अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण 2023 | International Women’s Day Speech in Hindi

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International Women’s Day 2023 Speech in Hindi: विश्व भर में व्यापक स्तर पर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए हर साल 8 मार्च का दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के रुप में मनाया जाता है। भारत समेत दुनियाभर के विभिन्न देशों में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर भी महिला दिवस कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

इस साल 8 मार्च 2023को “डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी” की नई थीम (विषय) के साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 (International Women’s Day 2023) मनाया जाएगा।

महिला दिवस के खास मौके पर महिला एवं परिवार कल्याण जैसे संगठनों द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिससे महिलाओं को अपनी समस्याएं साझा करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इन विशेष कार्यक्रमों में लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और महिला सशक्तिकरण, महिला स्वावलंबन और महिलाओं की भूमिका, चुनौती और निदान पर भाषण, महिला दिवस पर निबंध, अनमोल विचार और महिला दिवस पर कविताएं इत्यादि प्रस्तुत करते हैं।

आज इस लेख के जरिए हम आपके लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 पर भाषण (International Women’s Day Speech in Hindi) लेकर आए हैं जिसका इस्तेमाल करके आप मंच पर महिलाओं की भूमिका के सम्मान में जोरदार भाषण प्रस्तुत कर सकते हैं।

nternational Women's Day Speech in Hindi

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2023 का संक्षिप्त विवरण (Speech on International Women’s Day in hindi)

लेख का प्रकारभाषण
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है?अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया जाता है?8 मार्च
राष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया जाता है?13 फरवरी
विश्व भर में पहली बार कब शुरु हुआ?19 मार्च 1911
कहां मनाया जाता है?पूरे विश्व में
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 की थीम क्या है?लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकि

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण 2023 (International Women’s Day Speech in Hindi)

नमस्कार! आप सभी को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 की हार्दिक शुभकामनाएं!

कार्यक्रम में उपस्थित सभी महानुभावों अतिथियों और नारी शक्ति को मेरी तरफ से सादर प्रणाम! आज हम सब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए हैं।

भारतीय संस्कृति में नारियों की भूमिका पहले से ही बिल्कुल स्पष्ट है। भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति के लिए क्या खूब कहा गया है,

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यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:।

इस श्लोक का मतलब साफ़ है कि जिस स्थान पर नारी शक्ति की पूजा की जाती है, वहां ईश्वर का निवास होता है। आप इस श्लोक से अंदाजा लगा सकते हैं कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं को कौन सा दर्जा दिया गया है!

लेकिन बड़े दुख की बात है कि भारतीय संस्कृति में कभी जिन महिलाओं को देवी के समान पूजा जाता था आज वही महिलाएं शारीरिक शोषण, सामाजिक उत्पीड़न तथा घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं। केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के कई हिस्सों में महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर आए दिनों खबरें सामने आती रहती हैं।

कितनी अजीब बात है ना, कि जिस महिला से यह सामाजिक प्राणी जन्म लेते हैं, जिस महिला के साथ मिलकर अगली पीढ़ी को बढ़ाने के स्वप्न साकार करते हैं उसी महिला के साथ हमारे समाज में भेदभाव किया जाता है, उनके नैतिक अधिकारों का हनन किया जाता है, उड़ने से पहले ही उनके हौसलों के पंख को कुचल दिए जाते हैं।

लेकिन कहते हैं ना कि समय के साथ चीजें बदलती रहती हैं। भले ही मध्यकालीन इतिहास में महिलाएं चुपचाप सामाजिक शोषण उत्पीड़न और घरेलू हिंसाएं सहन कर जाती थी लेकिन आज यही महिलाएं पूरी शक्ति के साथ अपने अधिकारों की मांग करती हैं और अपने खिलाफ होने वाले शोषण और उत्पीडनों का मुंहतोड़ जवाब देती हैं।

महिलाओं की जागरूकता में होने वाला या परिवर्तन कहीं ना कहीं महिला सशक्तिकरण से जुड़े अभियानों की देन है, जिनमें अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मुख्य रूप से शामिल है।

महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए और उन्हें उनकी समस्याओं के साझाकरण हेतु मंच उपलब्ध कराने के लिए हर साल 8 मार्च को विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

महिला सशक्तिकरण का अर्थ–

महिला सशक्तिकरण का मतलब है महिलाओं को उनके सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों के बारे में जागरूक करना और उन्हें स्वावलंबी बनाना ताकि वह स्वयं अपने खिलाफ होने वाले विरोधियों से लड़ सके और अपनी रक्षा कर सकें।

