चार धाम की यात्रा कैसे करें, पंजीकरण कैसे करवाएं, चार धाम यात्रा का महत्व, इतिहास, चार धाम की यात्रा कब शुरू होगी (2023 mein char dham ki yatra kaise karen, how to plan chardham yatra hindi )
हमारी भारतीय संस्कृति में सनातन मंदिरों और तीर्थस्थलों की यात्राओं का महत्व हमारें प्राचीनतम धर्मग्रंथों में विस्तार से वर्णन मिलता है। सनातम धर्म के अनुयायीयों के अनुसार हिंदू धर्म में जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार चार धाम की यात्रा अवश्य करनी चाहिये। दोस्तों आज हम आपकों उत्तराखंड में स्थित प्रमुख तीर्थ स्थलों जिसे हम छोटा चार धाम के नाम से भी जानते हैं आज के लेख में हम आपको चारधाम की यात्रा कैसे करें के बारे में विस्तार से बताएंगे, और चार धाम यात्रा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर आपको विस्तार से जानकारी देंगे।
पिछले 2 वर्षों से जब से कोरोनावायरस ने मानव जीवन पर कहर ढाया है, तब से लोगो को सुरक्षा को मध्यनजर रखे हुए चार धाम की यात्रा को लेकर के कई नियमों में सख्ती की गई है। आज के समय कोई भी व्यक्ति बिना पंजीकरण के चार धाम की यात्रा पर नहीं जा सकता, और लोगों को पंजीकरण करवाना आवश्यक हो गया है। यदि आप उत्तराखंड के इन पवित्र धामों की यात्रा का मन बना रहें है तो आप इस लेख में यात्रा से जुड़ी जरुरी और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
विषय–सूची
चार धाम की यात्रा कैसे करें- पूर्ण जानकारी (All information about chardham yatra hindi)
चार धाम कौन कौन से हैं?
दोस्तों, चार धाम कौन-कौन से हैं यह सवाल अपने आप में पूरा नहीं है। क्योंकि यहां पर दो प्रकार के चार धाम हमें देखने को मिलते हैं।
- वह चार धाम जो पूरे भारत के चार धाम है।
- वह चार धाम जो केवल उत्तराखंड के चार धाम है।
भारत के चार धाम – भारत के चार धामों के नाम उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में जगन्नाथ पूरी धाम , तथा पश्चिम में द्वारकाधीश पुरी है।
आइये जानें- > जगन्नाथ पुरी का इतिहास व रहस्य > रामेश्वरम धाम की कथा और इतिहास > द्वारिकाधीश मंदिर का इतिहास, तथ्य और कहानी > बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास व पौराणिक कहानी
उत्तराखंड के चार धाम – उत्तराखंड के चार धामों में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, और यमुनोत्री शामिल है। हालांकि उत्तराखंड की भूमि को देव भूमि भी कहा जाता है, और सनातन धर्म से जुड़े महत्वपूर्ण मंदिर तथा तीर्थ स्थानों का जमावड़ा हमें उत्तराखंड में ही देखने को मिलता है।
चार धाम यात्रा का उल्लेख
दोस्तों, स्कंद पुराण के तीर्थ भाग में हमें यात्राओं से संबंधित चार धाम की यात्रा का वर्णन मिलता है, और स्कंद पुराण में जगद्गुरु शंकराचार्य के द्वारा हमें ज्ञान दिया गया है कि चार धाम की यात्रा करने से व्यक्ति के सभी जन्मों के पाप तुरंत ही नष्ट हो जाते हैं, और यह चार धाम की यात्रा व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है।
चार धाम यात्रा का महत्व क्या है?
