श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है 2024 तारीख: कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाती है? आइए जाने इससे जुड़ी पौराणिक कहानी एवं व्रत कथा का महत्व, 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी कब है शुभ मुहूर्त 2024 (Krishna Janmashtami History Story Facts in hindi, Krishna Janmashtami Kab Hai 2024)
Krishna Janmashtami Date 2024: हिंदू धर्म की मान्यताओं में देवी देवताओं से जुड़ा हुआ हर एक दिन बहुत विशेष होता है। आए दिनों हिंदू धर्म के लोग अलग-अलग उत्सव मनाते रहते हैं। स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन के बाद अब भारत में श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है।
भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन हिंदुओं के इष्ट देवता भगवान श्री नारायण ने कृष्णा अवतार में पृथ्वी पर जन्म लिया था।
जन्माष्टमी का त्योहार हिंदुओं के लिए विशेष महत्व रखता है और इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन दहीहंडी समेत बहुत सारी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं और उपवास भी रखा जाता है। यह त्यौहार मध्य रात्रि में मनाया जाता है तथा भगवान को विभिन्न प्रकार के भोग लगाए जाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण श्रीमद् भागवत गीता में कहते हैं
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत,
अभ्युत्थानम अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।
अर्थात जब जब इस पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है और अधर्म का प्रकोप बढ़ता है तब तब मैं इस पृथ्वी पर अवतरित होता हूं और धर्म की रक्षा करता हूं।
अपने इसी कथन के अनुसार भगवान श्री नारायण ने द्वापर युग में जन्म लेकर कंस का संहार किया था और कौरवों जैसे अधर्मीयों का विनाश करवा कर धर्म की रक्षा की थी।
तो दोस्तों आइए आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी से जुड़ी हुई सारी बातें बताते हैं साथ ही साथ आपको यह भी बताते हैं कि 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी कब है? क्योंकि इस बार लोग कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि को लेकर बहुत कंफ्यूज हैं।
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विषय–सूची
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत त्यौहार –
श्री कृष्ण जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसे गोकुलाष्टमी के नाम से भी जानते हैं। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था इसीलिए इस तिथि को जन्माष्टमी कहते हैं।
क्योंकि इस दिन भगवान श्री कृष्णा का अवतरण हुआ था इसलिए जन्माष्टमी तिथि के साथ कृष्णा भगवान का नाम भी जोड़ा जाता है और कृष्ण जन्माष्टमी कही जाती है। जन्माष्टमी तिथि की मध्य रात्रि में ही भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।
इसलिए जन्माष्टमी के दिन मध्य रात्रि में ही भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय विधि विधान से पूजा की जाती है तथा उन्हें भोग लगाया जाता है।
इस दिन महिलाएं उपवास रखती है और मध्य रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करके उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग लगाती हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार वैसे तो संपूर्ण भारत देश में मनाया जाता है लेकिन इसकी खास चहल-पहल उत्तर प्रदेश के मथुरा वृंदावन में कुछ ज्यादा ही होती है जहां भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था तथा वृंदावन में वह निवास करते थे।
कृष्ण जन्माष्टमी का पाव केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में कृष्ण भक्तों द्वारा मनाया जाता है खासकर विदेश में इस्कॉन मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है और यह त्यौहार मनाया जाता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर मथुरा वृंदावन समेत विभिन्न स्थानों पर भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की झांकी निकाली जाती है। इस दिन दहीहंडी प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है तथा विजेताओं को उपहार भेंट की जाती है।
श्री कृष्ण की जन्माष्टमी को हर साल 2 दिन मनाने का चलन है। ऐसी मान्यता है कि कृष्ण जन्माष्टमी की पहली तिथि गृहस्थ लोगों को माननी चाहिए जबकि दूसरी तिथि साधु संन्यासी और वैष्णव संप्रदाय के लोग मनाते हैं।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
हिंदू पंचांग के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। हालांकि श्री कृष्ण जन्माष्टमी को 2 दिन मनाने की प्रथा चली आ रही है।
दर्शन श्री कृष्ण जी की जन्माष्टमी की पहली तिथि पर गृहस्थ जीवन व्यतीत करने वाली स्त्रियां पुरुष जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं जबकि वैष्णव संप्रदाय के लोग दूसरी तिथि पर यह व्रत रखते हैं। इस प्रकार जन्माष्टमी का त्योहार दो दिन तक मनाया जाता है।
इस वर्ष साल 2024 में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार सोमवार 26 अगस्त को मनाया जाएगा जबकि अष्टमी की तिथि 26 अगस्त और 27 अगस्त दोनों दिन रहेगी। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि 26और 27 अगस्त में किस दिन जन्माष्टमी मानना ज्यादा शुभ होगा।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 26 अगस्त और 27 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा लेकिन 26 सितंबर के दिन गृहस्थ जीवन व्यतीत करने वाले लोग ही जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे।
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है 2024
हिंदू पंचांग के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। हिंदु धर्म के पंचाग के अनुसार इस बार भाद्रपद माह में कृष्णपक्ष अष्टमी 26 अगस्त की सुबह 3 बजकर 39 मिनट से आरम्भ होकर 27 अगस्त को रात 2:19 तक रहेगी।
श्री कृष्ण जी का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए इस नक्षत्र में पूजा करना अति शुभ माना गया है। पंचांग के मुताबिक इस बार रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त को शाम 3 बजकर 55 मिनट पर आरम्भ होकर 27 अगस्त को शाम 3 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।
2024 में जन्माष्टमी कब है?