इसी महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य लेकर राष्ट्रीय महिला दिवस और विश्व महिला दिवस मनाने की पहल की गई है और हर साल इसे नई नई थीम के साथ मनाया जाता है।

महिला सशक्तिकरण 2023 की थीम –

इस साल 8 मार्च 2023 को मनाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2023 का विषय है, “डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी”

इस थीम को समझने के बाद ही महिला सशक्तिकरण को लेकर विषय की भूमिका और उद्देश्य को समझा जा सकता है। आज का युग नवाचार (Innovation) और प्रौद्योगिकी (Technology) का युग है। इस दौर में आधुनिक विज्ञान और तकनीक ने पूरी दुनिया को डिजिटल बनाने का संकल्प ले लिया है।

ऐसी परिस्थिति में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 की थीम डिजिटलऑल (DigitAll) का तात्पर्य है, सभी को डिजिटल बनाना। इस थीम को इसी उद्देश्य से निर्धारित किया गया है ताकि आने वाले समय में महिलाओं को भी पुरुषों के समान डिजिटल बनाया जा सके।

ऐसा नहीं कहा जा सकता की आधुनिक दौर में महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम है लेकिन आज भी देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों की महिलाएं संकुचित होकर रह गई हैं, जिनके पास कोई भी डिजिटल स्किल्स नहीं है। आधुनिक दौर में इन्हीं महिलाओं को डिजिटल बनाने के लिए Digit All का संकल्प लेकर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 मनाया जा रहा है।

आधुनिक दौर में महिलाओं की स्थिति एवं समाज में उनकी भूमिका–

आज के दौर में केवल भारत ही नहीं अपितु विश्व की महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। आज की नारी शक्ति किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं है फिर चाहे वह सूचना प्रौद्योगिकी हो या फिर अंतरिक्ष घर से लेकर दफ्तर तक हर जगह महिलाएं अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

समाज में महिलाओं की भूमिका केवल एक परिवार को संजोने और पालने तक नहीं है बल्कि संपूर्ण समाज को विकसित करने और उसे एक नया ढांचा देने में भी महिलाएं अपनी बखूबी भूमिका निभाती हैं। किसी राष्ट्र के विकास में योगदान के लिए भी महिलाओं और पुरुषों की भूमिका समान होती है।

लेकिन फिर भी आज दुनिया भर के कई इलाकों में महिलाओं के साथ शारीरिक शोषण, दुष्कर्म, भेदभाव दहेज, उत्पीड़न घरेलू हिंसा, सामाजिक दमन जैसी भयावह घटनाएं उभर कर सामने आ रही हैं।

भविष्य में आने वाली चुनौतियों से संघर्ष और समाधान–

मैं स्पष्ट तौर पर कह सकता हूं कि जब तक हमारे समाज की महिलाएं अपने सामाजिक आर्थिक राजनीतिक और न्यायिक अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होंगे तब तक समाज में उनका दमन शोषण और उत्पीड़न होता रहेगा।

समाज की महिलाओं को उनके अधिकार के प्रति जागरूक करना महिला सशक्तिकरण के नींव की पहली ईट है। कानूनी अधिकारों के बुनियाद पर ही महिला सशक्तिकरण का ढांचा तैयार किया जा सकता है।

इन सबके अलावा महिलाओं को शारीरिक उत्पीड़न घरेलू हिंसा जैसी समस्याओं का सामना करने के लिए भौतिक रूप से भी सक्षम होना पड़ेगा। महिलाओं को यह चीज मान लेनी चाहिए कि वह शारीरिक क्षमता में भी पुरुषों से कम नहीं है, बल्कि मैं तो कहूंगा महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए किसी पुरुष पर निर्भर नहीं रहना चाहिए बल्कि अपने अंदर इतनी क्षमता विकसित करनी चाहिए कि वह सामने आने वाली चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब दे सके।

महिलाओं के सशक्तिकरण में पुरुषों की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। समाज के पुरुषों को भी महिलाओं को उभरने का समान अवसर और अधिकार देना चाहिए। हमें निसंदेह यह बात स्वीकार कर लेनी चाहिए कि महिला एवं पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं, इन दोनों में कोई भी तुलनात्मक रूप से शक्तिशाली या कमजोर नहीं है बल्कि सब समान है।

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अपनी इन्हीं अंतिम पंक्तियों के साथ मैं आप सब से विदा लेना चाहता हूं और आशा करता हूं आने वाले समय में महिला सशक्तिकरण का यह अभियान विश्व अवसर पर इस प्रकार सफल होगा कि हमें दोबारा कभी महिला दिवस मनाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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