दोस्तों, आज हम आपको उत्तराखंड के चार धाम, यानी कि गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के महत्त्व के बारे में जानकारी देंगे।
आज से तकरीबन 1200 साल पहले उत्तराखंड चार धाम की यात्रा को शुरू किया गया था। उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है क्योंकि लोगों का मानना है कि पृथ्वी पर यदि कहीं स्वर्ग है तो है वह उत्तराखंड में ही है। क्योंकि उत्तराखंड में खूबसूरत वादियां, बड़े-बड़े बर्फ के पहाड़, तथा हरे-भरे पेड़ों से भरपूर घाटियां, झरने, नदियां हमें देखने को मिलते हैं जो कि अपने आप में ही सुकून देता है।
यमुनोत्री का महत्व-
यदि हम सबसे पहले यमुनोत्री के महत्व के बारे में आपको बताएं, तो यमुनोत्री धाम भारत के गढ़वाल हिमालय में स्थित एक मंदिर है, जो कि गढ़वाल हिमालय के पश्चिमी भाग में स्थित है। यहां से भारत की सबसे पवित्र नदी यमुना का उद्गम होता है। हालांकि यह यमुनोत्री उत्तराखंड जैसी ठंडी जगह में है, लेकिन फिर भी यहां पर गर्म पानी के झरने होते हैं, और ऐसा माना जाता है कि इस पानी में डुबकी लगाने से व्यक्ति के मन को बहुत शांति मिलती है।
गंगोत्री का महत्व-
दोस्तों, गंगोत्री उत्तराखंड के उत्तरकाशी में काफी आगे स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर माता गंगा का निवास स्थान है। यमुना माता का मंदिर गर्मियों में तीर्थ यात्रा के लिए खुलता है तथा गंगा का मंदिर भी नदी के तट पर स्थित है। यह दिखने में इतनी सुंदर और सुखदायक है कि इसमें डुबकी लगाये बिना कोई भी व्यक्ति जा नहीं सकता है। गंगोत्री के भोजबासा, गंगनानी, केदारताल, भैरव घाटी, शिवलिंग तथा तपोवन जैसे और भी कई पवित्र स्थान है।
आइये जाने – गंगोत्री धाम का महत्व इतिहास और पौराणिक कहानी
केदारनाथ का महत्व –
दोस्तों, केदारनाथ का मंदिर भारत के चार धामों में भी शामिल है, और यह भगवान शिव का भारत के उत्तर में स्थित सबसे बड़ा और विशाल मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर कई 100 साल पुराना है। यह केदारनाथ मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, इस मंदिर के लिए लोगों का विश्वास है कि इस मंदिर में भगवान शिव के लिंगम स्वरुप का दर्शन करने से लोगों की मनो कामना पूरी होती है।
इसी मंदिर के पास में शंकराचार्य, कालीमठ, गौरीकुंड और सोनप्रयाग की समाधि जैसे और भी कई पवित्र स्थान है। इस मंदिर की ऊंचाई तकरीबन 50 फीट तक है, और सर्दियों में यह मंदिर अपने गुंबद तक बर्फ से ढक जाता है। तथा गर्मियों में इस मंदिर के कपाट खोले जाते हैं।
आइये जाने – केदारनाथ मंदिर का रहस्य व पौराणिक कहानी
बद्रीनाथ का महत्व-
बद्रीनाथ का मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित एक ऐसा मंदिर है, जो अलकनंदा नदी के बायीं ओर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि महान भगवान विष्णु ने हजारों वर्ष पहले इसी स्थान पर तपस्या करी थी, तथा इसी मंदिर के पास में महर्षि व्यास नाम की एक गुफा है, जहां पर ऋषि वेदव्यास ने महाभारत कही थी, तथा भगवान गणेश जी ने महाभारत लिखी थी। इसी के साथ यहां पर वेदव्यास ने महाभारत के अलावा और भी कई शास्त्रों की रचना करी थी। भारत का अंतिम गांव जिसे माणा के नाम से जाना जाता है, वह इस मंदिर से केवल कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
चार धाम की यात्रा कब शुरू होगी
