्या थे?
उत्तर- उनके पिता जानकीनाथ बोस कटक के बहुत बड़े नामी वकील थे।
प्रश्न- नेताजी ने दिल्ली चलो का नारा कब और कहां दिया था?
उत्तर- नेताजी सुभाषचंद्र बोस जब सिंगापुर, टाउन हॉल में दिनांक 5 जुलाई 1943 सेना को सम्बोधित कर रहे थे उस समय उन्होंने दिल्ली चलो का नारा देते हुये सम्बोधन किया था।
प्रश्न- सुभाष चंद्र बोस कितने बहन भाई थे?
उत्तर- नेताजी समेंत वह कुल 14 भाई-बहन थे जिनमें वह 8 भाई व 6 बहने थी।