जैसा कि हम सभी जानते हैं हर साल कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाती है। इन दो दिनों में एक दिन ऐसा होता है जिस दिन गृहस्थ जीवन का पालन करने वाले लोग कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं जबकि दूसरे दिन वैष्णो संप्रदाय के लोग जैसे साधु संत महात्मा और सन्यासी कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं।
लेकिन बहुत से लोग इस बात को लेकर बहुत संशय में है कि 26 अगस्त में कौन से दिन किस व्रत रखना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बार 26 अगस्त दिन गृहस्थ जीवन जीने वाले लोगों के लिए व्रत रखने का सर्वोत्तम दिन है। जबकि 27 सितंबर को वैष्णव संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रख सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी 2024 पूजन का शुभ मुहूर्त –
ऊपर हमने आपको बताया कि जन्माष्टमी कब है और किस दिन किसके लिए मनाई जाएगी। अब बात आती है जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के पूजन का शुभ मुहूर्त क्या होगा?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण के पूजन का शुभ मुहूर्त रात 12:00 से लेकर 12:45 तक रहेगा। इन 45 मिनट में भगवान श्री कृष्ण की पूजा बेहद शुभ फलदाई होगी।
हालांकि अलग अलग ज्योतिष आचार्य के मुताबिक कृष्ण जन्माष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त अलग-अलग हो सकता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजन विधि –
जन्माष्टमी की तिथि पर रात्रि में जल में काला तिल डालकर स्नान करें। तत्पश्चात मंदिर अथवा घर की मंदिर में उपस्थित भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति का जलाभिषेक करें। भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा का गंगाजल से स्नान करने के बाद पंचामृत का छिड़काव करें। यह पंचामृत दूध दही घी शक्कर और शहद से बनाएं साथ में केसर भी डाल दें।
भगवान श्री कृष्ण का पंचम दृश्य अभिषेक करने के बाद पुनः उनका जलाभिषेक करें। अब भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा की विधि विधान से पूजा करें। रात्रि 12:00 बजे भगवान श्री कृष्ण की पूजा के पश्चात उन्हें लड्डू मिश्री दही और खीर का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद भगवान श्री कृष्ण की आरती करें और प्रसाद का वितरण कर प्रसाद ग्रहण करें।
विधि विधान से भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने पर आपको सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी और आपके भाग्य खुल जाएंगे। अगर आप भगवान श्री कृष्ण को मिष्ठान चढ़ना चाहते हैं तो ध्यान रखें की जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण को सफेद मिठाई चढ़ाएं।
जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?
हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्री कृष्ण की जयंती के रुप में मनाया जाता है।
मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष के अष्टमी के दिन भगवान श्री नारायण ने कृष्ण के रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया था। भगवान श्री कृष्ण ने मध्य रात्रि में मथुरा के कारावास में कंस की बहन देवकी के गर्भ से जन्म लिया था।
कंस मथुरा का राजा था जो अपनी प्रजा पर बहुत अत्याचार करता था। वह बहुत अधर्मी था जिसकी वजह से उसकी प्रजा को बहुत कष्ट सहना पड़ता था।
इसी अधर्म का नाश करके पुनः धर्म की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में अवतार लिया और मथुरा के अधर्मी राजा कंस की हत्या की।
जन्माष्टमी की पौराणिक कथा (Krishna Janmashtami Story in hindi)
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान नारायण ने देवकी और वासुदेव के पुत्र कृष्ण के रूप में जन्म लिया। भगवान श्री कृष्ण की माता देवकी मथुरा के अधर्मी राजा कंस की बहन थी।
मथुरा का राजा कंस अपनी प्रजा पर बहुत अत्याचार करता था और लगातार उनका शोषण और उत्पीड़न करता था यहां तक की वह अपनी प्रजा की हत्या करने में भी संकोच नहीं करता था।
एक बार यह आकाशवाणी हुई कि कंस की बहन देवकी के पुत्र से जन्मी हुई संतान के हाथों से ही उसका वध होगा। यह सुनने के बाद कंस ने तुरंत अपनी बहन देवकी को उनके पति वासुदेव के साथ कारावास में डाल दिया और देवकी के गर्भ से जन्म लेने वाले संतानों की हत्या करने लगा।
एक के बाद एक उसने देवकी के सात संतानों की हत्या कर दी। उसके बढ़ते हुए अत्याचार और अधर्म को देखकर भगवान विष्णु ने उसकी हत्या करने के लिए देवकी के गर्भ से अष्ठम संतान के रूप में जन्म लिया।
जिस दिन भगवान श्री कृष्ण ने देवकी के गर्भ से जन्म लिया उस दिन घनघोर वर्षा हो रही थी और कृष्ण पक्ष की मध्य रात्रि में श्री नारायण इस पृथ्वी पर अवतरित हुए।
इसी दिन गोकुल के नंद गोप के यहां शक्ति ने भी जन्म लिया था। श्री कृष्ण के पिता वासुदेव ने भगवान नारायण के कहे अनुसार कृष्ण की रक्षा करने के लिए उन्हें नंद गोप के यहां छोड़ दिया और उनके घर जन्मे शक्ति को लेकर वापस कारावास में चले आए।
भगवान श्री कृष्ण नंद और यशोदा की देखरेख में ही पले बढ़े और उन्होंने कंस की हत्या कर दी मथुरा की प्रजा को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई।
जन्माष्टमी का पौराणिक महत्व –
हिंदू धर्म की मान्यताओं में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व बहुत विशेष है। जब जब पृथ्वी पर अधर्म और अत्याचार बढ़ता गया तब-तब भगवान जगदीश पृथ्वी पर जन्म लेते गए।
भगवान विष्णु द्वारा लिए गए अवतारों में से रामावतार और कृष्णा अवतार सबसे प्रमुख है क्योंकि इन दोनों अवतारों ने इस धरा पर विशेष प्रयोजन से जन्म लिया था और उसकी सिद्धि भी की।
ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी का व्रत रखने से निसंतान दंपतियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है और भक्तों द्वारा तय किए गए सारे प्रयोजन फलीभूत होते हैं।
108 नामों से जाने जाने वाले भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर जन्म लेकर वसुधा को पावन कर दिया। हिंदू धर्म के लोग धूमधाम के साथ जन्माष्टमी का त्योहार मनाते हैं।
महिलाएं जन्माष्टमी के उपलक्ष में व्रत रखती हैं और मध्य रात्रि में भगवान श्री कृष्ण का पूजन अर्चन कर के उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग समर्पित करती हैं।
कैसे मनाई जाती है जन्माष्टमी?