दोस्तों, चार धाम की यात्रा सामान्य तौर पर गर्मियों में शुरू होती है और सर्दिओं में समाप्त हो जाती है। इस बार भी यह चार धाम की यात्रा 3 मई से शुरू हुई है और 20 नवम्बर तक जारी रहेगी। हालाँकि 20 नवम्बर तक कई धामों के कपाट बंद हो जायेंगे।
क्र.सं. | उत्तराखंड के चारधाम | 2023 में चारधाम मंदिर के कपाट (द्वार) खुलने की तारीख |
1. | यमुनोत्री | 3 मई से 24 अक्टूबर 2023 |
निकट के दर्शनीय स्थल | जानकीचट्टी, सप्तऋषि कुंड, सूर्य कुंड, शनि देव मंदिर | |
2. | गंगोत्री | 3 मई से 25 अक्टूबर 2023 |
निकट के दर्शनीय स्थल | गौमुख, सूर्य कुंड, गंगनानी, हरिशील घाटी, मुखबा, भैरव घाटी | |
3. | केदारनाथ | 7 मई से 24 अक्टूबर 2023 तक |
निकट के दर्शनीय स्थल | गौरी कुंड, भैरव मंदिर, वासुकि ताल, तुंगनाथ | |
4. | बद्रीनाथ | 8 मई से 20 नवंबर 2023 तक |
निकट के दर्शनीय स्थल | सरस्वती माता मंदिर, चरण पादुका, बसुधारा झरना, भीम पुल व्यास गुफा, गणेश गुफा, |
चार धाम यात्रा की महत्वपूर्ण जानकारी
दोस्तों, आज के समय यदि आप चार धाम की यात्रा करना चाहते हैं तो चार धाम की यात्रा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातों का आपको जानना जरूरी है। उन सभी बातों के बारे में आज हम आपको पूरी जानकारी देंगे।
- यदि आप उत्तराखंड से हैं तो आपको पंजीकरण करवाने की आवश्यकता नहीं है, यह पंजीकरण केवल उन लोगों का होता है उत्तराखंड के निवासी नहीं है।
- जैसा कि हम जानते हैं कि चार धाम की यात्रा करने के लिए हर वर्ष लाखों लोग आते हैं, और यहां पर भीड़ भी काफी होती है।
- जिस भी व्यक्ति ने कोरोना की डोज लगवा ली है तो उस व्यक्ति को कोरोना वायरस के वैक्सीन लगवाने के 15 दिन बाद मिलने वाला सर्टिफिकेट दिखाना जरूरी होगा।
- यदि व्यक्ति ऐसा कर लेता है तो उसे यात्रा करने की अनुमति मिल जाती है।
- आज भी भारत में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने कोरोना की एक भी डोज नहीं लगवाई है। यदि ऐसा कोई व्यक्ति है और उसने कोरोना की वैक्सीन नहीं ली है और अभी तक कोई चेकअप नहीं करवाया है तो वह चार धाम की यात्रा के लिए नहीं जा सकता है।
- यदि एक व्यक्ति ने किसी भी प्रकार की कोरोना की वैक्सीन नहीं ली है और वह फिर भी चार धाम की यात्रा पर जाना चाहता है, तो उसे कम से कम अपने 72 घंटे के अंदर की RtpCR की रिपोर्ट दिखाना जरूरी है, और वह नेगेटिव आनी भी जरूरी है।
- दोस्तों चार धाम की यात्रा करते समय आपको दिल्ली, हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून कहीं से भी अपनी यात्रा शुरू कर सकते है, और यात्रा करवाने से पहले आपका बायोमेट्रिक पंजीकरण अवश्य होगा।
- हालांकि आपको अपना आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड, या अपनी कोई भी आईडेंटिफिकेशन डॉक्यूमेंट अपने साथ में रखना जरूरी होगा।
- उत्तराखंड में स्विस कॉटेज शिविर के पास में ही यात्रा की सारी सुविधाएं भी उपलब्ध है, और आपको मूलभूत सारी सुविधाएं वहां पर मिल जाएगी इसे के साथ वहां पर आपको डीलक्स तथा सामान्य बजट के आवास भी आसानी से मिल सकते हैं। जहां पर आप अपनी यात्रा के दौरान थोड़ा समय आराम कर सकते हैं।
- उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा को आप हेलीकॉप्टर से भी कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको हेलीकॉप्टर का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना जरूरी होगा।
चार धाम की यात्रा कहां से शुरू करें?
