हर घर तिरंगा कैंपेन क्या है? जानिए तिरंगे से जुड़े हुए कई रोचक तथ्य (Interesting Facts of Indian Flag History in hindi, Indian flag facts, background, history, colour and design hindi, Har Ghar Tiranga Campaign)
किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज उसके राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक होता है जो राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता को दर्शाता है और संपूर्ण राष्ट्र में रहने वाले अलग-अलग समुदायों को एक सूत्र में बांधने का काम करता है।
हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भी भारत के राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है और भारत में रहने वाले सभी समुदायों जैसे हिंदू, मुस्लिम, सिख ईसाई, पारसी, जैन, बौद्ध को एक सूत्र में बांधकर रखता है।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हर घर तिरंगा कैंपेन चालू किया गया है जिसके तहत प्रधानमंत्री ने समस्त देशवासियों से अपील की है कि 13 अगस्त से लेकर 15 अगस्त तक वह अपने घरों पर तिरंगा फहराए।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के साथ-साथ भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का इतिहास भी जुड़ा हुआ है। तो आइए आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको तिरंगे झंडे से जुड़े हुए बहुत से रोचक तथ्यों के बारे में बताते हैं कि इतिहास में कब-कब तिरंगे के स्वरुप एवं रंग मेंं बदलाव किया गया है।
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विषय–सूची
हर घर तिरंगा कैंपेन क्या है? (Har Ghar Tiranga Campaign)
इस वर्ष सारा भारत आजादी का 76वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। आजादी के इस अमृत महोत्सव के पावन पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से यह अपील की है कि वह अपने घरों पर 13 अगस्त से लेकर 15 अगस्त तक तिरंगा झंडा फहराए।
प्रधानमंत्री जी का यह मानना है कि इस अभियान के तहत लोग भावनात्मक रूप से तिरंगे के साथ गहराई से जुड़ेंगे और उनके मन में देश प्रेम की भावना जागृत होंगी।
यह ऐसा पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री ने लोगों से किसी बात को लेकर अपील की हो इसके पहले भी कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से ताली ताली बजाने की और घरों में दीया जलाने की अपील की थी।
प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद से ही लोगों में हर घर तिरंगा अभियान को लेकर अलग ही जोश भर गया है लोग इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। और साथ ही साथ दूसरों को इसमें शामिल होने के लिए उत्प्रेरित भी कर रहे हैं।
भारत सरकार ने भी इस अभियान को लेकर कई सारे कदम उठाए हैं जिसके तहत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि सभी डाकघरों पर एक अगस्त 2022 से तिरंगा झंडा बिकना शुरू होगा ताकि लोग आसानी से तिरंगे को खरीद कर अपने घरों पर लगा सके और हर घर तिरंगा अभियान का हिस्सा बन सकें। (1)
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भारतीय राष्ट्रीय तिरंगे झंडे की डिजाइनिंग, तिरंगे के इतिहास से जुड़ें रोचक तथ्य(Interesting Facts of Indian Flag History in hindi)
हमारे तिरंगे झंडे के वर्तमान स्वरूप को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम में रहने वाले पिंगली वैंकैया ने डिजाइन किया था। पिंगली वेंकैया जी ने 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों का अध्ययन करने के बाद साल 1921 में भारत के तिरंगे झंडे को डिजाइन किया। पिंगली वेंकैया ने जब इस झंडे को डिजाइन किया तब उनकी उम्र 45 वर्ष थी।
पिंगली वेंकैया ने इस तिरंगे झंडे में चरखे की आकृति डिजाइन की थी जिसे बाद में विचार विमर्श के बाद अशोक चक्र से विस्थापित कर दिया गया। 22 जुलाई 1947 को इस झंडे को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया।
भारत के राष्ट्रीय गौरव तिरंगे झंडे को डिजाइन करने के बावजूद भी पिंगली वेंकैया को उनके जीते जी कोई भी सम्मान नहीं मिला और 1963 विजयवाड़ा के एक झोपड़ी में उनकी मृत्यु हो गई।
हालांकि उनकी मृत्यु के बाद साल 2009 में उनके नाम से उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया गया इसके अलावा साल 1916 में भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा विजयवाड़ा के ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन पर उनकी प्रतिमा स्थापित की गई।
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भारतीय तिरंगे झंडे के बदलते रंग एवं स्वरूप का ऐतिहासिक सफर
7 अगस्त 1906 को फहराया गया था पहला राष्ट्रीय ध्वज –
भारत में पहला झंडा 7 अगस्त 1906 को आजादी के पहले ही फहराया गया था जिसे क्रांतिकारियों ने राष्ट्रीय ध्वज कह कर संबोधित इस झंडे को कोलकाता ध्वज और कमल ध्वज कर कर भी बुलाया गया था क्योंकि 7 अगस्त 1906 में कोलकाता के पार सी बागान चौक में फहराया गया था।
ऐसा माना जाता है कि इस झंडे को सुकुमार चित्रा और सचिंद्र कुमार बोस ने डिजाइन किया था जिसमें पीले हरे और लाल रंग की पट्टियां बनाई गई थी। झंडे के ऊपर बने हरे रंग की पट्टी पर कमल का फूल तथा पीले रंग की पट्टी पर वंदे मातरम और लाल रंग की पट्टी पर चांद और सूरज की आकृतियां बनाई गई थी।