जन्माष्टमी के दिन पूरा हिंदू समुदाय श्री कृष्ण के रंगों में रंग जाता है। लोग बड़ी धूम-धाम के साथ उल्लास पूर्वक यह त्यौहार मनाते हैं।
भगवान श्री कृष्ण का अवतार बहुत नटखट माना जाता है उनकी नटखटता के सैकड़ों किस्से मशहूर हैं। इसलिए जन्माष्टमी के पावन अवसर पर विभिन्न प्रकार के नटखट खेल कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिनमें से दहीहंडी प्रतियोगिता सबसे प्रमुख है।
जन्माष्टमी के दिन हिंदू महिलाएं उपवास रखती हैं। पूरा दिन उपवास रखने के बाद महिलाएं मध्य रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की पूजा करती हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग लगाते हैं तत्पश्चात उसी भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण करके अपना व्रत तोड़ती हैं।
जन्माष्टमी के अवसर पर खीरे का विशेष महत्व होता है वैसे तो भगवान श्री कृष्ण को विभिन्न प्रकार के फल चढ़ाए जाते हैं लेकिन देहाती इलाकों में ऐसा माना जाता है कि इसी खीरे में से भगवान श्री कृष्ण मध्य रात्रि को जन्म लेते हैं।
मथुरा और वृंदावन में विशेष रीति-रिवाजों के साथ जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।
मथुरा और वृंदावन में विशेष प्रकार से मनाई जाती है जन्मतिथि –
वैसे तो श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार भारत के कोने कोने में मनाया जाता है इतना ही नहीं यह त्यौहार विदेशों में भी बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। विदेश में रहने वाले हिंदू ISKON मंदिरों को सजा कर भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी मनाते हैं।
लेकिन मथुरा और वृंदावन भगवान श्रीकृष्ण से विशेष ताल्लुक रखते हैं क्योंकि मथुरा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था और वृंदावन में उन्होंने राजपाठ किया था इसलिए मथुरा और वृंदावन में विशेष रीति-रिवाजों के साथ जन्माष्टमी मनाई जाती है।
इस दिन मथुरा और वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण की झांकियां निकाली जाती है और मंदिरों को फूलों की सहायता से बड़ी भव्यता से सजाया जाता है।
दहीहंडी प्रतियोगिता –
बिना दहीहंडी का स्मरण किए जन्माष्टमी फीकी लगती है। भगवान श्री कृष्ण बचपन में बहुत नटखट थे। वह माखन खाना बहुत पसंद करते थे। भगवान श्रीकृष्ण वालों को साथ लेकर दूसरों के घरों में माखन चोरी करते थे और उनकी हंडिया तोड़ फोड़ देते थे।
भगवान श्री कृष्ण के इसी नटखट पन को पुणे स्मृतियों में लाने के लिए दहीहंडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम में मक्खन और दही से भरी हंडिया ऊंचे ऊंचे पेड़ों पर लटकाई जाती हैं। दूर-दूर से लोग इन दहीहंडीयों को फोड़ने आते हैं और जो समूह इसे फोड़ लेता है उसे इनाम दिया जाता है।
जन्माष्टमी से जुड़े रोचक तथ्य (Krishna Janmashtami Interesting facts in hindi)
- हिंदू धर्म के पुराणों और शास्त्रों में जन्माष्टमी के त्यौहार को मोक्ष दाई माना गया है। यह हिंदुओं के श्रेष्ठ व्रत त्योहारों में से एक है।
- हिंदू धर्म के लोगों में ऐसी मान्यता है कि एक जन्माष्टमी का व्रत 1000 एकादशी व्रत के बराबर होता है।
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी की मध्य रात्रि में जागरण का विशेष महत्व होता है इस दिन लोग जागरण का कार्यक्रम रखकर भगवान का भजन करते हैं।
- लोग मानते हैं कि जन्माष्टमी का व्रत रखने से निसंतान दंपतियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
- जन्माष्टमी के दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में दही हांडी फोड़ने की प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
- कहा जाता है कि जन्माष्टमी का व्रत रखने से मनुष्य व्याधियों और अकाल मृत्यु से बच जाता है।
- जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम से भी जानते हैं।
- मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की झांकियां निकलती है।
- जन्माष्टमी केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाई जाती है।
- जन्माष्टमी के दिन स्वामी प्रभुपाद द्वारा स्थापित ISKON मंदिरों में विदेशी भक्तों द्वारा यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है।
FAQ
कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है।
कृष्ण जन्माष्टमी 2024 कब है?
हिंदु धर्म के पंचाग के अनुसार इस बार भाद्रपद माह में कृष्णपक्ष अष्टमी 26 अगस्त की सुबह 3 बजकर 39 मिनट से आरम्भ होकर 27 अगस्त को रात 2:19 तक हैं।
मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?
मथुरा और वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण की झांकियां निकलती हैं और दहीहंडी फोड़ने की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।
Nyc post sir
Sir jis tarah aap jankari dete hai
Uss tarah agar sabhi log jankari de tab to sabhi logo ka help ho paye