दोस्तों, चार धाम की यात्रा शुरू करने के लिए आमतौर पर पश्चिम से पूर्व की ओर यात्रा की जाती है। क्योंकि इस रास्ते में मुश्किलें तुलनात्मक रूप से कम आते हैं। छोटा चार धाम जिसे उत्तराखंड के चार धाम के नाम से जाना जाता है यह उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित है।
यहां पर आपको सबसे पहले यमुनोत्री से यात्रा शुरू कर दी होती है, इसके बाद में गंगोत्री तक जाना होता है। गंगोत्री से केदारनाथ और केदारनाथ से बद्रीनाथ और बद्रीनाथ पर आकर के चार धाम की यात्रा समाप्त होती है।
यदि आप इसे समझ नहीं पा रहे हैं तो आप आसानी से इस प्रकार समझ सकते हैं कि अंग्रेजी भाषा के Z के आकृति के अनुसार यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ के जगहों की आकृति बनाई जा सकती है। यह यात्रा आपको इसी प्रकार करनी चाहिए, क्योंकि इसमें आपका काफी कम समय लगेगा और रास्ते में आने वाली रुकावटें काफी कम हो जाएंगी।
सड़क मार्ग से चार धाम की यात्रा
दोस्तों, यदि आप सड़क मार्ग से चार धाम की यात्रा करना चाहते हैं तो आपकों 11 से 12 दिन का समय लेकर चले। यह यात्रा थोड़ी थकान देने वाली पर मन में एक सुकुन सा भर देती है। तो इसके लिए आपका मार्ग कुछ इस प्रकार से निर्धारित किया जाएगा कि सबसे पहले आपको हरिद्वार पहुंचना होगा वहां से ऋषिकेश इसके पश्चात आपकी यात्रा यमुनोत्री के लिये शुरू होगी।
यमुनोत्री मार्ग | ऋषिकेश – बरकोट – हनुमान चट्टी – जानकी चट्टी – यमुनोत्री |
गंगोत्री मार्ग | बरकोट – उत्तरकाशी – हरसिल- गंगोत्री |
केदारनाथ मार्ग | उत्तरकाशी – गुप्तकाशी – केदारनाथ |
बद्रीनाथ रूट | केदारनाथ – पिपलकोटि – बद्रीनाथ |
- हरिद्वार से आपकी चारधाम की यात्रा का उद्गम और समापन होगा। हरिद्वार से आपको ऋषिकेश ले जाया जाएगा। ऋषिकेश पहुंचने पर आपको बरकोट की यात्रा करनी होगी। जहां से जानकीचट्टी होते हुए यमुनोत्री से जानकीचट्टी के लिये पांच किमी का पैदल ट्रैक करना होता है। यहां पर आपको घोड़े एवं खच्चर की सुविधा मिल जाती है। आप जमनोत्री जमनोत्री / यमुनोत्री पहुंचना है।
- यह आपका चार धाम का पहला धाम होगा।
- यमुनोत्री की जानकीचट्टी से टैक्सी एवं वाहन आसानी से मिल जाते है जानकी चट्टी से गंगोत्री की दूरी 228 किमी है इसमें आपको लगभग 7 से 8 घंटे लगते हैं। इस रास्तें में आपको उत्तरकाशी से होते हुए हरसिल तक पहुंचना है। हरसिल से गंगोत्री का बिल्कुल सीधा रास्ता है।
- गंगोत्री पर आपको कोई पैदल यात्रा नहीं है। गंगोत्री आते ही आपके दूसरे धाम की यात्रा भी पूरी हो जाएगी।
- अब गंगोत्री से आपको पीछे / नीचे आते हुए घनसाली तक जाना है, जहां से अगस्त्य मुनि सड़क और गुप्तकाशी तक जाते हुए आपको केदारनाथ की यात्रा करनी होगी। केदारनाथ के लिये 18 किमी की पैदल यात्रा गौरीकुंड से करनी होती है।
- अब केदारनाथ से आपको चमोली, गोपश्वर स्थान पर पहुंचना होगा, जहां से गोविंदघाट तक होते हुए आपको बद्रीनाथ धाम तक पहुंचना है।
- यहां आपके चार धाम की यात्रा पूरी हो जाएगी। लेकिन यात्रा यहीं पर पूरी नहीं हुई है, क्योंकि अब आपको हरिद्वार वापस जाना है।
- वापस जाने का रास्ता काफी लंबा होगा। बद्रीनाथ तक पहुंचने के बाद आपको जोशीमठ होते हुए ऋषिकेश तक जाना है, जहां से आप हरिद्वार वापस आ सकते हैं।
क्या चार धाम यात्रा करने से पहले रजिस्ट्रेशन करना जरूरी है?