इसी साल के दौरान ही विवेकानंद की एक आयरिश शिष्य जिसका नाम निवेदिता था उसने भी एक झंडे को डिजाइन किया जिसमें लाल और पीले रंग की पट्टियां थी तथा कमल का फूल और बंगाली में वंदे मातरम लिखा हुआ था। इसके साथ ही साथ इसमें इंद्र का वज्र भी डिजाइन किया गया था।
साल 1907 में झंडे का डिजाइन–
भारत में दूसरा राष्ट्रीय ध्वज साल 1907 में विनायक सावरकर जिन्हें वीर सावरकर के नाम से जाना जाता है तथा भीकाजी कामा और श्याम जी कृष्ण द्वारा डिजाइन किया गया था। इस झंडे को 1907 में विदेश में ठहराया गया था जिसके ऊपरी पट्टी पर सप्त ऋषि की आकृति बनी थी जिसे हिंदुओं के लिए बहुत पवित्र माना जाता है।
साल 1917 में झंडे का डिजाइन–
साल 1917 में श्रीमती एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने मिलकर एक नए झंडे को फहराया जिसे पांच लाल और चार हरी है क्षैतिज पट्टीयो द्वारा तैयार किया गया था। इस झंडे पर भी सप्त ऋषि की आकृति बनी रही और साथ ही साथ झंडे के सिर्फ पर यूनियन जैक बनाया गया था।
साल 1921 में झंडे का डिजाइन–
साल 1921 में विजयवाड़ा में हो रहे अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी के सत्र में चौथे झंडे का प्रस्ताव रखा गया। जिसमें मुख्य रूप से लाल रंग और हरे रंग की पट्टी शामिल थी जो हिंदू समुदाय और मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करते थे। हालांकि गांधी जी के सुझाव पर इस झंडे में कुछ परिवर्तन किए गए ताकि सभी समुदायों को भारत के राष्ट्रीय ध्वज से जोड़ा जा सके। इसी सोच के साथ ही झंडे की डिजाइनिंग में सुधार हुआ और इसमें एक सफेद पट्टी बीच में शामिल की गई जिसमें एक चरखा बनाया गया।
साल 1931 में झंडे का डिजाइन–
साल 1931 में केसरिया रंग को झंडे में शामिल किया गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस समय लोगों का यह मानना था कि केसरिया रंग हिंदू और सिख समुदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व तो करता ही है इसके साथ ही साथ मुस्लिम दरवेश का भी प्रतिनिधित्व करता है।
साल 1947 में झंडे का डिजाइन–
साल 1947 में डॉ राजेंद्र प्रसाद की अगुवाई में संविधान सभा की बैठक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज चयन समिति का गठन किया गया और परिणाम स्वरूप 22 जुलाई 1947 को तिरंगे झंडे के वर्तमान स्वरूप को अपनाया गया। 1931 में डिजाइन किए गए तिरंगे झंडे में चलते हुए चरखी की आकृति हटाकर अशोक चक्र की आकृति जोड़ी गई जिसके परिणाम स्वरुप हमारे वर्तमान झंडे को डिजाइन किया गया।
तिरंगे झंडे से सम्बंधित नियम एवं रोचक तथ्य (Interesting Facts about India National Flag hindi)
- तिरंगे झंडे की डिजाइनिंग पिंगली वेंकैया जी ने की थी।
- साल 1921 में डिजाइन किए गए तिरंगे से प्रेरित होकर आयरलैंड ने अपना राष्ट्रीय ध्वज बनाया था।
- भारतीय संविधान में तिरंगे झंडे को फहराने से लेकर भारतीय ध्वज संहिता नाम से कानून बनाया गया है।
- भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार भारत में कटे-फटे, मैले अथवा क्षतिग्रस्त तिरंगे को फहराने की अनुमति नहीं है।
- ध्वज संहिता के अनुसार झंडे को किसी भी पहनावे या सजावट की सामान में यूज नही किया जा सकता।
- साल 1984 में भारतीय अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा ने पहली बार अंतरिक्ष में भारतीय झंडे को लहराया।
- भारत में तिरंगे झंडे से ऊंचा कोई भी झंडा नहीं होना चाहिए।
- साल 2014 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस के 50000 स्वयंसेवकों ने चेन्नई में भारतीय झंडे को बनाकर तैयार किया जो विश्व का रिकॉर्ड है।
- भारत में राष्ट्रीय शोक की स्थिति में तिरंगा झंडा आधा झुका हुआ रहता है।
- 29 मई साल 1953 को भारत का तिरंगा झंडा विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर फहराया गया। इसी दिन शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करके विश्व रिकॉर्ड बनाया था।
- भारत में तिरंगे की डिजाइनिंग को लेकर कुछ लोग अपना अलग तर्क भी मानते हैं। कुछ लोगों का यह मानना है कि तिरंगे के वर्तमान स्वरूप की डिजाइनिंग हैदराबाद की एक मुस्लिम महिला सुरैया तैयबजी ने किया था।
हालांकि इस बात का कोई भी ठोस प्रमाण नहीं है लेकिन यह माना जाता है कि सूर्य देव जी के पति बदरुद्दीन तैयबजी ने संविधान सभा की बैठक के दौरान ध्वज समिति का गठन किया था।
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राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के तीन रंगों का क्या अर्थ है?
केसरिया रंग – त्याग, बलिदान, शक्ति एवं साहस को दर्शाता है।
श्वेत रंग- शांति और सत्य को दर्शाता है।
हरा रंग- सम्पन्नता एवं समृद्धि और उर्वरकता को दर्शाता है।
राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र क्या अर्थ है?
अशोक चक्र- जीवन की गतिशीलता और प्रगति को दर्शाता है। अशोक चक्र में 24 तिलियां है जोकि मनुष्य के 24 गुणों को दर्शाता है।
तिरंगे की लंबाई एवं चौड़ाई कितनी होती है?
तिरंगे के लंबाई व चौड़ाई का अनुपात 3ः2 है इसमें समान चौड़ाई की तीन रंगों की क्षैतिज पट्टियां होती है। बीच में एक नीला चक्र भी है।