बालामणि अम्मा की जीवनी व साहित्यिक जीवन, उपलब्धियां, विवाह (Biography of Balamani Amma Google doodle hindi, achievements)
19 जुलाई 2022 को गूगल ने डूडल बनाकर बालामणि अम्मा का 113वां जन्मदिन मनाया है। बालामणि अम्मा मलयालम साहित्य की अत्यंत प्रसिद्ध कवित्री थी। मलयालम साहित्य में उनके योगदान को लेकर गूगल में उनके प्रति डूडल के माध्यम से सम्मान व्यक्त किया है। ऐसा पहली बार नहीं है कि गूगल ने किसी व्यक्ति विशेष के योगदान के लिए उन्हें याद किया हो बल्कि गूगल लगभग आए दिनों ऐसी महान शख्सियत को अपने डूडल के माध्यम से श्रद्धांजलि देता रहता और उनके योगदान को याद करता है।
ऐसे में लोग इस डूडल को देखकर बालामणि अम्मा के जीवन के बारे में जानना चाहते हैं और साथ ही यह भी जानना चाहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में साहित्य के क्षेत्र में ऐसे कौन सी उपलब्धियां प्राप्त की हैं जिनके कारण आज गूगल उन्हें याद कर रहा है।
दोस्तों आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बालामणि अम्मा के जीवन से परिचित कराएंगे साथ ही मलयालम साहित्य में उनके योगदान और उनके जीवन की उपलब्धियों के बारे में भी बताएंगे।
विषय–सूची
मलयालम कवित्री बालामणि अम्मा का जीवन परिचय (Life Story, Biography of Balamani Amma Google doodle hindi)
असली नाम (Real Name) | बालामणि अम्मा |
पूरा नाम | नालापत बालमणि अम्मा |
जन्म (Date of Birth) | 19 जुलाई 1909 |
जन्म स्थान (Place of Birth) | पुन्नयुरकुलम, जिला मालाबार, मद्रास, भारत |
आयु | 95 वर्ष |
मृत्यु का कारण | अल्जाइमर रोग |
मृत्यु की तारीख | 29 सितंबर 2004 |
पेशा | कवित्री, लेखक |
परिवार (Family Details) | |
पिता का नाम (Father Name) | चित्तंजूर कुंज्जण्णि |
माता का नाम (Mother Name) | नालापत कूचुकुट्टी अम्मा |
पति का नाम (Husband Name) | वी.एम. नायर |
वैवाहिक स्थिति | वैवाहिक (1928) |
कौन थी बालामणि अम्मा (Who is Balamani Amma)
बालामणि अम्मा का पूरा नाम नलपत बालामणि अम्मा था। यह भारत की सुप्रसिद्ध मलयालम कवित्री थी। वह प्रसिद्ध लेखिका कमला दास की मा भी थी। इन्हें साहित्य के क्षेत्र में पदम विभूषण और अन्य कई पुरस्कार मिले थे।
बालामणि अम्मा का जन्म 19 जुलाई 1909 में केरल के पुन्नायुर्कुलम मालाबार में हुआ था। इनके पिता का नाम चित्तंजूर कुंज्जण्णि राजा और माता का नाम नालापत कूचुकुट्टी अम्मा था।
इनका जन्म नालापत नाम से बुलाए जाने वाले एक रूढ़िवादी परिवार में हुआ था जहां पर स्त्रियों को शिक्षा के लिए बाहर जानें की अनुमति नहीं थी। इनकी शिक्षा के लिए इनके घर में ही शिक्षकों की व्यवस्था कर दी गई थी जहां पर इन्हें मलयालम और संस्कृत की शिक्षा दी गई।
इनके घर की अलमारियां पुस्तकों से भरी रहती थी जिनमें बारह संहिता से लेकर टैगोर की रचनाएं संग्रहित थी। बालामणि अम्मा को साहित्य मैं अत्यंत रुचि थी। इसलिए उन्होंने मलयालम और संस्कृत भाषा का अध्ययन करना प्रारंभ कर दिया था। अपने अध्ययन काल के दौरान ही उन्हें उनके मामा एन॰ नारायण मेनन से साहित्य सृजन का प्रोत्साहन मिला।
इनके मामा एन नारायण मैनन एक प्रसिद्ध कवि और दार्शनिक थे जिन्होंने बालामणि अम्मा को साहित्यिक रचनाएं करने के लिए प्रेरित किया। उनके घर पर लगातार कवियों और दार्शनिकों का आना जाना रहता था यही कारण था कि साहित्य से संबंधित चर्चाएं उनके घर में लगातार होती रहती थी जिससे उनके जीवन पर साहित्य को लेकर विशेष प्रभाव पड़ा।