दोस्तों, आज के समय जहां पूरी दुनिया में कोरोनावायरस में तबाही मची हुई है, वहीं पर भारत में आज के समय कोरोना से संबंधित कुछ सख्त गाइडलाइंस को ढिलाई दी गई है। क्योंकि कोरोनावायरस के फैलाव में कुछ कमी नजर आई है। लेकिन फिर भी कोई भी व्यक्ति जो कोरोनावायरस ग्रस्त हो गया है, वह चार धाम की यात्रा ना कर सके इसके लिए चार धाम का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य हो गया है। यह रजिस्ट्रेशन इसलिए किया जाता है ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि चार धाम की यात्रा में आयोजित होने वाली भीड़ में से एक भी व्यक्ति कोरोनावायरस वरना भारत में फिर से मौत का तांडव हो सकता है।
चार धाम की यात्रा कब से शुरू हो रही है?
दोस्तों, छोटे चार धाम की यात्रा यानी कि उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा गर्मियों में शुरू होती है, और सर्दी आने तक यह यात्रा चलती रहती है। तो हम यह अंदाजा लगा सकते हैं मई-जून में यह यात्रा शुरू होती है सितंबर-अक्टूबर तक यह यात्रा होती है। लेकिन अब यदि हम मुख्य तारीख के बारे में जाने दो उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा 3 मई से शुरू होगी क्योंकि यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट 3 मई को खोले जाएंगे, तथा केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम के कपाट क्रमशः 6 मई और 8 मई को खोले जाएंगे।
हालांकि आज के समय किसी भी व्यत्तिफ़ को ई-पास अलग से बनवाने की जरूरत नहीं होगी, लेकिन हर व्यत्तिफ़ को अपना रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है, और आपको अपने साथ में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट होगा वहीं ई-पास की तरह कार्य करेगा इसमें एक बारकोड जनरेट हो जाएगा। इसको आप रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी हो जाने पर ई-पास/सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते हैं।
चार धाम के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
यदि आप चार धाम की यात्रा करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए –
इसके लिये आपको उत्तराखंड की नई अधिकारिक साईट registrationandtouristcare.uk.gov.in या badrinath-kedarnath.gov.in पर जाकर ई-पास के लिये रजिस्ट्रेेशन प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसमें आपको अपनी और साथ में जा रहे अन्य लोगों को भी Add कर सकते है। इसमें टूर की सारी डिटेल भरवाई जाएगी। इसके बाद आप रजिस्ट्रेशन सार्टिफिकेट/ई-पास डाउनलोड कर सकते हैं।
- आपको यह पता होना चाहिए कि आप यह यात्रा उत्तराखंड में कर रहे हैं, तो आप का रजिस्ट्रेशन उत्तराखंड सरकार के अंतर्गत ही किया जाएगा।
- इसके लिए आपको सबसे पहले उत्तराखंड टूरिस्ट केयर (registrationandtouristcare.uk.gov.in) के आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
- वहां जाकर के आपको चार धाम यात्रा पंजीकरण नाम का ऑप्शन मिलेगा, जिस पर आपको क्लिक करना है
- क्लिक करते ही आपको एक नए पेज पर भेज दिया जाएगा जहां आपको पहले अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा, और इसके पश्चात आपको लॉग इन करना होगा।
- रजिस्ट्रेशन करने के लिए आपसे आपका नाम, आपका मोबाइल नंबर, आपका टूर ऑपरेटर, आपके साथ जाने वाले / यात्रा करने वाले लोगों की संख्या, इन सब के बारे में सारी जानकारी ली जाएगी।
- इसके बाद में आपको एक यूजर-आईडी और पासवर्ड देना होगा, जिसका इस्तेमाल आप लोग इनके लिए करेंगे।
- इसके पश्चात आप की रजिस्ट्रेशन की सारी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
चार धाम की यात्रा करने का best समय
जैसा कि आप जानते हैं कि चार धाम यानी कि उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा करने के लिए आपको उत्तराखंड जाना जरूरी है, और उत्तराखंड विभिन्न प्रकार की पहाड़ियों, जंगलों तथा वनों से घिरा हुआ है और बना हुआ है। इसी उत्तराखंड राज्य में कुछ ही समय पहले हमें भीषण बाढ़ का भूकंप जैसी घटनाएं भी देखने को मिली थी, जो कि मूल रूप से वर्षा ऋतु के समय में हो रही थी।
इसलिए हमारी राय के अनुसार आपको उस समय चार धाम की यात्रा करनी चाहिए जब वर्षा ऋतु जाने वाली हो। क्योंकि वर्षा के कारण पहाड़ियों में भूस्खलन जैसी समस्याएं देखती है, इसके अलावा कई बार तेज बाढ़ के कारण रस्ते अवरुद्ध हो जाते हैं तथा कई लोगों की जानें भी चली जाती है।
यह यात्रा एक प्रकार से जानलेवा साबित हो सकती है। इसलिए आपको वर्षा ऋतु में चार धाम की यात्रा नहीं करनी चाहिए, और इसके लिए सितंबर-अक्टूबर का समय आपके लिए चार धाम की यात्रा करने का best समय होता है।
चार धाम की यात्रा कब शुरू और बंद होती है?
दोस्तों, चार धाम की यात्रा शुरू होने और बंद होने का समय आमतौर पर बदलते रहता है। लेकिन हम आपको वह तरीका बताएंगे जिससे आप आसानी से समझ जाएंगे कि चार धाम की यात्रा कब शुरू और बंद होती है।
चार धाम की यात्रा आमतौर पर वसंत ऋतू के आने से शुरू होती है तथा दिवाली पर समाप्त हो जाती है। क्योंकि गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ के कपाट अक्षय तृतीया से लेकर बसंत पंचमी तक खुलते हैं और दीपावली के आसपास बंद हो जाते हैं। इसीलिए इस समय अवधि के बीच में चार धाम की यात्रा होती है।
यात्रा में ले जाने वाली जरूरी सामान
यदि आप चार धाम की यात्रा पर जा रहे हैं तो –
- आपको अपने लिए अपनी सुरक्षा संबंधी चीजें जरूर लेनी होगी। क्योंकि आप भारत की सबसे ठंडी जगह पर यात्रा करने के लिए जा रहे हैं। भारत में उत्तराखंड काफी ज्यादा ठंडा है, और लगभग हर समय यहां पर ठंड रहती है।
- यदि आपके ग्रुप में किसी को भी पहाड़ों की लंबी यात्रा से अक्सर उल्टी व जी मिचलाने की समस्या हो सकती है इसके लिये उल्टी की दवा भी जरूर रखें।
- आपको सदैव अपने साथ में खांसी, बुखार, जुकाम, सबकी जरूरी दवाओं का एक किट रखना जरूरी होगा।
- आपको समय-समय पर एंटीसेप्टिक, बैंडेज इन सब की जरूरत होगी, क्योंकि यहां तक पत्थरों की वजह से चट्टानों की वजह से चोट लगना लाजमी है।
- इसके अलावा आपको इस ठंडी जगह पर भी तेज धूप से त्वचा जलने की शिकायत हो सकती है, क्योंकि जमीन पर आपको ठंडी महसूस होगी तथा धूप के सीधे संपर्क में आने से तामपान में अचानक बढ़ोतरी होगी। धूप में यात्रा करने से आपकी त्वचा जल सकती है। इसलिए आपको सनस्क्रीन का इस्तेमाल भी करना होगा।