बालामणि अम्मा अंग्रेजी और मलयालम की सुप्रसिद्ध लेखिका कमला दास की मां भी थी। जो अपनी आत्मकथा माय स्टोरी से बहुत प्रचलित हुई। साथ ही साथ उन्हें साहित्य में उनके योगदान ओं के लिए नोबेल पुरस्कार के लिए नामित भी किया गया।
बालामणि अम्मा के साहित्य संगम का कमला दास के ऊपर बहुत विशेष प्रभाव पड़ा। वह अपनी मां से भावनात्मक रूप से बेहद जुड़ी हुई थी। साल 1999 में कमला दास ने अपनी मां से दूर रहते हुए उनके लिए एक कविता लिखी थी जिसका शीर्षक था “माय मदर एट सिक्सटी सिक्स।”
कमला दास द्वारा बालामणि अम्मा के ऊपर रचित या कविता काफी चर्चित रही। इस कविता को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा इंटरमीडिएट के पाठ्यक्रम में भी शामिल किया गया है।
बालामणि अम्मा का विवाह –
महज 19 साल की उम्र में सन 1928 में इनका विवाह वी॰एम॰ नायर के साथ हो गया आगे चलकर उनके प्रति मातृभूमि पत्रिका के प्रबंध संपादक और निर्देशक बने जो कि एक दैनिक समाचार पत्रका थी।
विवाह के पश्चात ही बालामणि अम्मा अपने पति बीएम नायर के साथ कोलकाता में रहने लगी। कोलकाता में इनके पति बेलफोर्ट ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते थे और वहां पर वरिष्ठ पद पर थे। लेकिन बाद में इन्होंने दैनिक समाचार पत्र का मातृभूमि के लिए काम करने का निर्णय किया जिस लिए इन्हें कोलकाता छोड़ना पड़ा।
साल 1977 में इनके पति वी एम नायर की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु के बाद इन्होंने अपने दांपत्य जीवन पर भी कई कविताएं लिखी।
मलयालम साहित्य में बालामणि अम्मा का योगदान
बालामणि अम्मा केरल की सुप्रसिद्ध राष्ट्रवादी कवियत्री थी। उन्होंने अपने जीवन काल में 500 से अधिक कविताओं की रचना की। उन्होंने अपनी किशोरावस्था से ही साहित्य रचना आरंभ कर दी थी जो उनके विवाह के पश्चात प्रकाशित हुई। बालामणि अम्मा की पहली कविता का शीर्षक कप्पूकाई था जो उन्होंने साल 1930 में प्रकाशित करवाई थी। 1959 से लेकर 1986 तक बालामणि अम्मा ने अपनी रचित निवेदयम नाम के कविता संग्रह में संग्रहित की।
उन्होंने अपने जीवन काल में 20 कविता संग्रह और कई गद्य रचनाएं साथ ही साथ कई अनुवाद भी किए।
बालामणि अम्मा की उपलब्धियां (Achievements)
साल 1963 में उन्हें अपनी बेहतरीन रचना मुत्थासी के लिए केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उनकी रचना मुतासी इतनी अधिक प्रसिद्ध हुई कि केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने के 2 साल बाद साल 1965 में इन्हें अपनी इस रचना के लिए साहित्य के क्षेत्र में प्रतिष्ठित सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
साल 1989 में इन्हें अपनी कविताओं की संग्रहवली निवेदयम के पश्चात आसन पुरस्कार से नवाजा गया इसके पश्चात वैलेटोल पुरस्कार (1993) ललिताम्बिका अंधर्जन पुरस्कार (1993) और शिक्षा पुरस्कार (1995) से भी सम्मानित किया गया। साल 1997 में इन्हें एन वी कृष्णा वारियर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
साल 1987 में बालामणि अम्मा को देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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बालामणि अम्मा की साहित्यिक रचनाएं –
बालामणि अम्मा ने अपने जीवन काल में 500 से अधिक कविताएं और 20 कविता संग्रह लिखें। इसके साथ ही साथ उन्होंने बाल्मीकि रामायण का भी मलयालम में अनुवाद किया।