- यहां पर आपको ऊनी कपड़े, गर्म कपड़े, जुराबे, ग्लव्स इन सब का इस्तेमाल करना होगा। इसी के साथ आपको बारिश से बचने के लिए रेन कोट की आवश्यकता होगी।
- आपको वाटरप्रूफ जूते की आवश्यकता होगी, तथा वाटरप्रूफ बैग की आवश्यकता भी होगी।
- इसके साथ आपको एक बैटरी से चलने वाली टॉर्च तथा मास्टर चार्जर के अलावा पावर बैंक की आवश्यकता भी होगी।
- आपको अपने साथ खाने के लिए पानी तथा ड्राई फ्रूट्स रखने होंगे।
- आपको अपने जरूरी कागजात तथा पैसों को संभाल कर वाटर प्रूफ बैग में रखना होगा।
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चार धाम के आसपास ठहरने की या रहने की जगह
चार धाम की यात्रा के दौरान आपको बहुत सारे ऐसे गेस्ट हाउस, सरकारी गेस्ट हाउस, प्राइवेट गेस्ट हाउस, रिसोर्ट, होटल, कॉटेज, मिलेंगे जहां पर आप अपना समय बिता सकते हैं। यहां पर आपको-
- गढ़वाल विकास मंडल नगर निगम सरकारी गेस्ट हाउस
- हिमालयन इको रिजॉर्ट बरकोट, कैंप निरवाना गुप्तकाशी
- विश्वनाथ टूरिस्ट लॉज गुप्तकाशी, रमकुंड रिजॉर्ट देवप्रयाग
- यमुनोत्री कॉटेज, जोशीमठ चारधाम कैंप, होटल नारायण पैलेस
- बदरीनाथ होटल, चाहत होटल, श्रीनगर होटल
- चमोली होटल, कुंदन पैलेस उत्तरकाशी तथा होटल मंदाकिनी रूद्रप्रयाग में रुकने की और आसपास रहने की व्यवस्था मिल जाएगी।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने जाना कि चार धाम की यात्रा कैसे करते हैं, तथा चार धाम की यात्रा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में हमने आपको जानकारी दी है। इसके अलावा चार धाम यात्रा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के संबंध में भी हमने आपको पूरी जानकारी दी है।
इसके आलावा हमने आपको, चार धाम की यात्रा की तैयारी कैसे करें की पूर्ण जानकारी दी है। हम आशा करते हैं कि आज का यह काफी मददगार रहा होगा। यदि आपको यह आर्टिकल अच्छा लग रहा है तो कृपया इसे फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया पर शेयर अवश्य करें। आप हमसे चारधाम से संबंधित कोई भी सवाल पूछना चाहते हैं, तो कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।
FAQ
प्र. चारधाम की यात्रा में लगभग कितना समय लगता है?
उत्तर- चारधाम की यात्रा एक लंबी यात्रा है इसको करने में 10 से 11 दिन लग जाते है। इसमें आपको पहले हरिद्वार-ऋषिकेष से होते हुये यमुनोत्री-गंगोत्री-केदारनाथ व बद्रीनाथ के दर्शन करने के अलावा इसके आसपास के मंदिरों एवं सुन्दर और मनमोहक प्रकृति को देखने का मौका मिलेगा।
प्र. चारधाम के लिये रजिस्ट्रेशन के अलावा ई-पास बनाना जरूरी है?
उत्तर- जी नहीं इसके लिये आपकों अलग से ई-पास बनवाना नहीं है इसके लिये registrationandtouristcare.uk.gov.in पर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी करनी है और यहीं से अपना रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते है इसमें एक बारकोड लगा होगा यहीं आपका ई-पास व यात्रा सार्टिफिकेट है यात्रा के समय इसको रखना अनिवार्य है।
प्र. चारधाम के लिये कोविड का वेक्सिनेशन सार्टिफिकेट अनिवार्य है।
उत्तर- जी हां कोविड वेक्सिनेशन सार्टिफिकेट की डिटेल रजिस्ट्रेशन के लिये आवश्यक है।