साल 1930 में इन्होंने अपनी पहली कविता कप्पू कोई को प्रकाशित किया जिसके पश्चात इन्होंने साहित्य सृजन का क्रम जारी रखा और २० कविता संग्रह प्रकाशित किए।
बालामणि अम्मा ने अपने जीवन काल में 500 से अधिक कविताएं और 20 कविता संग्रह लिखें। इसके साथ ही साथ उन्होंने बाल्मीकि रामायण का भी मलयालम में अनुवाद किया।
साल 1930 में इन्होंने अपनी पहली कविता कप्पू कोई को प्रकाशित किया जिसके पश्चात इन्होंने साहित्य सृजन का क्रम जारी रखा और २० कविता संग्रह प्रकाशित किए।
कुदुम्बिनी (1936) | सोपानम (1958) |
धर्ममार्गताल (1938) | मुतासी (1962) |
श्री हृदयम (1939) | माजुविंटे स्टोरी (1966) |
प्रभांकुरम (1942) | अंबातिलेकु (1967) |
भवनयाल (1942) | नागरथिल (1968) |
ओंजलिनमेल (1946) | वेलारामबोल (1971) |
कालीकोट्टा (1949) | अमृतंगयम (1978) |
वेल्लीचथिल (1951) | संध्या (1982) |
हमारा पैर (1952) | निवेद्यम (1987) |
प्रणम (1954) | मेरी बेटी (मलयालम) कुलक्कडविली |
लोकंतरंगल (1955) |
उपरोक्त संग्रह कविताओं के दिए गए हैं जिन्हें बालामणि अम्मा ने अपने जीवन काल में प्रकाशित किया इन्हें अपनी कविता संग्रह निवेद्यम के लिए सरस्वती पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। और साल 1962 में प्रकाशित मुत्थासी नाम की कविता के लिए केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
बालामणि अम्मा की मृत्यु –
मलयालम साहित्य की दादी मां की जाने वाली यानी कि ग्रैंड मदर आफ मलयालम लिटरेचर कही जानें वाली बालामणि अम्मा साल 1999 में अल्जाइमर रोग से पीड़ित हो गई। रोग से पीड़ित होने के बाद लगातार इनकी तबीयत बिगड़ती गई और लगभग अल्जाइमर से पीड़ित होने के 5 साल बाद 29 सितंबर साल 2004 में इनकी मृत्यु हो गई।
गूगल ने डूडल बनाकर जन्मदिन पर किया बालामणि अम्मा को याद (Biography of Balamani Amma Google doodle hindi)
19 जुलाई 2022 को गूगल ने इनके 113 वे जन्मदिन के अवसर पर इनके योगदान को याद करके उनके सम्मान में अपने डूडल फिचर में इनकी तस्वीर लगाई। इस तस्वीर उन्हे एक घर के अंदर बैठ कर कविता लिखते हुए दर्शाया गया है।
बालामणि अम्मा कौन थी?
बालामणि अम्मा एक मलयालम कवित्री थी जिन्होंने मलयालम भाषा में बहुत सारी कविताएं लिखी। इन्हें मातृत्व की कवित्री के रूप में भी जाना जाता है।
बालामणि अम्मा की बेटी कौन है ?
बालामणि अम्मा की बेटी का नाम कमला सुरय्या है। जिन्हें कमला दास के नाम से भी जाना जाता है और उन्हें अपनी पुस्तक माय स्टोरी से काफी प्रसिद्धि मिली जिसके पश्चात उनका नाम नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। कमला सुरय्या ने बालामणि अम्मा के ऊपर एक कविता भी लिखी है जिसका शीर्षक है माय मदर एट सिक्सटी सिक्स जो कि केंद्रीय शिक्षा माध्यमिक बोर्ड में इंटरमीडिएट के अंग्रेजी के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है।
बालामणि अम्मा किस नाम से प्रसिद्ध है?
मलयालम साहित्य में विशेष योगदान के कारण इन्हें मलयालम साहित्य की दादी मा यानी कि ग्रैंड मदर आफ मलयालम लिटरेचर कह कर बुलाया जाता है। साथ ही साथ ने मातृत्व की कवित्री भी कहा जाता है।
बालामणि अम्मा का निधन कब हुआ?
29 सितंबर 2004 को बालामणि अम्मा का अल्जाइमर रोग से पीड़ित होने के कारण देहांत हो गया था।
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